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Showing posts from November, 2017

उत्तर प्रदेश में बंद होते नाजायज मदरसे

आर.बी.एल.निगम,वरिष्ठ पत्रकार  केन्द्र में मोदी सरकार द्वारा हर संस्था और बैंकों आदि को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया से जनमानस में खूब दुष्प्रचार किया जा रहा है कि "जब से मोदी सरकार आयी है, जनता को परेशानियाँ हो रही है।" और इस तरह का दुष्प्रचार मोदी विरोधियों द्वारा खूब हो रहा है, लेकिन इस ऑनलाइन प्रक्रिया से कितने घोटाले सामने आ रहे हैं, जिसका जनमानस को पता भी नहीं। जब उत्तराखंड में भाजपा गठित नयी सरकार ने मदरसों को ऑनलाइन किया, खूब शोर मचा कि नयी सरकार के आते ही मदरसों से दो लाख बच्चे गायब हो गए। जबकि वास्तविक एकदम विपरीत थी। ये दो लाख फ़र्ज़ी मुस्लिम बच्चों को रिकॉर्ड में दिखाकर छद्दम धर्म-निर्पेक्षों की मदद से कट्टरपंथी हर महीने करोड़ों का चूना लगा रहे थे। और अब वही प्रक्रिया उत्तर प्रदेश में भी लागू होने कर फ़र्ज़ी मदरसे गायब हो गए। यानि इन फ़र्ज़ी मदरसों और फ़र्ज़ी बच्चों को रिकॉर्ड पर दिखाकर हर महीने सरकार को करोड़ों की चपत लग रही थी। यानि जो धन देश अथवा प्रदेश के दूसरे कामों में खर्च होता, भ्रष्टाचारियों की जेबों में जा रहा था।  सहारनपुर में सिर्फ कागज पर चल रहे 17 मदरसों क

रहस्योघाटन: अयोध्या मुद्दा हल करने की खातिर राजीव गाँधी ने गिराई चंद्रशेखर सरकार

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने अयोध्या के रामजन्मूभि पर राम मंदिर बनाने का निर्णय ले लिया था। राजीव गांधी को जब यह पता चला कि राम मंदिर का समाधान चंद्रशेखर जी ने निकाल लिया है तो उन्होंने चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस लेकर उसे गिरा दिया था! निम्न वीडियो ने धुंधली हो रहे तथ्यों को एक दम जीवित कर दिया। वास्तव में इस बात से लेशमात्र भी इंकार नहीं किया जा, कि रामजन्मभूमि मन्दिर पर जितना तत्कालीन प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर गम्भीर थे, आज तक कोई प्रधानमन्त्री नहीं उतना गंभीर नहीं। सम्भव है, मुझे गलत/भ्रमित सूचना हो, वैसे तत्कालीन प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर ने जो समिति बनाई थी, उसके अभी जीवित स्वामी सुब्रमण्यन, तत्कालीन कानून मन्त्री, मुलायम सिंह यादव एवं शरद पवार इसकी पुष्टि कर सकते हैं, यदि सूचना गलत है तो सार्वजानिक रूप से माफ़ी चाहता हूँ। यह बातचीत का सिलसिला इतिहासकारों के साथ होने वाले सम्वाद वाले दिन समाप्त हुआ था। मस्जिद के पक्षधर इतिहासकारों ने मामले को उलझाने का प्रयास किया था। सब कुछ शांतिपूर्वक दौर चलने उपरान्त इन चंद चाँदी की टुकड़ों के भूखे इतिहासकारो ने बातचीत के  इस दौर को खंडित

राहुल गाँधी की ताजपोशी से पूर्व उठा विवाद

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार  कुछ ही माह पूर्व लिखा था कि कांग्रेस में परिवारवाद के विरोध बहुत आक्रोश है, लेकिन बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन? आखिरकार  शहजाद पूनावाला ने उस काम को अंजाम दे ही दिया। हालाँकि अपने इस साहसिक काम के लिए उनके अपने ही भाई तहसीन पूनावाला ने शहजाद से पारिवारिक सम्बन्ध तक विच्छेद कर लिए। क्योकि तहसीन रॉबर्ट वाड्रा के बहनोई है, इस कारण गाँधी परिवार के प्रति अपनी वफ़ादारी तो निभा दी, परन्तु इसके परिणाम नहीं सोंचे। वास्तव में, इस परिवार के कारण आज कांग्रेसी अपने आपको कांग्रेसी कहलवाने पर लज्जित हो रहे हैं। इतिहास साक्षी है, इस परिवार ने अध्यक्ष सीता राम केसरी को अपमानित कर दूध में से मक्खी की तरह निकाल बाहर फेंक दिया, तत्कालीन प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव को "नरसिम्हा धोती के नीचे निक्कर पहनता है" कहा कर बदनाम किया ; भूतपूर्व प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री, जो वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की तुलना में कहीं अधिक अधिक कठोर निर्णय लेने वाले निर्भीक धर्म-निरपेक्ष थे, उन्हें भ्रष्टाचारी कह बदनाम किया, संक्षेप में जो कांग्रेस को वर्तमान स्थिति मे

स्वयंसेवकों का भारतमाता के लिए बलिदान

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार  बैठा कुछ पुरानी क्लिपिंग्स में यादों को टटोल रहा था कि पाञ्चजन्य साप्ताहिक की क्लिपिंग हाथ लग गयी, सोंचा कहीं ख़राब न हो जाए, ब्लॉग पर डाल दिया जाए। ताकि मूर्खों के समूह संघ की मूर्खता जगजाहिर कर संघ को देशद्रोही कहने वालों पर तमाचा पड़ सके। सम्भव हो, कि आम स्वयंसेवक से लेकर संघचालक जी को नागवार गुजरे। गुजरनी भी चाहिए। वैसे सबकी अपनी अलग सोंच हैं, मेरी अलग। जिसका जब मन चाहा बोल दिया "संघ देशद्रोही है", "ब्रिटिशर्स से मिले हुए थे", "गोडसे संघ से जुड़ा हुआ था"  आदि आदि लांछन लगाते रहते हैं। संघ बस एक विज्ञप्ति दे संतोष कर बैठ जाते हैं। कभी संघ को कलंकित करने वालों के अब से पूर्व यानि मोदी सरकार बनने पर, ("केवल एक अपवाद को छोड़कर जब आजतक चैनल द्वारा विवादित बयान देने पर झंडेवालान स्थित वीडियोकोन टावर पर आजतक के विरुद्ध जबरदस्त प्रदर्शन किया था। तब समस्त मीडिया ने "संघ का मीडिया पर हमला"  खूब उछाल कर संघ को बदनाम करने का षड्यंत्र किया था।") खुलकर बोलना प्रारम्भ किया है। संघ ने किसी एनजीओ से कहीं अधिक जनहित म

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shannomagan
To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)