आज (मई 31को ) 15 वर्षों में पहली बार भगवान् राम की नगरी अयोध्या 'जय श्री राम' के नारों से गूँज रही है, क्योंकि 15 वर्षों में पहली बार एक रामभक्त मुख्यमंत्री बना है और भगवान् राम का दर्शन करने अयोध्या पहुंचा है, जी हाँ आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या पहुँचते ही राम-नगरी जय श्री राम के नारों से गूँज उठी, राम भक्तों में फिर से राम मंदिर निर्माण का विश्वास जाग चुका है।
अयोध्या पहुँचने पर योगी आदित्य नाथ ने सबसे पहले हनुमान गढ़ी में हनुमान के दर्शन किये जो रिवाज भी हैं, क्योंकि अयोध्या जाने वाला हर व्यक्ति पहले हनुमान गढ़ी मंदिर में जाकर हनुमान के दर्शन करता है, उसके बाद रामलला का दर्शन करने रामजन्मभूमि पर जाता है। योगी भी हनुमानगढ़ी के बाद रामजन्मभूमि गए और श्री राम का दर्शन किया।
इसके बाद योगी आदित्यनाथ राम की पेड़ी पर गए और सरयू नदी की पूजा अर्चना की और प्रदेश की बेहतरी के लिए आशीर्वाद माँगा, ऐसी मान्यता है कि यहाँ पर साफ़ मन से आशीर्वाद मांगने पर हर मनोकामना पूरी होती है।
योगी के अयोध्या पहुँचने से राममन्दिर निर्माण की संभावनाएं प्रबल जरूर हो गयी हैं। अयोध्या का दर्शन करने के बाद योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर पर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि - अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि के विवाद का बातचीत के माध्यम से दोनों पक्ष समाधान निकाल सकें तो सरकार आपके साथ खड़ी है।
योगी ने यह भी कहा कि - संवाद का उचित अवसर आया है, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की अपील की है और हमें इस बात को ध्यान में रखकर नए प्रयास प्रारंभ करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि लखनऊ में कई मुस्लिम संगठनों ने अयोध्या में राम जन्मभूमि हिन्दू समाज को सौंपने की वकालत की है है, यह सुनकर हमें बहुत अच्छा लगा।
अवलोकन करिए :--
कुल मिलाकर योगी के कहने का मतलब ये था कि आपसी सौहार्द और संवाद से ही राम मंदिर बनाया जाएगा, वे चाहते हैं कि जिस प्रकार से कई मुस्लिम संगठनों ने राम जन्मभूमि को हिन्दुओं को सौंपने की वकालत की है उसी तरह से अयोध्या के मुस्लिमों को भी हिन्दुओं को राम जन्मभूमि सौंपकर राम मंदिर बनाने में सहयोग देना चाहिए।
योगी ने अयोध्या के विकास का वादा करते हुए कहा कि हमारी सरकार 350 करोड़ रुपये अयोध्या के विकास पर खर्च करेगी, पूरे अयोध्या में हम LED स्ट्रीट लाइट लगवाएंगे, अयोध्या को सबसे साफ़ सुथरा और विकसित शहर बनाया जाएगा।
हालाँकि योगी ने मन्दिर निर्माण के स्पष्ट संकेत दे दिए हैं, लेकिन प्रश्न यह है कि जब खुदाई में मन्दिर के समस्त प्रमाण मिल गए थे, फिर किन कारणों से मुद्दे को लम्बित किया जा रहा है। जिन लोगों ने तथ्यों को कोर्ट से छुपकर गुमराह किया उनके विरुद्ध केस क्यों नहीं किया गया? इसके विपरीत यदि खुदाई में मन्दिर की बजाए मस्जिद के सबूत मिले होते, पता नहीं कब की मस्जिद बन गयी होती।
विश्व हिन्दू परिषद् और अन्य हिन्दू संगठनों को राममन्दिर के प्रमाणों को कोर्ट से छुपाने वालों के विरुद्ध केस दर्ज़ कर सख्त सजा दिलवाई जाए, और इन इतिहासकारों को ब्लैकलिस्टेड किया जाए, जिन्होंने चंद चांदी के टुकड़ों की खातिर देश की जनता को गुमराह किया।
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