आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस प्रवक्ता बनने के लिए एक लिखित परीक्षा आयोजित की गई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस परीक्षा का पेपर पहले ही लीक हो चुका था। जबकि कांग्रेस प्रवक्ताओं के लिए हुई इस परीक्षा को टॉप सीक्रेट रखा गया था, लेकिन इसके प्रश्नपत्र से लेकर गूगल से निकाले गए उत्तर तक पहले से कुछ लोगों तक पहुंच गए। अब प्रश्न यह है कि सीक्रेट पेपर कैसे लीक हो गया? क्या कांग्रेस में गोपनीय नाम की कोई चीज़ नहीं? देखना यह कि क्या पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी पेपर लीक करने वाले के विरुद्ध कोई कार्यवाही करते है अथवा नहीं? यह परीक्षा जून 28 की दोपहर ढाई बजे हुई थी, जबकि इसके सवाल कुछ समय पहले से ही कुछ नेताओं के पास पले से मौजूद थे। कुल 70 लोगों ने ये परीक्षा दी है जिसमे से करीब दर्जन भर लोगों को चुना जाना है। कांग्रेस के कई पुराने चेहरे भी टेस्ट देने वालों में शामिल थे। जबकि इंटरव्यू और लिखित परीक्षा लेने की जिम्मेदारी प्रियंका चतुर्वेदी और रोहन गुप्ता पर थी।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस प्रवक्ता बनने के लिए एक लिखित परीक्षा आयोजित की गई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस परीक्षा का पेपर पहले ही लीक हो चुका था। जबकि कांग्रेस प्रवक्ताओं के लिए हुई इस परीक्षा को टॉप सीक्रेट रखा गया था, लेकिन इसके प्रश्नपत्र से लेकर गूगल से निकाले गए उत्तर तक पहले से कुछ लोगों तक पहुंच गए। अब प्रश्न यह है कि सीक्रेट पेपर कैसे लीक हो गया? क्या कांग्रेस में गोपनीय नाम की कोई चीज़ नहीं? देखना यह कि क्या पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी पेपर लीक करने वाले के विरुद्ध कोई कार्यवाही करते है अथवा नहीं? यह परीक्षा जून 28 की दोपहर ढाई बजे हुई थी, जबकि इसके सवाल कुछ समय पहले से ही कुछ नेताओं के पास पले से मौजूद थे। कुल 70 लोगों ने ये परीक्षा दी है जिसमे से करीब दर्जन भर लोगों को चुना जाना है। कांग्रेस के कई पुराने चेहरे भी टेस्ट देने वालों में शामिल थे। जबकि इंटरव्यू और लिखित परीक्षा लेने की जिम्मेदारी प्रियंका चतुर्वेदी और रोहन गुप्ता पर थी।
प्रवक्ता के इम्तिहान में धांधली!
सूत्रों के मुताबिक प्रवक्ता पद के लिए परीक्षा के नाम से ही कई कांग्रेसी नेताओं के हाथ पांव फूल गए। कई सवालों के जवाब उन्हें नहीं मालूम थे, खास तौर पर आंकड़ों के मामले में ज्यादातर बेहद कच्चे थे। कुछ सवाल जैसे कि- कांग्रेस को मिले वोटों का प्रतिशत कितना था? 2004 और 2009 में कांग्रेस ने कितनी सीटें जीती थी? किस लोकसभा सीट पर कम या ज्यादा विधानसभा सीटें हैं? सूत्रों के मुताबिक कुछ नेता इन सवालों के जवाब रट रहे थे, जबकि कुछ इनकी पर्चियां बनाकर ले आए थे और लिखित परीक्षा के दौरान उन्होंने बाकायदा नकल भी की। इम्तिहान देकर निकले कई पुराने कांग्रेसी बेहद नाराज और अपमानित महसूस कर रहे थे। अधेड़ उम्र के एक पूर्व विधायक ने कहा कि हमने कभी सोचा नहीं था कि से 30 साल की वफादारी के बाद हमें इस तरह से जूनियर नेताओं को इंटरव्यू देना पड़ेगा। परीक्षा देने वाले सीनियर नेताओं में अमरनाथ अग्रवाल, वीरेंद्र मदान, द्विजेंद्र त्रिपाठी, हिलाल नकवी जैसे नाम शामिल हैं। इनमें वीरेंद्र मदान तो राजीव गांधी के साथ भी काम कर चुके हैं। एक नेता ने यहां तक कह डाला कि ये सवाल खुद राहुल गांधी से पूछ दिए जाएं तो वो जवाब नहीं दे पाएंगे।
परीक्षा में बचकाने सवाल पूछे
कांग्रेस प्रवक्ता की लिखित परीक्षा और इंटरव्यू में कई बचकाने सवाल पूछे गए थे, जो आम तौर पर लोगों को याद नहीं रहते। जैसे कि जिलों, लोकसभा सीटों और विधानसभा सीटों की आबादी या वोटों का प्रतिशत। इसके अलावा लोगों से मनमोहन सिंह के कार्यकाल की मुख्य उपलब्धियां पूछी गईं, जिनके जवाब ज्यादातर लोगों के पास नहीं थे। इसके अलावा कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं को यह भी नहीं पता था कि उत्तर प्रदेश में कितने मंडल, जिले और ब्लॉक हैं। 2004 और 2009 में कांग्रेस की सीटों की संख्या भी कांग्रेस के इन दिग्गजों को नहीं मालूम थे। प्रवक्ता बनने आए इन नेताओं से जब आज के अखबार की तीन बड़ी खबरें पूछी गईं तो ज्यादातर चुप रह गए। क्योंकि किसी ने सुबह का अखबार तक नहीं पढ़ा हुआ था।
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