10 साल उपराष्ट्रपति रहे, लेकिन कभी मुसलमानों की कोई फ़िक्र नहीं कोई ज़िक्र नहीं, लेकिन हामिद अंसारी रिटायर होते ही 'मुसलमान' हो गए ?? मुस्लिमों की
'बेचैनी' समझने में हामिद अंसारी साहब इतनी देर क्यों की?? जाते वक्त ही क्यों आई मुस्लिमों की याद?? हामिद अंसारी ने 10 साल की इज़्ज़त 1 मिनट में गवां दी..जाते जाते पद और क़द का तो ख़्याल करते..और डरते डरते उपराष्ट्रपति तक बन गए।
निवर्तमान उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 'स्वीकार्यता के माहौल' को खतरे में बताते हुए कहा है कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है. उपराष्ट्रपति के तौर पर 80 साल के अंसारी का दूसरा कार्यकाल गुरुवार को पूरा हो रहा है. उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब असहनशीलता और कथित गोरक्षकों की गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आई हैं. अंसारी ने कहा कि उन्होंने असहनशीलता का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगियों के सामने उठाया है. उन्होंने इसे 'परेशान करने वाला विचार' करार दिया कि नागरिकों की भारतीयता पर सवाल उठाए जा रहे है।
अवलोकन करें :--
वास्तव अंसारी द्वारा मुस्लिम कार्ड अपने किए घोटालों पर पर्दा डालने के लिए खेला गया है। यह बहुत तगड़ा षड्यंत्र है। क्योकि अंसारी को अपने किए घोटालों के खुलने पर होने वाली कार्यवाही का डर सता रहा है, और अब तो आसानी से कह सकते हैं कि "मैंने मुस्लिम समस्या को उजागर किया जाने की सजा दी जा रही है और मुझे मुसलमानों के साथ-साथ आम जनता की भी सहानुभूति मिल जाएगी।" जो उनका मात्र एक भ्रम ही रहेगा। बल्कि इस बात बोलकर उन्होंने छिपी हुई अपनी हरकतों को जगजाहिर करने को मजबूर कर दिया है। और जिस दिन शान्ति और देशप्रेमी मुसलमान इनकी करतूतों पर देशहित में विचार करेगा, वह इसी निष्कर्ष पर पहुंचेगा कि "जो एक ज़िम्मेदारी के पद पर होते हुए सरकार/भारत का नहीं हुआ, मुसलमानो का क्या होगा? इतने वर्ष भारत सरकार में उच्च स्थान पर रहते मुसलमानों का कुछ नहीं किया, मुसलमानों को बीजेपी और आरएसएस का डर/ हौआ दिखाकर मालपुए खाने वाले कौम का कहाँ से भला करने वाला।"
वैंकैया नायडू ने की टिप्पणी
उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पूर्व वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत धर्मनिरपेक्षता की सर्वोत्तम मिसाल है। उन्होंने कहा कि लोग अल्पसंख्यक और मुस्लिम मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए करते हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने दुख हो रहा है कि भारतीय आजकल तीन ‘सी’ कैश (नगदी), कास्ट (जाति), और कम्युनिटी (समुदाय) पर चल रही है जबकि इसे इन चार ‘सी’ कैरेक्टर (चरित्र) कैलिबर (क्षमता) कैपसिटी (सामर्थ्य) और कंडक्ट (आचरण) पर चलनी चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि राजनीति का एजेंडा विकास होना चाहिए। शुक्रवार 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे बीजेपी के इस पूर्व नेता ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे सहिष्णु देश है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कार और मूल्य हमें एक दूसरे का सम्मान करना सिखाते हैं। बता दें कि नायडू की टिप्पणी तब आई है जब उपराष्ट्रपति पद से रिटायर हो रहे हामिद अंसारी ने राज्यसभा टीवी को दिये एक इंटरव्यू में कहा था कि आजकल देश में मुस्लिम खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
वेंकैया ने हामिद अंसारी के बयान को खारिज करते हुए कहा कि ये महज राजनीतिक प्रोपेगैंडा है।
'बेचैनी' समझने में हामिद अंसारी साहब इतनी देर क्यों की?? जाते वक्त ही क्यों आई मुस्लिमों की याद?? हामिद अंसारी ने 10 साल की इज़्ज़त 1 मिनट में गवां दी..जाते जाते पद और क़द का तो ख़्याल करते..और डरते डरते उपराष्ट्रपति तक बन गए।
निवर्तमान उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने 'स्वीकार्यता के माहौल' को खतरे में बताते हुए कहा है कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है. उपराष्ट्रपति के तौर पर 80 साल के अंसारी का दूसरा कार्यकाल गुरुवार को पूरा हो रहा है. उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब असहनशीलता और कथित गोरक्षकों की गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आई हैं. अंसारी ने कहा कि उन्होंने असहनशीलता का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगियों के सामने उठाया है. उन्होंने इसे 'परेशान करने वाला विचार' करार दिया कि नागरिकों की भारतीयता पर सवाल उठाए जा रहे है।
अवलोकन करें :--
वास्तव अंसारी द्वारा मुस्लिम कार्ड अपने किए घोटालों पर पर्दा डालने के लिए खेला गया है। यह बहुत तगड़ा षड्यंत्र है। क्योकि अंसारी को अपने किए घोटालों के खुलने पर होने वाली कार्यवाही का डर सता रहा है, और अब तो आसानी से कह सकते हैं कि "मैंने मुस्लिम समस्या को उजागर किया जाने की सजा दी जा रही है और मुझे मुसलमानों के साथ-साथ आम जनता की भी सहानुभूति मिल जाएगी।" जो उनका मात्र एक भ्रम ही रहेगा। बल्कि इस बात बोलकर उन्होंने छिपी हुई अपनी हरकतों को जगजाहिर करने को मजबूर कर दिया है। और जिस दिन शान्ति और देशप्रेमी मुसलमान इनकी करतूतों पर देशहित में विचार करेगा, वह इसी निष्कर्ष पर पहुंचेगा कि "जो एक ज़िम्मेदारी के पद पर होते हुए सरकार/भारत का नहीं हुआ, मुसलमानो का क्या होगा? इतने वर्ष भारत सरकार में उच्च स्थान पर रहते मुसलमानों का कुछ नहीं किया, मुसलमानों को बीजेपी और आरएसएस का डर/ हौआ दिखाकर मालपुए खाने वाले कौम का कहाँ से भला करने वाला।"
राज्यसभा टीवी पर जाने माने पत्रकार करण थापर को दिए इंटरव्यू में जब अंसारी से पूछा गया कि क्या उन्होंने अपनी चिंताओं से प्रधानमंत्री को अवगत कराया है, इस पर उपराष्ट्रपति ने 'हां' कहकर जवाब दिया. सरकार की प्रतिक्रिया पूछे जाने पर अंसारी ने कहा, 'यूं तो हमेशा एक स्पष्टीकरण होता है और एक तर्क होता है. अब यह तय करने का मामला है कि आप स्पष्टीकरण स्वीकार करते हैं कि नहीं और आप तर्क स्वीकार करते हैं कि नहीं.'
इंटरव्यू में अंसारी ने भीड़ की ओर से लोगों को पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं, 'घर वापसी' और तर्कवादियों की हत्याओं का हवाला देते हुए कहा कि यह 'भारतीय मूल्यों का बेहद कमजोर हो जाना, सामान्य तौर पर कानून लागू करा पाने में विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों की योग्यता का चरमरा जाना है और इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात किसी नागरिक की भारतीयता पर सवाल उठाया जाना है.'
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस बात से सहमत हैं कि मुस्लिम समुदाय में एक तरह की शंका है और जिस तरह के बयान उन लोगों के खिलाफ दिए जा रहे हैं, उससे वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इस पर अंसारी ने कहा, 'हां, यह आकलन सही है, जो मैं देश के अलग-अलग हलकों से सुनता हूं. मैंने बेंगलुरु में यही बात सुनी. मैंने देश के अन्य हिस्सों में भी यह बात सुनी. मैं इस बारे में उत्तर भारत में ज्यादा सुनता हूं. बेचैनी का अहसास है और असुरक्षा की भावना घर कर रही है.'
यह पूछे जाने पर कि क्या मुस्लिमों को ऐसा लगने लगा है कि वे 'अवांछित' हैं, इस पर अंसारी ने कहा, 'मैं इतनी दूर नहीं जाऊंगा, असुरक्षा की भावना है.' 'तीन तलाक ' के मुद्दे पर अंसारी ने कहा कि यह एक 'सामाजिक विचलन' है, कोई धार्मिक जरूरत नहीं. धार्मिक जरूरत बिल्कुल स्पष्ट है, इस बारे में कोई दो राय नहीं है लेकिन पितृसत्ता, सामाजिक रीति-रिवाज इसमें घुसकर हालात को ऐसा बना चुके हैं जो अत्यंत अवांछित है.' उन्होंने कहा कि अदालतों को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए, क्योंकि सुधार समुदाय के भीतर से ही होंगे. कश्मीर मुद्दे पर अंसारी ने कहा कि यह राजनीतिक समस्या है और इसका राजनीतिक समाधान ही होना चाहिए.
हामिद साहब हम हिंदू भी देश में बढते इस्लामिक आतंकवाद से भयभीत हैं ! प्लीज रोकिये अपनी जात बिरादरी वालों को !
यह पूछे जाने पर कि क्या मुस्लिमों को ऐसा लगने लगा है कि वे 'अवांछित' हैं, इस पर अंसारी ने कहा, 'मैं इतनी दूर नहीं जाऊंगा, असुरक्षा की भावना है.' 'तीन तलाक ' के मुद्दे पर अंसारी ने कहा कि यह एक 'सामाजिक विचलन' है, कोई धार्मिक जरूरत नहीं. धार्मिक जरूरत बिल्कुल स्पष्ट है, इस बारे में कोई दो राय नहीं है लेकिन पितृसत्ता, सामाजिक रीति-रिवाज इसमें घुसकर हालात को ऐसा बना चुके हैं जो अत्यंत अवांछित है.' उन्होंने कहा कि अदालतों को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए, क्योंकि सुधार समुदाय के भीतर से ही होंगे. कश्मीर मुद्दे पर अंसारी ने कहा कि यह राजनीतिक समस्या है और इसका राजनीतिक समाधान ही होना चाहिए.
हामिद साहब हम हिंदू भी देश में बढते इस्लामिक आतंकवाद से भयभीत हैं ! प्लीज रोकिये अपनी जात बिरादरी वालों को !
मोदी का जवाब
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें अपने ही ढंग से जवाब दिया. उन्होने हँसते हँसते बड़ी चतुराई से हामिद अंसारी को जवाब दे दिया, हामिद अंसारी भी उनके जवाब को समझ गए और सर झुकाकर हंसने लगे.
उन्होंने कहा कि आपके जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा वेस्ट एशिया से जुड़ा रहा है. उसी दायरे में जिन्दगी के बहुत सारे वर्ष आपके गए, उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी डिबेट में, आप ऐसे ही लोगों के बीच में रहे. वहां से रिटायर होने के बाद भी आपका ज्यादातर काम उसी तरह का रहा, आप हमेशा माइनॉरिटी कमीशन में रहे, अलीगढ यूनिवर्सिटी में काम करते रहे इसलिए आपका दायरा वही रहा.
मोदी ने कहा कि पिछले 10 तक आपके ऊपर एक अलग जिम्मा रहा और पूरी तरह से एक एक पल संविधान के ही दायरे में आप बंधे रहे, आपने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाने का प्रयास भी किया, हो सकता है आपके भीतर कुछ छटपटाहट रही हो लेकिन आज के बाद आप मुक्त हो जाएंगे तो आपको बोलने से कोई नहीं रोक पाएगा. अब आपको अपनी मुक्ति का आनंद भी रहेगा और आप अपनी मूलभूत सोच के मुताबिक़ काम कर पाएंगे.
उन्होंने कहा कि आपके जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा वेस्ट एशिया से जुड़ा रहा है. उसी दायरे में जिन्दगी के बहुत सारे वर्ष आपके गए, उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी डिबेट में, आप ऐसे ही लोगों के बीच में रहे. वहां से रिटायर होने के बाद भी आपका ज्यादातर काम उसी तरह का रहा, आप हमेशा माइनॉरिटी कमीशन में रहे, अलीगढ यूनिवर्सिटी में काम करते रहे इसलिए आपका दायरा वही रहा.
मोदी ने कहा कि पिछले 10 तक आपके ऊपर एक अलग जिम्मा रहा और पूरी तरह से एक एक पल संविधान के ही दायरे में आप बंधे रहे, आपने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाने का प्रयास भी किया, हो सकता है आपके भीतर कुछ छटपटाहट रही हो लेकिन आज के बाद आप मुक्त हो जाएंगे तो आपको बोलने से कोई नहीं रोक पाएगा. अब आपको अपनी मुक्ति का आनंद भी रहेगा और आप अपनी मूलभूत सोच के मुताबिक़ काम कर पाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हामिद अंसारी के पूरे खानदान की कट्टरता को एक तरह से सार्वजनिक कर दिया। दुनिया में ‘अखिल इस्लामी राज्य और उसका एक खलीफा’ के आंदोलन को जिन लोगों ने आजादी से पहले चलाया था, उसमें अंसारी का खानदान भी था! मोदी ने भरे संसद में बड़े प्यार से इसे आज की पीढ़ी के समक्ष उजागर कर दिया! पीएम मोदी ने बता दिया कि वह इस्लामी बहुसंख्या वाले वेस्ट एशिया में एक कुटनीतिज्ञ की तरह काम करते रहे हैं, इसलिए उनकी पूरी सोच का दायरा ही इस्लामी कट्टरता से भरा है! वैसी ही सोच, वैसे ही विचार, वैसे ही डिबेट, वैसे ही लोगों के बीच रहे-का पीएम का व्यंग्य वही समझ सकता है, जो वेस्ट एशिया की कट्टरता से परिचित है! पीएम यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने स्पष्ट कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद भी अल्पसंख्यक आयोग और अलीगढ़ मुसलिम विश्विद्यालय के माहौल में वह मुसलमान ही बने रहे, कभी भारतीय बनकर नहीं सोच पाए! पीएम ने कहा कि जब भी वह विदेश से आते थे तो हामिद अंसारी की अंर्तदृष्टि का अनुभव उन्हें होता था, यानी अंसारी की अंर्तदृष्टि वही रहती थी, जो आज वह सेवानिवृत्ति से पहले अपने सार्वजनिक बयान में बोल रहे हैं! पीएम ने 100 साल से अंसारी खानदान की कांग्रेस के प्रति चली आ रही वफादारी को भी बड़े ही चतुर ढंग से लोगों के समक्ष रख दिया!
हंसने और हाथ मिलाने के अलग अर्थ का मंतव्यय है कि ऐसा व्यक्ति जो वह दिखता है, वो वह होता नहीं है! यानी अंसारी दिखते तो भारतीय हैं, लेकिन उनकी सोच पूरी कट्टर इस्लाममिक है! संभवतः उन्होंने पीएम मोदी के साथ हाथ मिलाने में अछूत जैसा ही वर्ताव किया होगा, जब वह जीत कर 2014 में पीएम बने थे! तब तो कांग्रेस की पूरी बिरादरी ही पीएम मोदी से अछूतों जैसा वर्ताव कर रही थी! यहां तक कि दिल्ली की कांग्रेसी रामलीला के मंच पर भी पीएम मोदी की पहली रामलीला में सोनिया गांधी के समक्ष उनके अपमान का प्रयास किया गया था! अंसारी मुसलिम और कांग्रेस के ऐसे ‘कॉकटेल’ हैं, जिनके दामन पर भारत के विभाजन का दाग है और जिनकी सोच आज भी विभाजनकारी है! ऐसे लोगों को हिंदू-मुसलमानों की एकता से अपनी राजनीतिक व मतलबी जमीन हमेशा से कमजोर होती ही दिखी है!
भारत विभाजन के मूलभूत कारणों मे से दो-खिलाफत आंदोलन और विभाजन का जन्मदाता अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के माहौल से आने वाले हामिद अंसारी के लिए प्रधानमंत्री ने यह तक कह दिया कि पिछले दस साल से शायद आप संविधान के दायरे में घुट रहे हैं! हर वक्त आपको संविधान के अनुरूप कार्य करना पड़ा है, लेकिन आज जब आप आजाद हो रहे हैं तो अपनी उस कट्टरतावादी सोच को खुलकर व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं! पीएम मोदी के अलावा इस देश ने भी पिछले तीन साल के अंदर हामिद अंसारी के अंदर इस्लामी कट्टरता की छटपटाहट को शिद्दत से महसूस किया है! मोदी सरकार के आने के बाद उनके अंदर जो घुटन थी, पीएम मोदी कह रहे हैं कि अब आप अपनी उसी घुटन को खुलकर व्यक्त कीजिए, जैसा कि कल उन्होंने किया है! मेरे हिसाब से आजाद भारत में संसद के अंदर किसी प्रधानमंत्री ने कट्टरता को लेकर किसी उपराष्ट्रपति को ऐसा आईना नहीं दिखाया होगा, जैसा की पीएम मोदी ने हामिद अंसारी को हंसी-हंसी में दिखा दिया! सैल्यूट माई पीएम!
कट्टरता पर प्रहार जरूरी है! प्रहार नहीं होने के कारण ही तुष्टिकरण की राजनीति शुरु हुई, देश बंटा और आजादी के बाद भी कट्टर हामिद साहब का बैचेन होना स्वाभाविक भी है, कि जिस तरह कश्मीर से आतंकवादियों को जन्नत भेजा जा रहा है, जब कट्टरपंथी पूछेंगे कि उपराष्ट्रपति होते हुए तुमने क्या कदम उठाया? उन प्रश्नो से बचने के लिए भी एक षड्यंत्र के तहत मुस्लिम कार्ड खेला गया है।
भारतीय जनता पार्टी के सांसद, एक्टर और अक्सर सोशल मीडिया पर चर्चा में रहने वाले परेश रावल ने हामिद अंसारी पर निशाना साधा है। परेश रावल ने लिखा, “Wishing shri Hamid Ansari ji a long and a healthy life so plz GET WELL SOON !” (श्री हामिद अंसारी जी के लिए लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं इसलिए जल्दी ठीक हो जाइए।) अंसारी ने कहा था कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब असहनशीलता और कथित गौरक्षकों की गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आई हैं और कुछ भगवा नेताओं की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बयान दिए गए हैं ।
कट्टरता पर प्रहार जरूरी है! प्रहार नहीं होने के कारण ही तुष्टिकरण की राजनीति शुरु हुई, देश बंटा और आजादी के बाद भी कट्टर हामिद साहब का बैचेन होना स्वाभाविक भी है, कि जिस तरह कश्मीर से आतंकवादियों को जन्नत भेजा जा रहा है, जब कट्टरपंथी पूछेंगे कि उपराष्ट्रपति होते हुए तुमने क्या कदम उठाया? उन प्रश्नो से बचने के लिए भी एक षड्यंत्र के तहत मुस्लिम कार्ड खेला गया है।
हामिद साहब, सेवानिर्वित होने उपरान्त दो वर्ष से अधिक एक हिन्दी पाक्षिक का सम्पादन करते, अप्रैल 16-30, 2014 के अंक पृष्ठ 3 पर एक रपट शीर्षक "कांग्रेस शासन में 22000 दंगों में 7 लाख मुसलमानों की जानें गयीं-- शाहबुद्दीन गौरी" प्रकाशित की थी। बेशक़ कुछ लोग मेरी रपट, स्तम्भ एवं लेख पढ़ फिरकापरस्त/ साम्प्रदायिक तत्व से नवाज़ते रहे, लेशमात्र भी चिन्ता नहीं की, क्योकि ऐसा कहने वाले वास्तविकता से अज्ञान, बेवकूफ सिरफिरे लोगों की श्रेणी से आते है।
इसी पाक्षिक में मैंने यह भी प्रकाशित किया था कि इतने वर्ष बीत जाने उपरान्त भी मलियाना के मुसलमानों को क्यों नहीं मिल रहा इंसाफ? मलियाना काण्ड में मुसलमानों को किस तरह गोली मार-मार कर नदी में फेंका जा रहा था, उस समय उत्तर प्रदेश और केन्द्र में कांग्रेस ही की सरकारें थीं। जब कांग्रेस के ही शासन में मुसलमानों का नरसंहार किया जा रहा हो, फिर वही कांग्रेस मुस्लिम हितैषी कैसे हो सकती है? तब क्या मुसलमानों को डर नहीं सता रहा था? फिर 2014 चुनाव घोषित होने से पूर्व मुस्लिम हित में अनेको योजनाओं की घोषणाएँ हुई, सभी योजनाओं के लिए धन भी आबंटित किया गया था, बस सलमान खुर्शीद को छोड़ किसी ने भी उस धन का प्रयोग किये बिना वापस कर दिया। जहाँ तक सलमान द्वारा धन प्रयोग की बात है, केवल कुछ धन का प्रयोग किया वह भी अपनी पत्नी के NGO में, जहाँ आधे से अधिक धन घोटाले में चला गया। वैसे हमीद साहब एक काम करिये, मुसलमानो द्वारा जितने भी NGOs चलाए जा रहे हैं, उनकी आप स्वयं जाँच करिये और फिर बताइये मुसलमान के नाम पर लूट कौन मचा रहा है? फिर भी मुसलमान असुरक्षित कैसे हो सकता है, यह तो साम्प्रदायिकता का स्पष्ट प्रमाण है।
परेश रावल भी नहीं चूकेभारतीय जनता पार्टी के सांसद, एक्टर और अक्सर सोशल मीडिया पर चर्चा में रहने वाले परेश रावल ने हामिद अंसारी पर निशाना साधा है। परेश रावल ने लिखा, “Wishing shri Hamid Ansari ji a long and a healthy life so plz GET WELL SOON !” (श्री हामिद अंसारी जी के लिए लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं इसलिए जल्दी ठीक हो जाइए।) अंसारी ने कहा था कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब असहनशीलता और कथित गौरक्षकों की गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आई हैं और कुछ भगवा नेताओं की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बयान दिए गए हैं ।
हमीद अंसारी की काली फाइलें :
बात 1990 के दशक के आखिरी वर्षों का है जब, H. Ansari ईरान मे भारत के Ambassador हुआ करते थे । उस समय तेहरान मे पोस्टेड RAW के जासूस Mr. Kapoor को तेहरान मे किडनेप कर लिया गया । इस young operative को लगातार 3 दिनों तक बुरी तरह टोर्चर किया गया, ड्रग्स के डोज़ दिये गए और आखिर मे उसे तेहरान के सुनसान सड़क पे फेंक दिया गया । पर Ambassador अंसारी ने इस मुद्दे पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया, न ही भारत सरकार को इस बाबत खबर दी ।
यह पुस्तक अंसारी को बेनकाब करने को काफी है |
इसी दौरान कश्मीर के कुछ Trainee इमाम तेहरान के नजीदक Qom नामक Religious Center मे ट्रेनिंग के लिए इकट्ठा होते थे, जिस पर RAW ने नजर रखा हुआ था, और इसकी पूरी जानकारी दिल्ली हेडक्वार्टर भेजा जा रहा था । M.H Ansari के एक जानकार के माध्यम से RAW जासूस Mr. Mathur ने इस संगठन मे अपने जासूस फिट किए थे ।
इसी बीच अचानक Mr. Mathur का भी तेहरान जासूसों ने किडनेप कर लिया, जिसका पूरा शक अंसारी के मुखबिरी का था । इंडियन इंटेलिजेंस खेमा हरकत मे आया और माथुर की तलाश ईरान मे शुरू हुई, पर Ambassador होते हुए अंसारी न कोई मदद किया और नहीं इस घटना की सूचना भारत सरकार को दी गयी ।
आखिर 2 दिन बाद जब इंटेलिजेंस ऑफिसर के बीबी-बच्चे अंसारी के घर के गेट पर प्रदर्शन करना शुरू किया । पर अंसारी इंटेलिजेंस वालों के परिवार वालों से मिलने से इंकार कर दिया, Mr. Mathur की पत्नी ने अंसारी के केबिन मे घुस उसे बुरी तरह लताड़ा । हताश RAW ने दिल्ली हेडक्वार्टर को इन्फॉर्म किया और तब के PM Atal Bihari Vajpayee जी से बात की । PMO के दखल से कुछ ही घंटे मे ईरानी जासूसों ने Mr. Mathur को आजाद कर दिया ।
Mr. Mathur को थर्ड डिग्री दी गयी थी, पर उन्होने तेहरान मे स्थित किसी जासूस या कोई भी सीक्रेट जानकारी उन्हे नहीं दिया । पर ईरान स्थित दूसरे RAW agents का मनोबल टूट चुका था ....
वो 'अन्सारी' मतलब कल तक के भारत के उपराष्ट्रपति 'मो. हमीद अन्सारी'..
इसी बीच अचानक Mr. Mathur का भी तेहरान जासूसों ने किडनेप कर लिया, जिसका पूरा शक अंसारी के मुखबिरी का था । इंडियन इंटेलिजेंस खेमा हरकत मे आया और माथुर की तलाश ईरान मे शुरू हुई, पर Ambassador होते हुए अंसारी न कोई मदद किया और नहीं इस घटना की सूचना भारत सरकार को दी गयी ।
आखिर 2 दिन बाद जब इंटेलिजेंस ऑफिसर के बीबी-बच्चे अंसारी के घर के गेट पर प्रदर्शन करना शुरू किया । पर अंसारी इंटेलिजेंस वालों के परिवार वालों से मिलने से इंकार कर दिया, Mr. Mathur की पत्नी ने अंसारी के केबिन मे घुस उसे बुरी तरह लताड़ा । हताश RAW ने दिल्ली हेडक्वार्टर को इन्फॉर्म किया और तब के PM Atal Bihari Vajpayee जी से बात की । PMO के दखल से कुछ ही घंटे मे ईरानी जासूसों ने Mr. Mathur को आजाद कर दिया ।
Mr. Mathur को थर्ड डिग्री दी गयी थी, पर उन्होने तेहरान मे स्थित किसी जासूस या कोई भी सीक्रेट जानकारी उन्हे नहीं दिया । पर ईरान स्थित दूसरे RAW agents का मनोबल टूट चुका था ....
वो 'अन्सारी' मतलब कल तक के भारत के उपराष्ट्रपति 'मो. हमीद अन्सारी'..
वैंकैया नायडू ने की टिप्पणी
उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पूर्व वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत धर्मनिरपेक्षता की सर्वोत्तम मिसाल है। उन्होंने कहा कि लोग अल्पसंख्यक और मुस्लिम मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए करते हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने दुख हो रहा है कि भारतीय आजकल तीन ‘सी’ कैश (नगदी), कास्ट (जाति), और कम्युनिटी (समुदाय) पर चल रही है जबकि इसे इन चार ‘सी’ कैरेक्टर (चरित्र) कैलिबर (क्षमता) कैपसिटी (सामर्थ्य) और कंडक्ट (आचरण) पर चलनी चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि राजनीति का एजेंडा विकास होना चाहिए। शुक्रवार 11 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे बीजेपी के इस पूर्व नेता ने कहा कि भारत दुनिया के सबसे सहिष्णु देश है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कार और मूल्य हमें एक दूसरे का सम्मान करना सिखाते हैं। बता दें कि नायडू की टिप्पणी तब आई है जब उपराष्ट्रपति पद से रिटायर हो रहे हामिद अंसारी ने राज्यसभा टीवी को दिये एक इंटरव्यू में कहा था कि आजकल देश में मुस्लिम खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
वेंकैया ने हामिद अंसारी के बयान को खारिज करते हुए कहा कि ये महज राजनीतिक प्रोपेगैंडा है।
अंसारी इन टिप्पणियों के बाद विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं। सोशल मीडिया यूजर्स अंसारी को लेकर तरह- तरह के पोस्ट और ट्वीट कर रहे हैं।
हामिद अंसारी का ये बयान सामने आते ही उनकी आलोचना शुरू हो गई। एक तरफ नेताओं ने उनके इस विचार विरोध किया, वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर भी उन्हें ट्रोल किया जाने लगा।
सोशल मीडिया पर कहा जाने लगा कि उपराष्ट्रपति पद से हटते ही हामिद अंसारी मुसलमान हो गए। इसके अलावा हामिद अंसारी के अतीत के कुछ विवादों को भी सामने रखा। हामिद अंसारी पर भारतीयता भूल जाने की टिप्पणी की जाने लगीं।
डॉ स्वामी का हामिद पर प्रहार
मुस्लिमों की असुरक्षा के मुद्दे पर बीजेपी सांसद स्वामी ने उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी को करारा जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि देश के हिन्दू भी इस्लामिक आतंकवाद से डरे हुए हैं, हर जगह मुस्लिम लोग जिहाद कर रहे हैं, लोगों की हत्याएं कर रहे हैं, हिन्दुओं को काफिर बोला जाता है, कोई मुस्लिम यहाँ पर आतंकवादियों के खिलाफ नहीं खड़ा होता जिसकी वजह से हिन्दुओं में भविष्य को लेकर संकट है.
उन्होने कहा कि मोदी सरकार में सभी मुस्लिम सुरक्षित हैं सिर्फ आतंकवादी सुरक्षित नहीं हैं, आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हो रही है इसलिए ऐसे लोगों की असुरक्षा की चिंता हामिद अंसारी को नहीं करनी चाहिए.
साक्षी महाराज ने भी हामिद अंसारी को फटकारते हुए कहा कि वे 10 साल तक पद पर बैठे रहे तो मुस्लिमों की असुरक्षा का ख्याल नहीं आया लेकिन जैसे ही उन्होंने कुर्सी छोड़ी उन्हें मुस्लिमों की याद आने लगी, उनका बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इसे सही नहीं मानते.
स्वामी साक्षी महाराज का हामिद को जवाब
मुस्लिमों की असुरक्षा के मुद्दे पर बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने विदा हो रहे उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी को करारा जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में मुस्लिम जितना सुरक्षित हैं उतना कभी नहीं रहे, हमारे तीन साल के कार्यक्रम में कहीं भी दंगे नहीं हुए, कोई बड़ी साम्प्रदाईक वारदात नहीं हुई.
उन्होने कहा कि मोदी सरकार में सभी मुस्लिम सुरक्षित हैं सिर्फ आतंकवादी सुरक्षित नहीं हैं, आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हो रही है इसलिए ऐसे लोगों की असुरक्षा की चिंता हामिद अंसारी को नहीं करनी चाहिए.
साक्षी महाराज ने हामिद अंसारी को फटकारते हुए कहा कि वे 10 साल तक पद पर बैठे रहे तो मुस्लिमों की असुरक्षा का ख्याल नहीं आया लेकिन जैसे ही उन्होंने कुर्सी छोड़ी उन्हें मुस्लिमों की याद आने लगी, उनका बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और हम इसे सही नहीं मानते.
कवि अमित भी नहीं चूके
हामिद अंसारी के इस बयान की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हो रही है क्योंकि 10 साल तक उन्होंने कुर्सी पर बैटकर काजू बादाम खाए और अब कुर्सी से उतरते ही उन्हें मुस्लिमों का ख्याल आ गयी और साम्प्रदाईक राजनीति शुरू कर दी.
भारत के मशहूर युवा कवी अमित शर्मा ने भी हामिद अंसारी के बयान पर ब्यंग कसा. उन्होंने कहा कि हामिद अंसारी ने जाते जाते भी अपनी कौम के लिए मर्दों वाला काम किया है, जो उखाड़ सको उखाड़ लो, अमित शर्मा ने कहा कि वे हिन्दुओं की तरह धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं बल्कि सिर्फ के मुसलमान हैं.
अमित शर्म के कहने का मतलब है कि हिन्दू लोग धर्मनिर्पक्षता के चक्कर में पड़े रहते हैं और खुद को हिन्दू बोलने में भी शर्माते हैं लेकिन हामिद अंसारी ने उप-राष्ट्रपति पद पर 10 साल तक काम करने के बाद भी साबित कर दिया कि वो सिर्फ मुसलमान हैं और सिर्फ मुसलामानों के लिए सोचते हैं क्योंकि परेशान तो बंगाल के हिन्दू भी हैं, परेशान तो केरल के संघ कार्यकर्ता भी हैं, परेशान तो कश्मीर के हिन्दू भी हैं लेकिन हामिद अंसारी ने कभी उनके बारे में बात नहीं की, उन्हें सिर्फ मुसलमानों की परेशानी दिख रही है क्योंकि वो सिर्फ मुसलमान हैं.
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