कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की सरकार को शपथ लिए अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ, लेकिन उससे पहले ही दोनों पार्टियों के बीच नोकझोंक शुरू हो चुकी है।
इस बार चेयरमैन पद को लेकर कांग्रेस और जेडीएस के बीच तनातनी शुरू हो गई है। दरअसल, ये तकरार विधान परिषद में चेयरमैन पद को लेकर है।
जेडीएस का कहना है कि कांग्रेस ने विधानसभा में स्पीकर का पद पहले ही ले लिया है और अब उसकी ख्वाहिश विधान परिषद में चेयरमैन पद को भी हासिल करने की है। इस मुद्दे पर अभी एक राय नहीं बन सकी है, हालांकि इसको लेकर बातचीत जारी है। विधानसभा के ऊपरी सदन में चेयरमैन का पद आज (21 जून) खाली हो गया। यह पद अब तक बीजेपी के पास था। बीजेपी के बुजुर्ग नेता डीएच शंकरमूर्ति विधान परिषद के चेयरमैन पद पर बने हुए थे और आज उनका कार्यकाल समाप्त हो गया।
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शंकरमूर्ति के रिटायर होने के बाद कांग्रेस और जेडीएस के बीच इस पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। जेडीएस का कहना है कि विधानपरिषद में अध्यक्ष का पद उसे चाहिए, जबकि ऐसी ही मांग कांग्रेस की ओर से भी की जा रही है। इस पद के लिए कांग्रेस और जेडीएस ने दावेदारी भी ठोक दी है। जेडीएस की ओर से एमएलसी बासवराज होराटी को उम्मीदवार बनाया गया है, वहीं कांग्रेस की तरफ से एसआर पाटिल मैदान में उतारा हैं। हालांकि जेडीएस इस पद के लिए आपस में ही उलझने से बचने की जुगत में जुटा हुआ है।
इससे पहले कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण से पहले मंत्रिमंडल को लेकर दोनों दलों में खूब खींचतान चली, जिस कारण मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी हुई। इसके बाद विभागों के बंटवारे को लेकर भी विवाद बना रहा। कैबिनेट के शामिल 25 विधायकों में से जेडीएस के नौ और कांग्रेस के 14 विधायक शामिल हुए। जबकि मायावती की पार्टी बसपा के एकमात्र विधायक और एक निर्दलीय को भी कैबिनेट में जगह दी गई।
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