आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए उपराज्यपाल ने बेशक रिपोर्ट तैयार करवाई है, लेकिन मुख्यमंत्री इससे सहमत नहीं है। जुलाई 29 को एक सम्मेलन के दौरान केजरीवाल ने सीसीटीवी कैमरे लगाने से जुड़ी उपराज्यपाल की रिपोर्ट फाड़कर फेंकने पर राहुल गाँधी की उस हरकत को जीवित कर दिया, जब वह तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के एक अध्यादेश को फाड़ देते हैं।
इस तरह की हरकतें किसी गम्भीर राजनीति अथवा किसी भी नेता को शोभा नहीं देता। इस तरह के काम नहीं, बल्कि छिछोड़ापन केवल तानाशाह प्रवत्ति के ही लोग कर सकते हैं। जो सार्वजनिक रूप से किसी भी सम्मानित व्यक्ति को अपमानित कर दे, वास्तव मे ऐसे लोगों को राजनीती से कोसों मील दूर कर देना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग बैठकर शान्ति से किसी समस्या का समाधान करने की बजाये अपनी मनमानी करने में ही यकीन करते हैं, ऐसे लोगों की निगाह में संविधान अथवा कानून की कोई कीमत नहीं। जब कोई मुख्यमंत्री किसी उपराज्यपाल/राज्यपाल के प्रस्ताव को सार्वजनिक रूप से फाड़ने का साहस कर सकता है, फिर उस मुख्यमंत्री को राज्यपाल/उपराज्यपाल से अपने किसी विवाद को हल करने की आशा नहीं करनी चाहिए।
साथ ही आरोप लगाया कि तीन साल से उपराज्यपाल इस योजना में अड़ंगा डाल रहे हैं। अब आम लोगों की रजामंदी से दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगवाएं जाएंगे।
वह इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आरडब्ल्यूए व मार्केट एसोसिएशन के सम्मेलन में सीसीटीवी लगवाने के मसले पर बोल रहे थे। इस मौके पर उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में सीसीटीवी लगाने से 50 फीसदी अपराध कम हो जाएंगे।
दिल्ली में CCTV पर मचा घमासान
केजरीवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार तीन साल से इस प्रोजेक्ट में लगी है। अप्रैल-मई महीने में केंद्र सरकार के अधीन कंपनी को टेंडर भी दिया जा रहा था। लेकिन उपराज्यपाल ने उसे रोक दिया। इसके लिए पुलिस की एक कमेटी गठित कर दी।
रिपोर्ट में लिखा है कि दिल्ली में किसी को भी सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए पुलिस से लाइसेंस लेना पड़ेगा। इस बात पर केजरीवाल ने तंज कसते हुए कहा कि पुलिस से हथियारों को लाइसेंस तो दिए नहीं जा रहे, अब सीसीटीवी के लाइसेंस भी देंगे।
उन्होंने सम्मेलन में बैठे लोगों से सवाल किया कि यह कौन तय करेगा कि सीसीटीवी कहां लगेंगे, इसका लाइसेंस चाहिए या नहीं? लोगों की तरफ से जवाब भी नकारात्मक आया तो केजरीवाल ने भरी सभा में उपराज्यपाल की रिपोर्ट की कापी फाड़ कर फेंक दी।
साथ ही कहा कि सोमवार सुबह वह फाइल पर लिखकर भेज देंगे कि लाइसेंस की जरूरत नहीं है। जनता यही कह रही है। फिर सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा।
सीसीटीवी लगने के लिए जगह आरडब्ल्यूए की आम सभा तय करेगी। इस दौरान पुलिस के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इसकी रिकार्डिंग दिल्ली पुलिस, सरकार और आरडब्ल्यूए को जाएगी।
दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए उपराज्यपाल ने बेशक रिपोर्ट तैयार करवाई है, लेकिन मुख्यमंत्री इससे सहमत नहीं है। जुलाई 29 को एक सम्मेलन के दौरान केजरीवाल ने सीसीटीवी कैमरे लगाने से जुड़ी उपराज्यपाल की रिपोर्ट फाड़कर फेंकने पर राहुल गाँधी की उस हरकत को जीवित कर दिया, जब वह तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के एक अध्यादेश को फाड़ देते हैं।
इस तरह की हरकतें किसी गम्भीर राजनीति अथवा किसी भी नेता को शोभा नहीं देता। इस तरह के काम नहीं, बल्कि छिछोड़ापन केवल तानाशाह प्रवत्ति के ही लोग कर सकते हैं। जो सार्वजनिक रूप से किसी भी सम्मानित व्यक्ति को अपमानित कर दे, वास्तव मे ऐसे लोगों को राजनीती से कोसों मील दूर कर देना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग बैठकर शान्ति से किसी समस्या का समाधान करने की बजाये अपनी मनमानी करने में ही यकीन करते हैं, ऐसे लोगों की निगाह में संविधान अथवा कानून की कोई कीमत नहीं। जब कोई मुख्यमंत्री किसी उपराज्यपाल/राज्यपाल के प्रस्ताव को सार्वजनिक रूप से फाड़ने का साहस कर सकता है, फिर उस मुख्यमंत्री को राज्यपाल/उपराज्यपाल से अपने किसी विवाद को हल करने की आशा नहीं करनी चाहिए।
साथ ही आरोप लगाया कि तीन साल से उपराज्यपाल इस योजना में अड़ंगा डाल रहे हैं। अब आम लोगों की रजामंदी से दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगवाएं जाएंगे।
वह इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आरडब्ल्यूए व मार्केट एसोसिएशन के सम्मेलन में सीसीटीवी लगवाने के मसले पर बोल रहे थे। इस मौके पर उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में सीसीटीवी लगाने से 50 फीसदी अपराध कम हो जाएंगे।
दिल्ली में CCTV पर मचा घमासान
केजरीवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार तीन साल से इस प्रोजेक्ट में लगी है। अप्रैल-मई महीने में केंद्र सरकार के अधीन कंपनी को टेंडर भी दिया जा रहा था। लेकिन उपराज्यपाल ने उसे रोक दिया। इसके लिए पुलिस की एक कमेटी गठित कर दी।
रिपोर्ट में लिखा है कि दिल्ली में किसी को भी सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए पुलिस से लाइसेंस लेना पड़ेगा। इस बात पर केजरीवाल ने तंज कसते हुए कहा कि पुलिस से हथियारों को लाइसेंस तो दिए नहीं जा रहे, अब सीसीटीवी के लाइसेंस भी देंगे।
उन्होंने सम्मेलन में बैठे लोगों से सवाल किया कि यह कौन तय करेगा कि सीसीटीवी कहां लगेंगे, इसका लाइसेंस चाहिए या नहीं? लोगों की तरफ से जवाब भी नकारात्मक आया तो केजरीवाल ने भरी सभा में उपराज्यपाल की रिपोर्ट की कापी फाड़ कर फेंक दी।
साथ ही कहा कि सोमवार सुबह वह फाइल पर लिखकर भेज देंगे कि लाइसेंस की जरूरत नहीं है। जनता यही कह रही है। फिर सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा।
सीसीटीवी लगने के लिए जगह आरडब्ल्यूए की आम सभा तय करेगी। इस दौरान पुलिस के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इसकी रिकार्डिंग दिल्ली पुलिस, सरकार और आरडब्ल्यूए को जाएगी।
पीडब्ल्यूडी सत्येंद्र जैन बोले
पुलिस द्वारा लगाए कैमरे 50 फीसदी बंद हैँ। हमने कैमरे में चिप लगाई है, जिससे कंपनी, आरडब्ल्यूए व पुलिस के पास मेसेज जाएगा। सारी आरडब्ल्यूए और मार्केट एसोसिएशन से पूछकर कैमरे लगाए जाएंगे।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा
सीसीटीवी सरकार लगाएगी, जिसे जनता तय करेगी कि कहां लगेंगे। जो भी काम करना है, जनता से पूछकर करना है। सचिवालय में बैठकर अधिकारियों से अच्छे सुझाव लोग दे सकते हैं।
अगर कॉलोनी में सीसीटीवी लगे, तो उनका मुंह कहां होने चाहिए? सीसीटीवी किससे पूछ कर लगने चाहिए? डीसीपी या जनता? सीसीटीवी कैमरे लोगों से पूछकर लगना चाहिये।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पूरी दिल्ली में करीब 18 हजार पार्क हैं। करीब 250 आरडब्ल्यूए हैं, जो 250 पार्क की देख रेख कर रही हैं। लेकिन अब सभी पार्क मार्केट एसोसिएशन, आरडब्ल्यूए, महिला संगठन, एनजीओ सब मिलकर देखरेख करेगी। इसके लिये सारा खर्च दिल्ली सरकार देगी।
कैमरे लगवाने के दिल्ली सरकार ने तय किए मानक
– दिन और रात विजन वाले 4 मेगा पिक्सल इंफ्रारेड (एमपीआईआर) के कैमरे।
– मोबाइल एप के जरिए कालोनी के हर कोने को देखा जा सकेगा।
– सर्वर और कैमरा 4जी, 3जी, 2जी व जीपीआरएस नेटवर्क से जुड़ा होगा। हर विधान सभा में कैमरों की संख्या करीब 2000 होगी
– तीस दिनों तक रिकार्डिंग रहेगी सुरक्षित
-पुलिस, कोर्ट व विभाग की मांग पर कंपनी मुहैया करायेगी वीडियो फुटेज।
-किसी भी कैमरे में खराबी आने पर इलाके के पांच सदस्यों (आरडब्ल्यूए अध्यक्ष, सचिव, पुलिस, पीडब्ल्यूडी इंजीनियर व एजेंसी) को मिलेगा एसएमएस व ई-मेल।
-हर चार कैमरे पर होगा एक नेटवर्क वीडियो रिकार्डर (एनवीआर)
-कैमरे की सर्वर से वाई फाई के जरिये होगी कनेक्टिविटी।
– दिन और रात विजन वाले 4 मेगा पिक्सल इंफ्रारेड (एमपीआईआर) के कैमरे।
– मोबाइल एप के जरिए कालोनी के हर कोने को देखा जा सकेगा।
– सर्वर और कैमरा 4जी, 3जी, 2जी व जीपीआरएस नेटवर्क से जुड़ा होगा। हर विधान सभा में कैमरों की संख्या करीब 2000 होगी
– तीस दिनों तक रिकार्डिंग रहेगी सुरक्षित
-पुलिस, कोर्ट व विभाग की मांग पर कंपनी मुहैया करायेगी वीडियो फुटेज।
-किसी भी कैमरे में खराबी आने पर इलाके के पांच सदस्यों (आरडब्ल्यूए अध्यक्ष, सचिव, पुलिस, पीडब्ल्यूडी इंजीनियर व एजेंसी) को मिलेगा एसएमएस व ई-मेल।
-हर चार कैमरे पर होगा एक नेटवर्क वीडियो रिकार्डर (एनवीआर)
-कैमरे की सर्वर से वाई फाई के जरिये होगी कनेक्टिविटी।
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