Made in India का दावा करने वाली मोदी सरकार, फ़िलहाल पेट्रोल-डीज़ल को Made in China करने जा रही है। जो स्वदेशी जागरण मंच के लिए मोदी सरकार ने एक चुनौती खड़ी जरूर कर दी है। जनता को चाइना उत्पादों का बहिष्कार करने वाला मंच क्या मेड-इन-चाइना पेट्रोल और डीज़ल का बहिष्कार करेगा? क्योकि उनकी मोदी सरकार बहुत जल्द मेड-इन-चाइना पेट्रोल और डीज़ल को बाजार में लाने का मन मना रही है। बच्चों के खिलौनों पर तो चीन ने एकाधिकार कर रखा है, सम्भव है, स्वदेशी जागरण मंच के कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों के परिवारों में उनके बच्चे, पौत्र, पौत्री, नवासे और नवासियां भी चीन निर्मित खिलौनों को प्रयोग करने से वंचित रखने में असफल ही होंगे। भारत के किसी भी कोने में जाइए, बाजार चीन निर्मित खिलौनों से भरे पड़े हैं। और अब पेट्रोल डीज़ल।
तेल की ऊंची कीमतों पर लगाम लगाने के लिए भारत तेल उत्पादक देशों के प्रमुख संगठन OPEC (आर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) से क्रूड ऑयल न खरीदने का मन बना रहा है. उसने अमेरिका और चीन से क्रूड ऑयल खरीदने के लिए बातचीत करना शुरू कर दिया है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जून 14 को ओपेक सदस्य देशों के राजदूतों से मुलाकात में दो टूक कहा कि अगर वे क्रूड ऑयल की कीमतों को लेकर सतर्क नहीं हुए तो भारत उनसे कच्चा तेल नहीं खरीदने पर विचार कर सकता है.
मंत्री का इशारा क्रूड ऑयल कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की ओर है. मीडिया रिपोर्ट में दावा है कि ओपेक देश क्रूड ऑयल का उत्पादन घटाकर कीमतें ऊंची करने की रणनीति अपना रहे हैं. भारत समेत कई दक्षिण एशियाई देश ओपेक से भारी मात्रा में क्रूड ऑयल खरीदते हैं. साथ ही एलपीजी और एलएनजी का भी आयात करता है.
चीन के साथ साझेदारी कर सकता है भारत
ओपेक प्रतिनिधियों के साथ प्रधान की बैठक से पहले चीन के साथ भी एक बैठक हुई थी. इसमें क्रूड ऑयल को लेकर गठजोड़ बनाने पर बातचीत हुई है. बैठक में तय हुआ कि भारत चीनी कंपनियों से सीधे इक्विटी क्रूड खरीदेगा. इस बैठक में देश की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी इंडियन ऑयल के प्रमुख संजीव सिंह भी मौजूद थे. बैठक में चीनी तेल कंपनियों के कार्यकारियों ने भारत के साथ संयुक्त उद्यम या अकेले निवेश की योजना की व्यावहारिकता पर भी बातचीत की. यह निवेश ओपेक देशों के बजाय अमेरिका से सीधे क्रूड ऑयल और गैस के आयात के लिए होगा. भारत और चीन की 2017 में वैश्विक तेल खपत में 17 फीसदी का योगदान रहा है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने अनुमान जताया है कि वैश्विक मांग में पांच साल में अच्छी बढ़ोतरी होगी.
अमेरिका से सीधे तेल खरीद रहा भारत
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार भारत इस समय अमेरिका से सीधे तेल आयात कर रहा है. अगर भारत को चीन से सीधे तेल मिलने लगता है तो इससे ओपेक पर निर्भरता घटेगी. चीन के साथ गठजोड़ की संभावना से प्रधान अगले हफ्ते वियना में होने वाली ओपेक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में ओपेक सदस्यों के ऊर्जा मंत्रियों तक सख्ती से भारत की बात पहुंचा पाएंगे. यह बैठक 20 जून को प्रस्तावित है.
प्रधान ने एशियन प्रीमियम का मुद्दा भी उठाया, जिसमें पश्चिम एशियाई तेल निर्यातक एशियन खरीदारों को क्रूड के शिपमेंट पर ज्यादा शुल्क वसूलते हैं.
तेल की ऊंची कीमतों पर लगाम लगाने के लिए भारत तेल उत्पादक देशों के प्रमुख संगठन OPEC (आर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) से क्रूड ऑयल न खरीदने का मन बना रहा है. उसने अमेरिका और चीन से क्रूड ऑयल खरीदने के लिए बातचीत करना शुरू कर दिया है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जून 14 को ओपेक सदस्य देशों के राजदूतों से मुलाकात में दो टूक कहा कि अगर वे क्रूड ऑयल की कीमतों को लेकर सतर्क नहीं हुए तो भारत उनसे कच्चा तेल नहीं खरीदने पर विचार कर सकता है.
मंत्री का इशारा क्रूड ऑयल कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी की ओर है. मीडिया रिपोर्ट में दावा है कि ओपेक देश क्रूड ऑयल का उत्पादन घटाकर कीमतें ऊंची करने की रणनीति अपना रहे हैं. भारत समेत कई दक्षिण एशियाई देश ओपेक से भारी मात्रा में क्रूड ऑयल खरीदते हैं. साथ ही एलपीजी और एलएनजी का भी आयात करता है.
India has a strong engagement with members of OPEC countries & the #OPEC which accounts for 83% of our crude imports, 98 % of our LPG imports & 74% of our LNG imports. India will be a key driver of global energy demands in the next 25 years.
ओपेक प्रतिनिधियों के साथ प्रधान की बैठक से पहले चीन के साथ भी एक बैठक हुई थी. इसमें क्रूड ऑयल को लेकर गठजोड़ बनाने पर बातचीत हुई है. बैठक में तय हुआ कि भारत चीनी कंपनियों से सीधे इक्विटी क्रूड खरीदेगा. इस बैठक में देश की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी इंडियन ऑयल के प्रमुख संजीव सिंह भी मौजूद थे. बैठक में चीनी तेल कंपनियों के कार्यकारियों ने भारत के साथ संयुक्त उद्यम या अकेले निवेश की योजना की व्यावहारिकता पर भी बातचीत की. यह निवेश ओपेक देशों के बजाय अमेरिका से सीधे क्रूड ऑयल और गैस के आयात के लिए होगा. भारत और चीन की 2017 में वैश्विक तेल खपत में 17 फीसदी का योगदान रहा है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने अनुमान जताया है कि वैश्विक मांग में पांच साल में अच्छी बढ़ोतरी होगी.
Looks like OPEC is at it again. With record amounts of Oil all over the place, including the fully loaded ships at sea, Oil prices are artificially Very High! No good and will not be accepted!
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार भारत इस समय अमेरिका से सीधे तेल आयात कर रहा है. अगर भारत को चीन से सीधे तेल मिलने लगता है तो इससे ओपेक पर निर्भरता घटेगी. चीन के साथ गठजोड़ की संभावना से प्रधान अगले हफ्ते वियना में होने वाली ओपेक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में ओपेक सदस्यों के ऊर्जा मंत्रियों तक सख्ती से भारत की बात पहुंचा पाएंगे. यह बैठक 20 जून को प्रस्तावित है.
The world not only sees India as a leading consumer of energy, they also acknowledge our growing importance in the energy world due to our proactive role in achieving energy security including renewables, alternate fuels and commitment to global initiatives on climate change.
Comments