SC/ST Act : लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार --योगी आदित्यनाथ, मुख्यमन्त्री उत्तर प्रदेश
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
एससी/एसटी एक्ट के विरोध में सितम्बर 6 को सवर्णों का भारत बंद का आह्वान किया था। जिसका सबसे ज्यादा असर बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में देखने को मिला। उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में बंद का व्यापक असर दिखा। हालांकि अधिकांश जिलों में आम जनजीवन लगभग सामान्य रहा। कहीं से बड़ी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली। लेकिन बलिया में बंद के दौरान पथराव में छह पुलिसकर्मी और तीन लोग घायल हो गए। प्रदेश में आई बाढ़ का जायजा लेने गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोंडा में भारत बंद के बारे में कहा, लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है।
एससी एसटी कानून के विरोध में बंद पर सीएम योगी ने कहा कि भारत बंद का कोई मतलब नहीं है, लोगों की अपनी भावनाएं हैं, लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि बीजेपी इस देश के हर व्यक्ति की सुरक्षा, खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने जाति एवं धर्म के आधार पर कभी राजनीति नहीं की। समाज के दबे कुचले लोगों को संरक्षण देने के लिए यह कानून बनाया है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका किसी भी तरह से दुरुपयोग न हो।
दुरूपयोग होता आरक्षण नीति का
योगी जी शायद इस बात को भूल रहे हैं कि इस कानून का दुरूपयोग हर हाल में होगा, और जब जाति के नाम पर इसका दुरूपयोग हो रहा होगा, मुख्यमन्त्री रहते हुए भी कुछ करने में पूर्णरूप से असमर्थ देखा जा सकेगा। आज जिस नेता को देखो डॉ आंबेडकर का भक्त बना फिर रहा है, जब डॉ साहब के ही जीवनकाल में आरक्षण का दुरूपयोग होता देख, इसे समाप्त करने को कहा था, क्यों नहीं मानी गयी उनकी बात? डॉ साहब की बात इसलिए नहीं मानी गयी, इसमें नेताओं का स्वार्थ था, उनकी प्यारी कुर्सी थी, नेताओं को अपने लालन-पालन की चिन्ता थी, नेताओं को इस आरक्षण को सीढ़ी बनाकर कुर्सी पर बैठ, अपनी तिजोरियाँ भरनी थी, और मूर्ख सवर्ण इन नेताओं की चापलूसी करते रहे, जिसने इस गलत कार्य को करने में एक नई ऊर्जा देते रहे।
इतना ही नहीं, डॉ साहब ने केवल 10 वर्ष मांगे थे, लेकिन आज तक आरक्षण है और भविष्य में भी रहेगा, क्योकि इन नेताओं को समाज को विभाजित किए रखने में ही अपनी भलाई दिखती है। निर्वाचन सीटें तो आरक्षित कर दी, क्या संविधान समाज को विभाजित करने की आज्ञा देता है? शपथ संविधान की खाते हैं, और संविधान का ही सरेआम अपमान करते हैं, क्या इसी का नाम धर्म-निरपेक्षता और समाजवाद है? जो नेता अपनी सुख-सुविधाओं की खातिर देश को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट राज्य का नाम दे रहे हैं, अप्रत्यक्ष रूप से देश का भला नहीं, अपना भला कर रहे हैं। आज़ादी उपरान्त भारत में कितने राज्य थे और कितने हैं, जो इस नेताओं की विघटनकारी नीतियों का प्रमाण है? जो नेता अपने प्रदेश को नहीं संभाल सकता देश को क्या संभालेगा? देश को खण्डित करने वाला नेता समाज किस मुँह से अखंड भारत की बात करता है?
अवलोकन करें:--
प्रदर्शनकारियों ने सांसद को भी नहीं छोड़ा। बिहार के मुजफ्फरपुर में सांसद पप्पू की गाड़ी पर हमला कर दिया। उनके साथ मार-पिटाई की। आरा में बंद समर्थकों ने बाजारों को बंद कराने के साथ ही ट्रेनें भी रोकीं। आरा के अलावा दरभंगा और पटना में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। मध्य प्रदेश के सभी पेट्रोल पंप मालिकों ने अपने पंप बंद रखे। छिंदवाड़ा, कटनी, विदिशा, सीहोर, देवास, इंदौर, ग्वालियर, झाबुआ, छतरपुर, मंदसौर, सागर, उज्जैन एवं अन्य शहरों से मिली रिपोर्ट के अनुसार बंद का असर तकरीबन समूचे मध्यप्रदेश में रहा। मध्य प्रदेश सरकार ने बंद को देखते हुए प्रदेश के अधिकांश जिलों में एहतियाती तौर पर धारा 144 लगा दी थी और समूचे प्रदेश में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए थे।
मीडिया से बात करते हुए यूपी के बैरिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि ‘मुझे कोई मुस्लिम और दलित ने विधायक नहीं बनाया है बल्कि सवर्ण जनता ने विधायक बनाया है और सवर्णों के लिए मैं हर कुर्बानी देने को तैयार हूं। मेरे सवर्ण समर्थक बोलेंगे कि विधायक पद से त्यागपत्र दे दो तो मैं त्यागपत्र भी दे दूंगा।’ सवर्णों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का सुरेंद्र सिंह ने खुलकर समर्थन किया है सड़कों पर प्रदर्शन भी किया।
मोदी सरकार ने एसएसी/एसटी एक्ट में संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया है। सरकार द्वारा संशोधन के जरिए मूल कानून में धारा 18 एक को जोड़ते हुए पुराना कानून बहाल कर दिया जाएगा। इस संशोधन के बाद मामले में केस दर्ज होते ही तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने संशोधन में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी।
एससी/एसटी एक्ट के विरोध में सितम्बर 6 को सवर्णों का भारत बंद का आह्वान किया था। जिसका सबसे ज्यादा असर बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में देखने को मिला। उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में बंद का व्यापक असर दिखा। हालांकि अधिकांश जिलों में आम जनजीवन लगभग सामान्य रहा। कहीं से बड़ी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली। लेकिन बलिया में बंद के दौरान पथराव में छह पुलिसकर्मी और तीन लोग घायल हो गए। प्रदेश में आई बाढ़ का जायजा लेने गए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोंडा में भारत बंद के बारे में कहा, लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है।
एससी एसटी कानून के विरोध में बंद पर सीएम योगी ने कहा कि भारत बंद का कोई मतलब नहीं है, लोगों की अपनी भावनाएं हैं, लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि बीजेपी इस देश के हर व्यक्ति की सुरक्षा, खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमने जाति एवं धर्म के आधार पर कभी राजनीति नहीं की। समाज के दबे कुचले लोगों को संरक्षण देने के लिए यह कानून बनाया है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका किसी भी तरह से दुरुपयोग न हो।
दुरूपयोग होता आरक्षण नीति का
योगी जी शायद इस बात को भूल रहे हैं कि इस कानून का दुरूपयोग हर हाल में होगा, और जब जाति के नाम पर इसका दुरूपयोग हो रहा होगा, मुख्यमन्त्री रहते हुए भी कुछ करने में पूर्णरूप से असमर्थ देखा जा सकेगा। आज जिस नेता को देखो डॉ आंबेडकर का भक्त बना फिर रहा है, जब डॉ साहब के ही जीवनकाल में आरक्षण का दुरूपयोग होता देख, इसे समाप्त करने को कहा था, क्यों नहीं मानी गयी उनकी बात? डॉ साहब की बात इसलिए नहीं मानी गयी, इसमें नेताओं का स्वार्थ था, उनकी प्यारी कुर्सी थी, नेताओं को अपने लालन-पालन की चिन्ता थी, नेताओं को इस आरक्षण को सीढ़ी बनाकर कुर्सी पर बैठ, अपनी तिजोरियाँ भरनी थी, और मूर्ख सवर्ण इन नेताओं की चापलूसी करते रहे, जिसने इस गलत कार्य को करने में एक नई ऊर्जा देते रहे।
इतना ही नहीं, डॉ साहब ने केवल 10 वर्ष मांगे थे, लेकिन आज तक आरक्षण है और भविष्य में भी रहेगा, क्योकि इन नेताओं को समाज को विभाजित किए रखने में ही अपनी भलाई दिखती है। निर्वाचन सीटें तो आरक्षित कर दी, क्या संविधान समाज को विभाजित करने की आज्ञा देता है? शपथ संविधान की खाते हैं, और संविधान का ही सरेआम अपमान करते हैं, क्या इसी का नाम धर्म-निरपेक्षता और समाजवाद है? जो नेता अपनी सुख-सुविधाओं की खातिर देश को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाँट राज्य का नाम दे रहे हैं, अप्रत्यक्ष रूप से देश का भला नहीं, अपना भला कर रहे हैं। आज़ादी उपरान्त भारत में कितने राज्य थे और कितने हैं, जो इस नेताओं की विघटनकारी नीतियों का प्रमाण है? जो नेता अपने प्रदेश को नहीं संभाल सकता देश को क्या संभालेगा? देश को खण्डित करने वाला नेता समाज किस मुँह से अखंड भारत की बात करता है?
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भाजपा बताए- क्या बिना जांच गिरफ्तारी सही
भारतीय नागरिक परिषद ने भी एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सितम्बर 6 को भारत बंद के समर्थन का एलान किया है। परिषद के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश अग्निहोत्री और ट्रस्टी रमाकांत दुबे ने कहा कि जनता यह जानना चाहती है कि किसी मामले में भाजपा क्या बिना जांच गिरफ्तारी को उचित मानती है। वहीं, क्षत्रिय कल्याण परिषद ने एससी-एसटी एक्ट के विरोध में यहां इंदिरा भवन के सामने वीर बहादुर सिंह पार्क में शुरू हुए क्रमिक अनशन में पूर्व डीजीपी यशपाल सिंह, पूर्व उद्या...
See Moreप्रदर्शनकारियों ने सांसद को भी नहीं छोड़ा। बिहार के मुजफ्फरपुर में सांसद पप्पू की गाड़ी पर हमला कर दिया। उनके साथ मार-पिटाई की। आरा में बंद समर्थकों ने बाजारों को बंद कराने के साथ ही ट्रेनें भी रोकीं। आरा के अलावा दरभंगा और पटना में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। मध्य प्रदेश के सभी पेट्रोल पंप मालिकों ने अपने पंप बंद रखे। छिंदवाड़ा, कटनी, विदिशा, सीहोर, देवास, इंदौर, ग्वालियर, झाबुआ, छतरपुर, मंदसौर, सागर, उज्जैन एवं अन्य शहरों से मिली रिपोर्ट के अनुसार बंद का असर तकरीबन समूचे मध्यप्रदेश में रहा। मध्य प्रदेश सरकार ने बंद को देखते हुए प्रदेश के अधिकांश जिलों में एहतियाती तौर पर धारा 144 लगा दी थी और समूचे प्रदेश में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए थे।
मुझे मुस्लिम और दलित ने MLA नहीं बनाया, सवर्णों के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार: सुरेंद्र सिंह, भाजपा विधायक
एससी-एसटी कानून में संशोधन कर उसे मूल रूप में बहाल करने का देशभर में सवर्ण समाज की तरफ से विरोध हो रहा है। सवर्ण समुदाय के लोगों ने अपना विरोध जताने के लिए गुरुवार को भारत बंद बुलाया जिसका असर देश के कई राज्यों में देखने को मिला। सवर्ण समुदाय की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा जाए। सवर्ण समुदाय द्वारा बुलाए गए बंद भाजपा के चर्चित विधायक सुरेंद्र सिंह ने अपना समर्थन दिया है।मीडिया से बात करते हुए यूपी के बैरिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि ‘मुझे कोई मुस्लिम और दलित ने विधायक नहीं बनाया है बल्कि सवर्ण जनता ने विधायक बनाया है और सवर्णों के लिए मैं हर कुर्बानी देने को तैयार हूं। मेरे सवर्ण समर्थक बोलेंगे कि विधायक पद से त्यागपत्र दे दो तो मैं त्यागपत्र भी दे दूंगा।’ सवर्णों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का सुरेंद्र सिंह ने खुलकर समर्थन किया है सड़कों पर प्रदर्शन भी किया।
मोदी सरकार ने एसएसी/एसटी एक्ट में संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया है। सरकार द्वारा संशोधन के जरिए मूल कानून में धारा 18 एक को जोड़ते हुए पुराना कानून बहाल कर दिया जाएगा। इस संशोधन के बाद मामले में केस दर्ज होते ही तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने संशोधन में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी।
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