कुछ दिनों पहले केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बयान दिया था कि मुस्लिम समुदाय के लोग बीजेपी को वोट नहीं देते इसके बावजूद भी पार्टी मुस्लिमों का ख्याल रखती है और उन्हें उचित मान सम्मान देती है. रवि शंकर प्रसाद के इस बयान एवं उत्तर प्रदेश में किसी मुस्लिम को भाजपा को टिकट न देने पर बहुत बवाल मचा था, मीडिया ने बात का बतंगड़ बनाकर खूब TRP बढ़ाई। लेकिन MCD चुनावों में साबित हो गया कि मुस्लिम वाकई में बीजेपी को वोट नहीं देते, क्योंकि इस चुनाव में बीजेपी ने 6 मुस्लिमों को टिकट दिया था जिसमें से एक का नामांकन रद्द हो गया, जबकि पांच उम्मीदवारों की जमानत ही जब्त हो गयी।
में भी प्रश्न किये हैं, कि इस तरह एक अनपढ़ को हज़ार रूपए दिलवाए जाते हैं। यह इस बात को भी सिद्ध करती है, कि चुनाव के लिए मण्डल के पास पर्याप्त धन था, लेकिन केवल अधिकारीयों ने अपनी वाह-वाह में ही खर्च किए। यानि वास्तव पार्टी में यह लोग मात्र लूटने घसोटने के लिए हैं, वोट देने के लिए नहीं। भाजपा शीर्ष नेतृत्व को इस बात की भी जाँच करनी चाहिए कि जिन क्षेत्रों से भाजपा की जमानत जब्त हुई है, वहां अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के कितने कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी हैं? एक जहाँ भारत तो समस्त विश्व मोदीमय हो रहा है तो दूसरी तरफ मुस्लिम क्षेत्रों से पार्टी की जमानत जब्त हो, बहुत ही शर्म की बात है। इस विषय पर पार्टी को निष्पक्ष होकर मन्थन करना होगा। या जब किसी भी हिन्दू बहुल क्षेत्र से भाजपा द्वारा किसी मुस्लिम को टिकट देने पर उस उम्मीदवार को कोई भाजपाई एक भी वोट न दे, उस स्थिति में कोई इसे साम्प्रदायिकता का नाम न दे। ताली दोनों हाथों से बजती है, कभी एक हाथ से नहीं बजी।
अवलोकन करें :--
इन सभी मुस्लिम उम्मीदवारों ने तीन तलाक के खिलाफ बयान दिया था साथ ही अवैध बूचडखानों पर कार्यवाही के लिए योगी सरकार की तारीफ भी की थी।
लगता है, उत्तर प्रदेश में मुख्यमन्त्री योगी ने अवैध बूचड़खाने एवं गोश्त की दुकानें, बिजली चोरी आदि पर कहर भरपाया है, "कहीं ऐसा न हो अब भाजपा के सत्ता में आने पर योगी की तर्ज़ पर दिल्ली में भी ऐसा हो गया, हम रोज़ गोश्त कहाँ से खायेंगे।" दिल्ली के मुसलमानों में डर बैठा दिया है। जबकि चुनाव पूर्व इन्ही क्षेत्रों से भाजपा को ही वोट देने के समाचार सुनने को मिलते थे, जिन्हे सुन लगता था, इस बार निगम चुनावों में भाजपा को उम्मीद से ज्यादा सीटें मिलेंगी। और चार सीटें बाजार सीताराम, मटिया महल, अजमेरी गेट और दिल्ली गेट सीटें भाजपा की झोली में स्पष्ट दिख रही थी, लेकिन अंदर क्या ज़हर भरा हुआ है, परिणाम आने पर पता चला। जो इस बात को सिद्ध करता है, कि दिल्ली में भी अवैध बूचड़खाने और गोश्त की दुकानों की कमताई नहीं। और यदि फिर भी भाजपा सत्ता में आ गयी, उस स्थिति में भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ एवं संघ से मुस्लिम मंच के माध्यम से अवरोध करवाने का प्रयास करेंगे।
दिल्ली MCD चुनावों में केजरीवाल और कांग्रेस ने चुनाव आयोग की बढ़िया कमाई करा दी है क्योंकि केजरीवाल की प्रधानमंत्री बनने की लालच ने दिल्ली में इस कदर मोदी लहर पैदा की, जिसकी वजह से करीब 40 आप उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी, इसके अलावा राहुल गाँधी की मेहरबानी से 92 कांग्रेस उम्मीदवारों की भी जमानत जब्त हो गयी।
इस चुनाव में आप के 40 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई, कांग्रेस के 92 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई जबकि 5 बीजेपी उम्मीदवारों की भी जमानत जब्त हो गयी, मोदी लहर में पांच बीजेपी उम्मीदवारों की जमानत जब्त होने पर लोग हैरान हो गए क्योंकि इस चुनाव में बीजेपी की बम्पर जीत हुई है, जब लोगों ने इन उम्मीदवारों के नाम देखे तो पता चला कि पाँचों मुस्लिम उम्मीदवार थे, बीजेपी ने सोचा था कि हो सकता है उन्हें मुस्लिमों के वोट मिल जाँय इसलिए मुस्लिम बहुत इलाकों में इन्हें टिकट दे दिया लेकिन सबकी जमानत ही जब्त हो गयी। जबकि काफी समय तक दिल्ली गेट उम्मीदवार का नाम लीडिंग में चल रहा था, यानि जब तक हिन्दू क्षेत्र रहे, भाजपा उम्मीदवार आगे रहा, और जैसे ही मुस्लिम क्षेत्र खुलने शुरू हुए, भाजपा उम्मीदवार जमानत जब्त की ओर बढ़ना शुरू हो गया।
इन भाजपा उम्मीदवारों के नाम हैं : कुरेशी नगर से रुबीना, जाकिर नगर से कुंवर रफ़ी, चौहान नगर से सरताज अहमद, मुस्तफाबाद से साबरा मलिक और दिल्ली गेट से फैमुद्दीन सिफ़ी.
यह कुछ लोगों के लिए चौंकाने वाला समाचार हो सकता है। लेकिन जमीन से जुड़े किसी भी कार्यकर्ता के लिए नहीं, क्योंकि उसको मालूम होता है की हकीकत क्या है। पाठकों को शायद यह जानकर हैरानी भी होगी, जब अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पदाधिकारी अपने क्षेत्र में कहते हैं, "बीजेपी को तो वोट दोगे नहीं, लेकिन उस(?) पार्टी को वोट दो", जब पदाधिकारी ही ऐसा प्रचार करेगा, फिर कोई क्यों वोट करेगा? और इस बात को नीचे स्तर से लेकर शीर्ष नेतृत्व तक जानता है, उसके बाबजूद उसको सिर पर बैठे रखा जाता है। अब इसको फिरकापरस्ती न कहा जाए तो क्या नाम दिया जाए? हालाँकि अपने निम्न लेख में बहुत ही स्पष्टा से लिखा था। इतना ही नहीं अपने पिछले लेख http://nigamrajendra28.blogspot.in/2017/04/blog-post_27.htmlमें भी प्रश्न किये हैं, कि इस तरह एक अनपढ़ को हज़ार रूपए दिलवाए जाते हैं। यह इस बात को भी सिद्ध करती है, कि चुनाव के लिए मण्डल के पास पर्याप्त धन था, लेकिन केवल अधिकारीयों ने अपनी वाह-वाह में ही खर्च किए। यानि वास्तव पार्टी में यह लोग मात्र लूटने घसोटने के लिए हैं, वोट देने के लिए नहीं। भाजपा शीर्ष नेतृत्व को इस बात की भी जाँच करनी चाहिए कि जिन क्षेत्रों से भाजपा की जमानत जब्त हुई है, वहां अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के कितने कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी हैं? एक जहाँ भारत तो समस्त विश्व मोदीमय हो रहा है तो दूसरी तरफ मुस्लिम क्षेत्रों से पार्टी की जमानत जब्त हो, बहुत ही शर्म की बात है। इस विषय पर पार्टी को निष्पक्ष होकर मन्थन करना होगा। या जब किसी भी हिन्दू बहुल क्षेत्र से भाजपा द्वारा किसी मुस्लिम को टिकट देने पर उस उम्मीदवार को कोई भाजपाई एक भी वोट न दे, उस स्थिति में कोई इसे साम्प्रदायिकता का नाम न दे। ताली दोनों हाथों से बजती है, कभी एक हाथ से नहीं बजी।
अवलोकन करें :--
लगता है, उत्तर प्रदेश में मुख्यमन्त्री योगी ने अवैध बूचड़खाने एवं गोश्त की दुकानें, बिजली चोरी आदि पर कहर भरपाया है, "कहीं ऐसा न हो अब भाजपा के सत्ता में आने पर योगी की तर्ज़ पर दिल्ली में भी ऐसा हो गया, हम रोज़ गोश्त कहाँ से खायेंगे।" दिल्ली के मुसलमानों में डर बैठा दिया है। जबकि चुनाव पूर्व इन्ही क्षेत्रों से भाजपा को ही वोट देने के समाचार सुनने को मिलते थे, जिन्हे सुन लगता था, इस बार निगम चुनावों में भाजपा को उम्मीद से ज्यादा सीटें मिलेंगी। और चार सीटें बाजार सीताराम, मटिया महल, अजमेरी गेट और दिल्ली गेट सीटें भाजपा की झोली में स्पष्ट दिख रही थी, लेकिन अंदर क्या ज़हर भरा हुआ है, परिणाम आने पर पता चला। जो इस बात को सिद्ध करता है, कि दिल्ली में भी अवैध बूचड़खाने और गोश्त की दुकानों की कमताई नहीं। और यदि फिर भी भाजपा सत्ता में आ गयी, उस स्थिति में भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ एवं संघ से मुस्लिम मंच के माध्यम से अवरोध करवाने का प्रयास करेंगे।
दिल्ली MCD चुनावों में केजरीवाल और कांग्रेस ने चुनाव आयोग की बढ़िया कमाई करा दी है क्योंकि केजरीवाल की प्रधानमंत्री बनने की लालच ने दिल्ली में इस कदर मोदी लहर पैदा की, जिसकी वजह से करीब 40 आप उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी, इसके अलावा राहुल गाँधी की मेहरबानी से 92 कांग्रेस उम्मीदवारों की भी जमानत जब्त हो गयी।
MCD चुनाव में 40 AAP, 92 कांग्रेस के अलावा कुल 1790 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है, सभी उम्मीदवार नामांकन भरते समय 10 हजार रुपये की जमानत राशि भी जमा करते हैं, अगर किसी उम्मीदवार को 10 परसेंट वोट नहीं मिलते तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है, इस चुनाव में 1790 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है जिसकी वजह से चुनाव आयोग को करीब 1.7 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।
MCD चुनाव में सभी पार्टियों से करीब 2516 उम्मीदवार खड़े हुए थे जिसमें से 70 फ़ीसदी उम्मीदवार अपनी जमानत राशि नहीं बचा पाए. 5 बीजेपी उम्मीदवारों की भी जमानत जब्त हुई है।
अब प्रश्न यह है कि दिल्ली प्रदेश चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं --पद कुछ भी हो -- के विरुद्ध टिकट न मिलने या अन्य किसी कारण से पार्टी के विरुद्ध काम करने पर पार्टी से निकाल सकती है, लेकिन इतने वर्षों से भाजपा जो अपने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ को एक सफ़ेद हाथी की तरह पाल रही है, उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही कब होगी? या इस प्रकोष्ठ के विरुद्ध कार्यवाही करने का साहस नहीं?
अब प्रश्न यह है कि दिल्ली प्रदेश चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं --पद कुछ भी हो -- के विरुद्ध टिकट न मिलने या अन्य किसी कारण से पार्टी के विरुद्ध काम करने पर पार्टी से निकाल सकती है, लेकिन इतने वर्षों से भाजपा जो अपने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ को एक सफ़ेद हाथी की तरह पाल रही है, उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही कब होगी? या इस प्रकोष्ठ के विरुद्ध कार्यवाही करने का साहस नहीं?
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