उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का एक वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है, जिसमें वो अपने पास फरियाद लेकर आई एक बुजुर्ग महिला को डांटकर भगा रहे हैं। इस विधवा महिला टीचर की मांग सिर्फ इतनी थी कि उसका तबादला घर के पास कर दिया जाए ताकि वो अपने बच्चों को ठीक से पाल सके। इस पर मुख्यमंत्री रावत का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उन्होंने महिला को गिरफ्तार करने के आदेश दे दिए। दरअसल पिछले कुछ वक्त में बीजेपी के ऐसे कई नेता सामने आ रहे हैं जिनके सिर पर सत्ता का घमंड सवार है। इनमें कई वरिष्ठ मंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। यदि इन सबकी गंम्भीरता से सूची बनाई जाए, एक लम्बी सूची बन सकती है। समय रहते, इन पर नकेल नहीं डाली गयी, 2019 में आपके लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। हैरानी की बात है कि जनता के साथ ऐसी बदसलूकियां करने वाले कुछ नेता ऐसे भी हैं जिनकी कोई राजनीतिक हैसियत नहीं है। ये नेता अपने दम पर खुद अपनी सीट भी नहीं जीत सकते। एक नजर ऐसे ही कुछ बदमिजाज और घमंडी नेताओं पर।
त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
बीते कुछ समय से यह बात सामने आ रही थी कि उत्तराखंड के सीएम रावत सत्ता के अहंकार में चूर हैं। वो अपने विधायकों और मंत्रियों से भी ठीक सलूक नहीं करते। लेकिन बात तब हद से गुजर गई, जब त्रिवेंद्र रावत ने फरियाद लेकर आई बुजुर्ग महिला को दुत्कार दिया। कांग्रेस की सरकारों में ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए बाकायदा रेट तय होते हैं और रिश्वत देकर यह काम आराम से हो जाता है। बीजेपी सरकार में ये रिश्वतखोरी तो बंद हो गई, लेकिन ट्रांसफर के सही मामलों पर सुनवाई भी बंद हो गई। त्रिवेंद्र रावत की पत्नी भी सरकारी टीचर हैं और उन्होंने फरियादी महिला को अपनी पत्नी का उदाहरण दिया कि वो एक ही जगह पर काम कर रही हैं। जबकि सच्चाई यह है कि रावत की पत्नी अपनी पसंदीदा जगह पर 20 साल से पोस्टेड हैं। यहां तक कि प्रोमोशन के बाद भी वो उसी स्कूल में बनी हुई हैं, जबकि नियमों के मुताबिक उनका तबादला होना चाहिए। फरियादी टीचर के बच्चे घर पर अकेले हैं और वो कैंसर का इलाज भी करवा रही है।
सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री
विदेश मंत्री सुषमा के घमंड के किस्से भी खूब मशहूर हैं। वो दुनिया भर के लिए ममतामयी मां का आवरण ओढ़े रहती हैं, लेकिन आम जरूरतमंद भारतीयों के लिए सुषमा का बर्ताव बहुत ही बुरा है। तन्वी अनस के पासपोर्ट मामले से उनका ये तुगलकी रूप पूरी तरह से सामने आ गया, जब विदेश से लौटने के बाद उन्होंने अपने विभाग की गलती सुधारने के बजाय उन बीजेपी समर्थकों के ट्वीट रीट्वीट करने शुरू कर दिए, जिन्होंने उनको बुरा-भला कहा था। सुषमा ने इस तरह से उसी तबके को अपमानित करना शुरू कर दिया, जो उनकी पार्टी को वोट देकर जिताता है। सुषमा स्वराज ट्विटर पर ठीक वही काम कर चुकी हैं जो त्रिवेंद्र रावत ने भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। 2017 में एक व्यक्ति ने सुषमा स्वराज को ट्वीट करके रेलवे में काम करने वाली अपनी पत्नी के तबादले में मदद मांगी, तो जवाब में सुषमा ने लिखा कि अगर आप या आपकी पत्नी मेरे मंत्रालय में होते तो मैं फौरन तुम्हें सस्पेंड कर देती।
If you or your wife were from my Ministry and such a request for transfer was made on twitter, I would have sent a suspension order by now.
हरदीप पुरी, शहरी विकास राज्यमंत्री
बदमिजाज अहंकारी नेताओं की लिस्ट में इनकी एंट्री नई है। हरदीप पुरी विदेश सेवा के पुराने अफसर रहे हैं। मोदी की कृपा से मंत्री बन गए, लेकिन अफसरशाही का रौब नहीं गया। हरदीप पुरी ने पिछले दिनों ट्विटर पर ही कुछ ऐसा किया जिसके लिए उन्हें लोगों की खूब खरी-खोटी सुननी पड़ी। दिल्ली में पेड़ों की कटाई के मसले पर एक शख्स ने हरदीप पुरी को टैग करके एक ट्वीट किया था, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि मंत्री से बात करने की तमीज सीखो। हो सकता है कि किसी व्यक्ति ने अपनी बात सही तरीके से नहीं लिखी हो, लेकिन मंत्री के तौर पर सरेआम इस तरह का बर्ताव उनके अहंकार को ही दिखाता है।
मनोज तिवारी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष, दिल्ली
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पिछले साल एमसीडी स्कूल की एक महिला टीचर को सार्वजनिक रूप से इसलिए अपमानित कर दिया था क्योंकि उस टीचर ने उनसे मंच पर गाना सुनाने की फरमाइश कर दी थी। वो टीचर मनोज तिवारी की फैन थी, लेकिन इसकी परवाह किए बिना नेताजी ने न सिर्फ उसे मंच से नीचे उतार दिया, बल्कि उसके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी कर डाली। हालांकि बाद में बात बढ़ने पर उन्होंने महिला टीचर से माफी भी मांग ली।
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