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Showing posts from March, 2019

राहुल गाँधी पप्पू : देशाभिमानी टूडे, सीपीआईएम का मुखपत्र

आखिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी अपनी "पप्पू" छवि से कभी बाहर आ पाएंगे? कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केरल के वायनाड से चार अप्रैल को नामांकन दाखिल करेंगे। इसके लिए वो तीन अप्रैल को कोझीकोड जाएंगे। ज्ञात हो, राहुल गांधी के नामांकन पर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। सीपीएम के महासचिव और केरल के सीएम पी विजयन का कहना है कि ये तो राहुल गांधी को तय करना है कि क्या वो बीजेपी को हटाना चाहते हैं या नहीं। लेकिन इन सबके बीच सीपीएम ने कहा कि उनकी करारी हार तय है। इस बीच केरल सीपीआईएम के मुखपत्र देशाभिमानी टूडे में राहुल गांधी को पप्पू बताया गया है। पेपर में ये लिखा गया है कि वायनाड से राहुल गांधी का चुनाव लड़ना तो पप्पू स्ट्राइक है। पूरे भारत में सिर्फ केरल को छोड़कर कांग्रेस का सीपीएम के साथ गठबंधन है। केरल के सीएम पी विजयन ने कहा कि राज्य में कांग्रेस का अस्तित्व नहीं है। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी को उम्मीदवार को बनाया गया है उससे साफ है कि कांग्रेस विपक्षी एकता को कमजोर कर रही है। कांग्रेस एक तरफ बीजेपी को हराने की बात कर रही है और दूसरी तरफ ऐसे फैसले कर रही है

क्या प्रियंका कांग्रेस की डूबती नैया बचाने में सक्षम होंगी?

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार  प्रियंका वाड्रा जब छोटी थीं तो दादी इंदिरा की तरह राजनीति में आना चाहती थीं। लेकिन, समझ बढ़ी तो कहने लगीं कि राजनीति उनकी मूल जगह नहीं। पर, नियति देखिये कि यह उन्हें राजनीति में ही खींच लाई। 20 साल पहले से बेल्लारी रायबरेली से लेकर अमेठी तक मां और भाई का प्रचार-प्रबंधन संभालते-संभालते वह औपचारिक रूप से कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव बना दी गईं और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी भी। उनके आने से लगा कि बेदम-बेजान और बिस्तर पर पड़ी कांग्रेस को थोड़ी प्राणवायु-सी मिल गई है। लखनऊ में पांच घंटे के रोड शो से लेकर काशी तक जनसमूह का उमड़ना यह इशारा करता है कि चुनौतियों के चक्रव्यूह के बावजूद कांग्रेस की यह वीरांगना खाली हाथ नहीं लौटने वाली। उनके भाषणों में नयापन है और सियासी हथियारों में थोड़ी धार भी। कांग्रेसी उनमें इंदिरा की छवि देखते हैं।  एक बार लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि राजनीति में चेहरे इसलिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि उनसे विचार जुड़े होते हैं। प्रियंका के साथ भी खास परिवार और विचार जुड़ा हुआ है। पर, कड़वी राजनीतिक सच्चाई यह भी है कि प्रियंका के आगमन मात्र

पुलवामा हमले पर फारूक अब्दुल्ला बोले पाकिस्तानी बोली

जम्‍मू एवं कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला अक्‍सर अपने विवादास्‍पद बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। एक बार‍ फिर उन्‍होंने ऐसा ही बयान दिया है। उन्‍होंने पुलवामा आतंकी हमले और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपलब्धि 'मिशन शक्ति' का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा। नेकां नेता ने एंटी-सैटलाइट मिसाइल के विकास का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार को दिया। पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए फारूक अब्‍दुल्‍ला ने सवालिया लहजे में कहा, 'कितने सिपाही हिन्दुस्तान के नहीं शहीद हुए छत्तीसगढ़ में? क्या मोदी जी कभी वहां गए उनपे फूल चढ़ाने के लिए, उनके परिवारों से हमदर्दी जताने के लिए? या जितने सिपाह‍ियों की जान यहां गई, उनके लिए कुछ कहा। मगर वे 40 लोग CRPF के शहीद हो गए, उसका भी मुझे शक है...।' फारूक अब्दुल्ला यहीं नहीं रुके, उन्होंने अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए भारत द्वारा एंटी-सैटलाइट मिसाइल के सफल परीक्षण के वक्

राहुल गाँधी की दो सीटों से लड़ने की क्या मजबूरी है?

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार   पिछले कुछ चुनावों से कांग्रेस का ग्राफ जिस तेजी से निरन्तर गिर रहा है, शायद ही किसी ने कल्पना की होगी। जिस पर कांग्रेस ने कभी मन्थन नहीं किया, क्योकि कांग्रेस बुद्धिजीवी वर्ग ने भी इस ओर लेशमात्र भी चिन्तन करने का प्रयास नहीं किया। कांग्रेस केवल एक ही परिवार पर निर्भर रही और रहना भी चाहती है। कांग्रेस की इस डूबती नैया में यदि परिवार दोषी है तो बुद्धिजीवी वर्ग भी कम दोषी नहीं। प्रियंका वाड्रा को मैदान में उतार एक और गलती कर दी।   जब राहुल गाँधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की चर्चा चल रही थी, तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था "जितनी जल्दी हो, राहुल गाँधी को अध्यक्ष बनाइए", जो आज चरितार्थ हो रहा है। राहुल गाँधी एक विशेष परिवार से है, कोई प्रधानमन्त्री नहीं, फिर कांग्रेस की अपनी पारम्परिक अमेठी के साथ-साथ केरल से चुनाव लड़ने के पीछे क्या रहस्य है? क्या अमेठी में कांग्रेस ने हार स्वीकार कर ली है? प्रधानमन्त्री उम्मीदवार को ही दो सीटों से चुनाव लड़ते देखा है, किसी पार्टी अध्यक्ष को नहीं। अन्य दल भाजपा को हराने के लिए एकजुट हो रहे

दिल्ली : क्या दो सितारों (कांग्रेस और आप) का मिलन हो पाएगा?

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार  राजनीती में न कोई किसी का बैरी और न ही कोई किसी का मित्र। कल तक जो शीला दीक्षित अरविन्द केजरीवाल के साथ गठबन्धन की घोर विरोधी थी, आज गठबंधन के लिए आला कमान यानि राहुल गाँधी के निर्णय को स्वीकारने को तैयार है, दाल में कुछ काला होने का संकेत देता है। पुराने राजनीतिज्ञ एवं सियासी पण्डितों को यह बात भी स्मरण होगी कि अपने ससुर तत्कालीन केन्द्रीय मन्त्री उमा शंकर दीक्षित के कार्यकाल में "बहूजी" के नाम से चर्चित बहु कौन थी। ससुर तो मात्र एक मोहरा थे, शतरंज की बिसात तो "बहूजी" ही बिछाती थी। देखते हैं अब "बहूजी" मोहरा बनेगीं या बनाएंगी?  दिल्ली कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी ने  आम आदमी पार्टी  से गठबंधन की अटकलों के बीच राष्ट्रीय राजधानी की सात लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम छांटने के लिए मार्च 30 की देर रात बैठक की। आप के साथ गठबंधन पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि इस संबंध में अंतिम फैसला रविवार(मार्च 31) शाम तक या सोमवार(अप्रैल 1) को कर दिया जाएगा और ये आधिकारिक घोषणा होगी

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shannomagan
To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)