पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने अयोध्या के रामजन्मूभि पर राम मंदिर बनाने का निर्णय ले लिया था। राजीव गांधी को जब यह पता चला कि राम मंदिर का समाधान चंद्रशेखर जी ने निकाल लिया है तो उन्होंने चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस लेकर उसे गिरा दिया था! निम्न वीडियो ने धुंधली हो रहे तथ्यों को एक दम जीवित कर दिया। वास्तव में इस बात से लेशमात्र भी इंकार नहीं किया जा, कि रामजन्मभूमि मन्दिर पर जितना तत्कालीन प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर गम्भीर थे, आज तक कोई प्रधानमन्त्री नहीं उतना गंभीर नहीं। सम्भव है, मुझे गलत/भ्रमित सूचना हो, वैसे तत्कालीन प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर ने जो समिति बनाई थी, उसके अभी जीवित स्वामी सुब्रमण्यन, तत्कालीन कानून मन्त्री, मुलायम सिंह यादव एवं शरद पवार इसकी पुष्टि कर सकते हैं, यदि सूचना गलत है तो सार्वजानिक रूप से माफ़ी चाहता हूँ। यह बातचीत का सिलसिला इतिहासकारों के साथ होने वाले सम्वाद वाले दिन समाप्त हुआ था। मस्जिद के पक्षधर इतिहासकारों ने मामले को उलझाने का प्रयास किया था। सब कुछ शांतिपूर्वक दौर चलने उपरान्त इन चंद चाँदी की टुकड़ों के भूखे इतिहासकारो ने बातचीत के इस दौर को खंडित करने का पाप किया था। सम्भव है इन्होने राजीव गाँधी के इशारे पर घृणित काम को अंजाम दिया हो।
यदि राजीव गाँधी ने अपना समर्थन वापस नहीं लिया होता, और अयोध्या में राममन्दिर बन गया होता, निश्चित रूप से चंद्रशेखर ने भाजपा को बहुत पीछे छोड़ दिया होता। खैर, विधि के विधान को कौन बदल सकता हैं। फिर इतिहास में दर्ज इस घटना का जब-जब अवलोकन किया जाएगा, प्रत्येक शांतिप्रिय, चाहे वह किसी भी धर्म अथवा जाति से हो--कट्टरपंथी और छद्दम नेताओं को छोड़ कर-- रामजन्मभूमि विवाद को साम्प्रदायिक रंग देने के लिए कांग्रेस को पानी पीकर कोसेगा।
यह बात सच है, कि मुगलवाद को जिस तरह भारत में ज़िंदा रखा जा रहा है और वोट के भूखे नेता कट्टरपंथियों के आगे शीश झुकाते हैं, विश्व में भारत को एक मजाक बना दिया है, विश्व इन करतूतों की वजह से हम पर हँसता है। मक्का जिसे इस्लाम का तीर्थ कहा जाता है, भारत में मुगलों के हिमायती जवाब दें कि मक्का में बानी बिलाल मस्जिद कहाँ है? जहाँ सजदा किए बिना हज पूरा नहीं होता था। किसी माई के लाल में हिम्मत है, सऊदी सरकार के विरुद्ध एक लब्ज़ निकाल सकें। भारत में मुगलों के लिए विधवा-विलाप करने वाले सऊदी सरकार के विरुद्ध मुँह खोलने का अर्थ भलीभाँति जानते है कि कहीं हमारे हज के जाने पर वहाँ की सरकार प्रतिबन्ध न लगा दे। भारत में ही कह सकते हैं "हमारा सिर सिर्फ अल्लाह के आगे झुकता है, किसी और के आगे नहीं", अब कोई इनसे पूछे सऊदी सरकार के विरुद्ध क्यों नहीं ? सऊदी सरकार के आगे झुक गया न सिर, इससे बड़ा प्रमाण और क्या चाहिए?
आर्गेनाइजर साप्ताहिक में पाठकीय पृष्ठ पर एक पत्र प्रकाशित हुआ था, कि दुबई में एक हस्पताल के विस्तार करने में एक मस्जिद रुकावट बन रही थी, सरकार ने हॉस्पिटल के विस्तार की खातिर उस मस्जिद को वहां से हटा दिया। कोर्ट में या चंद्रशेखर द्वारा गठित इस समिति में, बरहाल उस पत्र का संज्ञान लिया गया था। समाचार पत्र/पत्रिकाओं द्वारा आर्गेनाइजर के उस अंक की अचानक ऐसी माँग हुई, कि बिकने वाली रद्दी में से उस अंक को निकाला गया।
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देखिये पूरा खुलासा इस वीडियो में…
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