आर.बी.एल. निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जितनी घिनौनी राजनीति भारत में खेली जाती है विश्व के किसी अन्य देश में नहीं। अपनी कुर्सी की खातिर अपने ही देश के गौरवशाली इतिहास को दरकिनार कर आक्रमणकारियों को देश के शासक बताकर अध्ययन करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिस कारण आज की पीढ़ी को हिन्दू सम्राट पोरस कौन था? विश्व विजेता सिकन्दर का कितना मिथ्या है, आजकी पीढ़ी को नहीं मालूम। अरे, जिसे भारत की धरती पर कदम रखने का दुस्साहस करने पर सम्राट पोरस ने जो दुर्गति की, उस सम्राट को महान बताने के स्थान पर दुर्गति कर के भगाए आक्रमणकारी को विश्व विजेता बताकर पढ़ाया जाता हो, ऐसे नेता क्या नहीं कर सकते? अपने राजनीतिज्ञ स्वार्थ के लिए ऐसे लोग किसी भी सीमा तक जा सकते हैं और ऐसे लोगों को नेता की श्रेणी में अंकित करने का कोई औचित्य दूर तक नज़र नहीं आता। जो देश का नहीं फिर किसका होगा? ऐसे ही कुर्सी के भूखे लोगों के ही कारण देश मुगलों का गुलाम हुआ था। लेकिन इनके उत्तराधिकारियों ने भी इनके आचरण से कोई शिक्षा नहीं ली। अपने जिस स्वार्थ की खातिर हिन्दू राजाओं का विरोध कर मुगलों को भारत आने का मार्ग सुगम करने उपरान्त भी क्या राजा विरोधी सिंहासन पर बैठ पाए। अपनेदूसरे हिन्दुओं को भी जोखिम में डाल दिया। ये है नेताओं का चरित्र।
इतना ही नहीं, ये कुर्सी के भूखे नेता किस तरह देश की जनता से अपना वास्तविक नाम छुपा कर जनता को भ्रमजाल में फँसाकर स्वयं ऐश करते रहे और सच्चाई उजागर करने को जातिवाद और साम्प्रदायिक कहने से भी नहीं चूकते और भोलीभाली जनता फिर से इनके मकरजाल में फँस वास्तविकता से दूर चली जाती हैं।
आपको कुछ उदाहरण देते है, एक्टर विजय, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, मणिशंकर अय्यर, अम्बिका सोनी, सत्यव्रत चतुर्वेदी, मनीष तिवारी(पत्नी ईसाई), अजित जोगी, आशीष खेतान, जगनमोहन रेड्डी, ये तमाम नाम आपको हिन्दू लग सकते है, और आप इस भी ग़लतफ़हमी में हो सकते हैं की चूँकि हिन्दू नाम है इसलिए ये तमाम लोग धर्म से भी हिन्दू ही होंगे।
जैसा कि सभी जानते हैं कि इन्दिरा गांधी(भूतपूर्व प्रधानमन्त्री) ने 1949 में ब्रिटेन की एक मस्जिद में फ़िरोज़ गाँधी से निकाह करने के लिए इस्लाम स्वीकार कर अपना नाम मैमुना बेगम रखा था। लेकिन हिन्दू नाम से हिन्दुओं को भ्रमित करती रही। अपने प्रधानमन्त्री समय में तत्कालीन केन्द्रीय नटवर सिंह के साथ बाबर की मज़ार पर गयीं, और नटवर सिंह को मज़ार से दूर रोककर दो घंटे तक बैठी रहीं, मज़ार से वापस आने पर जब नटवर सिंह ने पूछा “इतनी देर बैठकर क्या माँगा?” उत्तर मिला “आज अपने बुजुर्गों से मिलकर बहुत सकून मिला।”इस घटना माँ उल्लेख नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक में भी किया है। इस्लाम धर्म के अनुसार इनकी मृत्यु उपरान्त इनको दफनाना था, लेकिन अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज़ से किया गया। राजीव गाँधी ने सोनिया से विवाह कर ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया, लेकिन अन्तिम संस्कार ईसाई धर्म की बजाए हिन्दू रीति-रिवाज से किया गया।
यहीं आप मार खाते है, ये तमाम लोग ईसाई है, पर नाम हिन्दुओ वाले इस्तेमाल करते है, और किस अजेंडे के तहत इसे आप भी आसानी से समझ सकते है, इनमे से अजित जोगी तो ऐसा है की छत्तीसगढ़ में खुद ही धर्मांतरण का सबसे बड़ा रैकेट चलाता है, इसका पूरा परिवार इसी धंधे में है।
2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में ईसाई जनसँख्या आधिकारिक तौर पर 2 करोड़ से थोड़ी से ज्यादा है, पर यहाँ आपको बता दें की ईसाईयों की आधिकारिक जनसँख्या में एक्टर विजय, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, मणिशंकर अय्यर, अम्बिका सोनी, सत्यव्रत चतुर्वेदी, मनीष तिवारी, अजित जोगी, आशीष खेतान, जगनमोहन रेड्डी जैसे शामिल नहीं है।
बड़ी ही चालाकी से ईसाइयों की असल जनसँख्या को छुपाया जाता है, देश में तो जम्मू कश्मीर ही एक मुस्लिम बहुल राज्य है, पर ईसाई बहुल राज्य तो 4 हो गए है, ये भी बता दें की मुसलमानो की तरह ईसाई भी हिन्दुओ से ज्यादा बच्चे पैदा करते है, प्रति ईसाई महिला बच्चे हिन्दू से अधिक है, साथ ही ईसाईयों का सबसे बड़ा हथियार विदेशी पैसा, भारतीय वामपंथी है, जिसका इस्तेमाल कर वो छत्तीसगढ़, पूरे उत्तर पूर्व, ओडिसा, झारखण्ड, आंध्र इत्यादि में बड़े पैमाने पर गरीब हिन्दुओ का धर्मांतरण करते है।
इतना ही नहीं दिल्ली से मुंबई, पंजाब से लेकर केरल, इनके संगठन हर जगह सक्रिय है, हर शहर में सक्रिय है, इनके पास तो इतना पैसा है की मुफ्त में ये तरह तरह की चीजें बांटते है, जिनमे बाइबिल भी शामिल है, इनके स्कूलों में बड़े पैमाने पर हिन्दू बच्चों का शिकार किया जाता है, और वो भी धर्मांतरण के लिए।
ईसाईयों की बात आती है तो हमे केरल, गोवा और उत्तर पूर्व के कुछ राज्य याद आते है, पर आपके होश उड़ जायेंगे ये जानकर की ईसाई मिशनरियां आजकल सबसे ज्यादा एक्टिव पंजाब में है, जी हां, पंजाब में कांग्रेस की सरकार आने के बाद से धर्मांतरण में 300% की वृद्धि हुई है, और मिशनरियां बड़े पैमाने पर सिखों का भी धर्मांतरण ईसाईयत में करवा रही है।
आधिकारिक आंकड़े तो सिर्फ 2 करोड़ है, पर अगर ठीक से जनगड़ना की जाये और एक्टर विजय, सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, मणिशंकर अय्यर, अम्बिका सोनी, सत्यव्रत चतुर्वेदी, मनीष तिवारी, अजित जोगी, आशीष खेतान, अरविन्द केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, जगनमोहन रेड्डी लोगों को भी गिना जाये तो हिन्दू नाम के पीछे छुपे हुए है तो ईसाईयों की संख्या भारत में 10 करोड़ से अधिक निकलेगी, मुसलमानो से भी तेजी से भारत में ईसाई बढ़ रहे है।
अब सोचिए कि ब्राह्मणों के ही विरुद्ध नफरत फैलाई जाती है?ध्यान पूर्वक पढ़े और समझे, क्यूंकि ये बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां है, समझने की कोशिश करें, अगर समझ जायेंगे तो माथा ठनक जाएगा।
ब्राह्मणों के विरुद्ध नफरत का षड्यंत्र
नफरत सिर्फ ब्राह्मणों के खिलाफ क्यों फैलाई जाती है ? नफरत यादव, सुनार, धोबी, कुम्हार, कुशवाहा या बाकी जातियों के खिलाफ क्यों नहीं फैली ? ये एक वाजिब प्रश्न है । सुनिए जरा...
अगर आप यादव से नफरत करेंगे तो उससे दूध लेना बंद कर देंगे; पर फिर भी हिन्दू रहेंगे, अगर आप सुनार से नफरत करेंगे तो उससे आभूषण बनवाना बंद कर देंगे; पर फिर भी आप हिन्दू रहेंगे, अगर आप धोबी, कुशवाहा ,कुम्हार से नफरत करेंगे तो कपड़े धुलवाना, सब्जी लेना, और बर्तन खरीदना बंद कर देंगे; पर फिर भी आप हिन्दू रहेंगे। पर अगर आप ब्राह्मण से नफरत करेंगे तो आप सभी धार्मिक रस्मों जैसे कि जन्म, शादी, मृत्यु , गृह पूजन ,इत्यादि के लिए उसके पास जाना बंद कर देंगे और जब आपको इन सभी रस्मों को करवाने की जरुरत पड़ेगी तब आप क्या करेंगे ? तब ये सब रस्में आकर चर्च का पादरी करेगा?
आगे समझिये ब्राह्मणों से नफरत करना यानी Anti-Brahminism, 2000 साल पुराने "जोशुआ" प्रोजेक्ट का हिस्सा है जिसका एजेंडा पूरे हिंदुस्तान को ईसाई व मुस्लिम मुल्क बनाना है । हिंदुओं का धर्मान्तरण तब तक नहीं हो सकता जब तक वे ब्राह्मणों के संपर्क में है।
अभी सभी हिन्दुओ के खिलाफ इन्होने जिहाद छेड़ दिया, सभी हिन्दू को गाली देने लगे और सभी हिन्दू एक हो जाए इनकी तबाही निश्चित है। तो इन्होने जेशुआ प्रोजेक्ट बनाया जिसके तहत हिन्दू जातियों में ब्राह्मणों के लिए इतनी नफरत बढ़ाओ की अन्य हिन्दू ब्राह्मणों के पास किसी भी काम के लिए जाना बंद कर दें और धर्मान्तरण के दरवाजे खुल जाएं ।
सबसे पहले ईसाई मिशनरी Robert Caldwell ने आर्यन-द्रविड़ियन थ्योरी बनाई ताकि दक्षिण भारतीयों को अलग पहचान देकर धर्मान्तरण किया जाए, जिसमे उत्तर भारतीयों को ब्राह्मण आर्यन दिखाया गया, इनका एजेंडा यहां खत्म नहीं हुआ। इसके बाद दूसरे मिशनरी और संस्कृत विद्वान John Muir ने मनुस्मृति को एडिट किया, इसमें वामपंथियों ने मदद की। आज वामपंथियों का अंजाम देख सबके सामने हैं। राजनीतिक पटल से ही धूमिल हो रहे हैं।
ब्राह्मण विरोध, सनातन विरोध का ही छद्म नाम है। क्योंकि ब्राह्मणवाद, मनुवाद तो बहाना है, असली मकसद हिन्दू धर्म को मिटाना है। इतिहास गवाह है, हिन्दू ने कभी हिन्दू का साथ नहीं दिया, मोदी अकेले क्या करेगा?
क्या कारण था मोहम्मद गोरी से अकेले पृथ्वीराज चौहान ने ही युद्ध किया.. बाकी पड़ोसी हिन्दू राजा क्या कर रहे थे..? क्या कारण था अकबर से केवल मेवाड़ के महाराणा प्रताप लोहा ले रहे थे.. बाकी पूरे भारत के राजा कहाँ थे?
हिन्दुओ ने पृथ्वीराज का साथ नहीं दिया और दिल्ली पर इस्लामिक आक्रांताओं ने कब्ज़ा कर लिया, उसके बाद क्या हुआ, आसपास के हिन्दुओ का कत्लेआम, महिलाओं का बलात्कार, अगर हिन्दू पृथ्वीराज का साथ देते तो अलाउद्दीन, तैमूर, तुगलग ये तमाम आक्रांता भारत आने की सोचते तक नहीं।
अगर हिन्दुओ ने महाराणा प्रताप का साथ दिया होता, तो मुग़ल वंश अकबर तक ही ख़त्म हो गया होगा, न आता जहांगीर न शाहजहां और न औरंगजेब, और भारत के 1947 में टुकड़े भी न हुए होते, चूँकि देश में इस्लामिक आबादी 1947 तक 30% न हुई होती
क्या कारण था शिवाजी महाराज अकेले अफजल खां और ओरगंजेब से युद्ध लड रहे थे, बाकी के हिन्दू राजा? अगर सभी हिन्दुओ ने शिवाजी महाराज का साथ दिया होता तो औरंगजेब जिसने सबसे ज्यादा मंदिर तोडे, सबसे ज्यादा हिन्दुओ का कत्लेआम करवाया वो खुद ख़त्म कर दिया जाता, पर शिवाजी महाराज के खिलाफ कई सारे हिन्दू राजा औरंगजेब की सेना की ओर से लड़ रहे थे।
अवलोकन करें:--
जब हिंदुओं की आपसी फूट और घमंड ने इन शूरवीर राजाओं को कभी एकमत और एक साथ नहीं होने दिया तो !! अकेला मोदी क्या कर लेंगे !! सभी देशद्रोही मिलकर इसे भी गिरा ही देंगे। लगे हुए हैं, कोई फेंकू बोल रहा है, कोई झूठा, मक्कार, और न जाने किन-किन उपनामों से सम्बोधित कर रहा है। लेकिन नेत्र दृष्टि होते हुए सूरदास बन रहे हैं। 1947 से लेकर आज तक ऐसा भारतीय प्रधानमन्त्री आया, जिसने इतने अल्प समय में विश्व पटल पर भारत का मान बढ़ाया? तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी ने भी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने में समय लिया था, लेकिन वह भी केवल कुछ ही देशों तक सीमित रहा। जिस प्रकार से मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा विश्व पटल पर रखा, कोई देश अब यह नहीं कहता कि “यह भारत का अंदरूनी मामला है, खुद निपटे।” विपरीत इसके आतंकवाद को विश्व समस्या माना जाने लगा है। विश्व योगा दिवस मना रहा है किसके अनुरोध पर मोदी के।
ये छद्दम मुगलों और अंग्रेजों द्वारा हिन्दू नामों को बदल कर जो मुस्लिम नाम रखे उन्हें कुर्सी की खातिर बदलने की सोंच भी नहीं पाए कि मोदी-योगी सरकारों ने उन्हें वापस हिन्दू नामों में बदलना शुरू कर दिया है। देखिए मुगलों और अंग्रेजों ने कितने नाम पलटे थे:--
1. हिन्दुस्तान, इंडिया या भारत का असली नाम - आर्यावर्त्त !
2. कानपुर का असली नाम - कान्हापुर !
3. दिल्ली का असली नाम - इन्द्रप्रस्थ !
4. हैदराबाद का असली नाम - भाग्यनगर !
5. इलाहाबाद का असली नाम - प्रयाग !
6. औरंगाबाद का असली नाम - संभाजी नगर !
7. भोपाल का असली नाम - भोजपाल !
8. लखनऊ का असली नाम - लक्ष्मणपुरी !
9. अहमदाबाद का असली नाम - कर्णावती !
10. फैजाबाद का असली नाम - अवध !
11. अलीगढ़ का असली नाम - हरिगढ़ !
12. मिराज का असली नाम - शिव प्रदेश !
13. मुजफ्फरनगर का असली नाम - लक्ष्मी नगर !
14. शामली का असली नाम - श्यामली !
15. रोहतक का असली नाम - रोहितासपुर !
16. पोरबंदर का असली नाम - सुदामापुरी !
17. पटना का असली नाम - पाटलीपुत्र !
18. नांदेड का असली नाम - नंदीग्राम !
19. आजमगढ का असली नाम - आर्यगढ़ !
20. अजमेर का असली नाम - अजयमेरु !
21. उज्जैन का असली नाम - अवंतिका !
22. जमशेदपुर का असली नाम काली माटी !
23. विशाखापट्टनम का असली नाम - विजात्रापश्म !
24. गुवाहटी का असली नाम - गौहाटी !
25. सुल्तानगँज का असली नाम - चम्पानगरी !
26. बुरहानपुर का असली नाम - ब्रह्मपुर !
27. इंदौर का असली नाम - इंदुर !
28. नशरुलागंज का असली नाम - भीरुंदा !
29. सोनीपत का असली नाम - स्वर्णप्रस्थ !
30. पानीपत का असली नाम - पर्णप्रस्थ !
31.बागपत का असली नाम - बागप्रस्थ !
32. उसामानाबाद का असली नाम - धाराशिव (महाराष्ट्र में) !
33. देवरिया का असली नाम - देवपुरी ! (उत्तर प्रदेश में)
34. सुल्तानपुर का असली नाम - कुशभवनपुर
35. लखीमपुर का असली नाम - लक्ष्मीपुर ! (उत्तर प्रदेश में)
ये सभी नाम मुगलों, अंग्रेजों, ने बदले हैं। कांग्रेस ने अंग्रेजों की केवल एक बात का अनुसरण किया और आज तक कर भी रही है, “लड़वाओ और राज्य करो” और इस जनता विरोधी नीति को कांग्रेस समर्थक छद्दम पार्टियाँ भी अपना समर्थन दे रही हैं। अंग्रेजों ने तो केवल मुगलों से मिली विरासत को आगे बढ़ाया है। कनॉट प्लेस नई दिल्ली में सड़क के बीचोंबीच मस्जिदें किसने बनवाईं?
ऐसे भी हमारा देश सैकड़ों-हज़ारों साल से विदेशी आक्रमणों को झेल रहा है, कभी हम सनातनी (हिन्दू ) पूरे विश्व पर फैले थे, आज इसी आपसी फूट के कारण भारत में भी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
जिस अयोध्या में एकजुट होकर जाने पर पाबंदियां लगती थी, आज दिवाली के अवसर पर लोग पहुंचे। क्या किसी ने रोका, क्या अब कोई तोड़-फोड़ हुई, इसे देख शंका होती है कि 6 दिसम्बर 1992 को जो विवादित ढांचे को गिराया गया, कहीं विरोधियों का तो हाथ नहीं था? कोर्ट में केस दर्ज़ हुआ कांग्रेस के समय, ताला खुला कांग्रेस के समय और सर्वप्रमुख शिलान्यास हुआ कांग्रेस के समय। शिलान्यास का सीधा सा अर्थ है कि कांग्रेस भी इसे विवादित नहीं मानती। वरना क्या किसी की ताकत है कि किसी की जगह पर कोई शिलान्यास कर सके? अरे भाई जब शिलान्यास हो गया फिर झगडे की कोई बात ही नहीं। फिर भी कोर्ट में अयोध्या मुद्दे को जीवित रखना क्या सिद्ध करता है कि हिन्दू-मुसलमानों को लड़वाते रहो और अपनी कुर्सी से चिपके रहो। अपनी बुद्धि का उचित प्रयोग करने में ही हित है।
कड़वी बात.....बस कुछ ही साल पहले तक दुर्गा पूजा बंगाल का मुख्य त्योहार था और आज मुहर्रम हो गया, सोते रहो और मोदी को कोसते रहो।
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