
बिना थके देर रात तक घर-घर जाकर प्रचार करते देख, प्रस्तुत है, प्रचार के दौरान आर. बी. एल. निगम द्वारा अपने ब्लॉग के लिया भाजपा प्रत्याशी सोनिया का एक संक्षिप्त साक्षात्कार:--
सीता राम बाजार पुरानी दिल्ली का दिल है। और इस दिल का इस क्षेत्र के विधायक और निगम पार्षदों ने नास कर रखा है। सड़कें टूटी रहती है, नालियाँ भरी रहती हैं, जगह-जगह कूड़े के ढेर। इन निर्वाचित सदस्यों को नहीं मालूम की इनका जन मानस के स्वास्थ्य पर कितना बुरा प्रभाव पड़ता है।
वास्तव में कुछ सीमा तक आपका प्रश्न सही भी है, लेकिन शीला सरकार ने नगर निगम को तीन हिस्सों में विभाजित कर मझधार में छोड़ दिया है।
मतलब?
मतलब यह कि पहले सफाई, पानी, बिजली और भी कई विभाग नगर निगम के दायरे में थे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अपनी पार्टी के स्वार्थ की खातिर सबकुछ गुड़ गोबर कर जनता को गुमराह कर दिया। ऊपर से दिल्ली सरकार में बैठी आम आदमी पार्टी ने तो दिल्ली का बेडाखर्क कर दिया है।


दिल्ली शहर में किसी समय कटरों का बोलबाला था लेकिन बिल्डरमाफिआ ने उसे समाप्त सा कर दिया है ,उस पर कैसे अंकुश लगाएगी?
यह क्षेत्र की बहुत जटिल समस्या है, अपने कार्यकाल में बिल्डरमाफिआ राज से जनता को जरुरत से ज्यादा राहत दिलाने का प्रयास होगा।
नगर निगम में भाजपा शासित होते हुए भी भ्रष्टाचार का बोलबाला है, क्यों?
आप भाजपा को एक बार पुनः नगर निगम में आने दीजिये, फिर देखिये कैसे भ्रष्टाचारियों पर नकेल पड़ती है। अब भ्रष्टाचारी बच नहीं पाएंगे। कर्मचारियों को जनता को परेशान करने का कोई मौका नहीं दिया जाएगा।
मैडम कई क्षेत्रों में बड़ा बदबूदार पानी आता है, क्यों? क्या पानी की लाइन में किसी सीवर का मिलना या पीछे से ही ऐसे गन्दे पानी की सप्लाई?
पानी विभाग माना नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, फिर भी एक जनप्रतिनिधि होने के नाते क्षेत्र की जनता को गन्दा पानी नहीं पीने दूंगी।
मैडमजी, आज नगर निगम स्कूलों की जरुरत से कहीं अधिक शोचनीय स्थिति है। इस मुद्दे पर आपके कुछ विचार। ….
वास्तव में जब से दिल्ली में भ्रमित करने वाली सरकार सत्ताधीन हुई, शिक्षा तो क्या हर विभाग का सर्वनाश कर दिया है। करना-कराना कुछ नहीं, बस भ्रमित विज्ञापन देकर दिल्ली की भोली-भाली जनता को गुमराह किया जा रहा है।
मैडम मेरा प्रश्न नगर निगम स्कूलों की शोचनीय स्थिति के बारे में है?
मै उसी का जवाब दे रही हूँ। शिक्षकों को समय से वेतन न मिलना, योग्यतानुसार उनकी पदोन्नति न होना, टेम्परेरी शिक्षकों को नियमित न करना आदि अनेको कारण है, जिन पर विस्तार से सदन में चर्चा कर हल निकालने का प्रयास किया जाएगा। जनता हमें अपनी सुख-सुविधाओं के लिए वोट देती हैं न कि उनकी समस्याओं को उलझाने के लिए।
केजरीवाल का कहना है कि हाउस टैक्स माफ़ कर देंगे।
हाँ जी, उसी तरह माफ़ होगा जैसे बिजली और पानी। उनसे पूछिए जिनका 400 या इससे ज्यादा बिजली यूनिट होते है और उनसे भी पूछिए जिनका पानी 20,000 लीटर से ऊपर होता है। अब जनता मुर्ख नहीं बनने वाली।
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