ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के नाला रोड में सोमवार (अप्रैल 4, 2020) को स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। वहाँ कोरोना पॉजिटिव के कांटेक्ट में आए लोगों को लेने जैसे ही स्वास्थ्य विभाग की गाड़ी पहुँची, पत्थरबाजी शुरू हो गई।
नाला रोड में एक 29 वर्षीय महिला को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। उसे राउरकेला स्थित हाइटेक कोविड हॉस्पिटल में भर्ती करने के बाद स्वास्थ्यकर्मी उसके सम्पर्क में आने वालों को क्वारंटाइन करने के लिए पहुँचे थे।
टीम के पहुँचते ही स्थानीय लोगों ने एंट्री और एग्जिट गेट बंद कर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस को एरिया के प्रबुद्धजनों के साथ बैठक करनी पड़ी, तब जाकर मामला शांत हुआ। कहा जा रहा है कि नाला रोड मुस्लिमों के प्रभाव वाला इलाक़ा है। इससे पहले इंदौर और भोपाल सहित कई स्थानों से पुलिस और स्वाथ्यकर्मियों पर हमले की ख़बर आ चुकी है। अधिकतर मुसलमानों के प्रभाव वाले इलाक़ों में ऐसा हुआ।
केंद्र सरकार द्वारा कड़े नियम बनाए जाने के बावजूद स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। राउरकेला के कन्टेनमेंट एरिया में 50 आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ब्लड सैम्पल इकठ्ठा करने के लिए लगाया गया था। उन्होंने म्युनिसिपल कमिश्नर के सामने धरना दिया है। उनकी माँग है कि उन्हें उचित सुरक्षा-व्यवस्था मुहैया कराया जाए। सैम्पल कलेक्शन के दौरान उन पर थूक फेंके जा रहे हैं और केरोसिन डाल कर जलाने की कोशिश भी हो रही है।
जब पुलिस और म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें उचित सुरक्षा-व्यवस्था दी जाएगी, तब जाकर उन्होंने अपना धरना ख़त्म किया। सैम्पल कलेक्शन के दौरान इन महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ गाली-गलौज करने और भद्दी भाषा का प्रयोग करने की भी ख़बर है। ओडिशा सरकार के प्रधान सचिव ने सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को लिखे पत्र में अंदेशा जताया है कि महिला स्वास्थ्यकर्मी हमलों, गालियों और दुर्व्यवहार का शिकार हो सकती हैं।
उन्होंने आशंका जताई है कि अगर ऐसी स्थिति आती है तो राज्य में बड़े स्तर पर धरना-प्रदर्शन चालू हो जाएगा, जिससे क़ानून-व्यवस्था की समस्याएँ उपज सकती हैं। ओडिशा सरकार ने सभी जिलों की पुलिस को इस आलोक में अलर्ट रहने की सलाह दी है। ऐसी घटनाओं को लेकर सूचना इकट्ठी की जा रही है। अधिकारियों से कहा गया है कि वो सतर्क रहें, ताकि आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर हमले रोके जा सकें, जिससे वो नाराज़ न हों।
दरअसल, राउरकेला के आशियाँ कॉलनी में दो मुसलमान कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। प्रधान सच्ची ने कहा है कि इसके बाद से ही सुदूर आदिवासियों, ईसाइयों और मुसलमानों की बहुलता और प्रभाव वाले इलाक़ों में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है। ट्राइबल समुदायों के बीच ये बात फ़ैल गई है कि मुसलमान अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपा रहे हैं और मरकज़ के दौरे को लेकर सरकार को सही जानकारी नहीं दे रहे।
अप्रैल 13, 2020 की रात ईसाई और आदिवासी समुदाय के लोग मशाल और टॉर्च लेकर निकले थे, ताकि गाँव में छिपे मुसलमानों को ढूँढ़ा जा सके। उनका कहना था कि दिल्ली स्थित निजामुद्दीन के मरकज से आए तबलीगी जमात के मुसलमान गाँव में छिपे हुए हैं, जिससे कोरोना फैलने का डर है। प्रधान सचिव का कहना है कि उन इलाक़ों में मुसलमानों के भीतर डर बैठ गया है, इसलिए उन्होंने पुलिस गश्ती बढ़ाने की माँग की है।
ओडिशा सरकार की ओर से पुलिस को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि ईसाई और हिन्दू समुदाय मुसलमानों का पूर्ण बहिष्कार कर रहे हैं। वे न तो उनसे कुछ ख़रीद रहे हैं और न ही उन्हें कुछ बेच रहे हैं। ये बात भी फैली हुई है कि कुछ मुसलमान सब्जियों और फलों पर जान-बूझकर थूक रहे हैं और फिर बेच रहे हैं। उनके बीच ये बात भी फ़ैल गई है कि गाँव के कुओं और लोगों के घर के सामने भी मुसलमान थूक कर भाग जा रहे हैं।
अवलोकन करें:-
ये घटनाएँ राउरकेला और सुंदरगढ़ के इलाक़ों में हो रही है। कहा गया है कि स्थानीय पुलिस इन गतिविधियों से वाकिफ है और इलाक़े में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। इस पत्र में कहा गया है कि मुसलमानों के मन में ये डर बैठ गया है कि कोरोना के प्रसार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और इसलिए क़ानून-व्यवस्था मुस्तैद रखने के लिए पुलिस को सतर्क रहना होगा।
नाला रोड में एक 29 वर्षीय महिला को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। उसे राउरकेला स्थित हाइटेक कोविड हॉस्पिटल में भर्ती करने के बाद स्वास्थ्यकर्मी उसके सम्पर्क में आने वालों को क्वारंटाइन करने के लिए पहुँचे थे।
टीम के पहुँचते ही स्थानीय लोगों ने एंट्री और एग्जिट गेट बंद कर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस को एरिया के प्रबुद्धजनों के साथ बैठक करनी पड़ी, तब जाकर मामला शांत हुआ। कहा जा रहा है कि नाला रोड मुस्लिमों के प्रभाव वाला इलाक़ा है। इससे पहले इंदौर और भोपाल सहित कई स्थानों से पुलिस और स्वाथ्यकर्मियों पर हमले की ख़बर आ चुकी है। अधिकतर मुसलमानों के प्रभाव वाले इलाक़ों में ऐसा हुआ।
केंद्र सरकार द्वारा कड़े नियम बनाए जाने के बावजूद स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। राउरकेला के कन्टेनमेंट एरिया में 50 आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ब्लड सैम्पल इकठ्ठा करने के लिए लगाया गया था। उन्होंने म्युनिसिपल कमिश्नर के सामने धरना दिया है। उनकी माँग है कि उन्हें उचित सुरक्षा-व्यवस्था मुहैया कराया जाए। सैम्पल कलेक्शन के दौरान उन पर थूक फेंके जा रहे हैं और केरोसिन डाल कर जलाने की कोशिश भी हो रही है।
#BREAKING | Tension prevails in a 'Containment Zone' at Nala road of #Rourkela as locals pelt stones at police personnel#COVIDー19 #Lockdown3.0 pic.twitter.com/JGpkh7OVny— Sambad English (@Sambad_English) May 4, 2020
मुस्लिमों के बहिष्कार में उतरे ईसाई और आदिवासी |
सभी जिला पुलिस अधिकारीयों को लिखा पत्र |
दरअसल, राउरकेला के आशियाँ कॉलनी में दो मुसलमान कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। प्रधान सच्ची ने कहा है कि इसके बाद से ही सुदूर आदिवासियों, ईसाइयों और मुसलमानों की बहुलता और प्रभाव वाले इलाक़ों में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है। ट्राइबल समुदायों के बीच ये बात फ़ैल गई है कि मुसलमान अपनी ट्रैवल हिस्ट्री छिपा रहे हैं और मरकज़ के दौरे को लेकर सरकार को सही जानकारी नहीं दे रहे।
अप्रैल 13, 2020 की रात ईसाई और आदिवासी समुदाय के लोग मशाल और टॉर्च लेकर निकले थे, ताकि गाँव में छिपे मुसलमानों को ढूँढ़ा जा सके। उनका कहना था कि दिल्ली स्थित निजामुद्दीन के मरकज से आए तबलीगी जमात के मुसलमान गाँव में छिपे हुए हैं, जिससे कोरोना फैलने का डर है। प्रधान सचिव का कहना है कि उन इलाक़ों में मुसलमानों के भीतर डर बैठ गया है, इसलिए उन्होंने पुलिस गश्ती बढ़ाने की माँग की है।
ओडिशा सरकार की ओर से पुलिस को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि ईसाई और हिन्दू समुदाय मुसलमानों का पूर्ण बहिष्कार कर रहे हैं। वे न तो उनसे कुछ ख़रीद रहे हैं और न ही उन्हें कुछ बेच रहे हैं। ये बात भी फैली हुई है कि कुछ मुसलमान सब्जियों और फलों पर जान-बूझकर थूक रहे हैं और फिर बेच रहे हैं। उनके बीच ये बात भी फ़ैल गई है कि गाँव के कुओं और लोगों के घर के सामने भी मुसलमान थूक कर भाग जा रहे हैं।
अवलोकन करें:-
ये घटनाएँ राउरकेला और सुंदरगढ़ के इलाक़ों में हो रही है। कहा गया है कि स्थानीय पुलिस इन गतिविधियों से वाकिफ है और इलाक़े में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। इस पत्र में कहा गया है कि मुसलमानों के मन में ये डर बैठ गया है कि कोरोना के प्रसार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और इसलिए क़ानून-व्यवस्था मुस्तैद रखने के लिए पुलिस को सतर्क रहना होगा।
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