आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कुछ ही माह पूर्व लिखा था कि कांग्रेस में परिवारवाद के विरोध बहुत आक्रोश है, लेकिन बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन? आखिरकार शहजाद पूनावाला ने उस काम को अंजाम दे ही दिया। हालाँकि अपने इस साहसिक काम के लिए उनके अपने ही भाई तहसीन पूनावाला ने शहजाद से पारिवारिक सम्बन्ध तक विच्छेद कर लिए। क्योकि तहसीन रॉबर्ट वाड्रा के बहनोई है, इस कारण गाँधी परिवार के प्रति अपनी वफ़ादारी तो निभा दी, परन्तु इसके परिणाम नहीं सोंचे।
वास्तव में, इस परिवार के कारण आज कांग्रेसी अपने आपको कांग्रेसी कहलवाने पर लज्जित हो रहे हैं। इतिहास साक्षी है, इस परिवार ने अध्यक्ष सीता राम केसरी को अपमानित कर दूध में से मक्खी की तरह निकाल बाहर फेंक दिया, तत्कालीन प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव को "नरसिम्हा धोती के नीचे निक्कर पहनता है" कहा कर बदनाम किया ; भूतपूर्व प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री, जो वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की तुलना में कहीं अधिक अधिक कठोर निर्णय लेने वाले निर्भीक धर्म-निरपेक्ष थे, उन्हें भ्रष्टाचारी कह बदनाम किया, संक्षेप में जो कांग्रेस को वर्तमान स्थिति में एक नयी ऊर्जा देने वाले थे, किसी का नाम नहीं लिया जाने में शर्म आती है।आज कांग्रेस के समस्त वरिष्ठ बुद्धिजीवी अच्छी तरह इस बात से अवगत हैं कि मोदी लहर को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी को संरक्षण देने और परिवार द्वारा अपने की बात स्वीकार न करने के कारण पार्टी हर बीतते दिन पतन की ओर अग्रसर है। यदि पार्टी पर इसी परिवार का अधिकार रहा, निश्चित रूप से आने वाले समय में पार्टी को कोई कार्यकर्ता भी नहीं मिलने वाला। अगर मिल भी गए, ठीक वही स्थिति होगी, जैसे भाजपा में मुस्लिमों को जितनी भीड़ लग जरूर गयी है, लेकिन वोट देने के नाम पर उससे कहीं अधिक पीछे, यही स्थिति कांग्रेस की होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है।
कांग्रेस टूटने के कगार पर
वैसे शहजाद अकेले दम पर इतना जोखिम नहीं ले सकते, निश्चित रूप से इनके पीछे एक लम्बी बुद्धिजीविओं की भीड़ होगी। और इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता, क्योकि कांग्रेस सूत्रों के ही अनुसार, राहुल और सोनिया में वो परिपक्ता नहीं आयी, जिस कारण पार्टी में विराजमान बुद्धिजीविओं को ही अपमानित होना पड़ता है। यह भी सम्भावनाएं व्यक्त की जा रही हैं कि कहीं 2019 चुनाव से पूर्व कांग्रेस विभाजित न हो जाए। यह केवल शंका ही नहीं, शहजाद द्वारा राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने पर किये गए विरोध ने इस नींव रख दी है। फिर आज नहीं तो कल, पार्टी की कमान इस परिवार से निकलने के पूरे आसार है ,क्योकि जिस दिन वर्तमान सरकार ने गंभीरता से इस परिवार के घोटालों की जाँच शुरू की, कोई इस परिवार को बचाने वाला नहीं होगा।
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी की ताजपोशी की तैयारियां चल रही हैं. हालांकि ज्यादातर कांग्रेसी उन्हें अध्यक्ष मानकर ही चलते हैं, आधिकारिक घोषणा सिर्फ खानापूर्ति ही है. लेकिन इस रस्म अदायगी से पहले पार्टी के अंदर विरोध के स्वर फूटने लगे हैं. महाराष्ट्र कांग्रेस के सचिव शहजाद पूनावाला ने राहुल की ताजपोशी पर आपत्ति जाहिर की है. उन्होंने यहां तक कहा कि पार्टी में एक परिवार में से एक ही व्यक्ति को पद मिलना चाहिए. उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, 'मुझे जानकारी मिली है कि पार्टी प्रतिनिधि अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए वोट देने जा रहे हैं. यह तो पहले से ही तय है, फिर वोट डालने का पाखंड क्यों?' उन्होंने कहा कि सच बोलने पर उन पर हमले किए जाएंगे. लेकिन इसके लिए वे तैयार हैं.
अवलोकन करें:--
शहजाद पूनावाला के इस बयान के बाद कांग्रेस में हलचल मच गई है. पार्टी सूत्रों की मानें तो कई नेताओं ने पूनावाला की बात का समर्थन किया है, लेकिन सामने आने की हिम्मत किसी में नहीं हैं. इससे पहले भी कई नेता राहुल गांधी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं.
अगस्त में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि राहुल को जिम्मेदारी देने का समय आ गया है. पार्टी में भी काफी समय से उनको अध्यक्ष बनाए जाने की मांग चल रही थी. पिछले महीने तो कई राज्यों की कांग्रेस इकाइयों ने प्रस्ताव भेजकर बकायदा राहुल की ताजपोशी की मांग उठाई थी. इनमें मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने पहल की थी.
राहुल गांधी की पार्टी अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी की तैयारियों के बीच कांग्रेस के अंदर से वंशवाद के खिलाफ आवाज उठी है. पार्टी के एक युवा नेता ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी को इसलिये अध्यक्ष बनाया जा रहा है क्योंकि वो गांधी परिवार से आते हैं. गुजरात चुनाव प्रचार के बीच राहुल की कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी की तैयारी हो रही है. शहजाद पूनावाला महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता हैं. उनका आरोप है कि राहुल को अध्यक्ष सिर्फ इसलिये बनाया जा रहा है क्योंकि वो गांधी परिवार से ताल्लुक रखते हैं. पूनावाला ने ट्वीट कर मांग की है कि राहुल पहले उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दें और फिर चुनाव लड़ें.
पूनावाला ने कहा कि अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी का चुनाव इसलिए हो रहा है, क्योंकि वे ‘गांधी परिवार’ से ताल्लुक रखते हैं. पार्टी में एक मुद्दा (वंशवाद) कोई नहीं उठा रहा है. कांग्रेस में आवाज उठाने की हिम्मत होगी. वंशवाद और चापलूसी पर मेरा जमीर मुझे और चुप बैठने नहीं देगा.
दिल्ली स्थित पार्टी कार्यालय में इस दिनों राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने की तैयारियां चल रही हैं. यह एक चुनावी प्रक्रिया के तहत होगा. नामांकन शुक्रवार यानी एक दिसंबर से भरे जाएंगे. सूत्र बताते हैं कि राहुल 3 दिसंबर को नामांकन दाखिल करेंगे. केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) के अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन पूरी चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखे हुए हैं.
सूत्रों के मुताबिक शहज़ाद पूनावाला ने अपनी शिकायत के लिए एक मेल राहुल गांधी के दफ्तर को भी लिखा है. जिसमें आरोप लगाया गया है कि पैनल बनाने वाले प्रतिनिधियों को पार्टी संविधान के अनुसार गुप्त मानकों से नहीं चुना गया, डेलीगेट्स को राज्य अध्यक्षों के इशारे पर नियुक्त किया गया है.
कांग्रेस के नेता राहुल के लिये रास्ता साफ कर चुके हैं, ये भी तैयारी हो चुकी है कि कोई राहुल के खिलाफ खड़ा नहीं होगा. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शुक्रवार को अधिसूचना जारी होगी.
अगर जरूरी हुआ तो 11 दिसंबर को वोटिंग होगी, मतगणना और नतीजे 19 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. लेकिन इन सब के बीच शहज़ाद के बयानों ने कांग्रेसियों के माथे पर लकीर खींच दी है.
उन्होंने प्रदेश के रिटर्निंग अफसरों के साथ मुलाकात भी की है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अप्रैल में मधुसूदन मिस्त्री को पार्टी की केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) का सदस्य नियुक्त किया था. कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन और मिस्त्री के अलावा भुवनेश्वर कलिता को भी इसमें शामिल किया गया है. सीईए पर ही संगठनात्मक चुनाव कराने की जिम्मेदारी होती है. हालांकि राहुल निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाएंगे. अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने के लिए प्रदेश कमेटी के 10 प्रतिनिधियों के समर्थन की जरूरत होती है.
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