आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मसले पर जुलाई 31 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजधानी दिल्ली में गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि एनआरसी के नाम पर जो हुआ है, बहुत गलत हुआ है। ममता बनर्जी ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री से कहा कि एनआरसी की सूची से लगभग 40 लाख लोगों को बहिष्कार करना एक 'आपदा' है। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि असम में एनआरसी की सूची से बाहर किए गए लोगों से कोई अमानवीय व्यवहार या उनका उत्पीड़न नहीं किया जाएगा।
ममता बनर्जी ने कहा, 'मैंने उनसे (गृहमंत्री) एनआरसी विधेयक में संशोधन करने या नए बिल लाने के लिए कहा। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वे (सरकार) लोगों को परेशान नहीं करेंगे। मैंने उनसे बंगाल में एनआरसी लागू होने की रिपोर्ट के बारे में भी बात की, मैंने उनसे कहा कि यदि ऐसी कोई चीज होती है तो गृह युद्ध हो सकता है।'
अवलोकन करें:--
I asked him to amend NRC Bill or bring new bill. He has assured me they (govt) will not harass people. I also spoke to him about reports of NRC being implemented in Bengal, I told him that if such a thing happens there can be a civil war: WB CM after meeting Rajnath Singh #Delhi
The Chief Minister of West Bengal Ms @MamataOfficial met me today regarding publication of draft NRC.
I told her that the draft NRC had been published in accordance with the provisions of Assam Accord and as per decisions taken in a tripartite meeting on February 05, 2005 between the Centre, State Government of Assam and All Assam Students Union to update NRC, 1951.
I also told her that the NRC updation exercise was being carried out in a totally fair, transparent, non discriminatory and legal manner.
Nobody will be harassed in this entire process and at every stage of the process, adequate opportunity of being heard will be given to all persons. The draft NRC has been prepared in accordance with the law under the monitoring of the Honble Supreme Court.
मोदी सरकार द्वारा इतने वर्षों से तुष्टिकरण के कारण लम्बित निर्णय को अमल करने पर वोट बैंक की राजनीती करने वालों में खलबली मचना स्वाभाविक है। इन्ही लोगों के कारण तुष्टिकरण के पुजारी देश के जनता को मिलने वाली सुविधाओं का हनन कर रहे थे। और आज उनको निकाले जाने पर अपने वोट बैंक पर पर पड़ रहे डाके से तुष्टिकरण पुजारियों को रोटी खानी हराम हो गयी हैं। गृह युद्ध की धमकी देना, प्रमाणित करता है कि घुसपैठियों को बाहर करने से राजनीतिक हलकों में कितनी बेचैनी हो रही है। ये अपनी कुर्सी की खातिर किसी सीमा तक जाकर देश के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं, क्या ऐसे नेताओं को सत्ता या राजनीती में बने रहने का कोई अधिकार हैं? इनके लिए देश से बड़े घुसपैठिये हो गए? क्यों नहीं ममता ने कांग्रेस में रहते तत्कालीन राजीव गाँधी से समझौते को लागु करने के लिए बाध्य किया? वही तुष्टिकरण की राजनीती तब भी खिल रही थी और आज भी। घुसपैठियों के राशन कार्ड, मतदान परिचय पत्र, मतदान सूची में नाम किसने डलवाये? उनके विरुद्ध भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। ऐसे नेता देशभक्त नहीं हो सकते।
ममता द्वारा गृह युद्ध की धमकी ने अपनी ही पार्टी को सकते में डाल दिया हैं। अगस्त 1 को प्रश्नकाल के दौरान उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी पूछने मे ही इतने घबरा गए कि अपना प्रश्न करना ही भूल गए। जो सिद्ध करता है कि गृह युद्ध की धमकी पार्टी को ही संकट में डाल रही है।
असम कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा |
असम कांग्रेस अध्यक्ष ने 'गृह युद्ध' वाले बयान के लिए ममता बनर्जी को आड़े हाथों लिया
एनआरसी के मुद्दे पर ममता बनर्जी भले ही आक्रामक हैं, लेकिन अब विपक्ष से ही उनके बयानों पर सवाल उठने लगे हैं. असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा है कि ममता बनर्जी एक राज्य की मुख्यमंत्री हैं और उन्हें ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए जिससे उनके राज्य में या फिर देश के अन्य हिस्सों में तनाव बढ़े.
रिपुन बोरा ने कहा, 'मुख्यमंत्री होने के नाते ममता बनर्जी को गृह युद्ध भड़काने वाले बयान नहीं देने चाहिए. हम इस बयान की निंदा करते हैं.' उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के ऐसे बयानों का असम में कोई असर नहीं होगा क्योंकि वहां हालात पूरी तरह शांतिपूर्ण हैं.
खबर है कि ममता बनर्जी आज कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी से मुलाकात कर सकती हैं. इस दौरान वो विपक्षी दलों की एकता को लेकर बात करेंगे तथा उन्हें 19 जनवरी को कोलकाता में होने वाली अपनी रैली के लिए आमंत्रित भी करेंगी.
इससे पहले ममता बनर्जी ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने के बाद कहा था, 'मैंने उनसे (राजनाथ सिंह) एनआरसी बिल में संशोधन करने या नया बिल लाने के लिए कहा. उन्होंने मुझे भरोसा दिलाया है कि लोगों को परेशान नहीं किया जाएगा.' उन्होंने आगे बताया, 'मैंने उनसे इस रिपोर्ट के बारे में भी बात की कि एनआरसी को बंगाल में भी लागू किया जाएगा. मैंने उनसे कहा कि अगर ऐसा कुछ हुआ तो गृह युद्ध छिड़ सकता है.'
उन्होंने आरोप लगाया कि असम में नेशनन रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) को राजनीतिक मकसद से लोगों को बांटने के लिए लाया गया है. उन्होंने चेतावनी दी कि इससे देश में खूनखराबा और गृह युद्ध की स्थिति छिड़ सकती है.
बांग्लादेश ने भी 40 लाख लोगों से झाड़ा पल्ला
असम में जारी एनआरसी ड्राफ्ट में करीब 40 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं हैं. एनआरसी से बाहर किए गए 40 लाख लोग बांग्लादेश के अवैध प्रवासी माने जा रहे हैं, जिसके बाद भारत में इस बात को लेकर चर्चा गर्म है कि इन्हें बांग्लादेश वापस भेजा जाएगा? इस मुद्दे पर बांग्लादेश ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है.
बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन उल हक इनु बात करते हुए इस मुद्दे पर आधिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया. हसन उल हक ने कहा कि भारत सरकार ने बांग्लादेश को आधिकारिक तौर पर कोई भी सूचना नहीं दी है, इसलिए इस मुद्दे पर आधिकारिक बयान देने की जरूरत नहीं है.
बांग्लादेशी मंत्री ने इस मुद्दे को भारत का आंतरिक मुद्दा बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा, “यह भारत और असम का आंतरिक मामला है, बांग्लादेश का इस मामले से कुछ लेना-देना नहीं है और न ही ये लोग (40 लाख) हमारे हैं. हो सकता है कि वे असम के पड़ोसी राज्यों के हों इसलिए इस मामले में बांग्लादेश की भागीदारी का कोई मामला नहीं उठता.”
उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई के वक्त सहमति समझौते के तहत बांग्लादेश के लोगों ने भारत में शरण ली थी लेकिन बाद में उन्हें वापस भेज दिया गया, जहां उनका पुनर्वास किया गया. इसके बाद भारत में किसी भी बांग्लादेशी शरणार्थी के होने की रिपोर्ट नहीं है. हसन उल हक इनु ने कहा कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था वृद्धि पर है इसलिए किसी बांग्लादेशी को भारत जाने की जरूरत नहीं है. बांग्लादेश के मंत्री ने आगे कहा कि अगर वे लोग बांग्लादेशी होते हैं तो भारत सरकार को हमसे आधिकारिक रूप से बात करनी होगी. बांग्लादेश असम सरकार से कोई बात नहीं करेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि वे लोग बांग्लादेशी नहीं हैं.
बीजेपी ने बताया- बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाह रहीं बसपा प्रमुख मायावती
असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के मुद्दे पर बसपा अध्यक्ष मायावती की प्रतिक्रिया से भाजपा की नाराजगी बढ़ी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने पलटवार करते हुए कहा कि जब असम में अवैध बांग्लादेशियों की घुसपैठ का मसला जनांदोलन बना तब मायावती का राजनीति में अता-पता नहीं था। कांग्रेस के साथ कदम से कदम मिलाते हुए बसपा सुप्रीमो बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहती हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि अवैध घुसपैठियों के मुद्दे पर असम के सैकड़ों नौजवानों को जान गंवानी पड़ी। कांग्रेस के पास असम के समझौते को लागू करने की हिम्मत नहीं थी लेकिन भाजपा की सरकार ने हिम्मत दिखाई और यह काम कर दिखाया।
मायावती करतीं राष्ट्रभक्तों का अपमान
महेंद्र नाथ ने मायावती द्वारा उप्र के अल्पसंख्यकों को बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ जोडऩे के प्रयास को राष्ट्र विरोधी सोच का परिचायक बताया और कहा कि देश में रहने वाले अल्पसंख्यकों का देश देशभक्ति का अपना इतिहास रहा है। बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ उनका नाम जोड़कर मायावती राष्ट्रभक्तों का अपमान कर रही हैं। डॉ. पांडेय ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारें वोट बैंक की लालच में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की भी अनदेखी करती रहीं। भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की मंशा के अनुरूप कदम उठाया है। असम की जनता की भावनाओं के अनुरूप और देश की सीमाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही असम सरकार व केंद्र सरकार काम कर रही है।
दलितों में भाजपा पैठ से मायावती भयभीत
महेंद्र नाथ कहा कि न्यायालय की अवहेलना करने का बसपा प्रमुख का पुराना इतिहास रहा है। अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में स्मारकों और मूर्तियों का निर्माण न्यायालय की रोक के बावजूद जारी रखा। इसीलिए बसपा प्रमुख आज भी संवैधानिक संस्थाओं के दिशा निर्देशों के खिलाफ खड़ी होने से गुरेज नहीं कर रही हैं। पांडेय ने कहा कि दलितों, पिछड़ों के बीच भाजपा का संपर्क और संवाद लगातार बढ़ रहा है, जिससे मायावती भयभीत हैं। मोदी-योगी सरकार द्वारा दलितों, पिछड़ों व गरीबों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं से भाजपा का जनाधार लगातार बढ़ रहा है। (एजेंसीज इनपुट सहित)
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