भारत में GST जुलाई 1 की मध्य रात्रि से लागू हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने साथ मिलकर GST लाँच करने वाला बटन दबाया, पहले कांग्रेस कह रही थी कि मोदी खुद GST लाँच करके राष्ट्रपति का अपमान कर रहे हैं, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, GST लाँच करने का बटन मोदी और राष्ट्रपति दोनों ने दबाया।
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) आज रात 12 बजे से लागू हो गया। सरकार ने इसके संसद के ऐतिहासिक सेंट्रल हाल में एक बड़ा प्रोग्राम का आयोजन किया था।
इस अवसर पर सेंट्रल हाल में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कैबिनेट के सभी सदस्यों के साथ कई राजनितिक दलों के सदस्य भी मौजूद रहे।
मोदी ने GST बिल को Goods and Services Tax की जगह Good and Simple Tax बताते हुए कहा कि इससे टैक्स आतंकवाद ख़त्म हो जाएगा और सामान्य व्यापारियों को अफसरों से जो परेशानी होती रही है वह अब ख़त्म हो जाएगी।
पीएम ने आगे कहा कि ये वो सेंट्रल हॉल है जहां पर कई ऐतिहासिक काम हुए हैं। पीएम ने 9 दिसबंर 1946 का जिक्र करते हुए कहा कि संविधान सभा की पहली बैठक यहां पर ही हुई थी।
उन्होंने कहा कि यहां पर कभी पंडित नेहरू, अबुल कलाम आजाद, वल्लभ भाई पटेल समेत कई लोग यहां पर बैठे थे।
जानकार इसे स्वतंत्र भारत का अब तक का सबसे बड़ा टैक्स सुधार बता रहे है। विशेषज्ञों के मुताबिक इससे कर चोरी रोकने में मदद लगेगी।
जीएसटी लांचिंग के कार्यक्रम को मेगा बनाने के लिए सरकार ने इसके लिए अलग-अलग क्षेत्रो के करीब 1000 बड़ी हस्तियों को भी इसका गवाह बनाया है।
मोदी ने कहा कि अब तक एक ही चीज के अलग अलग राज्यों में अलग अलग दाम होते थे लेकिन अब एक सामान अलग अलग राज्यों में भी एक ही रेट में मिलेगा।
मोदी ने कहा कि GST का क्रेडिट किसी एक पार्टी को नहीं बल्कि सभी पार्टियों को जाता है क्योंकि GST एक लम्बी विचार प्रक्रिया का परिणाम है।
मोदी ने इस अवसर पर राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी को बधाई देते हुए कहा कि उनका मार्गदर्शन और अथाह मेहनत की वजह से ही आज GST लागू हो सकता है। वे GST के बहुत लम्बे समय से साथी रहे हैं और GST के हर पहलुओं से परिचित है।
मोदी ने कहा कि आज से गंगानगर से ईटानगर और लेह से लक्ष्यद्वीप तक एक राष्ट्र और एक टैक्स का सपना साकार हो गया है, सभी देशवासियों को बधाई।
हर नई पहल का विरोध नया नहीं! 1853 में जब पहली बार मुंबई-थाणे के बीच रेल चली तो कहा गया था- लोहे पर लोहा चलाना बड़ा अपशकुन है।
मोदी ने कहा कि आज से गंगानगर से ईटानगर और लेह से लक्ष्यद्वीप तक एक राष्ट्र और एक टैक्स का सपना साकार हो गया है, सभी देशवासियों को बधाई।
हर नई पहल का विरोध नया नहीं! 1853 में जब पहली बार मुंबई-थाणे के बीच रेल चली तो कहा गया था- लोहे पर लोहा चलाना बड़ा अपशकुन है।
सुनार GST से क्यों डरता है?
मान लीजिये आप सुनार के पास गए आपने *10 ग्राम प्योर सोना 30000 रुपये का खरीदा।*
उस सोने को लेकर आप सुनार के पास हार बनवाने गए। सुनार ने आपसे 10 ग्राम सोना लिया और कहा की 2000 रुपये बनवाई लगेगी।
आपने *खुशी* से कहा ठीक है। उसके बाद सुनार ने 1 ग्राम सोना निकाल लिया और 1 ग्राम का *टांका* लगा दिया। क्योंकि बिना टांके के आपका हार बन ही नहीं सकता। यानी की 1 ग्राम सोना 3000 रुपये का निकाल लिया* और 2000 रुपये आपसे *बनवाई अलग से* ले ली।
उस सोने को लेकर आप सुनार के पास हार बनवाने गए। सुनार ने आपसे 10 ग्राम सोना लिया और कहा की 2000 रुपये बनवाई लगेगी।
आपने *खुशी* से कहा ठीक है। उसके बाद सुनार ने 1 ग्राम सोना निकाल लिया और 1 ग्राम का *टांका* लगा दिया। क्योंकि बिना टांके के आपका हार बन ही नहीं सकता। यानी की 1 ग्राम सोना 3000 रुपये का निकाल लिया* और 2000 रुपये आपसे *बनवाई अलग से* ले ली।
यानी आपको *5000 रुपये का झटका* लग गया। अब आपके *30 हजार* रुपये सोने की कीमत मात्र *25 हजार* रुपये बची और सोना भी *1 ग्राम कम कम हो कर 9 ग्राम शेष बचा ।*
बात यहीं खत्म नही हुई। उसके बाद *अगर* आप पुन: अपने सोने के हार को बेचने या कोई और आभूषण बनवाने पुन: उसी सुनार के पास जाते हैं तो वह पहले टांका काटने की बात करता है और सफाई करने के नाम पर *0.5 ग्राम सोना* और कम हो जाता है।
अब आपके पास मात्र *8.5 ग्राम* सोना ही बचता है। यानी की *30 हजार* का सोना मात्र *23500* रुपये का बचा।
आप जानते होंगे कि,
*30000 रुपये का सोना + 2000 रुपये बनवाई = 32000 रुपये ।*
*1 ग्राम का टांका कटा 3000 रुपए + 0.5 ग्राम पुन: बेचने या तुड़वाने पर कटा मतलब सफाई के नाम पर = 1500/=*
*शेष बचा सोना 8.5 ग्राम*
*यानी कीमत 32000 - 6500 का घाटा = 25500 रुपये*
भारत सरकार की मंशा क्या है ?
*GST* लगने पर सुनार को रसीद के आधार पर उपभोक्ता को पूरा सोना देना होगा।
और जितने ग्राम का टांका लगेगा उसका सोने के तोल पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जैसा कि आपके सोने की तोल *10 ग्राम* है और टाका *1 ग्राम* का लगा तो सुनार को रसीद के आधार पर *11 ग्राम* वजन करके उपभोक्ता को देना होगा। इसी लिए सुनार हड़ताल पर है कि अब उनका *धोखाधड़ी* का *भेद* खुल जायेगा।
और जितने ग्राम का टांका लगेगा उसका सोने के तोल पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जैसा कि आपके सोने की तोल *10 ग्राम* है और टाका *1 ग्राम* का लगा तो सुनार को रसीद के आधार पर *11 ग्राम* वजन करके उपभोक्ता को देना होगा। इसी लिए सुनार हड़ताल पर है कि अब उनका *धोखाधड़ी* का *भेद* खुल जायेगा।
पहले जानें क्या हो जाएगा महंगा और क्या सस्ता
ये चीजें हो जाएंगी महंगी
- बैंकिंग और टेलिकॉम जैसी सेवाएं महंगी हो जाएंगी। इसके अलावा फ्लैट्स, रेडिमेट गारमेंट्स, मंथली मोबाइल बिल और ट्यूशन फीस पर भी टैक्स बढ़ जाएगा।
- 1 जुलाई से जब आप एसी रेस्तरां में जाएं तो 18 पर्सेंट टैक्स के लिए तैयार रहें। हां, यदि आप गैर-एसी रेस्तरां में जाते हैं तो 6 पर्सेंट की बचत करते हुए सिर्फ 12 पर्सेंट ही चुकाना होगा।
लेटेस्ट कॉमेंट
केन्द्र सरकार जीएसटी लागू करने से पहले कितना भी जनता ओर व्यापारियो को जीएसटी के बड़े फायदे गिना दे जनता सरकार पर विश्वास नही करेगी क्योकि पहले ही कई चीजो ओर दवाईयो पर कई गुना कीमते...+
- मोबाइल बिल, ट्यूशन फीस और सलून पर भी आपको 18 पर्सेंट टैक्स देना होगा। अब तक इन पर 15 फीसदी टैक्स ही रहा है।
- 1,000 रुपये से अधिक की कीमत के कपड़ों की खरीद पर भी अब आपको 12 पर्सेंट टैक्स देना होगा। अब तक इस पर 6 फीसदी स्टेट वैट ही लगता था। ध्यान दें कि 1,000 से कम के परिधानों पर 5 पर्सेंट की दर से ही टैक्स लगेगा।
- जीएसटी की व्यवस्था में दुकान या फ्लैट खरीदने पर 12 फीसदी टैक्स देना होगा। फिलहाल यह करीब 6 पर्सेंट है।
GST से ये चीजें हो जाएंगी सस्ती
-81 पर्सेंट आइटम्स 18 फीसदी से कम के स्लैब में होंगे। खासतौर पर वेइंग मशीनरी, स्टैटिक कन्वर्टर्स, इलेक्ट्रिक ट्रांसफॉर्मर्स, वाइंडिंग वायर्स, ट्रांसफॉर्मस इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस, पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्सेज द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले टू-वे रेडियो सस्ते हो जाएंगे।
-पोस्टेज और रेवेन्यू स्टांप्स भी सस्ते हो जाएंगे। इन पर 5 पर्सेंट ही टैक्स लगेगा।
-कटलरी, केचअप, सॉसेज और अचार आदि भी सस्ते होंगे। इन्हें 12 पर्सेंट के स्लैब में रखा जाएगा।
-सॉल्ट, चिल्ड्रंस पिक्चर, ड्रॉइंग और कलर बुक्स को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। प्लेइंग कार्ड्स, चेस बोर्ड, कैरम बोर्ड और अन्य बोर्ड गेम्स को घटाकर 12 पर्सेंट के स्लैब में रखा गया है।
जानें, किन वस्तुओं पर लगेगा कितना टैक्स
इन आइटम्स पर नहीं लगेगा कोई टैक्स
फ्रेश मीट, फिश चिकन, अंडा, दूध, बटर मिल्क, दही, शहद, फल एवं सब्जियां, आटा, बेसन, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टांप. न्यायिक दस्तावेज, प्रिंटेड बुक्स, अखबार, चूड़िया और हैंडलूम जैसे तमाम रोजमर्रा की जरूरतों के आइटम्स को जीएसटी के दायरे से ही बाहर रखा गया है।
इन पर लगेगा 5 पर्सेंट का टैक्स
फिश फिलेट, क्रीम, स्किम्ड मिल्ड पाउडर, ब्रैंडेड पनीर, फ्रोजन सब्जियां, कॉफी, चाय, मसाले, पिज्जा ब्रेड, रस, साबूदाना, केरोसिन, कोयला, दवाएं, स्टेंट और लाइफबोट्स जैसे आइटम्स को टैक्स की सबसे निचली 5 पर्सेंट की दर में रखा गया है।
ऐसी जरूरी चीजों पर 12 पर्सेंट टैक्स
फ्रोजन मीट प्रॉडक्ट्स, बटर, पैकेज्ड ड्राई फ्रूट्स, ऐनिमल फैट, सॉस, फ्रूट जूस, भुजिया, नमकीन, आयुर्वेदिक दवाएं, टूथ पाउडर, अगरबत्ती, कलर बुक्स, पिक्चर बुक्स, छाता, सिलाई मशीन और सेल फोन जैसी जरूरी आइटम्स को 12 पर्सेंट के स्लैब में रखा गया है।
मिडिल क्लास की इन चीजों पर 18 पर्सेंट टैक्स
फ्लेवर्ड रिफाइंड शुगर, पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, पेस्ट्रीज और केक, प्रिजर्व्ड वेजिटेबल्स, जैम, सॉस, सूप, आइसक्रीम, इंस्टैंट फूड मिक्सेज, मिनरल वॉटर, टिशू, लिफाफे, नोट बुक्स, स्टील प्रॉडक्ट्स, प्रिंटेड सर्किट्स, कैमरा, स्पीकर और मॉनिटर्स पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया है।
इन पर लगेगा सबसे ज्यादा 28 फीसदी कर
चुइंग गम, गुड़, कोकोआ रहित चॉकलेट, पान मसाला, वातित जल, पेंट, डीओडरन्ट, शेविंग क्रीम, हेयर शैम्पू, डाइ, सनस्क्रीन, वॉलपेपर, सेरेमिक टाइल्स, वॉटर हीटर, डिशवॉशर, सिलाई मशीन, वॉशिंग मशीन, एटीएम, वेंडिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, शेवर्स, हेयर क्लिपर्स, ऑटोमोबाइल्स, मोटरसाइकल, निजी इस्तेमाल के लिए एयरक्राफ्ट और नौकाविहार को लग्जरी मानते हुए जीएसटी काउंसिल ने 28 फीसदी का टैक्स लगाने का फैसला लिया है।
कारोबारियों पर होगा क्या असर?
-20 लाख रुपये से कम के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी की व्यवस्था से छूट दी गई है। अब तक यह छूट 10 लाख तक ही सीमित थी।
-75 लाख रुपये से अधिक के सालाना टर्नओवर वाले ट्रेडर्स, मैन्युफैक्चरर्स और रेस्तरां कंपोजिशन स्कीम के तहत क्रमश: 1, 2 और 5 पर्सेंट अदा कर सकते हैं। हालांकि इन बिजनस को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल सकेगा।
-अन्य कारोबारियों को हर महीने तीन रिटर्न भरने होंगे। इनमें से दो ऑटोमेटिक होंगे।
-1 जुलाई के बाद आने वाले किसी भी माल पर जीएसटी लगेगा। हालांकि 30 जून से पहले आने वाले स्टॉक की बिक्री पर कारोबारियों को कॉम्पेन्सेशन भी मिलेगा।
जानें, जीएसटी के रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया
कब तक होगा रजिस्ट्रेशन: 25 जून से 30 जून तक जीएसटी रजिस्ट्रेशन एक बार फिर से शुरू है। इस बार अनरजिस्टर्ड या नए कारोबारी भी अप्लाई कर सकेंगे।
यहां करवाएं रजिस्ट्रेशन: देश भर में कारोबारियों के लिए कॉमन पोर्टल gst.gov.in है। आप जिस विभाग में रजिस्टर्ड हैं, उसके जरिए जीएसटीएन आईडी और पासवर्ड भेजा गया होगा। अनरजिस्टर्ड कारोबारियों के लिए 25 जून को पोर्टल ओपन होते ही एक खास लिंक दिया जाएगा, जहां से वे अपने लिए आईडी-पासवर्ड जेनरेट कर सकते हैं।
आईडी वेरिफिकेशन के बाद स्थायी ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर डालें। ओटीपी की मदद से आईडी पासवर्ड बदल लें। अनरजिस्टर्ड ट्रेडर्स को उनके मौजूदा डॉक्युमेंट्स के आधार पर आईडी जेनरेट करने का मौका मिलेगा।
कैसे करें रजिस्ट्रेशन: जीएसटी पोर्टल पर लॉग-इन करें। प्रविजनल आईडी-पासवर्ड एंटर करें।
क्या-क्या चाहिए: आईडी-पासवर्ड एंटर करते ही एनरॉलमेंट ऐप्लिकेशन पेज पर जाएंगे, जहां अलग-अलग 8 टैब पर क्लिक कर ये जानकारियां देंः बिजनेस डिटेल्स, प्रमोटर या पार्टनर, अथॉराइज्ड सिग्नेटरी, कारोबार का मुख्य स्थान, कारोबार का अतिरिक्त स्थान, सामान और सेवाएं, बैंक अकाउंट। फिर डिजिटल सिग्नेचर का पेज खुलेगा, जिसे सबमिट करने के 15 मिनट के भीतर आपको ऐप्लिकेशन रेफरेंस नंबर (ARN)मिल जाएगा।
यहां मिलेगी मदद: किसी भी तरह की परेशानी होने पर cbecmitra.helpdesk@gst.gov.in पर अपनी डिटेल्स भेज सकते हैं या हेल्पलाइन नंबर 1800-1200-232 पर कॉल कर सकते हैं।
किसे कराना होगा रजिस्ट्रे शन: अगर टर्नओवर 20 लाख रुपये के ऊपर है और आप वैट, एक्साइज या सर्विस टैक्स में रजिस्टर्ड हैं तो बिना प्रोविजिनल जीएसटी रजिस्ट्रेशन के जीएसटी लागू होते ही आप अनरजिस्टर्ड कैटेगरी में आ जाएंगे। नए रजिस्ट्रेशन के लिए 30 दिन का वक्त होगा। पिछले इनपुट क्रेडिट और रिफंड के लिए आपको रजिस्टर्ड होकर माइग्रेट करना चाहिए।
रजिस्ट्रेशन खर्च: अगर खुद कर रहे हैं तो मुफ्त में हो सकता है क्योंकि रजिस्ट्रेशन की कोई फीस नहीं है। सीए या आईटी सॉल्यूशन फर्म की मदद ले रहे हैं तो 1000 से 3000 रुपये तक खर्च आ सकता है।
क्या है GS-TIN: एनरॉलमेंट नंबर मिलने का मतलब है कि रजिस्ट्रेशन लगभग तय। डिपार्टमेंट सेल्स डिटेल्स सहित कुछ जानकारियां अपलोड करने को कह सकता है। इसके बाद एक प्रोविजिनल जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर जारी होगा जो जीएसटी लागू होने के बाद स्थायी टिन नंबर होगा।
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