कश्मीर के साथ भारत मे रह रहे सभी मुसलमानों को भी अपने देश में लेना पड़ेगा -- चंद्रशेखर, तत्कालीन प्रधानमन्त्री
बात वर्ष 1990 के मालदीव मे सार्क सम्मलेन की है। 21 नवम्बर से 23 नवम्बर के बीच चले इस सम्मलेन मे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी भाग लिया था। भारत का प्रतिनिधित्व उस समय भारत के प्रधानमन्त्री चद्रशेखर कर रहे थे। नवाज शरीफ तब पहली बार पकिस्तान के प्रधानमन्त्री बने थे और चंद्रशेखर पहली बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए थे। कश्मीर तब आतंकवाद की आग मे झुलस रहा था और लाखों कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से खदेड़ दिया गया था। यहाँ तक की आतंकवादियों ने तब के गृहमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरण भी कर लिया था।( जो आज तक एक विवादित अपहरण है। )
चंद्रशेखर कोई चार महीने प्रधानमंत्री रहे और आम चुनाव और उसके दौरान राजीव गांधी के दुखद निधन के कारण चार महीने उन्हें और काम चलाना पड़ा। लेकिन इस बीच वे सार्क सम्मेलन में माले गए जहां उनकी मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से हुई। चंद्रशेखर इस मुलाकात में हुई बातचीत को बड़ा मजा लेकर सुनाया करते थे। हुआ यूँ कि अपनी आदत से मजबूर पाकिस्तान नें उस सम्मलेन मे भी कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि कश्मीर पाकिस्तान के गले की नस है और कश्मीर के बिना पकिस्तान अधूरा है इसीलिए जब तक वो कश्मीर को हिंदुस्तान से छीन नहीं लेंगे वो चुप नहीं बैठेंगे।
दरअसल प्रधानमंत्री बनते ही चंद्रशेखर सार्क सम्मेलन के लिए मालदीव गये, वहां पाकिस्तान से नवाज शरीफ भी आये थे l इस सम्मलेन मे भारत के अलावा भारत के कई पड़ोसी देशों के प्रधानमन्त्री भी उपस्थित थे। पहली ही भेंट में चंद्रशेखर ने नवाज शरीफ को अपना प्रशंसक बना लिया l जिसके बाद नवाज शरीफ उन्हें ‘बड़े भाई’ कह कर पुकारने लगे l जब नवाज शरीफ और तत्कालीन भारतीय प्रधानमन्त्री चद्रशेखर की मुलाकात हुई तो उनसे दोस्ताना बातचीत में नवाज शरीफ ने कहा कि भारत-पाकिस्तान में स्थायी शांति और अच्छे संबंध हो सकते हैं अगर कश्मीर आप हमें दे दें।
अनौपचारिक चर्चा में कश्मीर प्रसंग पर चंद्रशेखर जी ने नवाज शरीफ से कहा, कश्मीर, कश्मीर की रट लगाते रहते हो आप लोग l इतना ही नही कश्मीर का जिक्र करते हुए तत्कालीन भारत के प्रधानमन्त्री चद्रशेखर ने नवाज शरीफ से पूछा कि आप की बड़ी इच्छा है कि कश्मीर को कैसे भारत से छीन लिया जाये क्योंकि वहां पर आपके सगे संबंधी रहते हैं और कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है ?
कश्मीर के साथ आपको भारत मे रह रहे सभी 15 करोड़ मुसलमानों को भी अपने देश में लेना पड़ेगा -- चंद्रशेखर
वैसे यह बात किसी से छिपी नही है कि पाकिस्तान हर जगह कश्मीर का राग अलापने लगता है और इसी रिवाज को आगे बढ़ाते हुए उस सार्क सम्मलेन में भी नवाज ने ऐसा ही कुछ किया था, लेकिन उस वक्त उन्हें मुंह की खानी पड़ी l जब उस सम्मलेन में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने नवाज शरीफ ने कहा कि चलिए ठीक है हम आपको कश्मीर देने के लिए तैयार हैं। उसके बाद उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि मगर एक शर्त है। शर्त ये है की कश्मीर के साथ आपको भारत मे रह रहे सभी 15 करोड़ मुसलमानों को भी अपने देश में लेना पड़ेगा क्योंकि क्या पता कल को उनके बिना भी आपका मन ना लगे।
बस फिर क्या था, दोस्ती का हाथ बढ़ाकर कश्मीर लेने की तमन्ना रखने वाले पाकिस्तान इतना सुनना था की नवाज शरीफ की बोलती बंद हो गयी, उनके मुंह से अल्फाज ही नहीं निकल रहे थे की क्या कहें। सकपकाते हुए उन्होंने कहा की अरे मेरा कहने का वो मतलब नहीं था। इसके बाद वो चुपचाप पतली गली से निकल लिए और उस सम्मेलन के दौरान उन्होंने दोबारा कश्मीर मुद्दे पर कोई बात ही नहीं की।
सोच लीजिए, वहां जाने के बाद वापस आने-न आने देने का हक हमें है। -- महबूबा को चंद्रशेखर का जवाब
चंद्रशेखर के सामने महबूबा सईद तुनक कर कहती कि हमें मुजफ्फराबाद जाने दीजिए। वहां जाने और अपना सामान वहां से लाने और भेजने का हम कश्मीरियों को हक है तो चंद्रशेखर कहते कि हक है तो जरूर जाइए। लेकिन सोच लीजिए, वहां जाने के बाद वापस आने-न आने देने का हक हमें है। सिर्फ इसलिए कि जम्मू वालों ने सड़क रोक रखी है आप देश छोड़कर पाकिस्तान चली जाएंगी तो जाइए। आपके लिए यह होगी सराय, हमारे लिए तो अपना देश है। और हम अपनी सीमाओं से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कट्टरपंथी और अलगाववादी, पुराने पुलिस अफसर मान भी लोकसभा के लिए चुन लिए गए थे लेकिन वे सदन में अपनी लंबी तलवार लेकर जाना चाहते थे। रोक दिए गए तो उन्होंने सिखी के नाम पर बड़ा हल्ला मचाया। चंद्रशेखर ने उनसे कहा-आप हरमंदिर साहिब में नंगे सिर नहीं जा सकते क्योंकि वह गुरु का मंदिर है। वैसे ही यह संसद बातचीत और बहस से फैसले का लोकतांत्रिक मंदिर है। यहां भी आप इतने से बड़ी कृपाण लेकर नहीं जा सकते। जैसी हरमंदिर साहिब की मर्यादा है वैसी ही लोकतंत्र के इस मंदिर की मर्यादा है। आपको नहीं माननी तो अपने घर जाइए।
चंद्रशेखर कोई चार महीने प्रधानमंत्री रहे और आम चुनाव और उसके दौरान राजीव गांधी के दुखद निधन के कारण चार महीने उन्हें और काम चलाना पड़ा। लेकिन इस बीच वे सार्क सम्मेलन में माले गए जहां उनकी मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से हुई। चंद्रशेखर इस मुलाकात में हुई बातचीत को बड़ा मजा लेकर सुनाया करते थे। हुआ यूँ कि अपनी आदत से मजबूर पाकिस्तान नें उस सम्मलेन मे भी कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि कश्मीर पाकिस्तान के गले की नस है और कश्मीर के बिना पकिस्तान अधूरा है इसीलिए जब तक वो कश्मीर को हिंदुस्तान से छीन नहीं लेंगे वो चुप नहीं बैठेंगे।
दरअसल प्रधानमंत्री बनते ही चंद्रशेखर सार्क सम्मेलन के लिए मालदीव गये, वहां पाकिस्तान से नवाज शरीफ भी आये थे l इस सम्मलेन मे भारत के अलावा भारत के कई पड़ोसी देशों के प्रधानमन्त्री भी उपस्थित थे। पहली ही भेंट में चंद्रशेखर ने नवाज शरीफ को अपना प्रशंसक बना लिया l जिसके बाद नवाज शरीफ उन्हें ‘बड़े भाई’ कह कर पुकारने लगे l जब नवाज शरीफ और तत्कालीन भारतीय प्रधानमन्त्री चद्रशेखर की मुलाकात हुई तो उनसे दोस्ताना बातचीत में नवाज शरीफ ने कहा कि भारत-पाकिस्तान में स्थायी शांति और अच्छे संबंध हो सकते हैं अगर कश्मीर आप हमें दे दें।
अनौपचारिक चर्चा में कश्मीर प्रसंग पर चंद्रशेखर जी ने नवाज शरीफ से कहा, कश्मीर, कश्मीर की रट लगाते रहते हो आप लोग l इतना ही नही कश्मीर का जिक्र करते हुए तत्कालीन भारत के प्रधानमन्त्री चद्रशेखर ने नवाज शरीफ से पूछा कि आप की बड़ी इच्छा है कि कश्मीर को कैसे भारत से छीन लिया जाये क्योंकि वहां पर आपके सगे संबंधी रहते हैं और कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है ?
कश्मीर के साथ आपको भारत मे रह रहे सभी 15 करोड़ मुसलमानों को भी अपने देश में लेना पड़ेगा -- चंद्रशेखर
वैसे यह बात किसी से छिपी नही है कि पाकिस्तान हर जगह कश्मीर का राग अलापने लगता है और इसी रिवाज को आगे बढ़ाते हुए उस सार्क सम्मलेन में भी नवाज ने ऐसा ही कुछ किया था, लेकिन उस वक्त उन्हें मुंह की खानी पड़ी l जब उस सम्मलेन में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने नवाज शरीफ ने कहा कि चलिए ठीक है हम आपको कश्मीर देने के लिए तैयार हैं। उसके बाद उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि मगर एक शर्त है। शर्त ये है की कश्मीर के साथ आपको भारत मे रह रहे सभी 15 करोड़ मुसलमानों को भी अपने देश में लेना पड़ेगा क्योंकि क्या पता कल को उनके बिना भी आपका मन ना लगे।
बस फिर क्या था, दोस्ती का हाथ बढ़ाकर कश्मीर लेने की तमन्ना रखने वाले पाकिस्तान इतना सुनना था की नवाज शरीफ की बोलती बंद हो गयी, उनके मुंह से अल्फाज ही नहीं निकल रहे थे की क्या कहें। सकपकाते हुए उन्होंने कहा की अरे मेरा कहने का वो मतलब नहीं था। इसके बाद वो चुपचाप पतली गली से निकल लिए और उस सम्मेलन के दौरान उन्होंने दोबारा कश्मीर मुद्दे पर कोई बात ही नहीं की।
सोच लीजिए, वहां जाने के बाद वापस आने-न आने देने का हक हमें है। -- महबूबा को चंद्रशेखर का जवाब
चंद्रशेखर के सामने महबूबा सईद तुनक कर कहती कि हमें मुजफ्फराबाद जाने दीजिए। वहां जाने और अपना सामान वहां से लाने और भेजने का हम कश्मीरियों को हक है तो चंद्रशेखर कहते कि हक है तो जरूर जाइए। लेकिन सोच लीजिए, वहां जाने के बाद वापस आने-न आने देने का हक हमें है। सिर्फ इसलिए कि जम्मू वालों ने सड़क रोक रखी है आप देश छोड़कर पाकिस्तान चली जाएंगी तो जाइए। आपके लिए यह होगी सराय, हमारे लिए तो अपना देश है। और हम अपनी सीमाओं से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कट्टरपंथी और अलगाववादी, पुराने पुलिस अफसर मान भी लोकसभा के लिए चुन लिए गए थे लेकिन वे सदन में अपनी लंबी तलवार लेकर जाना चाहते थे। रोक दिए गए तो उन्होंने सिखी के नाम पर बड़ा हल्ला मचाया। चंद्रशेखर ने उनसे कहा-आप हरमंदिर साहिब में नंगे सिर नहीं जा सकते क्योंकि वह गुरु का मंदिर है। वैसे ही यह संसद बातचीत और बहस से फैसले का लोकतांत्रिक मंदिर है। यहां भी आप इतने से बड़ी कृपाण लेकर नहीं जा सकते। जैसी हरमंदिर साहिब की मर्यादा है वैसी ही लोकतंत्र के इस मंदिर की मर्यादा है। आपको नहीं माननी तो अपने घर जाइए।
Comments