म्यांमार में जारी हिंसा की परतें खुलने लगी हैं। आतंकियों की असलियत सामने आने लगी है कि जुल्म म्यांमार सेना ने नहीं बल्कि रोहिंग्या आतंकियों ने ही किये हैं। बौद्धों और हिन्दुओं के क़त्ल के बाद अब म्यांमार से ऐसी खौफनाक खबर सामने आ रही है, जिसे देख आपको औरंगजेब, तैमूर लंग और गजनवी जैसे कट्टर हत्यारों का स्मरण हो आएगा।
म्यांमार से आते समाचारों को गम्भीरता से लेने पर भारत के समस्त शान्तिप्रिय -- चाहे वह किसी भी धर्म या जाति या राजनीतिक दल से जुड़े हो -- लोगों को एकजुट होकर सरकार को बाध्य करें कि किसी भी कीमत पर रोहिंग्य को भारत की धरती पर कदम ही न रखने दे।
सत्ता के गलियारों में भी अब चर्चा होने लगी है कि "तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी भी इन रोहिंग्य मुसलमानों को भारत में रखने को बिलकुल भी तैयार नहीं थीं। फिर आज किस आधार पर वर्तमान कांग्रेस 'अतिथि देवोभवो' नीति अपनाकर रोहिंग्य मुसलमानों को अपनाने के लिए सरकार को बाध्य कर रही है। इन्दिरा गाँधी ने एक प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट कहा: 'कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किस धर्म से हैं।"
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म्यांमार से आते समाचारों को गम्भीरता से लेने पर भारत के समस्त शान्तिप्रिय -- चाहे वह किसी भी धर्म या जाति या राजनीतिक दल से जुड़े हो -- लोगों को एकजुट होकर सरकार को बाध्य करें कि किसी भी कीमत पर रोहिंग्य को भारत की धरती पर कदम ही न रखने दे।
सत्ता के गलियारों में भी अब चर्चा होने लगी है कि "तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी भी इन रोहिंग्य मुसलमानों को भारत में रखने को बिलकुल भी तैयार नहीं थीं। फिर आज किस आधार पर वर्तमान कांग्रेस 'अतिथि देवोभवो' नीति अपनाकर रोहिंग्य मुसलमानों को अपनाने के लिए सरकार को बाध्य कर रही है। इन्दिरा गाँधी ने एक प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट कहा: 'कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किस धर्म से हैं।"
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पूरी हिन्दू बस्ती का कत्ले-आम
ताजा जानकारी के मुताबिक़ म्यांमार में 92 नहीं बल्कि 1000 से ज्यादा हिन्दुओं को मार दिया गया है। रखाइन के रोहिंग्या आतंकियों द्वारा एक पूरी हिन्दू बस्ती का कत्ले-आम कर दिया गया है। मासूम सी शक्लें बनाये भारत से शरण की आस रखने वाले इन रोहिंग्या आतंकियों का चेहरा सामने सामने आ चुका है।
ताजा जानकारी के मुताबिक़ म्यांमार में 92 नहीं बल्कि 1000 से ज्यादा हिन्दुओं को मार दिया गया है। रखाइन के रोहिंग्या आतंकियों द्वारा एक पूरी हिन्दू बस्ती का कत्ले-आम कर दिया गया है। मासूम सी शक्लें बनाये भारत से शरण की आस रखने वाले इन रोहिंग्या आतंकियों का चेहरा सामने सामने आ चुका है।
बांग्लादेश में हिंदू कैंप में रह रहे म्यांमारी के हिन्दुओं ने इस्लामिक आतंकियों के खौफनाक रूप के बारे में जानकारी दी है, जिसे देख आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे। रिका धार ने अपने पति, दो भाइयों और अनगिनत पड़ोसियों को अपनी आंखों के सामने मौत का शिकार होते देखा है। इन लोगों की हत्या तब हुई जब नकाब पहने कुछ लोगों ने म्यांमार में एक हिंदू गांव में हमला किया। बांग्लादेश में एक हिंदू कैंप में अपने दो बच्चों के साथ रह रही 25 साल की धार ने कहा कि हत्या के बाद, हत्यारों ने तीन बड़े गड्ढों को खोदा और उन्हें अंदर फेंक दिया।
इस्लामिक स्टेट बनाने के चलते कत्लेआम
धार ने बताया कि उनके हाथ उनके पीछे बांध दिए गए थे और उनकी आंखों पर पट्टी बांध दिया गया था। ठीक वैसे जैसे आईएसआईएस के आतंकी इराक व् सीरिया में करते आये हैं। ठीक वैसे ही जैसे कश्मीर से कत्ले-आम करके पंडितों को भागने पर मजबूर कर दिया गया था।
धार ने बताया कि उनके हाथ उनके पीछे बांध दिए गए थे और उनकी आंखों पर पट्टी बांध दिया गया था। ठीक वैसे जैसे आईएसआईएस के आतंकी इराक व् सीरिया में करते आये हैं। ठीक वैसे ही जैसे कश्मीर से कत्ले-आम करके पंडितों को भागने पर मजबूर कर दिया गया था।
दरअसल पूरी दुनिया पर कब्जा कर लेने की कट्टरपंथी धारणा के चलते दुनियाभर के इलाकों में ऐसे क़त्ल किये जा रहे हैं। रखाइन इलाके को भी इस्लामिक स्टेट बनाने की नीयत से वहां रह रहे बौद्धों और हिन्दुओं को निर्ममता से मौत के घात उतार दिया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उत्तरी रखाइन राज्य के खा मोंग सेिक के उनके एक छोटे स हिंदू गांव के बाहर खून खराबा हुआ था। जहां म्यांमार के अधिकारियों ने रविवार से बड़े पैमाने पर कब्र से 45 शवों को निकाला है। म्यांमार सेना की रिपोर्ट के मुताबिक, गांव के अब भी 48 हिंदू लापता हैं और इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन्हें भी रोहिंग्या आतंकियों द्वारा कत्ल कर दिया गया है। सेना इलाके में सर्च अभियान चला रही है।
म्यांमार सेना प्रमुख की वेबसाइट पर जारी बयान के मुताबिक, ‘रखाइन राज्य में सुरक्षा कर्मियों को 45 हिंदुओं के शव मिले हैं, जिनका एआरएसए अतिवादी बंगाली आतंकवादियों द्वारा कत्ल किया गया।’ म्यांमार सेना के अनुसार हजारों हिंदू उन गांवों से भाग चुके हैं, जहां वो रह रहे थे, क्योंकि रोहिंग्या आतंकवादियों द्वारा इन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
आतंकियों का साथ दे रहे भारत के गद्दार
हाल ही में म्यांमार से भागकर बांग्लादेश में रिफ्यूजी बनने वाले हिंदू परिवारों ने भी रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकी गुट पर नरसंहार के आरोप लगाए थे। इन घटनाओं के बाद मजबूरी में म्यांमार सेना को एक्शन लेना पड़ा. जब जुल्मों को बर्दाश्त करने की सभी हदें पार हो गयी तब जाकर रोहिंग्याओं को म्यांमार से खदेड़ना शुरू किया गया। सबसे ज्यादा डरावनी बात ये है कि भारत के कई गद्दार ही इन आतंकियों को अब भारत में घुसाने पर आमादा हैं, प्रशांत भूषण जैसे आस्तीन के सांप इनके लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं, वो भी अपने ही देश की सरकार के खिलाफ।
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हाल ही में म्यांमार से भागकर बांग्लादेश में रिफ्यूजी बनने वाले हिंदू परिवारों ने भी रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकी गुट पर नरसंहार के आरोप लगाए थे। इन घटनाओं के बाद मजबूरी में म्यांमार सेना को एक्शन लेना पड़ा. जब जुल्मों को बर्दाश्त करने की सभी हदें पार हो गयी तब जाकर रोहिंग्याओं को म्यांमार से खदेड़ना शुरू किया गया। सबसे ज्यादा डरावनी बात ये है कि भारत के कई गद्दार ही इन आतंकियों को अब भारत में घुसाने पर आमादा हैं, प्रशांत भूषण जैसे आस्तीन के सांप इनके लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं, वो भी अपने ही देश की सरकार के खिलाफ।
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म्यांमार से भागे ज्यादातर रोहिंग्या आतंकी बांग्लादेश पहुंच रहे हैं। क्योंकि, म्यांमार और बांग्लादेश के बीच दूरी काफी कम है। इन आतंकियों की हिम्मत ये है कि खुद कत्लेआम मचाने वाले ये आतंकी उलटा म्यांमार की सेना पर ही गंभीर आरोप लगा रहे है।
हालांकि म्यांमार सेना का कहना है कि उसने सिर्फ उन रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई की है, जो आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। सेना के मुताबिक़ ये आतंकी संगठन सिर्फ हिंदुओं और बौद्धों को निशाना बना रहे हैं।
रोहिंग्या मुसलमानों के कैम्प से आई एक मासूम की खौफनाक तस्वीर
जब म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगा तो वहां के बहुसंख्यक समुदाय और रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच सांप्रदायिक शत्रुता शुरू हो गई। जिसके बाद मुस्लिमों के प्रति बौद्धों का रुख इतना सख्त हो गया कि उन्हें म्यांमार से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा. इसके बाद सारी दुनिया रोहिंग्या मुस्लिमों के प्रति तरस भरी निगाहों से देखने लगी। UN ने भी कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम दुनिया के सबसे प्रताड़ित किये जाने वाले लोग हैं. अब यही रोहिंग्या मुसलमान भारत आते हैं तो भारत के भी दो हिस्से नज़र आये. एक उन लोगों का जो रोहिंग्या मुसलमानों को पनाह देने की पैरवी करता है दूसरा वो जिन्हें लगता है रोहिंग्या देश के लिए खतरा हैं.
रोहिंग्या मुस्लिमों के प्रति कई देशों ने मानवीय दृष्टि से देखा लेकिन रोहिंग्या मुस्लिम जिस तरह से दूसरे देशों में घुसे वो गैरकानूनी था. ऐसे में भारत में आए रोहिंग्या मुस्लिमों के प्रति भारत सरकार के रुख को देखते हुए भारत के ही कुछ नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिये, ये जाने बिना कि सरकार ऐसा कर क्यों रही है. कुछ नेताओं पर तो ये आरोप भी लगे हैं कि वोट बैंक के चक्कर में वो इन रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत में रखना चाहते हैं. कुछ नेता सांप्रदायिक समानता के कारण इनसे सहानुभूति रखते हैं. इन नेताओं ने सरकार के फैसले के बाद खूब हंगामा मचाया था।
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इन्हीं सब के बीच अभी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसमे नजर आने वाली बच्ची 9 साल की बताई जा रही है. उम्र नौ साल और बच्ची गर्भवती है. जी हाँ सुनने और देखने में आपको भी अचरज होगा लेकिन तस्वीर यही सच्चाई बयां कर रही है. हालाँकि हम इस तस्वीर की कोई पुष्टि तो नहीं करते लेकिन अगर तस्वीर सच है तो ये यकीनन खौफनाक है.
तस्वीर के कैप्शन में जानकारी देते हुए लिखा है कि, “ये तस्वीर UN के रोहिंग्या कैंप की है जहाँ ये 9 साल की बच्ची गर्भवती है.” तस्वीर में आगे लिखा है कि, ” ये बच्ची इस्लाम का जीता-जागता प्रमाण है.” तस्वीर वाकई दुखद है और अगर ऐसा सच है तो अप ही सोचिये जिस उम्र में बच्चे हँसते-खेलते हैं उस उम्र में इस मासूम को गर्भवती कर दिया गया? आखिर इस बच्ची के साथ इतना गलत करने वालों के ईमान मर चुके हैं क्या?
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