भारत से छद्दमवाद की कब अर्थी निकलेगी? ये छद्दम नेता कब तक देश को गुमराह करते रहेंगे? क्या इन छद्दम धर्म-निरपेक्ष नेताओं का अन्तरात्मा मर चुकी है? वास्तव में यदि इन छद्दम नेताओं की अन्तरात्मा मर चुकी है, तो भारतीयों को ऐसे नेताओं के सामाजिक बहिष्कार करने में लेशमात्र भी संकोच नहीं करना चाहिए। ऐसे नेता क्या देश की सेवा करेंगे जो धर्म को बदनाम कर रहे?
आज जिस जगजीवन राम की पुत्री मीरा कुमार को दलित बनाकर कांग्रेस घूम रही है, 1977 में जब जगजीवन राम को प्रधानमन्त्री बनाये जाने की चर्चा चल रही थी, तब क्यों इंदिरा गाँधी सहित समस्त कांग्रेस विरोध कर रही थी। आखिर कांग्रेस कब तक जनता को गुमराह करती रहेगी?
मीरा कुमार जी कॉन्वेन्ट एडुकेटेड हैं. इनकी शिक्षा देहरादून, जयपुर और दिल्ली में हुई है. इन्होने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और मिरांडा हाउस से एमए और एलएलबी किया है !
पिता जगजीवन राम जी देश के रक्षा मंत्री तक रह चुके है !
दिल्ली में आलीशान कोठी है !उच्च रहन सहन है। फिर भी ये आज भी दलित है !
मीरा कुमार एक ब्राह्मण से शादी करने के बाद भी दलित ही रह गई ! विवाह उपरान्त लड़की का गोत्र तक बदल जाता है, लेकिन यह ब्राह्मण कुल में विवाह उपरान्त भी दलित ही हैं। यदि यह सत्य है, तो स्पष्ट है कि इनकी ससुराल अपनी वास्तविक जात को छुपा कर छद्दम ब्राह्मण बने हुए हैं, और इस मुद्दे पर ब्राह्मण समाज एवं संगठनों को गम्भीरता से विचार करना होगा। क्योकि कोई ब्राह्मण दलित नहीं हो सकता।
आज जिस जगजीवन राम की पुत्री मीरा कुमार को दलित बनाकर कांग्रेस घूम रही है, 1977 में जब जगजीवन राम को प्रधानमन्त्री बनाये जाने की चर्चा चल रही थी, तब क्यों इंदिरा गाँधी सहित समस्त कांग्रेस विरोध कर रही थी। आखिर कांग्रेस कब तक जनता को गुमराह करती रहेगी?
खुद देखिये, सोनिया गाँधी का पूर्व में नाम एंटोनियो मियानो था लेकिन वह राजीव गाँधी से शादी करके सोनिया गाँधी बन गयी इसलिए मीरा कुमार भी शास्त्री से शादी करके मीरा कुमार शास्त्री होना चाहियें लेकिन सोनिया गाँधी खुद तो गाँधी बन गयीं लेकिन उन्हें शास्त्री नहीं बनने दे रही हैं. मतलब यहाँ भी एक दलित को सिर्फ दलित रहने दिया जा रहा है तो कांग्रेस किस हिसाब से दलित होने का दावा कर रही है.
अब लोग परेशान हैं और सवाल पूछ रहे हैं कि मीरा कुमार ब्राह्मण व्यक्ति से शादी करने के बाद दलित कैसे रह गयीं, उनकी बेटियां देवंगाना कुमार और स्वाति कुमार भी ब्राह्मण हैं, पति भी ब्राह्मण हैं, उनके नाना देवरत शास्त्री भी ब्राह्मण थे तो मीरा कुमार दलित किस फ़ॉर्मूले से हैं ये लोगों को समझ में नहीं आ रहा है.
सबसे हैरानी वाली बात ये है कि इन्टरनेट पर मीरा कुमार के परिवार के सभी लोग अपने नाम के बाद शास्त्री शब्द हटा रहे हैं ताकि इनकी पोल ना खुले लेकिन इनके नाना देवरत शास्त्री के नाम से शास्त्री शब्द नहीं हटाया गया जिसकी वजह से इनकी पोल खुल गयी है.
क्या मीरा कुमार ब्राह्मण नहीं? मीरा कुमार जी कॉन्वेन्ट एडुकेटेड हैं. इनकी शिक्षा देहरादून, जयपुर और दिल्ली में हुई है. इन्होने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और मिरांडा हाउस से एमए और एलएलबी किया है !
पिता जगजीवन राम जी देश के रक्षा मंत्री तक रह चुके है !
दिल्ली में आलीशान कोठी है !उच्च रहन सहन है। फिर भी ये आज भी दलित है !

23 June 2017 |

सूत्रों ने बताया कि जदयू की घोषणा के बाद बुधवार दिन में कांग्रेस तथा गैरराजग दलों के वरिष्ठ नेताओं के बीच गहन विचार विमर्श का दौर चला कि किस प्रकार विपक्ष को एकजुट रखा जाए. विपक्ष की बैठक का समन्वय कर रही कांग्रेस ने उम्मीद जताया कि उन सभी दलों के नेता गुरुवार की मुलाकात में शामिल होंगे जो 26 मई को सोनिया द्वारा दिए गए दोपहर के भोज में शामिल हुए थे.
इस बीच एक वरिष्ठ वाम नेता ने कहा कि कुछ भी हो, हम चुनाव लडेंगे. चुनाव के लिए कांग्रेस के विकल्प के बारे में पूछे जाने पर पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि यह एक काल्पनिक सवाल है तथा 17 जुलाई के चुनाव के लिए विपक्ष एक संयुक्त रणनीति के बारे में फैसला करेगा.
तिवारी ने कहा कि कल की बैठक के बाद एक स्पष्ट उत्तर उपलब्ध होगा. सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि विपक्षी दल बैठक में संयुक्त रूप से किसी उम्मीदवार के बारे में फैसला करेंगे. इस बीच कुछ वाम नेताओं ने सपा नेता मुलायम सिंह यादव के आज (बुधवार, 21 जून) लखनऊ में योग दिवस से संबंधित एक कार्यक्रम में मौजूद होने का जिक्र किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए.
संविधान में जब तक , कोई संशोधन न हो (दलित बने रहने के लिए मापदण्ड) तब तक तो जन्म से दलित ,दलित ही रहे गा ! जहॉं लोग कर्ज ले कर न लौटाने के आदि हों वहॉं स्वेच्छा से संविधानिक अधिकतर कोई छोड़ दे गा , इस की कल्पना ही नही हो सकती ! कितनी बड़ी विसंगति है कि जिस देश के मुखिया का चयन ‘जाति’ के आधार पर हो रहा है और उसी से अपेक्षा की जाए है कि वह देश से जातिवाद को खत्म करेगा। अब तो सत्ता और विपक्ष के पास यही एक कार्ड बचा है खेलने के लिए कि ‘हमारा दलित आपके दलित से कहीं ज्यादा दलित है।’ वास्तव में दलित कहकर ही कोविंद और मीरा कुमार जैसे सक्षम लोगों की क्षमता पर उंगली उठाई जा रही है। सच तो यह है कि इस ‘डर्टी गेम’ की शुरुआत कॉंग्रेस ने की है बाकी तो सेक्युलर नचनियों ने मुजरा दिखाना शुरू कर दिया है। कोबिंद जी को भी दलित कह कर प्रचारित किया जा रहा है ?यदि सवाल दलित का है तो भी जिस पद के उमीदवार है उस पर किसी ऐरे-गेरे को बिठाया नही जा सकता ।राजनीति और प्रशासन चलाने का अनुभव दोनों के पास है। क्या स्वर्ण यदि कंगाल हो जाय तो क्या वह दलित कहलाना पसंद करेगा। देश की सबसे बड़ी दीमक दलित है । जोकि देश की अर्थ व्यवस्था बरबाद कर रही है । इसे आरक्षण समाप्त कर रोका जाए ।
तिवारी ने कहा कि कल की बैठक के बाद एक स्पष्ट उत्तर उपलब्ध होगा. सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि विपक्षी दल बैठक में संयुक्त रूप से किसी उम्मीदवार के बारे में फैसला करेंगे. इस बीच कुछ वाम नेताओं ने सपा नेता मुलायम सिंह यादव के आज (बुधवार, 21 जून) लखनऊ में योग दिवस से संबंधित एक कार्यक्रम में मौजूद होने का जिक्र किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए.

राजग उम्मीदवार कोविन्द को जदयू का समर्थन
उधर, जदयू ने बुधवार (21 जून) घोषणा कर दी कि वह राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार कोविन्द का समर्थन करेगा. यह विपक्षी दलों के प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है जो अपना संयुक्त उम्मीदवार उतारना चाहते हैं. पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने यह भी कहा कि जदयू कल होने जा रही विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कोविन्द को समर्थन के बाद उनकी पार्टी के लिए यह बैठक अब अप्रासंगिक हो गई है.
उधर, जदयू ने बुधवार (21 जून) घोषणा कर दी कि वह राष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार कोविन्द का समर्थन करेगा. यह विपक्षी दलों के प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है जो अपना संयुक्त उम्मीदवार उतारना चाहते हैं. पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने यह भी कहा कि जदयू कल होने जा रही विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कोविन्द को समर्थन के बाद उनकी पार्टी के लिए यह बैठक अब अप्रासंगिक हो गई है.
Suresh Ram Sex Scandal (1978)
This sex scandal not only changed Suresh Ram’s life but his father Jagjivan Ram’s (the messiah of Dalit and everybody’s favorite) political fortune and India’s political scene. It was year 1977, Indira Gandhi was defeated and Jagjivan Ram of Janata Party became the Deputy Prime Minister under Morarji Desai Government.
Unfortunately, naked photographs of Jagjivan Ram’s son Suresh Ram were published in a magazine that revealed Suresh Ram in numerous compromising positions with a girl. Interestingly, the editor of the magazine was Maneka Gandhi, the daughter-in-law of Indira Gandhi. This sex scandal turned the political fortune of Jagjivan Ram. Soon, the Janata Party was divided into two. Next, the Morarji Desai government fell and Charan Singh became the Prime Minister with the external support of Congress,
कुछ भी हो सकता हैं, लालू के बयान के बाद
लालू के बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास जदयू नेताओं जमावड़ा शुरू हो गया है. मीडिया रपोर्ट के अनुसार अभी अभी वशिष्ठ नारायण सिंह भी नीतीश के आवास पर पहुंचे….
दिल्ली में कांग्रेस के नेता इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने बिहार कांग्रेस के मुख्यालय में इफ्तार के दौरान नीतीश कुमार से फैसले को 22 जून तक स्थगित करने की बात की थी ताकि गुरुवार को होने वाली बैठक नीतीश की पार्टी से दूरी बनाए बिना हो जाए. कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि नीतीश ने इससे इनकार कर दिया. लेकिन जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इस तरह के किसी अनुरोध से इनकार करते हुए कहा कि जब कांग्रेस ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन नहीं करेंगे तो ऐसे में बैठक की गुंजाइश कहां रह जाती है.
सूत्रों के मुताबिक- कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि नीतीश के इस कदम से विपक्ष को झटका लगा है. गैर एनडीए पार्टियों को एक मंच पर लाने का आइडिया नीतीश का था और उन्होंने हमें ही धोखा दे दिया, ठीक उसी तरह जैसे आप किसी को घर खाने के लिए आमंत्रित करते हैं , लेकिन जब आपके मेहमान आते हैं तो आप घर से निकल जाते हैं. नेताओं ने यह भी कहा कि वह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने नीतीश को महागठबंधन के नेता के रूप में बहुत पहले स्वीकार किया था और लालू और उनकी पार्टी को अपने रुख का समर्थन करने के लिए मजबूर किया था.
सूत्रों के मुताबिक- कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि नीतीश के इस कदम से विपक्ष को झटका लगा है. गैर एनडीए पार्टियों को एक मंच पर लाने का आइडिया नीतीश का था और उन्होंने हमें ही धोखा दे दिया, ठीक उसी तरह जैसे आप किसी को घर खाने के लिए आमंत्रित करते हैं , लेकिन जब आपके मेहमान आते हैं तो आप घर से निकल जाते हैं. नेताओं ने यह भी कहा कि वह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने नीतीश को महागठबंधन के नेता के रूप में बहुत पहले स्वीकार किया था और लालू और उनकी पार्टी को अपने रुख का समर्थन करने के लिए मजबूर किया था.
सूत्र के मुताबिक
चेन्नई में जब डीएमके प्रमुख करुणानिधि के जन्मदिन के लिए नीतीश कुमार गए थे तब कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं से बातचीत हुई थी और गोपालकृष्ण गांधी को विपक्ष का उम्मीदवार बनाएं जाने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन कांग्रेस पार्टी उस ओर बैठी रही थी. हालांकि इससे साफ है कि कांग्रेस और नीतीश के बीच तनाव और अविश्वास की लकीर खिंच गई है.
चेन्नई में जब डीएमके प्रमुख करुणानिधि के जन्मदिन के लिए नीतीश कुमार गए थे तब कांग्रेस और वाम दलों के नेताओं से बातचीत हुई थी और गोपालकृष्ण गांधी को विपक्ष का उम्मीदवार बनाएं जाने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन कांग्रेस पार्टी उस ओर बैठी रही थी. हालांकि इससे साफ है कि कांग्रेस और नीतीश के बीच तनाव और अविश्वास की लकीर खिंच गई है.
इससे पहले लालू प्रसाद यादव ने कहा कि पहले खुद ही विपक्षी एकता की बात कर रहे थे लेकिन अचानक पता नहीं क्या हो गया, एक दिन में ही सब फैसला ले लिए…लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार एतिहासिक गलती करने जा रहे है..उन्होंने नीतीश कुमार के फैसले को गलत बताया.
लालू ने कहा कि उन्होंने नीतीश से कहा है कि वे बिहार की बेटी (मीरा कुमार) को अपना समर्थन दें, न कि आरएसएस उम्मीदवार को. नीतीश द्वारा भाजपा के राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन से जुड़े एक सवाल के जवाब में लालू ने कहा कि यह नीतीश ही सोचें कि वे धोखा दिए हैं या नहीं. नीतीश कुमार ने मुझे फ़ोन किया था और कहा था कि कोविंद को सपोर्ट करने का मेरा निजी राय है….मैं अब भी नीतीश कुमार को अपने फैसले पर विचार करने के लिए कहता हूँ. गंठबंधन टूटने के सावल पर लालू यादव ने कहा कि गंठबंधन तोड़ना नहीं न हैं….अब हम पटना जा रहा हैं वहां भी नीतीश को मनाने की कोशिश करेंगे…हमें पता नहीं नीतीश कुमार ने अकेले इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया…
नीतीश कुमार ने मुझे फ़ोन किया था और कहा था कि कोविंद को सपोर्ट करने का मेरा निजी राय है….मैं अब भी नीतीश कुमार को अपने फैसले पर विचार करने के लिए कहता हूँ. गंठबंधन टूटने के सावल पर लालू यादव ने कहा कि गंठबंधन तोड़ना नहीं न हैं….अब हम पटना जा रहा हैं वहां भी नीतीश को मनाने की कोशिश करेंगे…हमें पता नहीं नीतीश कुमार ने अकेले इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया…
त्यागी ने हालांकि कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को जदयू का समर्थन एक अलग-थलग घटना है और यह दल भविष्य में भगवा दल के खिलाफ एकजुटता के लिए विपक्ष के प्रयासों का हिस्सा रहेगा. उन्होंने कहा, 'इस अलग-थलग घटना का वृहतर विपक्षी एकता के हमारे प्रयासों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.'
लालू यादव के कड़े तेवर के बाद बिहार कांग्रेस प्रमुख अशोक चौधरी ने भी कहा है कि नीतीश को एक बार अपने फैसले पर विचार करना चाहिए. बैठक के बाद अशोक चौधरी ने कहा कि अब बस आलाकमान के फैसले का इंतजार है…
इससे पहले लालू यादव ने कहा कि पहले खुद ही विपक्षी एकता की बात कर रहे थे लेकिन अचानक पता नहीं क्या हो गया, एक दिन में ही सब फैसला ले लिए…लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार एतिहासिक गलती करने जा रहे है..उन्होंने नीतीश कुमार के फैसले को गलत बताया.
लालू ने कहा कि उन्होंने नीतीश से कहा है कि वे बिहार की बेटी (मीरा कुमार) को अपना समर्थन दें, न कि आरएसएस उम्मीदवार को. नीतीश द्वारा भाजपा के राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन से जुड़े एक सवाल के जवाब में लालू ने कहा कि यह नीतीश ही सोचें कि वे धोखा दिए हैं या नहीं. नीतीश कुमार ने मुझे फ़ोन किया था और कहा था कि कोविंद को सपोर्ट करने का मेरा निजी राय है….मैं अब भी नीतीश कुमार को अपने फैसले पर विचार करने के लिए कहता हूँ. गंठबंधन टूटने के सावल पर लालू यादव ने कहा कि गंठबंधन तोड़ना नहीं न हैं….अब हम पटना जा रहा हैं वहां भी नीतीश को मनाने की कोशिश करेंगे…हमें पता नहीं नीतीश कुमार ने अकेले इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया…
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दुनिया बहुत आगे निकल रही है आप इन छोटी छोटी बातों पर लडते है.