हमारे देश में सालाना प्रति व्यक्ति आय (per capita income) अगर देखें तो वो करीब 1 लाख रुपए है। यानी औसतन हर भारतीय साल में 1 लाख रुपए कमा ही लेता है, लेकिन क्या आप अपने द्वारा ही चुने गए नेताजी के वेतन के बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तो ये जानकारी आपको हैरान कर देगी। इन जनप्रतिनिधियों को सैलरी के अलावा इतना भत्ता मिलता है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। एक सांसद को हर माह 1 लाख 40 हजार रुपए फिक्स मिलता है जिसके ऊपर इससे ज्यादा भत्ता दिया जाता है। बात करें फिक्स वेतन की तो इसमें फिक्स सैलरी/महीना : 50, 000+ कंस्टीट्यूटेन्सी अलाउंस/महीना : 45, 000 + ऑफिस अलाउंस/महीना : 45,000 जुड़ा होता है।इसके ऊपर मिलते हैं इतने भत्ते
सैलरी के ऊपर मिलने वाले भत्तों की तो इसकी लिस्ट बहुत लंबी है। इसमें डायरेक्ट एरियर (सालाना) : 3 लाख 80 हजार रु, हवाई सफर भत्ता (सालाना) : 4 लाख 8 हजार रु, रेल सफर भत्ता (सालाना) : 5 हजार रु, पानी भत्ता (सालाना) : 4 हजार रुपए रु, बिजली भत्ता (सालाना) : 4 लाख रु जैसे कई भत्ते शामिल हैं। एक सांसद को सैलरी के अलावा करीब 1 लाख 51 हजार 833 रुपए प्रतिमाह यानी 18 लाख 22 हजार रुपए सालाना भत्ता दिया जाता है।
तो कितनी हुई कुल सैलरी
- फिक्स्ड सैलरी और भत्ते को जोड़ें तो एक सांसद एक महीने में 2,91,833 रुपए वेतन पाता है। यानी देश को एक सांसद सालाना 35 लाख रुपए का पड़ता है।
- फिक्स्ड सैलरी और भत्ते को जोड़ें तो एक सांसद एक महीने में 2,91,833 रुपए वेतन पाता है। यानी देश को एक सांसद सालाना 35 लाख रुपए का पड़ता है।
टैक्स नहीं लगता, और ये सुविधाएं भी फ्री
सबसे खास बात ये है कि इनकी सैलरी पर कोई टैक्स नहीं मिलता। वहीं इन्हें मिलने वाले भत्ते कई तरह के होते हैं, जिनमें कई सुविधाएं इनके परिवार के लोगों के लिए भी होती हैं। इसमें वाइफ या पार्टनर के लिए 34 फ्री हवाई सफर, अनलिमिटेड ट्रेन का सफर और संसद सत्र के दौरान घर से दिल्ली तक सालाना 8 हवाई सफर भी शामिल हैं।
सबसे खास बात ये है कि इनकी सैलरी पर कोई टैक्स नहीं मिलता। वहीं इन्हें मिलने वाले भत्ते कई तरह के होते हैं, जिनमें कई सुविधाएं इनके परिवार के लोगों के लिए भी होती हैं। इसमें वाइफ या पार्टनर के लिए 34 फ्री हवाई सफर, अनलिमिटेड ट्रेन का सफर और संसद सत्र के दौरान घर से दिल्ली तक सालाना 8 हवाई सफर भी शामिल हैं।
भत्ते में जुड़ी हैं ये चीजें
भात करें भत्ते में जुड़ी चीजों की तो एक सांसद को 50 हजार यूनिट फ्री बिजली, 1 लाख 70 हजार फ्री कॉल्स, 40 लाख लीटर पानी, रहने के लिए सरकारी बंगला (जिसमें सारे फर्नीचर और एयरकंडीशन, और इनका मेंटेनेंस भी फ्री) शामिल है।
भात करें भत्ते में जुड़ी चीजों की तो एक सांसद को 50 हजार यूनिट फ्री बिजली, 1 लाख 70 हजार फ्री कॉल्स, 40 लाख लीटर पानी, रहने के लिए सरकारी बंगला (जिसमें सारे फर्नीचर और एयरकंडीशन, और इनका मेंटेनेंस भी फ्री) शामिल है।
ये तो मिलना ही है
- इस सबके अलावा जो बचता है, वो है सिक्युरिटी गार्ड्स, जिंदगीभर की पेंशन, जीवन बीमा और सरकारी गाड़ी, जो सरकार की तरफ से सांसद को मुफ्त दिया जाता है। अब आप भी सोच रहे होंगी कि नेता जी की जिंदगी कितनी आरामदायक होती होगी?
कभी एक सांसद को मिलते थे 20 रूपए महीना
- इस सबके अलावा जो बचता है, वो है सिक्युरिटी गार्ड्स, जिंदगीभर की पेंशन, जीवन बीमा और सरकारी गाड़ी, जो सरकार की तरफ से सांसद को मुफ्त दिया जाता है। अब आप भी सोच रहे होंगी कि नेता जी की जिंदगी कितनी आरामदायक होती होगी?
कभी एक सांसद को मिलते थे 20 रूपए महीना
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को साल 2018-2019 का बजट पेश किया. जिसमें उन्होंने देश के राष्ट्रपति की सैलरी 5 लाख रुपये प्रति महीना दिए जाने का ऐलान किया. वहीं उपराष्ट्रपति का वेतन 4 लाख और राज्यपाल का वेतन 3.5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव पेश किया.
बजट से भले ही किसी को फायदा हुआ हो या ना हुआ हो, लेकिन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति का और राज्यपालों को इसका फायदा मिला. वहीं सांसदों के वेतन को लेकर जेटली ने कहा, सांसदों की तनख्वाह में बढ़ोतरी महंगाई इंडेक्स के आधार पर हर 5 साल पर तय होगी. यह 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी. वहीं कुछ आंकड़े हम आपके सामने पेश कर रहे हैं, जिसमें बताया जा रहा है कि संसद के सदस्यों की सैलरी में अब तक कितना बदलाव हुआ.
अगर हम इस बारे में ऐतिहासिक आंकड़ों पर गौर करें तो साल 1921 में संसद के सदस्यों को दैनिक भत्ते के रूप में 20 रुपये मिलते थे. जिसके बाद साल 1945 में दैनिक भत्ता 30 रुपये दिया जाता था. वहीं वाहन भत्ता 15 रुपये था. जिसे साल 1946 में बढ़ाकर 45 रुपये कर दिया गया.
वहीं, मासिक वेतन को लेकर महात्मा गांधी ने जोर देकर कहा था कि सार्वजनिक जीवन में व्यक्तियों को न्यूनतम वेतन लेना चाहिए. उस दौरान संविधान सभा के कुछ सदस्यों को केवल 30 रुपये का भुगतान किया जाता था.
20 मई 1949 को वेतन और दैनिक भत्ते के लिए मसौदा संविधान प्रावधान( Draft Constitution provision) पेश किया गया, जिसमें मासिक आय को 750 से 1000 रुपये के बीच का भुगतान करने के लिए एक सुझाव दिया गया था. लेकिन एक दम से इतने पैसे बढ़ाने के लिए विधानसभा ने आपत्ति जताई थी. लेकिन दैनिक भत्ता 30 रुपये से बढ़ाकर 45 रुपये कर दिया गया.
17 अक्टूबर 1949 में वी. आई. मुन्नीस्वामी पिल्लई ने दैनिक भत्ता को 40 रुपये करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा. मेंबर ऑफ पार्लियामेंट एक्ट 1954 के तहत मासिक वेतन के रूप में 400 रुपये और दैनिक भत्ता के रूप में 21 रुपये का प्रस्ताव रखा गया. साथ ही 1946 में पेंशन को भी शामिल किया गया.
इतने बदलाव के बाद सैलरी में बढ़ोत्तरी होती गई. जो इस प्रकार है. 1964 में 500 रुपये, 1983 में 750 रुपये, 1985 में 1000 रुपये, 1988 में 4000 हजार रुप, 1998 में 12000 हजार रुपये और 2006 में हालिया पैमाने पर 16,000 रुपये की वृद्धि हुई थी. वहीं जिस प्रकार मासिक आय में बढ़ोतरी हुई वहीं दैनिक भत्ते में भी बढ़ोतरी हुई जो इस प्रकार है. 1964 में 31 रुपये, 1969 में 51 रुपये, 1983 में 75 रुपये, 1988 में 150 रुपये, 1993 में 200 रुपये, 1998 में 400 रुपये और 2001 में 500 रुपये कर दिया गया.
जानें- सैलरी के साथ कितनी सुविधाएं लोकसभा के मेंबर को दी जाती है:- एक सांसद को 50 हजार रुपये हर महीने वेतन के रूप में मिलते हैं. जिसके साथ संसदीय क्षेत्र भत्ता 45 हजार रुपये, दैनिक भत्ता 2 हजार रुपये, ऑफिस के खर्चे के लिए 45,000 हजार रुपये मिलते हैं. इसी के साथ ट्रैवलिंग, रेल यात्रा, हवाई यात्रा के लिए सुविधाएं दी जाती है. जो कुल मिलाकर 2 लाख 20 हजार है. सांसद की पत्नी के लिए सुविधाएं: सांसद की पत्नी को रेल यात्रा के लिये फर्स्ट एसी का टिकट मुफ्त दिया जाता है. जिसमें वह साल में 8 बार यात्राएं कर सकती हैं.
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