आईये आपका परिचय कराते हैं विश्व के सबसे होनहार बातों के जादूगर, विश्व पटल पर भारत का सर ऊँचा करने वाले हमारे यशस्वी प्रधान सेवक, देश के चौकीदार आदरणीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी का।
हमारे प्रधान मंत्री जी को स्वच्छता बहुत पसंद है, इसलिए इन्होंने सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी के अंदर साफ-सफाई की और लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे अन्य कद्दावर नेता जो स्वर्गीय बाजपेयी जी की भाजपा के अहम रणनीतिकार होने के साथ ही भाजपा के हिंदुत्व एजेण्डे के पोषक रहे थे, इन सब को बाहर का रास्ता दिखा कर स्वच्छ भाजपा-स्वस्थ भाजपा का निर्माण किया। अगले सफाई अभियान के चरण में इन्होंने जो प्रमुख कार्य किया वह था भाजपा के बैनर, फ्लैक्स, पाम्पलेट, आदि सभी जगहों से अटल बिहारी वाजपेयी जी, एवम लालकृष्ण आडवाणी जी की फोटो को हटवा देना ताकि जनमानस के अंदर इन लोकप्रिय नेताओं की स्मृति धीरे-धीरे खत्म होती रहे।
अवलोकन करें:--
2014 में इन्होंने सवर्ण यानी जनरल जातियों की भावनाओं से खूब खेला, इन्हें पता है हम-सब के अंदर राष्ट्रवाद कूट-कूट के भरा है, इसलिए अपने हर मंच से माँ भारती और वन्देमातरम के नारे लगवा-लगवा के हमारे इमोशन्स को जगाया और हिंदुत्व के रक्षक की अपनी छवि का खूब लाभ उठाते हुए देश के प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली की गद्दी पर सत्तासीन हो गए। और आज 2018 तक के चार साल के सफर में, इन्होंने केवल अम्बेडकरवाद को पोषित किया, इनके किसी भी भाषण या "मन की बात" में कहीं भी सामान्य वर्ग या श्री राम की चर्चा नहीं मिलती है, यह तो अपने हर भाषण में आम्बेडकर जी के सपनों के भारत की बात करते हैं, बुराई नहीं महोदय देश आपका है, राजा आप हैं जैसा चाहें जिसके सपनों का चाहें वैसा देश बनाये।
इनके दलित प्रेम में खलल तब पड़ी जब एससी एसटी यानी हरिजन एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि इस कानून का उलंघन करते हुए कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में व्यवस्था दी कि इस कानून के अंदर एफआईआर दर्ज होने के बाद सक्षम अधिकारी से पहले आरोप की जाँच कराई जाये अगर आरोप सही है तो आरोपी को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया जाए और उसे अपने अपराध की सजा मिले। लेकिन अगर आरोप झूठा है तो आरोपी को जेल में रहकर मानसिक और शारिरिक यातना न भोगना पड़े। सुप्रीम कोर्ट से हम सभी को मिली इस रियायत से साहेब की तो मानो दिन-रात का चैन खो गया, प्यास भूख खत्म हो गयी, बिना देर किए पुनर्विचार याचिका लेकर दौड़ पड़े की नहीं साहब इनको रियायत मत दीजिये, इनके गर्दन पर इस कानून की तलवार रखे रहने दीजिए, भले ही निर्दोष हों पर इन्हें जेल में मानसिक और शारीरिक यातना सहने दीजिये, पर सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया, कहा सबके हितों और अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। फिर क्या था साहेब ने अपने पॉवर का उपयोग किया और एक अध्यादेश लाकर संसद में पास करवा दिया फिर सुप्रीम कोर्ट का आदेश हो गया निष्प्रभावी, अब हम फिर इस कानून के शिकार होते रहेंगे, भले ही हम निर्दोष ही हों।
साथियों इस एक्ट के खिलाफ हम 20019 तक एक जनांदोलन खड़ा करना चाहते हैं। और हर लोकसभावार समिति की कमेटी बनाकर इस कानून के खिलाफ खड़ा होकर इसका जमकर विरोध करेंगे। कृपया आप भी अपने क्षेत्र से समिति में शामिल होकर इस मिशन को सशक्त बनावें। अपनी डिटेल हमें 7905005919 पर Whatsapp करें।
श्री अरविन्द श्रीवास्तव पर प्रकाशित उपरोक्त लेख पर लोगों विचार:--
हमारे प्रधान मंत्री जी को स्वच्छता बहुत पसंद है, इसलिए इन्होंने सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी के अंदर साफ-सफाई की और लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा जैसे अन्य कद्दावर नेता जो स्वर्गीय बाजपेयी जी की भाजपा के अहम रणनीतिकार होने के साथ ही भाजपा के हिंदुत्व एजेण्डे के पोषक रहे थे, इन सब को बाहर का रास्ता दिखा कर स्वच्छ भाजपा-स्वस्थ भाजपा का निर्माण किया। अगले सफाई अभियान के चरण में इन्होंने जो प्रमुख कार्य किया वह था भाजपा के बैनर, फ्लैक्स, पाम्पलेट, आदि सभी जगहों से अटल बिहारी वाजपेयी जी, एवम लालकृष्ण आडवाणी जी की फोटो को हटवा देना ताकि जनमानस के अंदर इन लोकप्रिय नेताओं की स्मृति धीरे-धीरे खत्म होती रहे।
अवलोकन करें:--
इनके दलित प्रेम में खलल तब पड़ी जब एससी एसटी यानी हरिजन एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि इस कानून का उलंघन करते हुए कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में व्यवस्था दी कि इस कानून के अंदर एफआईआर दर्ज होने के बाद सक्षम अधिकारी से पहले आरोप की जाँच कराई जाये अगर आरोप सही है तो आरोपी को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया जाए और उसे अपने अपराध की सजा मिले। लेकिन अगर आरोप झूठा है तो आरोपी को जेल में रहकर मानसिक और शारिरिक यातना न भोगना पड़े। सुप्रीम कोर्ट से हम सभी को मिली इस रियायत से साहेब की तो मानो दिन-रात का चैन खो गया, प्यास भूख खत्म हो गयी, बिना देर किए पुनर्विचार याचिका लेकर दौड़ पड़े की नहीं साहब इनको रियायत मत दीजिये, इनके गर्दन पर इस कानून की तलवार रखे रहने दीजिए, भले ही निर्दोष हों पर इन्हें जेल में मानसिक और शारीरिक यातना सहने दीजिये, पर सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया, कहा सबके हितों और अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। फिर क्या था साहेब ने अपने पॉवर का उपयोग किया और एक अध्यादेश लाकर संसद में पास करवा दिया फिर सुप्रीम कोर्ट का आदेश हो गया निष्प्रभावी, अब हम फिर इस कानून के शिकार होते रहेंगे, भले ही हम निर्दोष ही हों।
साथियों इस एक्ट के खिलाफ हम 20019 तक एक जनांदोलन खड़ा करना चाहते हैं। और हर लोकसभावार समिति की कमेटी बनाकर इस कानून के खिलाफ खड़ा होकर इसका जमकर विरोध करेंगे। कृपया आप भी अपने क्षेत्र से समिति में शामिल होकर इस मिशन को सशक्त बनावें। अपनी डिटेल हमें 7905005919 पर Whatsapp करें।
श्री अरविन्द श्रीवास्तव पर प्रकाशित उपरोक्त लेख पर लोगों विचार:--
Comments