आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियों में जुटी बीएसपी सुप्रीमो मायावती के लिए राहत भरी खबर आई है। बहुजन समाज पार्टी के करीब 200 कार्यकर्ताओं ने 'घर वापसी' की है। ये सभी लखनऊ जोन कैडर के कार्यकर्ता हैं।
मायावती एक बार को जरूर खुश हो लें, कि उनकी खोई साख वापस हो रही है, लेकिन ऐसे बरसाती मेंढकों पर किसी को खुश होने की जरुरत नहीं,क्योकि इन लोगों को कहाँ और कब तवा परात दिखी नहीं वहीँ सारी रात बिता देंगे और मालपुए खत्म होते ही, वापस कहीं और डेरा डालने पहुँच जायेंगे। ऐसे लोग विश्वास के लेशमात्र भी काबिल नहीं होते। ऐसे लालची केवल अपना स्वार्थ देखते हैं, समाज या देश का नहीं और ऐसे ही लोगों के कारण भ्रष्टाचार भी फैलता है।
बीएसपी सुप्रीमो मायावती के पास वापस लौटे 200 पुराने कार्यकर्ता, कहा- भाजपा के भी कुछ आने वाले हैं
जानकारी के मुताबिक ये कार्यकर्ता 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान बीएसपी का साथ छोड़कर दूसरे दलों में चले गए थे। उस समय पार्टी के कई नेताओं ने बीएसपी का साथ छोड़ दिया था। इसका खामियाजा भी पार्टी को यूपी चुनाव में उठाना पड़ा था। हालांकि अब 200 कार्यकर्ताओं की 'घर वापसी' से पार्टी नेता उत्साहित नजर आ रहे हैं।
बीएसपी के 200 कार्यकर्ताओं ने की 'घर वापसी'
सूत्रों के मुताबिक जिन कार्यकर्ताओं ने बीएसपी में 'घर वापसी' की है, उनमें ज्यादातर वो कार्यकर्ता हैं जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी के पूर्व महासचिव इंद्रजीत सरोज के साथ के पार्टी छोड़ने का फैसला लिया था। इंद्रजीत सरोज ने सितंबर 2017 में बीएसपी छोड़ने का ऐलान कर दिया था। उस समय उनके साथ 200 से ज्यादा बीएसपी कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी छोड़कर दूसरे दलों का रुख किया था। हालांकि अब उन कार्यकर्ताओं में से 200 की 'घर वापसी' हो गई है।
2019 से पहले मायावती के लिए अच्छी खबर
बीएसपी से अलग होने वाले इंद्रजीत सरोज पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से थे। वो चार बार विधायक भी चुने गए। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान इंद्रजीत सरोज ने मायावती पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाया था, जिसके बाद बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कार्रवाई करते हुए अगस्त 2017 में इंद्रजीत सरोज को पार्टी से बाहर निकालने का आदेश दिया था।
पार्टी के सदस्य ने कहा- बीजेपी से जुड़े कार्यकर्ता संपर्क में
फिलहाल 200 कार्यकर्ताओं के 'घर वापसी' से बीएसपी नेता बेहद खुश हैं। बीएसपी से जुड़े एक सदस्य ने बताया कि अभी भी बहुत सारे लोग हमारे संपर्क में हैं। इनमें खास तौर से भाजपा से जुड़े हुए हैं। जल्द ही आने वाले दिनों में ये लोग भी घर वापसी कर सकते हैं।
भाजपा के विरुद्ध वातावरण
वैसे भाजपा को आगामी चुनावों में कठिनाई हो सकती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों एवं आम नागरिकों में भाजपा के विरुद्ध वातावरण बन रहा है। जिसे विपक्ष एकदम लपक रहा है और पार्टी आंखें बंद किये बैठी है। यह चिन्ता का विषय है। वहां की जनता केवल विधायकों से नहीं, बल्कि अपने सांसदों से भी बहुत असंतुष्ट हैं। जनता तो क्या पार्टी कार्यकर्ताओं की भी किसी को चिंता नहीं। किसानों को समय पर उनके उत्पादित गन्ने की कीमत न मिलना आदि अनेकों समस्याएं हैं। जिस ओर पार्टी या सरकार बिलकुल भी ध्यान नहीं दे रही। यदि यह समाचार गलत और सरकार के प्रति दुष्प्रचार है, इस पर अंकुश लगाना सरकार और पार्टी का काम है। किसानो और जनता का आरोप है कि विधायक और सांसद अपने चापलूसों से घिरे रहते हैं, जिस कारण उन्हें वास्तविकता का बोध हो ही नहीं पता। और चुनावों में ये ही चापलूस "हर हर मोदी, घर घर मोदी" चीखते-चिल्लाते फिरेंगे। अब कोई इनकी चालों में नहीं आने वाला।
ग्रामों में जमीनी काम नहीं
यह सत्य है कि तत्कालीन भारतीय जनसंघ से लेकर वर्तमान भाजपा तक ग्रामों में पार्टी का काम शून्य ही रहा है। हैरानी की बात है कि आज भी पार्टी ग्रामों में उतनी सक्रीय नहीं है, जितना होना चाहिए। इस सच्चाई से कोई इन्कार नहीं कर सकता। जब विधायक और सांसद जमीनी स्तर पर काम नहीं करेंगे, उस स्थिति में योगी-मोदी- अमित क्या कर लेंगे। भ्रष्टाचार में कोई अंतर नहीं आया, क्यों? केन्द्रीय नेतृत्व को चाहिए की पार्टी के जिन सांसदों ने गांव गोद लिये हुए हैं, पूछे उनसे, क्या है वहां की स्थिति? क्या वहाँ भी जनता और किसानों में रोष है? यदि है तो क्यों? उनसे पूछा जाये क्यों नहीं उनकी समस्याओं का निदान किया गया? .
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