आर.बी.एल.निगम,वरिष्ठ पत्रकार
केन्द्र में मोदी सरकार द्वारा हर संस्था और बैंकों आदि को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया से जनमानस में खूब दुष्प्रचार किया जा रहा है कि "जब से मोदी सरकार आयी है, जनता को परेशानियाँ हो रही है।" और इस तरह का दुष्प्रचार मोदी विरोधियों द्वारा खूब हो रहा है, लेकिन इस ऑनलाइन प्रक्रिया से कितने घोटाले सामने आ रहे हैं, जिसका जनमानस को पता भी नहीं।
जब उत्तराखंड में भाजपा गठित नयी सरकार ने मदरसों को ऑनलाइन किया, खूब शोर मचा कि नयी सरकार के आते ही मदरसों से दो लाख बच्चे गायब हो गए। जबकि वास्तविक एकदम विपरीत थी। ये दो लाख फ़र्ज़ी मुस्लिम बच्चों को रिकॉर्ड में दिखाकर छद्दम धर्म-निर्पेक्षों की मदद से कट्टरपंथी हर महीने करोड़ों का चूना लगा रहे थे। और अब वही प्रक्रिया उत्तर प्रदेश में भी लागू होने कर फ़र्ज़ी मदरसे गायब हो गए। यानि इन फ़र्ज़ी मदरसों और फ़र्ज़ी बच्चों को रिकॉर्ड पर दिखाकर हर महीने सरकार को करोड़ों की चपत लग रही थी। यानि जो धन देश अथवा प्रदेश के दूसरे कामों में खर्च होता, भ्रष्टाचारियों की जेबों में जा रहा था।
सहारनपुर में सिर्फ कागज पर चल रहे 17 मदरसों की
मान्यता हुई रद्द !
अन्य राज्यों नें भी उत्तरप्रदेश सरकार की तरह एेसे फर्जी मदरसों पर खोज करनी चाहिए !
एेसे फर्जी मदरसे चलाकर सरकार का पैसा लुटनेवालों पर कठोर कार्यावाही कर उनसे यह पैसा पुन: वापस लेना चाहिए एेसी जनता की अपेक्षा है !
यदि एक मदरसे में कट्टरपंथियों ने कम से कम अनुमानित 40 बच्चे दिखाए हों, 17 मदरसों में बच्चे हुए 17X 40 =680 बच्चे और सरकार प्रति माह 200 रूपए प्रति बच्चा वज़ीफ़ा दे रही हो तो एक माह के बनते है 1,36,000 रूपए और वर्ष के हो गए 16,32,000 रूपए। यानि योगी-मोदी से परेशान कौन ?ये भ्रष्टाचारी कट्टरपंथी। जो इस्लाम के नाम के पर सरकार और जनता को मूर्ख बनाकर अपनी तिजोरियाँ भर रहे हैं। जब भ्रष्टाचारियों से इस तरह की जा रही लूट पर लगाम लगने से इन लोगों का चीखना चिल्लाना जायज़ है।
योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों को अनिवार्य रूप से ऑनलाइन होने का आदेश दिए जाने के बाद फर्जी मदरसों की कलई खुलने लगी है। अगस्त में ये आदेश जारी करने के साथ उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से मदरसा बोर्ड पोर्टल लॉन्च किया गया। इस पोर्टल पर उत्तरप्रदेश के सभी मदरसों को पंजीकरण कराने का आदेश दिया गया। सरकार की ओर से इस पोर्टल को शुरू करने का उद्देश्य वेतन भुगतान, स्कॉलरशिप समेत तमाम दिक्कतों का निपटारा तत्काल ऑनलाइन ही करना है। सरकार का मानना है कि, इससे मदरसों में पूरी तरह पारदर्शिता आएगी।
मदरसों को ऑनलाइन करने की सरकारी कवायद का एक सकारात्मक पहलू ये रहा है कि महज कागज पर चल रहे फर्जी मदरसों की सच्चाई सामने आने लगी है। अकेले सहारनपुर के ९० मदरसों में से १७ मदरसे फर्जी पाए गए। कहीं कोई वजूद नहीं होने के बावजूद इन १७ फर्जी मदरसों की कागज पर मौजूदगी दिखाकर सरकारी खजाने को जमकर चूना लगाया जा रहा था।
बीते कई साल से सरकारी सहायता के नाम पर करोड़ों रुपए डकार रहे इन मदरसों से जैसे ही सरकार ने सारी जानकारी मांगते हुए ऑनलाइन पोर्टल पर आने के लिए कहा, वैसे ही इनका फर्जीवाड़ा सामने आ गया।
सहारनपुर के जिलाधिकारी पी के पांडेय ने अपनी जांच में पाया कि जिले में फर्जी मदरसों के नाम पर फर्जी छात्र, फर्जी शिक्षक, फर्जी स्कॉलरशिप और फर्जी बिल्डिंग दिखाकर करोड़ों रुपए की बंदरबांट की जा रही थी। प्रशासन ने कागज पर चल रहे इन मदरसों को नोटिस भेजे हैं। साथ ही इनके पीछे जो कर्ताधर्ता और सोसाइटी हैं, उन्हें चिह्नित कर जवाब तलब करने की तैयारी हो रही है।
छात्रों को देने के नाम पर ये फर्जी मदरसे स्कॉलरशिप के तौर पर लगातार सरकारी खजाने को चोट पहुंचाते रहे हैं। इस पैसे की वसूली के लिए प्रशासन ने नोटिस भी जारी किए हैं। साथ ही फर्जी मदरसों का संचालन दिखाने वालीं समितियों को भी ब्लैक लिस्टेड किया गया है। अभी ६२ मदरसों की जांच रिपोर्ट आनी बाकी है। इस रिपोर्ट के आने के बाद फर्जी मदरसों की संख्या में और बढ़ोतरी हो सकती है।
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