

★★★★★★विचार करें
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👉यदि आप अपना कॉलेज या स्कूल चलाते है और SC/ST के छात्र के कम नंबर हो जाये या किसी छोटी बात पर HOT talk हो जाए ..और वह छात्र आप पर SC/ST एक्ट के तहत फर्जी एफआईआर करा दे ..तो आपको जाँच पूरी होने तक जेल, अग्रिम जमानत की तो सोचिये ही मत।
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👉यदि आप बिज़नेस मैन हैं या व्यापारी या दुकानदार अगर कोई वर्कर SC/ST वर्ग का व्यक्ति आपके पास नौकरी कर रहा है, आप ने उसके काम न करने की वजह से निकाल दिया ..वह आपको sc/st एक्ट के अंतर्गत झूठा केस दर्ज करा दे तो आप तुरंत हवालात में, अग्रिम जमानत मिलने का कोई प्रावधान ही नहीं है।
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👉यदि आप विधायक या कोई नेता है यदि कोई sc/st का व्यक्ति आपके पास कार्य के लिए आये आप किसी कारण वह कार्य नही करा पाए तो वह आपसे नाराज होकर आप पर झूठा sc/st एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करवा सकता है। आप की सारी नेतागिरी जाँच पूरी होने तक हवालात में निकल जायेगी और आप अग्रिम जमानत भी नहीं ले सकते।
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अवलोकन करें:--

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अवलोकन करें:--
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👉यदि आप मकान मालिक है ,किसी sc/st वर्ग के व्यक्ति को किरायेदार रखते है ,यदि आप अपना मकान या दुकान अपनी निजी आवश्यकता के लिए खाली करवाना चाहते है यदि वह खाली न करना चाहे आप कुछ नही कर सकते आप पर झूठा sc/st एक्ट में मामला दर्ज करवा दिया तो आपको अपना मकान छोड़ जांच पूरी होने तक जेल में रहना होगा, अग्रिम जमानत का कोई चांस नही।
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निम्न आलेख श्री गुंजन सिंह फेसबुक वाल से है:--
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ये घटना बिहार के किशनगंज ज़िले के सतकौआ पंचायत स्थित एक विद्यालय की है जहां डीएम महेंद्र कुमार अचानक मुआयने के लिए पहुंच गये। वो कक्षा एक या दो में पहुंचे तो देखते हैं कि शिक्षिका मजबी परवीन बच्चों को बिना मात्रा वाले शब्द पढ़ा रही हैं। बोर्ड पर हेडिंग थी - बिना मात्रा का शब्द, उसके अंतर्गत जो शब्द लिखे गये थे वह थे - कोमल, कोयला, कोरा, किताब...
यह देखकर डीएम नाराज़ हुए और बच्चों से सवाल कर उनका ज्ञान परखने के बजाय उन्होंने टीचर से ही सवाल किया - बोर्ड पर 'कोयला' लिखकर दिखाएं।
आपको जानकर अचरज नहीं होना चाहिए कि टीचर महोदया दो बार में भी 'कोयला' नहीं लिख सकीं। पहले उन्होंने 'कोयल' लिखा, फिर 'कोयाला' लिखा। इसपर डीएम ने उनकी क्लास लेते हुए कहा - "आपको शर्म आनी चाहिए। इन मासूमों का फ़्यूचर ख़राब कर रही हैं। आप एक शब्द सही से नहीं लिख पा रही हैं तो इनको क्या शिक्षित करेंगी।"
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निम्न आलेख श्री गुंजन सिंह फेसबुक वाल से है:--

ये घटना बिहार के किशनगंज ज़िले के सतकौआ पंचायत स्थित एक विद्यालय की है जहां डीएम महेंद्र कुमार अचानक मुआयने के लिए पहुंच गये। वो कक्षा एक या दो में पहुंचे तो देखते हैं कि शिक्षिका मजबी परवीन बच्चों को बिना मात्रा वाले शब्द पढ़ा रही हैं। बोर्ड पर हेडिंग थी - बिना मात्रा का शब्द, उसके अंतर्गत जो शब्द लिखे गये थे वह थे - कोमल, कोयला, कोरा, किताब...
यह देखकर डीएम नाराज़ हुए और बच्चों से सवाल कर उनका ज्ञान परखने के बजाय उन्होंने टीचर से ही सवाल किया - बोर्ड पर 'कोयला' लिखकर दिखाएं।
आपको जानकर अचरज नहीं होना चाहिए कि टीचर महोदया दो बार में भी 'कोयला' नहीं लिख सकीं। पहले उन्होंने 'कोयल' लिखा, फिर 'कोयाला' लिखा। इसपर डीएम ने उनकी क्लास लेते हुए कहा - "आपको शर्म आनी चाहिए। इन मासूमों का फ़्यूचर ख़राब कर रही हैं। आप एक शब्द सही से नहीं लिख पा रही हैं तो इनको क्या शिक्षित करेंगी।"
बीटीसी और बीएड कर के शिक्षा क्षेत्र में गये सभी लोगों की स्थिति ऐसी नहीं है लेकिन दुर्भाग्य यह है कि पढ़ाने के शौकीन लोगों के यहां बच्चे नहीं पहुंचते क्योंकि उन्हें किसी साहब के यहां चाय की तश्तरी समेटनी होती है। जो बच्चे सीमित संसाधनों के बाद पहुंचते हैं उन्हें ऐसे टीचर मिलते हैं जिन्होंने यह नौकरी सिर्फ़ इसीलिए की कि ये "आराम की नौकरी है", अटेंडेंस लगाकर बैठ जाना होता है। बिना काम के 20-40 हज़ार मिलते हैं। इसमें भी होनहारों का एक वर्ग ऐसा है जो कुछ नहीं कर पाता इसलिए बीटीसी और बीएड कर लेता है। इसलिए नहीं क्योंकि उसे पढ़ाना है बल्कि इसलिए क्योंकि नौकरी लग गयी तो बिना पढ़ाए पैसे मिलेंगे।
वो ये नहीं सोचते कि देश की नींव खोखली कर रहे हैं। मासूमों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं क्योंकि उनके घर के बच्चे उन्हीं पैसों से किसी कॉन्वेंट स्कूल पहुंच जाते हैं।
वो ये नहीं सोचते कि देश की नींव खोखली कर रहे हैं। मासूमों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं क्योंकि उनके घर के बच्चे उन्हीं पैसों से किसी कॉन्वेंट स्कूल पहुंच जाते हैं।
अपनी ड्यूटी किये बिना पता नहीं कैसे इन शिक्षकों के गले से निवाला उतरता है। ख़ुद की नौकरी के लिए उस बच्चे की मासूम आंखों को कैसे धोखा दे पाते हैं जो बहुत जद्दोजहद करके स्कूल पहुंचा है, कई बार इस शर्त के साथ कि शाम को मूंगफलियां बेचेगा या जूते पॉलिश करेगा।


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■इसलिए विचार करे ,जीना मुश्किल हो जाएगा ..आपका आपके बच्चों का ........विचार करो■
साभार:
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