अब एक बेहद ज़बरदस्त ख़बर दिल्ली से आ रही है, कि दिल्ली स्थित जामा मस्जिद की बिजली काट दी गयी है क्यूँकि इसका करोड़ों का बिल बक़ाया था, BSES कम्पनी जो बिजली सप्लाई का काम करती है उसने ये पहल की है।
इस ख़बर के बाद लगता है बाबाओं के साथ साथ इमामों के भी बुरे दिन शुरू हो गए हैं और ये इमाम बुख़ारी के लिए भी एक बड़ा झटका है। बाबा राम रहीम के केस के बाद लोग ये कहने लगे हैं कि जनता अब इन तथाकथित इमामों, मौलवियों और बाबाओं से परेशान हो चुकी है, तथा इनके बहकावे में अब नहीं आने वाली, जब सारा देश बाबा रहीम के किए गये कांड की चर्चा कर रहा था तो लोगों में बात भी उठ रही है कि क्या दिल्ली जामा मस्जिद शाही इमाम क़ानून से ऊपर है?
उनके ऊपर भी ढेर सारे केस हैं तो सरकार उन पर हाथ क्यों नहीं डालती? जैसा हमने ऊपर लिखा है कि इन इमामों, बाबाओं के बुरे दिन शुरू हो चुके हैं, ठीक वैसी ही करवाई शाही इमाम के साथ हुई है, उनके ऊपर यानी जामा मस्जिद पर चार करोड़ से भी ज़्यादा का बिल बक़ाया है।
इमाम बुखारी कहते हैं कि चूंकि मस्जिद वक्फ़ की सम्पत्ति है इसलिए बिल वही भरेगा, जबकि वक्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष मतीन अहमद का कहना है कि 1977 से ही जामा मस्जिद पर बुखारी परिवार का कब्जा है, इसलिए बिजली के बकाया बिल वही भरेंगे! बुखारी का कहना है कि यदि वक्फ़ बोर्ड यह सम्पत्ति हमारे नाम कर दे तो हम पानी और बिजली के बिल भरने को तैयार हैं!
वक़्फ़ बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि "जब मस्जिद में आने वाले विदेशियों एवं भारतीयों से होने वाली कमाई, जो प्रति माह काफी मोटी है, को इमाम अपने पास रखते हैं, फिर बिल का भुगतान क्यों नहीं करते?"
BSES का कहना है कि हमने काफ़ी बार नोटिस दिए हैं लेकिन पेमेंट नहीं की गयी इसलिए अब हारकर बिजली काट दी गयी है, हालाँकि ये शाही इमाम के लिए केवल एक छोटा सा झटका है पर जिस तरह सरकार सख़्त हो रही है। उससे लगता है अब इनके अच्छे दिन ख़त्म हो गये हैं और क़ानून का डंडा इन पर भी चलने वाला है।
वक़्फ़ बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि "जब मस्जिद में आने वाले विदेशियों एवं भारतीयों से होने वाली कमाई, जो प्रति माह काफी मोटी है, को इमाम अपने पास रखते हैं, फिर बिल का भुगतान क्यों नहीं करते?"
BSES का कहना है कि हमने काफ़ी बार नोटिस दिए हैं लेकिन पेमेंट नहीं की गयी इसलिए अब हारकर बिजली काट दी गयी है, हालाँकि ये शाही इमाम के लिए केवल एक छोटा सा झटका है पर जिस तरह सरकार सख़्त हो रही है। उससे लगता है अब इनके अच्छे दिन ख़त्म हो गये हैं और क़ानून का डंडा इन पर भी चलने वाला है।
पुरानी दिल्ली के जामा मस्जिद वॉर्ड में सालाना 60 करोड़ रुपये की ‘बिजली चोरी’ हो रही है, ऐसे में इस चोरी की भनक लगते ही सरकार ने इसके खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि चांदनी चौक वॉर्ड में हर साल बिजली कंपनी को नौ करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है और इसी चोरी को रोकने और लोगों को सहूलियत देने के लिए इलाके में चार दिन तक महा कैंप लगाया जा रहा है।
इस क्षेत्र में कब बिजली गुल हो जाए, कब वोल्टेज कम/ज्यादा हो जाए कुछ नहीं पता। बिजली अधिकारियों से इस विषय में चर्चा करने पर यही बात निकल कर आयी "बिजली चोरी"; जब उनसे कार्यवाही पर पूछा, उन्होंने कहा :"जब यह विभाग सरकार के अधीन था, तब किसी ने हिम्मत नहीं दिखाई, जनाब अब तो लालाओं के हाथ में है, सरकारी नौकरी तो है नहीं, कब कौन किस से फोन करवा कर, हमारी नौकरी खा जाए. हमारे परिवार कहाँ जाएंगे, और क्या खाएंगे?"
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के मुताबिक
इसी का नतीजा है कि यहां बिजली की कटौती भी खूब की जाती है। इस बिजली कटौती को लेकर जब इलाके की विधायक अलका लांबा ने बिजली कंपनी के अफसरों से बात की तो उन्होंने इसके कारण गिनाए थे और ये भी बताया कि सबसे ज्यादा बिजली चोरी उनके विधानसभा के वॉर्ड जामा मस्जिद में हर साल 64 करोड़ रुपये की हो रही है, जबकि चांदनी इलाके में यह चोरी 9 करोड़ रुपये है। बिजली अफसरों ने जो उन्हें जानकारी दी कि वह खासी चौंकाने वाली है।
बाबा राम रहीम पर कार्यवाही का हर तरफ से समर्थन मिला लेकिन लोगों ने यह भी मांग की कि अब इमाम बुखारी का भी नंबर आना चाहिए. उसके खिलाफ भी बहुत आपराधिक मामले है। लेकिन उस से सरकार इतना डरती है कि आज तक किसी ने हाथ लगाने की हिम्मत नहीं की।
बाबा राम रहीम पर कार्यवाही का हर तरफ से समर्थन मिला लेकिन लोगों ने यह भी मांग की कि अब इमाम बुखारी का भी नंबर आना चाहिए. उसके खिलाफ भी बहुत आपराधिक मामले है। लेकिन उस से सरकार इतना डरती है कि आज तक किसी ने हाथ लगाने की हिम्मत नहीं की।
लोगों की मांग तुरंत मोदी सरकार ने सुन ली और इमाम बुखारी की फाइल खुल गयी है। इमाम बुखारी भारत की सबसे बड़ी जामा मस्जिद के इमाम है। वे खुद को इतना बड़ा मानते हैं कि जामा मस्जिद का बिजली बिल ही नहीं चुकाते है। अब तक वे सरकार के 4.16 करोड़ रुपये खा चुके है। बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी का बुरा हाल है, वे पैसे मांग मांग कर परेशान हैं, लेकिन उनका बकाया उन्हें नहीं मिल रहा है। बाबा राम रहीम का अंजाम देखकर बिजली कंपनी BSES के अन्दर हिम्मत आयी और उन्होने तुरंत ही जामा मस्जिद की बिजली काट दी। अब उन्हें भरोसा है कि मोदी सरकार उनका जरूर साथ देगी और इमाम बुखारी का बुखार जरूर उतारेगी।
BSES ने कहा है कि अब जामा मस्जिद को तभी बिजली मिलेगी तब 4.16 करोड़ रुपये का बकाया चुकाया जाएगा। BSES के कदम से अब इमाम बुखारी को बिजली बिल चुकाना ही पड़ेगा और यह भी बताना पड़ेगा कि उसनें बिजली बिल क्यों नहीं चुकाया और जामा मस्जिद के पैसे कहाँ गए। अगर उसनें पैसे खा लिए होंगे तो उसकी फाइल खुल जाएगी, अगर एक फाइल खुली तो सभी मामले खुल जाएंगे, हो सकता है उसके खिलाफ CBI जांच हो और कुछ दिनों बाद वो भी बाबा राम रहीम की तरह जेल में दिखे क्योंकि जामा मस्जिद की बिजली काटना ही अपने आप में बड़ी बात है। अगर इस समय देश में मोदी की मजबूत सरकार ना होती तो देश में दंगा-फसाद हो रहा होता। लेकिन लोग जानते हैं कि अगर वे दंगा-फसाद करेंगे तो मोदी तुरंत ही गोली मारने के आदेश दे देंगे जैसा पंचकूला में बाबा राम रहीम के भक्तों पर गोली चलवाई गयी।
ऐसा लगता है कि मोदी अपनी सरकार में बुखारी का बुखार उतारकर ही रहेंगे। आपको बता दें कि बुखारी खुद को इतना बड़ा मानता है कि कई मीडिया वालों को कैमरे के सामने ही गालियाँ दे चुका है, लेकिन अब जल्द ही उसके बुरे दिन शुरू होंगे।
बिजली चोरी के साथ-साथ अतिक्रमण की भी भरमार
पूर्व में भी कुछ वर्ष पहले भुगतान को लेकर जामा मस्जिद की बिजली काटी गयी थी, लेकिन अपने प्रभाव से कुछ ही घण्टे उपरान्त बिजली कनेक्शन जोड़ दिया गया। और जहाँ तक जामा मस्जिद क्षेत्र में बिजली चोरी की बात है, इसमें विभाग भी ज़िम्मेदार है, परन्तु मुस्लिम क्षेत्र होने के कारण हस्तक्षेप करने से डरते हैं। इस क्षेत्र में होती बिजली चोरी की यदाकदा समाचार पत्रों में प्रकाशन भी होता रहा है। लेकिन अपनी नौकरी बचाने के लिए कोई सख्त कदम उठाने का साहस नहीं था।
इतना ही नहीं, जामा मस्जिद परिसर में गेट नम्बर 1 पर दो होटलों के बोर्ड हैं, जो शायद इस बात को प्रमाणित करता है कि ये दोनों होटल भी इन्ही के हैं। फिर गेट नम्बर 2 से आगे कॉटन मार्किट की तरफ गेट नम्बर 9 का व्यावसायिक प्रयोग हो रहा है। इस परिसर के अंदर इ-रिक्शा खड़ी होती हैं।
वैसे इस क्षेत्र में बिजली चोरी ही नहीं, अतिक्रमण भी जरुरत से अधिक है। पुराने मकानों में निकले छज्जों के नीचे की सड़क को मकानों में सम्मिलित कर लिया गया है। इस क्षेत्र में जितनी भीड़भाड़ दिखती है, उतनी है नहीं। जिस सरकार अतिक्रमण हटा देगी, बाजार मटिया महल सड़क पर कारें भी बिना किसी रुकावट के आ-जा सकेंगी। नीचे मीना बाजार से न जाने कितनी बार अतिक्रमण हटाया गया, परन्तु कुछ दिन उपरान्त फिर वही स्थिति, आखिर किसकी शय पर अतिक्रमण होता है? कौन ज़िम्मेदार है? ऊपर कॉटन मार्केट पर स्कूलों के आगे देखो कितना अतिक्रमण है। पब्लिक मूत्रालय के आगे खाने के ढाबे। क्या है ये सब, क्या इस क्षेत्र में नेता सिर्फ वोट लेकर ऐश करने के लिए हैं?
वास्तव में तुष्टिकरण नीति ने इनका डर बना रखा है। अधिकारी हिन्दू क्षेत्रों में तो कार्यवाही में जरुरत से ज्यादा मुस्तैदी दिखाते हैं, लेकिन इस क्षेत्र में आते ही, अफसरशाही धरी की धरी रह जाती है, क्यों?
श्रीमति किरण बेदी, जो "क्रेन बेदी" के नाम भी दिल्ली में चर्चित रहीं, लेकिन इस क्षेत्र में उन्होंने ने भी यहाँ घुटने ही टेके। उनकी क्रेन अजमेरी गेट, चाँदनी चौक, दरीबा, दरिया गंज, जगत सिनेमा(जामा मस्जिद) आदि से आगे बढ़ ही नहीं पाती थी, आखिर परिवार सबको ही पालने हैं।
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