1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के मामले में आज 30 मई को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के खिलाफ आरोप तय हुए. ये सभी आज यानि 30 मई को लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत के सामने पेश हुए. पेश होने के बाद कार्यवाही शुरु हुई जिसके बाद कोर्ट ने दिया ये बड़ा फैसला.
6 दिंसबर, 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में दो एफआईआर दर्ज हुई थी. एक एफआईआर फैजाबाद के थाना रामजन्म भूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला, जबकि दूसरी एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी. सीबीआई ने जांच के बाद इस मामले में कुल 49 मुल्जिमों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. जिसमें 13 मुल्जिमों को अदालत ने आरोप के स्तर पर ही डिस्चार्ज कर दिया था. सीबीआई की ओर से इस आदेश को पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.
इधर, लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत (अयोध्या प्रकरण) में फैजाबाद के तत्कालीन डीएम आरएन श्रीवास्तव समेत कुल 28 मुल्जिमों के मुकदमे की कार्यवाही शुरू हो गई. हालांकि, अब तक इनमें से 6 मुल्जिमों की दौरान विचारण मौत हो चुकी है, जबकि लालकृष्ण आडवाणी समेत 8 मुल्जिमों के मामले की कार्यवाही रायबरेली की विशेष अदालत में चलने लगी. इनमें अशोक सिंघल व गिरिराज किशोर की दौरान विचारण मौत हो चुकी है.
बाबरी मस्जिद केस में सीबीआई अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला सभी 12 आरोपियों को दे दी जमानत और 20 हजार का बॉन्ड भरने का भी दिया आदेश. फैसला आते ही लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के चहरे पर हंसी आराम से देखी जा सकती थी.
इस घटना उपरान्त देश में कितने मन्दिर तोड़े गए, क्यों नहीं दर्ज़ हुआ उनके विरुद्ध केस? आखिर कब तक तुष्टिकरण का नंगा नाच होता रहेगा? तुष्टिकरण का नंगा नाच दिल्ली में दरिया गंज में चल रहे मैट्रो के काम के दौरान सुभाष पार्क में नेताजी की मूर्ति को हटाकर अलग रख दिया गया,लेकिन दिल्ली गेट पर आसफ अली की मूर्ति को छुआ तक नहीं गया,क्यों?
मुलायम सिंह पर आपराधिक केस दर्ज क्यों नहीं हुआ?
बाबरी का नाम आने के बाद जो माहौल बना दिया गया है उसमे गुंबद पर चढ़े कारसेवक और जय श्री राम बोल रहे उग्र हिन्दू ही सबकी निगाह में आते हैं . कभी किसी ने भी इसके दूसरे पहलू में झाँकने की कोशिश नहीं जहाँ नंगे पैर भाग रहे बदहवास श्रद्धालु , दया की भीख मांग रही औरतें और अपनी जान बख्स देने की दुहाई देते हुए तमाम निहत्थे लोग . इसके इतर खून से सनी सड़कें और लहू लुहान सरयू का जल जिसमे तमाम लाशें बिना अंतिम संस्कार के बहा दी गयी थी ..
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बाबरी ध्वंस को गुनाह मान कर तमाम नेताओं पर तो आपराधिक केस चलवाने की संस्तुति तो कर दी गयी है पर अभी तक उन दर्दनाक चीखों और लावारिश लाशों पर किसी ने भी बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी . पहली बार किसी ने आवाज उठाई है उन लावारिश चीखों के लिए जो लगभग 27 सालों से अयोध्या की सड़कों पर सुनाई दे रही हैं. विश्व हिन्दू परिषद् ने अयोध्या में निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां बरसा कर उन्हें मौत के घात उतरवा देने का आदेश देने वाले मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर के उन्हें दंड देने की मांग की है .
विश्व हिन्दू परिषद् के रामविलास दास वेदांती व् शरद शर्मा ने ये मांग अयोध्या में एक बैठक में की . उन्होंने कहा की यदि गोलियां ना चलती तो हिन्दुओं में आक्रोश ना आता और वही आक्रोश अंत में बाबरी के ध्वंस का कारण बना . विश्व हिन्दू परिषद् ने साफ़ कहा की केस मुलायम पर चले ना की साधु संतों पर . विश्व हिन्दू परिषद् ने कहा की तब के रचे गए कुचक्र के कारण ही अब के साधू संतों और धर्मनिष्ठों को प्रताड़ना मिल रही है
उमा भारती :
इससे पहले उमा भारती ने मंगलवार को कहा, ''ये खुला आंदोलन था जैसे इमरजेंसी के खिलाफ हुआ था। इस आंदोलन में क्या साजिश थी, मुझे पता नहीं अभी।
विनय कटियार :
बीजेपी नेता विनय कटियार ने कहा, ''मुलायम सिंह ने माना था कि गलती हुई है। 16 लोग मारे गए थे। उनके खिलाफ भी मामला चलना चाहिए। जितनी भी साजिश कर ली जाए, कोई भी साजिश काम नहीं आने वाली है।
साध्वी ऋतंभरा :
साध्वी ऋतंभरा ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि कोर्ट जल्द से जल्द इस मामले में फैसला देगा। आरोप सीबीआई ने लगाए हैं। कोर्ट में फैक्ट्स उनको पेश करने हैं। हमें कोर्ट पर भरोसा है।
हमने कोई अपराध नहीं किया- वेदांती :
राम विलास वेदांती ने कहा, ''हमने कोई अपराध किया होगा तभी तो सजा मिलेगी। राम मंदिर को बनाने की कोशिश है। अधर्मियों का नाश करना अपराध नहीं होता है। राम मंदिर हमेशा से रहा है, मंदिर बनेगा। कोर्ट के फैसले पर यकीन है। हमारे हक में फैसला आएगा।' किसने साजिश की, वहां किसने मूर्तियां स्थापित कीं, तो कांग्रेस का नाम आएगा। ताला किसने तोड़ा तो कांग्रेस का नाम आएगा। शिलान्यास किसने कराया तो कांग्रेस का नाम आएगा। ढांचा किसके कार्यकाल में तोड़ा...सवा 9 बजे कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। "नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। नरसिम्हा के कार्यकाल में ढांचा टूटा तो साक्षी महाराज को घेरा जा रहा है, आडवाणी को लपेट रहे हैं। आप कांग्रेस को घेर नहीं रहे हैं, जो विभाजन कर रही है। हिंदू- मुसलमान के बीच में दरार पैदा करती रही है। हमने कौन सा पहाड़ तोड़ दिया। हमने जो किया, ठीक किया।''सीबीआई कोर्ट पहुंची साध्वी ऋतंम्भरा ने कहा, "मैंने कुछ भी गलत नहीं किया।"
पूरा मामला?
दिसंबर, 1992 को दो एफआईआर दर्ज की गई थी। पहली अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ। इन पर मस्जिद ढहाने का आरोप था। इसकी सुनवाई लखनऊ कोर्ट में हुई थी। वहीं, दूसरी एफआईआर आडवाणी, जोशी और अन्य लोगों के खिलाफ थी। इन सभी पर मस्जिद ढहाने के लिए भड़काऊ स्पीच देने का आरोप था। इस केस की सुनवाई रायबरेली के सेशन कोर्ट में चल रही थी। पिछली सुनवाई में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, "लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला चलना चाहिए।''
- सीबीआई के वकील ने कोर्ट को बताया कि रायबरेली में 57 लोगों की गवाही ली जा चुकी है। वहीं, 100 से ज्यादा लोगों की गवाही ली जानी है। यह भी बताया कि सभी 21 आरोपियों के खिलाफ आरोपों को हटा लिया गया था। इनमें बीजेपी नेता भी शामिल हैं।
किन लोगों पर केस?
रायबरेली में चल रहे केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल, विष्णु हरि डालमिया, सतीश प्रधान, राम विलास वेदांती, जगदीश मुनि महाराज, बीएल शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धर्म दास का नाम शामिल हैं। इसके अलावा बाल ठाकरे, गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल, महंत अवैद्यनाथ, परमहंस रामचंद्र और मोरेश्वर सावे के नाम भी हैं। इन सभी लोगों का निधन हो चुका है।
SC ने कहा था- आडवाणी, उमा पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा :
19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने कहा था कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के मामले में आडवाणी समेत बीजेपी के 13 नेताओं पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा। कोर्ट ने सीबीआई की पिटीशन पर ये फैसला सुनाया था। कोर्ट ने ये भी कहा था, "इस मामले में चल रहे दो अलग-अलग मामलों को एक कर दिया जाए और रायबरेली में चल रहे मामले की सुनवाई भी लखनऊ में की जाए। ये भी तय किया जाए कि सुनवाई दो साल में खत्म हो।" "सामान्य हालात में केस की सुनवाई टाली न जाए। जब तक सुनवाई पूरी न हो, तब तक जज का ट्रांसफर नहीं हो सकेगा। केस जिस लेवल पर थे, वहीं से शुरू होंगे।" बेंच ने सीबीआई को आदेश दिया था कि वह यह तय करे कि गवाह हर तारीख पर हाजिर हों। इनके अलावा, ट्रायल कोर्ट को आज की तारीख (19 अप्रैल) से चार हफ्तों के अंदर सुनवाई शुरू करनी चाहिए।
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