प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 अप्रैल को उत्तराखंड में केदारनाथ का दर्शन करने के बाद 1 मई से कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार में उतरेंगे। भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए करो या मरो वाले इस चुनाव में पीएम की फिलहाल 15 और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की 20 रैलियों की रूपरेखा तैयार की गई है। पीएम 1 मई को उडुपी, बेलगाम और चामाराजा नगर में जनसभाओं को संबोधित करेंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि राज्य इकाई की ओर से पीएम के अलावा यूपी के सीएम की रैलियों की मांग सबसे ज्यादा है।
पीएम की जिन 15 रैलियों की रूपरेखा तैयार की गई है, उससे पूरा कर्नाटक कवर हो जाएगा। इस दौरान एक रोड शो कराने की भी योजना है। हालांकि इस पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। रैलियां बढ़ाने का विकल्प अब भी खुला रखा गया है। ठीक इसी प्रकार योगी की जनसभाओं के लिए भी रणनीति बनाई गई है। जरूरत पड़ने में दोनों की जनसभाओं की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी।
पीएम मोदी अपनी जनसभाओं में हिंदू आतंकवाद और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ कांग्रेस सहित सात विपक्षी दलों द्वारा दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को प्रमुखता से उठा सकते हैं। इस दौरान पीएम लिंगायत बिरादरी को अलग धर्म का दर्जा देने संबंधी सिद्धारमैया सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाएंगे। पार्टी पहले भी लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने संबंधी फैसले को हिंदुओं को बांटने की साजिश बता चुकी है।
सिद्धारमैया सरकार ने भले ही लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा दे कर भाजपा को सियासी झटका देने की कोशिश की है। वहीं, रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस में इस समुदाय का बड़ा नेता न होने के कारण पार्टी को नुकसान होने की आशंका नहीं है।
पीएम की जिन 15 रैलियों की रूपरेखा तैयार की गई है, उससे पूरा कर्नाटक कवर हो जाएगा। इस दौरान एक रोड शो कराने की भी योजना है। हालांकि इस पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। रैलियां बढ़ाने का विकल्प अब भी खुला रखा गया है। ठीक इसी प्रकार योगी की जनसभाओं के लिए भी रणनीति बनाई गई है। जरूरत पड़ने में दोनों की जनसभाओं की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी।
पीएम मोदी अपनी जनसभाओं में हिंदू आतंकवाद और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ कांग्रेस सहित सात विपक्षी दलों द्वारा दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को प्रमुखता से उठा सकते हैं। इस दौरान पीएम लिंगायत बिरादरी को अलग धर्म का दर्जा देने संबंधी सिद्धारमैया सरकार के फैसले पर भी सवाल उठाएंगे। पार्टी पहले भी लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने संबंधी फैसले को हिंदुओं को बांटने की साजिश बता चुकी है।
सिद्धारमैया सरकार ने भले ही लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा दे कर भाजपा को सियासी झटका देने की कोशिश की है। वहीं, रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस में इस समुदाय का बड़ा नेता न होने के कारण पार्टी को नुकसान होने की आशंका नहीं है।
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