गैर-भाजपाई लाख उपचुनावों में हुए गठबन्धन को भाजपा के लिए चुनौती खड़ी कर जनता को मोदी लहर बेअसर दिखाने का प्रयास कर रहे हों, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। कर्नाटक का प्रमाण सबके सामने है। भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए जिस कांग्रेस और जेडीएस ने रात को सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े खटखटा कर, भाजपा को सत्ता से दूर करने में सफलता जरूर मिल गयी, लेकिन सरकार का गठन करने में अभी तक असफल ही हैं। क्या इसी तरह गठबन्धन चलेगा? जब एक राज्य में ये हाल है, केन्द्र में क्या होगा, भगवान बचाये ऐसे अवसरवादियों से।
केन्द्र में सत्ता परिवर्तन से कुछ मीडिया तो अपने आपको परिवर्तित करने में सफल हो गए, लेकिन सत्ता परिवर्तन उपरान्त भी कुछ पत्रकार केवल परिवार के इशारे पर चलते रहे। परन्तु आज उनमें भी आते बदलाव को देख आभास होता है कि अब हवा का रुख बदलना शुरू हो चूका है। मोदी के विदेशी दौरे के दौरान जो पत्रकार विदेशी धरती पर जनता के बीच गोधरा मुद्दा उछालने पर अपमानित हुआ हो, और अब वही मोदी के नाम की माला जपे, प्रमाणित करता है कि उपचुनावों में हो रहे गठबन्धन जनता को भ्रमित कर कुछ दिन फूलों की सेज़ पर आराम कर रहे हैं।
विवादित पत्रकार राजदीप सरदेसाई इन दिनों बीजेपी से रिश्ते सुधारने में जुटे है। इसकी शुरुआत उन्होंने सोशल मीडिया से की है। दरअसल राजदीप सरदेसाई ने बीते कुछ दिनों में कुछ ऐसे ट्वीट किए हैं जो आम तौर पर बीजेपी या उसके समर्थकों को पसंद आएंगे। इस चक्कर में उन्हें अपने परंपरागत फैन माने जाने वाले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समर्थकों की गालियां भी सुननी पड़ी हैं। आम तौर पर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आग उगलने वाले राजदीप सरदेसाई का ये अंदाज कई लोगों को हैरानी में डाल रहा है। टीवी टुडे समूह में एक साथी पत्रकार ने न्यूज़लूज़ को राजदीप सरदेसाई के रुख में आए बदलाव का राज़ बताया। इसी पोस्ट में नीचे आप पिछले दिनों के उनके वो ट्वीट पढ़ सकते हैं, जिनमें ऐसा लगता है कि पत्रकार के तौर पर संतुलित दिखने की कोशिश कर रहे हैं।
केन्द्र में सत्ता परिवर्तन से कुछ मीडिया तो अपने आपको परिवर्तित करने में सफल हो गए, लेकिन सत्ता परिवर्तन उपरान्त भी कुछ पत्रकार केवल परिवार के इशारे पर चलते रहे। परन्तु आज उनमें भी आते बदलाव को देख आभास होता है कि अब हवा का रुख बदलना शुरू हो चूका है। मोदी के विदेशी दौरे के दौरान जो पत्रकार विदेशी धरती पर जनता के बीच गोधरा मुद्दा उछालने पर अपमानित हुआ हो, और अब वही मोदी के नाम की माला जपे, प्रमाणित करता है कि उपचुनावों में हो रहे गठबन्धन जनता को भ्रमित कर कुछ दिन फूलों की सेज़ पर आराम कर रहे हैं।
विवादित पत्रकार राजदीप सरदेसाई इन दिनों बीजेपी से रिश्ते सुधारने में जुटे है। इसकी शुरुआत उन्होंने सोशल मीडिया से की है। दरअसल राजदीप सरदेसाई ने बीते कुछ दिनों में कुछ ऐसे ट्वीट किए हैं जो आम तौर पर बीजेपी या उसके समर्थकों को पसंद आएंगे। इस चक्कर में उन्हें अपने परंपरागत फैन माने जाने वाले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समर्थकों की गालियां भी सुननी पड़ी हैं। आम तौर पर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आग उगलने वाले राजदीप सरदेसाई का ये अंदाज कई लोगों को हैरानी में डाल रहा है। टीवी टुडे समूह में एक साथी पत्रकार ने न्यूज़लूज़ को राजदीप सरदेसाई के रुख में आए बदलाव का राज़ बताया। इसी पोस्ट में नीचे आप पिछले दिनों के उनके वो ट्वीट पढ़ सकते हैं, जिनमें ऐसा लगता है कि पत्रकार के तौर पर संतुलित दिखने की कोशिश कर रहे हैं।
हवा का रुख़ भांपने में एक्सपर्ट
राजदीप सरदेसाई के बारे में माना जाता है कि वो हवा का रुख भांपने के माहिर हैं। आम तौर पर चुनावों के दौरान वो बता देते हैं कि कौन जीत या कौन हार रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने पहले ही लिख दिया था कि बीजेपी को जीतने से कोई रोक नहीं सकता। इसी तरह उत्तर प्रदेश चुनाव में जब हर कोई बीजेपी की जीत की उम्मीद भर जता रहा था राजदीप सरदेसाई ने भविष्यवाणी कर दी थी कि बीजेपी अच्छे बहुमत से जीतने वाली है। हाल के कर्नाटक चुनाव में उन्होंने जीत-हार की भविष्यवाणी तो नहीं की थी, लेकिन निजी बातचीत कहा था कि बीजेपी की जीत के आसार ज्यादा हैं, लेकिन कांटे की टक्कर होगी। नतीजे करीब-करीब यही रहे। बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल ने राजदीप सरदेसाई को गोवा में मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने का झांसा दिया था। राजदीप इसके लिए मन भी बना चुके थे। लेकिन जब वो ग्राउंड पर गए तो भांप गए कि राज्य में आम आदमी पार्टी बुरी तरह हारने वाली है। लिहाजा राजनीति में उतरने का फैसला टाल दिया।
मोदी की दोबारा जीत का भरोसा?
राजदीप सोनिया गांधी के सबसे करीबी पत्रकारों में हैं। कैश फॉर वोट कांड के वक्त उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ हुए स्टिंग ऑपरेशन के टेप को कथित तौर पर सोनिया गांधी को थमा दिया था। लेकिन मौजूदा दौर में उनके आगे भी अस्तित्व का संकट है। ऐसे में उनके पास बीजेपी से रिश्ते सुधारने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। हमारे सूत्र ने दावा किया कि “राजदीप सरदेसाई को समझ में आ चुका है कि 2019 में भी मोदी को कोई नहीं हरा सकता और उनकी सत्ता में वापसी तय है, लिहाजा उन्होंने अपना स्टैंड बदलना शुरू कर दिया है।” यानी रुख में ये बदलाव अपना करियर बचाने के लिए पैतरेबाजी लगती है। क्योंकि राजदीप सरदेसाई और उनके जैसे पत्रकारों को दर्शक पहले ही खारिज कर चुके हैं और अगर 2019 में पीएम मोदी दोबारा पीएम बनते हैं तो कोई भी समाचार संस्थान उनके साथ अपना नाम जुड़ने का जोखिम नहीं लेना चाहेगा।
आप उन ट्वीट्स को देख सकते हैं जिन्हें देखकर शक होता है कि राजदीप सरदेसाई को 2019 की हवा का अंदाजा लग चुका है। नीचे के ट्वीट में उन्होंने कर्नाटक में अब तक कैबिनेट का गठन न होने पर कांग्रेस और राहुल गांधी पर सवाल उठाए हैं।
A week since CM/Dy CM sworn in Karnataka, still no cabinet in place! RG on leave, HDK in mid-air, Cong-JDS fighting over portfolios! Classic case of minimum Govt, minimum governance! #KarnatakaNataka
नीचे के ट्वीट में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का बचाव किया है और कहा कि आरएसएस अछूत नहीं है।
Pranab Mukherjee accepts invite to address an RSS gathering; next thing you know we have prime time news debating 'Pranab with RSS'! Can RSS be untouchable in an age when the PM is a pracharak?! What if he goes there and lambasts RSS's vision of a Hindu Rashtra as he should!
इस ट्वीट में उन्होंने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाने वालों का मज़ाक उड़ाया है।
To those who have a problem with EVMs, do we really want to go back to the days of the ballot paper when booths were captured and voting papers were stuffed ? Surely a nationwide VVPAT verification trail to EVMs is better than going back in time, no?
सबसे मजेदार ट्वीट नीचे वाला है जिसमें उन्होंने वीर सावरकर की जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। लेकिन बदले में उन्हें कांग्रेसियों और मुस्लिम कट्टरपंथियों की गालियां पड़ीं। उन्हें चड्ढीवाला और बिका हुआ कहा गया।
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