क्या आप जानते हैं कि गांधी परिवार के सदस्यों के रहने के लिए दिल्ली में तीन-तीन बंगले अलॉट हैं? इस समय सीधे तौर पर गांधी परिवार के तीन वयस्क सदस्य हैं- सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि तीनों एक घर में नहीं बल्कि अलग-अलग विशाल बंगलों में रहते हैं। शादीशुदा होने के नाते प्रियंका वाड्रा का अलग घर तो समझ में आता है लेकिन सोनिया और राहुल गांधी आखिर एक घर में क्यों नहीं रहते? कानूनी तौर पर देखा जाए तो सांसद के तौर पर सोनिया और राहुल को बंगला मिल सकता है, लेकिन प्रियंका तो सरकारी बंगले के लिए योग्य ही नहीं मानी जाएंगी, क्योंकि वो किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं। प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा की दिल्ली और आसपास के इलाकों में विशाल प्रॉपर्टी हैं, जिनमें वो रह सकती हैं। इसके बावजूद उन्होंने 35, लोधी एस्टेट पर सरकारी बंगले पर कब्जा जमा रखा है। इसमें वो अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती हैं।
सरकार बंगले खाली क्यों नहीं कराती?
तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी ने राजे-रजवाड़ों का प्रिवी-पर्स समाप्त कर सरकारी खजाने पर पड़ रहे अतिरिक्त बोझ को कम करने के मकसद से किया गया था, लेकिन आज इन्दिरा गाँधी का ही परिवार सरकार के सिर पर बैठ राजशाही ज़िन्दगी जी रहा है। अक्सर लोग पूछते हैं कि मोदी सरकार गांधी परिवार के इन बंगलों को खाली क्यों नहीं करवाती। दरअसल मनमोहन सरकार के समय ही पूरे गांधी परिवार को स्थायी तौर पर एनएसजी की सुरक्षा देकर उनके लिए सरकारी बंगलों का पुख्ता इंतजाम कर दिया गया था। अब सरकार अगर इन बंगलों का आवंटन रद्द करे तो कांग्रेस समेत मीडिया हंगामा मचाएगा और इसे बदले की कार्रवाई बताया जाएगा। इससे गांधी परिवार को सहानुभूति कमाने का मौका मिल जाएगा। अगर इस दौरान सोनिया, राहुल या प्रियंका की सुरक्षा को कोई छोटा-मोटा भी खतरा पैदा हो गया तो फौरन इसे मोदी सरकार के मत्थे मढ़ दिया जाएगा। लिहाजा वो इस मामले में हाथ डालने से बच रहे हैं। बंगले को खाली कराना तो दूर इसके किराये और बिजली-पानी के बिल भरने में भी गांधी परिवार अक्सर आनाकानी करता रहा है।
जनता पर बोझ बन गया गांधी परिवार
सोनिया गांधी 10 जनपथ के जिस सरकारी बंगले में रहती हैं उसका एरिया 163,408 वर्गफुट है। इस इलाके का बाजार भाव देखें तो इसका किराया 4 से 5 करोड़ रुपये प्रतिमाह होना चाहिए। इसी तरह प्रियंका वाड्रा 35, लोधी एस्टेट के जिस सरकारी बंगले में रहती हैं उसका एरिया 29,763 वर्गफुट है। बाजार भाव से बंगले का किराया लगभग 1.5 से 2 करोड़ रुपये होता है। राहुल गांधी तुगलक रोड के जिस सरकारी बंगले में रहते हैं उसका एरिया 54,063 वर्गफुट है। उस एरिया में किराए के न्यूनतम बाजार भाव से बंगले का किराया लगभग 2.5 से 3 करोड़ रुपये होना चाहिए। सोनिया गांधी का बंगला ही इतना बड़ा है कि पूरा गांधी परिवार उसमें अलग-अलग कमरों में आराम से रह सकता था। इससे सुरक्षा पर खर्च भी कम होता। तीन अलग बंगलों के कारण हर साल सरकारी खजाने पर 100 से 120 करोड़ रुपये का चूना लग रहा है।
किराया और बिल भरने में भी आनाकानी
हैरानी की बात है कि इतने बड़े तीन-तीन आलीशान बंगलों पर कब्जे के बावजूद गांधी परिवार उनका किराया और बिजली-पानी के बिल कम या पूरी तरह माफ करवाने की अर्जी देता रहता है। यह रहस्य है कि 2004 से 2014 के बीच इनके किराये और बिल कौन देता था। प्रियंका वाड्रा गांधी ने 7 मई 2002 को तब की वाजपेयी सरकार को चिट्ठी लिखकर किराया कम करने की अर्जी दी थी। उनका कहना था कि बंगले का 53,421 रुपये किराया भरना मेरी हैसियत से ज्यादा है। उनकी दलील थी कि वो ज्यादा से ज्यादा 28 हजार रुपये किराया दे सकती हैं। सवाल यह है कि अगर हैसियत नहीं है तो प्रियंका अपनी मां के साथ उनके सरकारी घर में क्यों नहीं रहतीं? गनीमत है, राजीव गाँधी के दो ही संतानें थी। अगर दो से ज्यादा संतानें होती, निश्चित रूप से उन सभी को अलग बंगला मिलता? यानि जनता पर एक अतिरिक्त बोझा !
पूर्व प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, देवेगौड़ा, आइके गुजराल की सन्तानें अब अपने निजी मकानों में ही रहती हैं। उनको कोई सुरक्षा भी नहीं दी गई है। अगर गांधी परिवार को खतरा ही है तो उन्हें एक बंगले में रहना चाहिए, इससे एक साथ सुरक्षा का खर्च कम होगा।
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