भाजपा ने पश्चिम बंगाल लोकसभा चुनाव के लिए एजेंडा जारी किया है-‘ इबार बांग्ला’ (इस बार बंगाल)। वह इस मनोभाव में यूं ही नहीं आई। ममता के खिलाफ भाजपा और संघ लगभग वही तरीके आजमा रहे हैं, जिन तरीकों से कभी ममता ने कामरेडों की सरकार को हटाने की जमीन मजबूत की। वह यहां लगातार फैलती, मजबूत होती जा रही है। ममता ने दुर्गापूजा को अपना जनाधार बढ़ाने और कम्युनिस्टों के खिलाफ माहौल बनाने का माध्यम बनाया था। ‘नो रिफ्यूजल’ में छुपा तृणमूल कांग्रेस का मिजाज कोलकाता शहर में किराए की सभी टैक्सियों पर ‘नो रिफ्यूजल’ लिखा है। यानी, इनकार नहीं। जो कहा, करो। इसे ममता बनर्जी सरकार ने लिखवाया है। बेशक, यह यात्रियों की सुविधा के लिए है, लेकिन यह सरकार और तृणमूल कांग्रेस के पूरे मिजाज की भी उतनी ही गवाही है कि उसे इनकार या नाफरमानी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं। उसने स्थानीय निकाय चुनाव में खुलकर दिखाया भी कि कैसे लोगों से अपनी बात मनवाई जाती हैै। हालांकि, उसके एकछत्र राज में ऐसे कई सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में अंदरूनी समझौता है? तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में अंदरूनी समझौते के पीछे के तर्क क...