आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
गुजरात में सरकार बनने के एक सप्ताह के भीतर ही फूट सामने आ गई है। डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने खुली बगावत करते हुए अल्टीमेटम दे दिया है। उधर 15 से ज्यादा बीजेपी विधायक पाला बदलने की तैयारी में हैं। अभी तो एक सप्ताह भी नहीं हुआ है गुजरात में सरकार बने, लेकिन सरकार में मतभेद और बीजेपी में फूट की खबरें सामने आने लगी हैं।
मन-मुताबिक और कद के हिसाब से मंत्रालय न मिलने से उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल खफा हैं और उन्होंने आर-पार का ऐलान कर दिया है। इतना ही नहीं सूत्रों के मुताबिक उन्होंने बीजेपी हाईकमान को 3 दिन का अल्टीमेटम देकर कहा है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो वे इस्तीफा भी दे सकते हैं।सूत्रों का कहना है कि इस नई राजनीतिक रस्साकशी से बीजेपी परेशान है और वह ऐसे विकल्प पर विचार कर रही है कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे, यानी पटेल का सम्मान भी रह जाए और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की जिद को भी ठेस न पहुंचे।
गुजरात बीजेपी में फूट की खबर उस समय सामने आई जब दिसम्बर 29 को नई सरकार के कई मंत्रियों ने कामकाज संभाल लिया, लेकिन उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ पाटीदार नेता नितिन पटेल ने विभागों के बंटवारे को लेकर नाराजगी के चलते चार्ज नहीं लिया। वे स्वर्णिम संकुल से निकलकर सीधे अहमदाबाद में अपने आवास पर आ गए, जहां उनसे मिलने के लिए हजारों समर्थक मौजूद थे। इनमें पाटीदार विधायक और चुनाव में हारे पाटीदार नेता भी शामिल थे। पटेल को दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बनाया गया है, लेकिन इस बार उनसे वित्त, नगर विकास और नगरीय आवास के अलावा पेट्रो रसायन जैसे अहम विभाग छीन लिए गए। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल बैठक को लेकर अपनी नाराजगी के चलते पटेल सुबह 4 बजे तक नहीं सोए।
अब पाटीदारों ने मेहसाणा बंद बुलाया
गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल का समर्थन करते हुए पाटीदार नेता लालजी पटेल ने एक जनवरी को मेहसाना ‘बंद’ करने का आह्वान किया। ऐसी खबरें हैं कि नितिन पटेल भाजपा की नई सरकार में उन्हें दिए विभागों को लेकर नाराज हैं। उन्होंने नितिन पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने की सूरत में पूरे राज्य के बंद के आह्वान की धमकी दी। सरदार पटेल समूह के संयोजक लालजी पटेल ने आज उप-मुख्यमंत्री व उनके दर्जनों समर्थकों के साथ गांधीनगर के अपने सरकारी आवास पर मुलाकात की। लालजी पटेल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा बार-बार नितिन-भाई पटेल के साथ अन्याय कर रही है। आज मैंने उनसे और मेहसाना से उनके समर्थकों से मुलाकात की और हमने उनके समर्थन में एक जनवरी को मेहसाना बंद रखने का आह्वान किया।’’ नितिन पटेल मेहसाना से विधायक हैं जहां पाटीदारों की संख्या काफी है और यह जगह कोटा आंदोलन के केंद्र में भी रही। पिछली सरकार में नितिन पटेल को वित्त और शहरी विकास जैसे मंत्रालय दिए गए थे जबकि नई सरकार में उन्हें कम महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले सड़क और इमारत और स्वास्थ्य जैसे विभागों का भार सौंपा गया है।अवलोकन करें:--
वहीं पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने कहा है कि नितिन पटेल को चाहिए कि वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़कर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो जाएं। हार्दिक पटेल ने अहमदाबाद में कहा, “अगर वह (नितिन पटेल) और अन्य 10 विधायक पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल होते हैं तो मैं और मेरे समर्थक पार्टी में नितिन पटेल का स्वागत करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत करने के लिए तैयार हैं।”
26 दिसंबर को मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सरकार के शपथ ग्रहण के बाद गुरुवार को देर रात मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हुआ। बताया जा रहा है कि इस दौरान नितिन पटेल की नाराजगी को लेकर मंत्रिमंडल की पहली बैठक भी 4 घंटे देरी से शुरू हुई। इसके बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी मुख्यमंत्री रूपाणी के साथ बैठे नितिन पटेल पूरी तरह चुप रहे। यह भी कहा जा रहा है कि नितिन पटेल ने सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है और वह निजी वाहन से आ-जा रहे हैं। शुक्रवार को ज्यादातर मंत्रियों ने अपने विभागों का कार्यभार संभाल लिया, लेकिन नितिन पटेल ने देर शाम तक ऐसा नहीं किया।हुआ यूं है कि नितिन पटेल से वित्त विभाग का प्रभार लेकर फिर से मंत्रिमंडल में वापसी करने वाले पूर्व वित्त मंत्री सौरभ पटेल को दे दिया गया। उनका नगर विकास और पेट्रो रसायन विभाग मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपने पास रख लिया।
आत्मसम्मान प्रतिष्ठा का प्रश्न
गुजरात में नई सरकार में विभागों के आवंटन के बाद से नाराज चल रहे उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने शनिवार को कहा कि अब यह उनके आत्म सम्मान का मुद्दा है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और लालजी पटेल ने पटेल को समर्थन देने की घोषणा की है। लालजी पटेल ने एक जनवरी को मेहसाणा में बंद की घोषणा की, साथ ही पटेल को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की है। नितिन पटेल ने आवंटित विभागों का जिम्मा नहीं संभाला है और उन्हें भाजपा हाईकमान से इस पर उचित प्रतिक्रिया की उम्मीद है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने पार्टी हाईकमान को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया है और मुझे उम्मीद है कि वे मेरी भावनाओं पर उचित प्रतिक्रिया देंगे।’’ उपमुख्यमंत्री ने कहा यह कुछ विभागों की बात नहीं है, यह आत्मसम्मान की बात है।
राज्य की पिछली सरकार में पटेल के पास वित्त और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग थे लेकिन इस बार उन्हें सड़क एवं भवन और स्वास्थ्य जैसे विभाग आवंटित किये गये है। गुजरात में भाजपा सरकार के गठन के बाद गत 28 दिसम्बर को विभागों के बंटवारे में पटेल को इन दो विभागों के अलावा चिकित्सा शिक्षा, नर्मदा, कल्पसार और राजधानी परियोजना का प्रभार भी दिया गया है। प्रभावशाली पाटीदार समुदाय से आने वाले उपमुख्यमंत्री ने अब तक इन विभागों का प्रभार नहीं संभाला है। पटेल के समर्थक उनके प्रति एकजुटता दिखाने के लिये आज उनके आवास पर जुटे। इस बार वित्त विभाग सौरभ पटेल को आवंटित किया गया है जबकि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने शहरी विकास विभाग खुद के पास ही रखा है।
नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली गुजरात सरकार में मंत्री रह चुके नरोत्तम पटेल ने पूरे विवाद पर कहा कि पटेल को उनके कद के हिसाब से विभाग दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘नितिन भाई साधारण मंत्री नहीं हैं।’’ इससे पहले दिन में पटेल की पार्टी के साथ ‘‘नाखुशी’’ के बारे में किये गये सवाल पर रूपाणी ने कोई जवाब नहीं दिया था। विभागों के बंटवारे के बाद नितिन पटेल मीडिया ब्रीफिंग में कुछ नहीं बोले थे और जल्दी चले गये थे। उस समय रूपाणी ने कहा था, ‘‘यह सच नहीं है कि वित्त विभाग संभालने वाले मंत्री कैबिनेट में नम्बर दो है। नितिन पटेल हमारे वरिष्ठ नेता है और वह नम्बर दो बने रहेंगे।’’
गुजरात सरकार पर मंडरा रहे बादलों पर पिछली रुपाणी सरकार का सिरदर्द बने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और कांग्रेस गिद्ध की नज़र रखे हुए हैं। हार्दिक को मोहरा बनाकर कांग्रेस हारी बाज़ी को पलटने को आतुर हैं। यदि यही गतिविधियाँ चलती रही, गुजरात में कब बाज़ी पलट जाए, कहना मुश्किल है।बीजेपी आलाकमान को चुनाव उपरांत दिए राहुल के बयान को हलके में नहीं लेना चाहिए। हालाँकि टीवी पर हुई चर्चाओं में राहुल के उन बयानों का खूब मजाक बनाया गया था, लेकिन रंग अब सामने आना शुरू हो चूका है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते रुपाणी तो क्या भाजपा के हाथों से सत्ता जाती दिख रही है। देखना मात्र इतना है कि ऊंट किस करवट बैठता है।
यदि हार्दिक किसी भी तरह नितिन और 15 अन्य भाजपा विधायकों को अलग कर नितिन को मुख्यमंत्री बनाने का लालच देकर कांग्रेस को बाहर से समर्थन दिलवाकर अपने मन मुताबिक काम करवाती रहे और जिस दिन उनके मनमुताबिक काम नहीं होने की स्थिति में वही इतिहास दोहरा दिया जाए, जो राजीव गाँधी ने चंद्रशेखर के साथ दिया था। और रुपाणी उपरांत नितिन की भी सरकार को गिराकर गुजरात को पुनः चुनाव की ओर न धकेल दिया जाए। सरकारें गिराने में कांग्रेस को तो महारत हासिल है। किस तरह 1977 में पूर्ण बहुमत की केन्द्रीय सरकार को गिरा दिया गया था।
लेकिन अब नेता इस बात को भी अच्छी तरह समझ लें कि जितना गुजरात चुनाव में NOTA का प्रयोग हुआ है, कहीं ऐसा न हो किसी विजयी उम्मीदवार से अधिक वोट NOTA के खाते में हों। जैसाकि बाद में परिभाषित किया गया गया कि किसानों, GST, नोटबंदी और पाटीदार आंदोलन के कारण जनता ने NOTA का अधिक प्रयोग किया। जबकि मूल कारण था कि नेताओं की विघटनकारी नीतियों से दुःखी होकर मतदाता ने इसका प्रयोग किया। जो राहुल चुनावों में मन्दिर नहीं गए, मंदिरों में माथा टेकने जा रहे हैं, तो कहीं पाटीदार और दलित के नाम जनता को भड़काया जा रहा है। इन सबसे क्षुब्ध होकर जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग NOTA का बटन दबा कर किया। लेकिन कुर्सी के भूखे फिर भी जोड़तोड़ की रणनीति में व्यस्त हैं।
आखिर कब तक देश को तुष्टिकरण की आग में झोंका जाएगा? दलित और अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के नाम पर कितनी पार्टियाँ बन चुकी हैं, लेकिन फिर भी इन वर्गों की समस्या ज्यों कि त्योँ बनी हुई है और मरण उच्च जाति का हो रहा है। जो न हँस सकता है और न रो, लेकिन नेता शुध्द देसी घी के व्यंजनों का आनंद ले रहे हैं। गुजरात जिसका उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। किसी नेता को जनता की चिन्ता नहीं, चिंता है अपनी जात को भुनाने की, उसका अधिक से अधिक लाभ उठाने की। जनता का क्या है, मूर्ख है, पागल है जरा सा प्रलोभन दे देंगे दे देगा वोट, इन कुर्सी के भूखे नेताओं को अब समझ लेना चाहिए कि समय करवट ले रहा है, जिसका संकेत चुनाव आयोग ने NOTA को लाकर दे दिया है। समझने वाले समझ रहे हैं, जो न समझे वो नेता नहीं अनाड़ी है।सवर्ण जाति ही नहीं बल्कि पिछड़ी जातियों ने भी असर दिखाना शुरू कर दिया है, कि ये नेता अपनी रोटी की खातिर किस तरह जनता को भ्रमित करते हैं।
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