बॉलीवुड फ़िल्में देखने वालों ने उनका नाम ज्यादा न सुना हो, लेकिन मराठी में अब वो एक जाना-पहचाना नाम बन गई हैं। हम बात कर रहे हैं अभिनेत्री नेहा खान की, जो मराठी टीवी सीरियल ‘देवमानुष’ में ACP दिव्या के किरदार से सबका दिल जीत रही हैं। उन्होंने हिंदी व मलयालम फिल्मों में भी काम किया है। अमरावती में जन्मीं नेहा खान ने 8वीं कक्षा के बाद ही मॉडलिंग शुरू कर दी थी और मात्र 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने ‘प्रिंसेज ऑफ महाराष्ट्र’ का खिलाब अपने नाम किया था।
हालाँकि, नेहा खान का ये सफर आसान नहीं रहा है। उन्होंने अपने जीवन व संघर्षों के बारे में फरवरी 2020 में ‘लोकमत’ से बात की थी। उन्होंने बताया था कि वो बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थीं। उनका परिवार वित्तीय रूप से सक्षम नहीं था। नेहा खान का कहना है कि पैदा होने के साथ ही उनका संघर्ष शुरू हो गया था। नेहा खान के अब्बा ने तीन शादियाँ की थीं। उनकी तीसरी बीवी की बेटी हैं।
नेहा खान के अब्बा और माँ ने लव मैरिज की थी। उनके अब्बा मुस्लिम थे और माँ मराठी। उनका कहना है कि उन्हें न तो उनके अब्बा के परिवार ने स्वीकार किया, न ही माँ के परिवार ने। नेहा खान की माँ अपने एक बेटे और एक बेटी के साथ अकेली रहती थी। जब नेहा खान के अब्बा की तीसरी शादी हुई, तब उनकी एक बेटी की उम्र तीसरी बीवी के बराबर ही थी। नेहा का कहना है कि उनके अब्बा की दूसरी बीवी संपत्ति हथियाना चाहती थीं।
बकौल नेहा, उनके अब्बा की दूसरी बीवी ने तलवार लेकर गुंडों को उनकी माँ को पीटने के लिए भेजा। उन्हें इतना पीटा गया कि 370 टाँके लगाने पड़े। उस समय नेहा खान के अब्बा भी फरार हो गए थे। नेहा का कहना है कि इलाज के लिए उनके भाई ने भीख तक माँगे और कोई खाने तक के लिए पूछने नहीं आता था। वो लोग कुल्फी बेचते थे और दूसरे के घरों में मात्र 40 रुपए के महीने पर बर्तन माँजने जाते थे।
नेहा खान ने बताया था कि 2 वर्ष से भी अधिक समय के बाद उनकी माँ जब ठीक हुईं तो वो और उनके भाई ने मेस के डब्बे पहुँचाने शुरू किए। उनका कहना था कि उनके अब्बा ने भी कोई मदद नहीं की और माँ ये सोच कर चुप रहीं कि आवाज़ उठाने पर कहीं उनके बच्चे को कुछ न हो जाए। कुछ सालों बाद उनके अब्बा को परलाइसिस हो गया। एकाध कर उनकी माँ पुलिस के पास भी गईं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
नेहा खान ने बताया कि उनके नाना की मौत के बाद उनकी माँ को लगा कि वो उनके अब्बा से लव मैरिज कर लेंगी तो वित्तीय समस्याएँ भी ख़त्म हो जाएँगी और उनकी बहनों की शादी भी हो जाएगी। हालाँकि, उन्होंने जैसा सोचा था वैसा नहीं हुआ। उनकी माँ ने कभी उनके अब्बा पर केस नहीं किया, जबकि उन्होंने उन्हें छोड़ दिया था। तब उन्हें कोई कारोबार शुरू करने का ख्याल आया। किसी तरह उन्होंने दो-तीन भैंसे ली।
नेहा खान की मानें तो वो अपने भाई और माँ के साथ मिल कर भैंसें धोती थीं। शरीर से गोबर की बास आने के कारण स्कूल में कोई उनका दोस्त नहीं बनता था। ऊपर से उनके अब्बा के तरफ के लोग खतरनाक थे, जो हमेशा दबाव देते थे कि मुस्लिम हो तो मुस्लिम की तरह रहो, हमारा नाम खराब मत करो। नेहा ने जब स्कूल में मॉडलिंग शुरू की तो उनकी एक परिचित महिला ने पहली बार उनकी फोटो निकलवाई।
वहीं एक फोटोग्राफर ने एक अख़बार के एक कॉलम में उन तस्वीरों को भेजा। नेहा खान का कहना है कि उस समय उन्हें पता चला कि वो खूबसूरत हैं, वरना उससे पहले उन्होंने खुद को ठीक से देना ही नहीं था। उस समय डर के मारे उन्होंने अपना नाम ‘खान’ न देकर अपनी माँ की तरफ का सरनेम दिया। इसी दौरान कुछ लोगों ने अभिनेत्री बनने के लिए प्रोत्साहित किया। तभी उन्होंने अपनी माँ व भाई के लिए कुछ करने की चाहत में मुंबई जाकर ऑडिशन देने का निर्णय लिया।
वो मुंबई आ गईं। उनके अब्बा को झूठ बताया गया कि वो नानी के घर गई हैं, नहीं तो वो लोग इसका विरोध करते। वो घर से खाली हाथ सिर्फ एक बैग लेकर मुंबई निकलती थीं, ताकि किसी को शक न हो। मुंबई में उन्होंने ट्रेन से सफर किया। कई बार उन्हें अख़बार डाल कर स्टेशनों पर सोना पड़ा। अंत में हार कर उन्हें लगा कि शायद काम नहीं मिलेगा। उन्होंने मुंबई में लोगों को देखा और फिर कपड़े वगैरह उसी हिसाब से पहनना सीखा।
नेहा खान ने तब बताया था कि उन्हें ऐसा लगता था कि उन्हें एक्टिंग आती है, लेकिन फिर पता चला कि अभिनय सीखना पड़ेगा। अनुपम खेर के संस्थान में एक बुजुर्ग शिक्षक मिले, जिन्होंने नेहा खान की मदद की। वो शिक्षक सतीश कौशिक जैसे बड़े नामों के साथ काम कर चुके थे। उनका बेटा भी फिल्म निर्देशक थे। उनके कहने पर ही वो मुंबई शिफ्ट हुईं। उन्होंने ही घर वगैरह लेने में नेहा खान की मदद की।
नेहा खान को पहली फिल्म ‘युवा’ मिली, जिसमें उन्हें जिमि शेरगिल के अगेंस्ट कास्ट किया गया था। इसके बाद कई लोगों से उनकी मुलाकात हुईं। हालाँकि, नेहा ने बताया था कि इस दौरान उन्हें कई फेक तो कई अच्छे लोग भी मिले। वो शनि देवल के साथ ‘घायल वंस अगेन’ में भी काम कर चुकी हैं। अब तक वो 10 फिल्मों में काम कर चुकी हैं। OTT में भी उनकी डेब्यू हो चुकी है। 2015 में मराठी फिल्म ‘गुरुकुल’ से उन्हें पहचान मिली।
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