कश्मीर में लगातार आतंक अपने पाँव पसार रहा है तो इस आतंक के पाँव को उखाड़ फेंकने के लिए अब भारतीय सेना भी भीष्म प्रतिज्ञा ले चुकी है l केंद्र में मोदी सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद सेना ने कश्मीर में रौद्र रूप धारण किया हुआ है, और जिसका नतीज़ा ये है कि आपको शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जिस दिन कश्मीर में आतंकियों को ठोंकने की ख़बर न मिलती हो l
एक तरफ भारतीय सेना कश्मीर में आतंकियों को मार रही है तो दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार कश्मीर की मूल समस्याओं को ख़त्म करने की तैयारी में जुटी है l जो कश्मीर कभी धरती की ज़न्नत कहा जाता था, वहां आज कोई जाने तक को तैयार नहीं l इसकी मूल जड़ रही कश्मीर की धारा 370 और धारा 35 A l
अब मोदी सरकार अपने “मिशन कश्मीर” के तहत इन दोनों धाराओं को ख़त्म करने की तरफ बढ़ रही है l मोदी सरकार की नज़र लगातार इन दोनों धाराओं को ख़त्म करने पर है l आपको बता दें कि बीजेपी हमेशा से कश्मीर से धारा 370 को ख़त्म करने की पक्षधर रही है और अब मोदी सरकार लगातार इस दिशा में काम कर रही है l
सुप्रीम कोर्ट में भी इस दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है l सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में लगे आर्टिकल 370 पर दायर की गई एक याचिका स्वीकार कर ली है । इसमें आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए जा रहे स्पेशल ग्रांट को चैलेंज किया गया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर नोटिस जारी किया है । इसके साथ ही याचिका में ये भी मांग की गई है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई जाए और वहां लागू अलग संविधान को भी अघोषित किया जाए।
आपको बता दें कि याचिका ऐसे समय में दायर की गई है जब देश में आर्टिकल 35A को लेकर बहस चल रही है, और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला से लेकर जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती तक ये कह चुकी हैं कि अगर आर्टिकल 35 A से छेड़छाड़ की गेई तो कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला भी कोई नहीं मिलेगा l
ख़बर ये भी है कि शुक्रवार को इस मसले को लेकर महबूबा मुफ़्ती प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात कर सकती हैं l दरअसल पिछले कुछ दिनों से सियासी हलकों में ये बात घूम रही है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नज़र जम्मू कश्मीर की धारा 370 और 35 A पर है l
वैसे आपको जानकर हैरानी होगी कि संविधान की किताबों में न मिलने वाला अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को यह अधिकार देता है कि वह ‘स्थायी नागरिक’ की परिभाषा तय कर सके। दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 35A को 14 मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जगह मिली थी और संविधान सभा से लेकर संसद की किसी भी कार्यवाही में, कभी अनुच्छेद 35A को संविधान का हिस्सा बनाने के संदर्भ में किसी संविधान संशोधन या बिल लाने का जिक्र नहीं मिलता है। अनुच्छेद 35A को लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने धारा 370 के अंतर्गत प्राप्त शक्ति का इस्तेमाल किया था ।
बहुत कम लोगों को पता है कि अनुच्छेद 35A, धारा 370 का ही हिस्सा है और इस धारा की वजह से कोई भी दूसरे राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के बाद धारा हटाने का आदेश जारी कर देता है तो देश के किसी भी क्षेत्र का नागरिक कश्मीर में भी उसी तरह घर परिवार बसा सकता है।
अगर धारा 370 की बात करें और इसे समझें तो ……
- संविधान का अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रबंध के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाले राज्य का दर्जा देता है।
- 370 का खाका 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था, जिन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था।
- शेख अब्दुल्ला ने 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्थायी रूप में ना किया जाए। उन्होंने राज्य के लिए मजबूत स्वायत्ता की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था।
- 370 के प्रावधानों के अनुसार संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य का अनुमोदन चाहिए।
- इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होती है। राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।
- भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं। यहां के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है। एक नागरिकता जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की होती है।
- यहां दूसरे राज्य के नागरिक सरकारी नौकरी नहीं कर सकते हैं।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता है।
- अनुच्छेद 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी है।
- 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।
वैसे अब घाटी से धारा-370 हटाने की मोदी सरकार की मुहिम भी सफल होती नज़र आ रही है और धारा-370 और आर्टिकल 35-A को लेकर मोदी सरकार के हाथ मजबूत हो गए हैं l
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस जे.एस. खेहर 27 अगस्त को रिटायर होने जा रहे हैं और उनकी जगह सुप्रीम कोर्ट के जज दीपक मिश्रा भारत के के 45वें चीफ जस्टिस बनेंगे l मोदी सरकार ने जस्टिस दीपक मिश्रा की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है l
सुप्रीम कोर्ट के जज दीपक मिश्रा वही जज हैं जिन्होंने याकूब मेमन को फांसी पर लटकाने की सजा सुनाई थी l जब फर्जी सेकुलरिज्म के नाम पर देशभर के बड़े-बड़े वकील, नेता व् अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति याकूब को फांसी से बचाने के लिए जी-जान से कोशिशों में जुटे हुए थे. तब जस्टिस दीपक मिश्रा ने ही याकूब मेमन की फांसी पर रोक लगाने वाले याचिका को खारिज कर दिया था.
इसके अलावा भी दीपक मिश्रा ने देश के कई अहम मामलों में फ़ैसला सुनाया है l दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहते हुए उन्होंने 5 हजार से ज्यादा मामलों में फैसला सुनाया और लोकअदालतों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने का काम किया l 30 सितंबर को जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने ही श्याम नारायण चौकसे की याचिका पर फैसला सुनाते हुए देश के सभी सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाए जाने का आदेश दिया था l
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