आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
कश्मीर को लेकर कांग्रेस के नेता सैफुद्दीन सोज ने बड़ा बयान दिया है. इस बयान में उन्होंने कश्मीर को आजादी देने की बात कहीं है।
कांग्रेस के नेता सैफुद्दीन सोज ने हाल ही में कश्मीर को लेकर एक विवादित बयान दिया है। इस बयान में सोज ने कहा है कि कश्मीर के लोगों की पहली प्राथमिकता आजादी पाने की है, हालांकि मौजूदा समय में कश्मीर की आजादी इससे जुड़े देशों के कारण संभव नहीं दिख रही है।
वहीं सैफुद्दीन सोज ने अपने बयान में यह भी कहा कि कश्मीर के लोग पाकिस्तान के साथ भी विलय नहीं करना चाहते हैं। कश्मीर ना तो भारत और ना ही पाकिस्तान के साथ विलय होना चाहता है। यहां के लोगों के लिए शांति का माहौल पैदा करने की सख्त जरूरत है, ताकि सब सुख व चैन से रह सके।
अपने इस बयान पर सैफुद्दीन सोज ने यह जोड़ते हुए कहा कि यह विचार उनका निजी है और इसमें कांग्रेस की पार्टी को कुछ भी लेना देना नहीं है। वे महज अपने निजी स्तर पर कश्मीर के लोगों की तरफ से बात कर रहे हैं।
'मुशर्रफ को पसंद करने वाले कटवा ले अपना टिकट'--सुब्रमण्यन स्वामी
कश्मीर के आजादी की पैरवी करने वाले कांग्रेसी नेता सैफुद्दीन सोज पर बीजपी के सुब्रमण्यन स्वामी ने पलटवार किया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि, अगर कोई परवेज मुशर्रफ को पंसद करता है तो उसे वहां का टिकट कटवा लेना चाहिए।
कश्मीर के आजादी का राग अलापने वाले कांग्रेसी नेता सैफुद्दीन सोज अब अपने बयान से चौतरफा घिर चुके हैं।
अगर किसी को भारत में रहना है तो उसे यहां के संविधान को मानना पड़ेगा। वहीं अगर कोई परवेज मुशर्रफ को पंसद करता है तो उसको पाकिस्तान का टिकट कटवा लेना चाहिए.'
कांग्रेसी नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा था कि, 'कश्मीर के लोगों की पहली प्राथमिकता आजादी हासिल करने की है। कश्मीर ना तो भारत और ना ही पाकिस्तान के साथ विलय होना चाहता है। यहां के लोगों को महज शांति का माहौल पाने की जरूरत है.'
कांग्रेस नेताओं की कश्मीर पर बयानबाजी से सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि कश्मीर में अब तक चले सैन्य ऑपरेशन में आतंकियों से ज्यादा मासूम मारे गए. इस बीच कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता सैफ़ुद्दीन सोज ने कश्मीर पर पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के उस विचार का समर्थन कर विवाद गहरा दिया है जिसमें पूर्व जनरल ने कहा था कि कश्मीरी आजादी चाहते हैं. बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि आज जो भाषा कांग्रेस पार्टी के नेता बोल रहे हैं, उसका समर्थन लश्कर-ए-तैयबा कर रही है. किस राजनीतिक लाभ के लिए आज कांग्रेस पार्टी देश को तोड़ने वालों के साथ खड़ी हो गई है? आजाद की टिप्पणी से सबसे ज्यादा खुश वे लोग होंगे जो आंतकवाद का समर्थन कर रहे हैं. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सेना कश्मीर में आतंकवादियों से ज्यादा आम जनता को मार रही है. उनकी यह टिप्पणी बहुत ही शर्मनाक, दुर्भाग्यपूर्ण और गैर जिम्मेदाराना है. प्रसाद ने कहा कि वोट के लिए राहुल गांधी किसी भी हद तक जा सकते हैं.
अवलोकन करें:--
सरकार को चाहिए कि सोनिया गाँधी से सदन में इस कश्मीर विरोधी संस्था के साथ सम्बन्धों की सफाई भी मांगे |
सैन्य अभियान में आतंकियों से ज्यादा कश्मीरी मारे गए : आजाद
आजाद ने कहा था कि केंद्र सरकार कह रही है कि कश्मीर में 600 आतंकी मारे गए. लेकिन उसने यह नहीं बताया कि आर्मी के कितने जवान मारे गए. कितने कश्मीरियों की आंखें निकाल ली गईं. कितने मासूमों की हत्या हुई.
आजाद ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को शांति और प्रगति की चिंता है और चुनाव की उसे कोई चिंता नहीं है. उन्होंने कहा, 'राज्य में गोलियों की आवाज बंद हो जाएं. शांति आ जाए. जम्मू-कश्मीर, लद्दाख में तरक्की हो. हम यही चाहते हैं. हमें चुनाव की चिंता नहीं है.' आजाद ने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद पिछले 48 महीने में जम्मू-कश्मीर में 379 जवान शहीद हो गए और 239 आम लोग मारे गए. पाकिस्तान ने 3000 से अधिक बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया.
शिवसेना ने कहा कि सोज के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष को सफाई देनी चाहिए |
गुलाम नबी के बयान का आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने समर्थन कर दिया। इस पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘कांग्रेस सेना का मनोबल कम कर रही है। अगर कांग्रेस को 44 से 14 लोकसभा सीटों पर आना है तो उसे मुबारक। कांग्रेस नेताओं को पाकिस्तान से खूब समर्थन मिल रहा है। हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए तारीक हमीद कारा की भाषा तो वही है जो पाकिस्तान के आतंकियों की रही है।’’
आज़ाद को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि मरने वाले 239 आम लोग बहुत कम हैं, क्योंकि एक आतंकवादी को बचाने सैंकड़ों में आम लोग यानि पत्थरबाज ही आते थे। आज तक किसी भी नेता ने यह नहीं कहा कि "सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने वालों के साथ भी किसी भी तरह की नरमी न बरती जाए।" यदि सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों के साथ-साथ पत्थरबाजों को भी ठिकाने लगा रहे होते, शायद आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लग चुका होता। क्योंकि अपराधी का साथ देने वाला भी अपराधी ही होता है। कोई मानवाधिकार पत्थरबाजों के विरुद्ध नहीं आया। फिर किस बात का मानवाधिकार? ऐसे मानवाधिकारों पर भी सरकार को सख्ती से पेश आना चाहिए।
Congress leaders undermine India's sovereignty. #CongLeTGathbandhan
कश्मीर पर किताब में निजी राय, पार्टी से लेना-देना नहीं : सोज
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफ़ुद्दीन सोज ने कहा है कि उन्होंने अपनी किताब में जो बातें कही हैं वह उनकी निजी राय है और इनका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. सोज ने कहा, 'किताब में जो बातें मैंने कहीं, वह मेरी निजी राय है. पार्टी से इसका कोई मतलब नहीं है.' दरअसल, सोज ने अपनी पुस्तक 'कश्मीर: ग्लिम्पसेज ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल' में परवेज मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर वोटिंग की स्थितियां होती हैं तो कश्मीर के लोग भारत या पाक के साथ जाने की अपेक्षा अकेले और आजाद रहना पसंद करेंगे. संप्रग सरकार में मंत्री रहे सोज ने यह भी दावा किया कि घाटी में मौजूदा हालात के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों के लिए शांतिपूर्ण माहौल की स्थापना जरूरी है, जिससे यहां के लोग शांति से रह सकें.
उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफ़ुद्दीन सोज ने कहा है कि उन्होंने अपनी किताब में जो बातें कही हैं वह उनकी निजी राय है और इनका पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. सोज ने कहा, 'किताब में जो बातें मैंने कहीं, वह मेरी निजी राय है. पार्टी से इसका कोई मतलब नहीं है.' दरअसल, सोज ने अपनी पुस्तक 'कश्मीर: ग्लिम्पसेज ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल' में परवेज मुशर्रफ के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर वोटिंग की स्थितियां होती हैं तो कश्मीर के लोग भारत या पाक के साथ जाने की अपेक्षा अकेले और आजाद रहना पसंद करेंगे. संप्रग सरकार में मंत्री रहे सोज ने यह भी दावा किया कि घाटी में मौजूदा हालात के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों के लिए शांतिपूर्ण माहौल की स्थापना जरूरी है, जिससे यहां के लोग शांति से रह सकें.
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