जम्मू-कश्मीर में मुसलमानों को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं, इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के पाले में डाल दिया है और कहा कि ये मुद्दा केंद्र और राज्य सरकार आपसी सहमति से मिलकर सुलझाएं।
साथ ही कोर्ट ने चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एसके कॉल की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार आपस में बैठे और यह तय करें कि क्या जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं और इसके मुताबिक उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए या नहीं।
बेंच का कहना है कि ये बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है और दोनों सरकारों को मिलकर इसका हल खोजना चाहिए।
यह कहा था याचिकाकर्ता
पिछले साल याचिकाकर्ता अंकुर शर्मा ने एक जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में मुसलमान बहुसंख्यक हैं।
उसके बावजूद अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ मुसलमानों को मिल रहा है। उनका कहना था कि मुसलमानों को मिले अल्पसंख्यक समुदाय के दर्जें पर फिर से विचार किया जाना चाहिए और राज्य की जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों की पहचान की जानी चाहिए।
सरकार पर लगा था 30,000 का जुर्माना
बता दें, कोर्ट ने पिछले महीने इस याचिका के संबंध में अपना जवाब दायर नहीं करने पर केंद्र पर 30,000 रुपए जुर्माना लगाया था। इस पर कोर्ट ने केंद्र को अपना जवाब दायर करने के लिए अंतिम अवसर देते हुए कहा था कि यह मामला बहुत ही अहम है।
Comments