निर्वासन में रह रहीं बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को ‘‘अवैध प्रवासी’’ करार नहीं दिया जाना चाहिए। असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) ड्राफ्ट से 40 लाख लोगों का नाम बाहर होने की पृष्ठभूमि में उनका यह बयान आया है।
नसरीन ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा, ‘‘शुरूआती मानव बेहतर जिंदगी के लिए अफ्रीका से एशिया आए। इसके बाद मानव आगे बढता रहा। हमारे पूर्वज मानव अवैध नहीं थे।’’
लेखिका ने ट्वीट किया, ‘‘किसी भी व्यक्ति को अवैध प्रवासी करार नहीं दिया जाना चाहिए। अवैध रूप से भारत घुसने वाले बांग्लादेशी नागरिक, उनका कृत्य भारतीय कानून के अनुसार अवैध है लेकिन वे ‘अवैध’ नहीं हैं।’’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने विश्व बैंक की रिपोर्ट का संदर्भ दिया कि आर्थिक कारणों से आए बांग्लादेशी प्रवासी भारत से अपने वतन लौट सकते हैं क्योंकि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पहले से बहुत बेहतर हुई है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘भारत में काफी मुसलमान हैं। भारत को पडोसी देशों से और मुसलमानों की आवश्यकता नहीं है। परंतु दिक्कत है कि भारतीय नेताओं को उनकी आवश्यकता है।’’
आजकल व्हाट्सएप्स पर निम्न लेख एवं कार्टून खूब प्रसारित हो रहा है:--
नसरीन ने बुधवार को ट्विटर पर लिखा, ‘‘शुरूआती मानव बेहतर जिंदगी के लिए अफ्रीका से एशिया आए। इसके बाद मानव आगे बढता रहा। हमारे पूर्वज मानव अवैध नहीं थे।’’
लेखिका ने ट्वीट किया, ‘‘किसी भी व्यक्ति को अवैध प्रवासी करार नहीं दिया जाना चाहिए। अवैध रूप से भारत घुसने वाले बांग्लादेशी नागरिक, उनका कृत्य भारतीय कानून के अनुसार अवैध है लेकिन वे ‘अवैध’ नहीं हैं।’’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने विश्व बैंक की रिपोर्ट का संदर्भ दिया कि आर्थिक कारणों से आए बांग्लादेशी प्रवासी भारत से अपने वतन लौट सकते हैं क्योंकि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पहले से बहुत बेहतर हुई है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘‘भारत में काफी मुसलमान हैं। भारत को पडोसी देशों से और मुसलमानों की आवश्यकता नहीं है। परंतु दिक्कत है कि भारतीय नेताओं को उनकी आवश्यकता है।’’
आजकल व्हाट्सएप्स पर निम्न लेख एवं कार्टून खूब प्रसारित हो रहा है:--
यदि आप “दक्षिण कोरिया” की सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो, आपको 12 वर्ष के लिये सश्रम कारागार
अगर आप “ईरान” की सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो आपको अनिश्चितकाल तक हिरासत में ले लिया जायेगा!
अगर आप “अफ़गानिस्तान” की सीमा अवैध रूप से पार करते हैं, तो आपको देखते ही गोली मार दी जायेगी जायेगी....!!
यदि आप "चीनी" सीमा अवैध रूप से पार करते हैं तो, आपका अपहरण कर लिया जायेगा और आप फिर कभी नहीं मिलेंगे.... !!
यदि आप "क्यूबा" की सीमा अवैध रूप से पार करते है तो आपको एक राजनीतिक षडयंत्र के जुर्म में जेल में डाल दिया जायेगा....!!
यदि आप "ब्रिटिश" बॉर्डर अवैध रूप से पार करते हैं तो,आपको गिरफ्तार किया जायेगा, मुकदमा चलेगा, जेल भेजा जायेगा और अपने सजा पूरी करने के बाद निर्वासित....!!
और
यदि आप पड़ोसी देश से हैं और आप "भारतीय" सीमा को अवैध रूप से पार करते पाए गए, तो आपको मिलेगा
1. एक राशन कार्ड
2. एक पासपोर्ट,
3.एक ड्राइविंग लाइसेंस,
4. मतदाता पहचान कार्ड,
5. क्रेडिट कार्ड,
6. सरकारी रियायती किराए पर आवास,
7. ऋण, घर खरीदने के लिए,
8. मुफ्त शिक्षा,
9. मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल,
10. नई दिल्ली में एक "लाबीस्ट"
11. एक टेलीविजन.
12. और विशेष मानव अधिकार, कार्यकर्ताओं के एक समूह के साथ, धर्मनिरपेक्षता की डफली बजाने का अधिकार.....
13.और बाकी आप जो कहें.....
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अमेरिकी नोबेल पुरस्कार विजेता ने भारतीयों नेताओ को बताया खून का प्यासा ….कहा सत्ता पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है भारतीय नेता
अमेरिकी नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी डेविड जोनाथन ग्रॉस ने भारत के ताजा राजनीतिक हालातों के बारें में कहा कि कुर्सी पाने के लिए नेता देश में नफरतों को बढ़ावा दे रहे है। ये लोग सत्ता के लिए खून तक बहा रहे है।
कोलकाता के भारतीय सांख्यिकी संस्थान में हुए 52वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने आए ग्रॉस ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि जिस देश ने महात्मा गांधी जैसे महान पुरुष को जन्म दिया वह 21वीं सदी में भी जाति व्यवस्था से जूझ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘इन सब समस्याओं का मुख्य कारण विज्ञान की अज्ञानता है। यह बहुत की समस्याओं को हल कर सकती है। बुनियादी तथ्यों की अज्ञानता के कारण बहुत सी समस्याओं का सामना हमें करना पड़ रहा है।’
भारत में कट्टर राष्ट्रवाद को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि ये सारी समस्याएं केवल भारत में ही हैं। पूरा विश्व इनसे जूझ रहा है, लेकिन अगर भारत की बात करें तो बहुत से राजनेता खुद के फायदे के लिए यहां हिंसा और नफरत को बढ़ावा दे रहे हैं, खून बहा रहे हैं। दुर्भाग्य से भारत में धार्मिक घृणा भी बढ़ते जा रही है।
ग्रॉस ने कहा, ‘आपके पास महात्मा गांधी जैसे महान नेता थे। जिन्होंने हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई थी और अहिंसा का संदेश पूरे विश्व में दिया था, लेकिन अब यहां नफरत बढ़ते जा रही है।
(साभार:https://muslimpatrika.com/american-noble-prize-winner-on-political-scenario-of-country/)
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अभी असम में मात्र 40 लाख घुसपैठियों के उजागर होने पर इतना विधवा-विलाप हो रहा है, अभी पूरा भारत शेष हैं। सम्भावनाएं व्यक्त की जा रहीं हैं कि समस्त भारत में इन घुसपैठियों की संख्या 4 और 5 करोड़ के आसपास जा सकती हैं। तब इन विधवा-विलाप करने वालों की क्या स्थिति होगी? अनुमान लगाया जा सकता है। लेकिन सरकार पक्ष अथवा विपक्ष में से किसी भी ने भी आवाज़ नहीं उठाई कि "जिन नेताओं ने इन घुसपैठियों को मतदाता सूची, मतदान पहचान पत्र, राशन कार्ड आदि अनेकों सरकारी सुविधाएं मोइहिया करवाई हैं, उन्हें किसी भी स्तर पर कोई भी चुनाव लड़ने से प्रतिबन्धित किया जाये, और यदि उनका स्वर्गवास हो चुका है, तो उनके परिवार के किसी भी सदस्य को चुनाव प्रक्रिया से दूर रखा जाये", जो whatsap पर चल रही चर्चा एवं तस्लीमा नसरीन द्वारा लगाए आरोपों को सिद्ध करते हैं।
अवलोकन करिये:--
तुष्टिकरण करने के लिए, इन घुसपैठियों के अतिरिक्त भारत में बहुत है मुस्लिम, लेकिन घुसपैठियों के मुद्दे पर सरकार के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े हों और जो भी इन घुसपैठियों को बाहर निकाले जाने पर विरोध करने वालों को भी उन्हीं के साथ बांग्लादेश भेज दिया जाए।
भारत कोई धर्मशाला नहीं, वैसे भी धर्मशाला में भी एक निश्चित अवधि के ही रहने की अनुमति होती है, स्थायी नहीं। स्मरण हो, इन बांग्लादेशियों को आर्थिक सहायता देने के लिए हर भारतीय ने रेवेन्यू टिकट, डाक टिकट, के अतिरिक्त कई साधनों से योगदान दिया था। लेकिन तत्कालीन नेताओं ने भारतवासियों को हर तरह से लूटने में किसी भी तरह की कोई कोहताई नहीं की। विपरीत इसके, इन नेताओं ने भारतवासियों को क्या दिया "विदेशियों को स्थायी रूप से संरक्षण।" यदि यही काम किसी भी विदेश में, यहाँ तक की पाकिस्तान एवं बांग्लादेश, हुआ होता, निश्चित रूप से संरक्षण देने वाले नेताओं पर कानूनी कार्यवाही हो गयी होती। लेकिन भारत में कोई भी इन शरणाथियों को राजनितिक संरक्षण देने के लिए नहीं आवाज़ बुलंद करता। कौन थे वो नेता, जिनके कारण इन बांग्लादेशी शरणाथियों को इतनी सरकारी सुविधाएँ दी गयीं।
स्वतन्त्रता संग्राम के दिनों में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का नारा था, "तुम मुझे खून दो, मै तुम्हे आज़ादी दूंगा", लेकिन आज़ाद भारत के नेताओं का अघोषित नारा है, "तुम घुसपैठियों हमें वोट दो, हम तुम्हे भारत में रहने देने के साथ, भारतीयों की भाँति हर अधिकार से पोषित करेंगे।" ये हैं भारत के छद्दम देशभक्त नेता।
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