दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मार्च 26 को एेलान किया था कि अगर आम आदमी पार्टी एमसीडी चुनाव जीत जाती है तो वह हाऊस टैक्स माफ कर देगी। लेकिन यह शायद पूर्व एमसीडी कमिश्नरों और कॉरपोरेशन पर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को पसंद नहीं आया। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल के इस कदम से न सिर्फ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के राजस्व को झटका लगेगा बल्कि इससे नागरिक निकाय प्रभावी तरीके से पंगु बन जाएगा। साल 2004 में जब तत्कालीन एमसीडी ने यूनिट एरिया मेथड लागू किया था तो कॉलोनियों को ए से लेकर एच की श्रेणियों में बांट दिया गया था। बेस यूनिट वैस्यू उनके स्थान और क्षेत्र की प्रकृति के आधार पर तय किया गया था।
उदाहरण के तौर पर ए-श्रेणी कॉलोनियों के लिए बेस यूनिट वैल्यू 630 रुपये (अधिकतम) और एच श्रेणी वाले लोगों के लिए यह 100 रुपये (न्यूनतम) है। पूर्व नगरपालिका आयुक्त राकेश मेहता ने दावा किया कि आवासीय कॉलोनियों से अगर संपत्ति कर नहीं लिया जाता है, तो कॉलोनियों को श्रेणियों में बांटने की अवधारणा का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। इस तरह से तो ग्रेटर कैलाश में रहने वाले लोगों को वही सर्विस दी जाएंगी जो सीलमपुर में रहने वालों को दी जाती हैं।
फिलहाल दिल्ली की कुल आबादी में सिर्फ 30-35 प्रतिशत ही प्रॉपर्टी टैक्स देते हैं। जबकि बाकी 65-70 प्रतिशत टैक्स के दायरे में नहीं आते। संपत्ति कर आवासीय, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल यूनिट्स के अलावा मिश्रित भूमि वालों से लिया जाता है। दक्षिण निगम में 11 लाख घरों में 4.75 लाख करदाता हैं। उत्तरी नगर निगम की 10 लाख संपत्तियों में लगभग 3.35 लाख संपत्ति करदाता हैं, जबकि पूर्व नगर निगम के चार लाख से अधिक संपत्ति मालिकों में 2.28 लाख टैक्स देते हैं।
2016-17 में, दक्षिण, उत्तर और पूर्व नगर निगमों ने क्रमशः 775 करोड़, 435 करोड़ और 128 करोड़ रुपये हासिल किए थे, जो कुल राजस्व का लगभग 30% है। संपत्ति कर के रूप में आया राजस्व एमसीडी को लोगों को सुविधाएं मुहैया कराने में मदद करता है। मेहता कहते हैं कि हर देश में स्थानीय निकाय टैक्स लेते हैं, इसका कारण है कि सरकार कुल राजस्व का केवल एक हिस्सा देती करती है और नगर निगमों को बाकी सभी फंडों का प्रबंधन खुद करना पड़ता है। सफाई, प्राइमरी एजुकेशन और स्वास्थ्य सेवाओं पर बहुत बुरा असर पड़ेगा, अगर सर्विस टैक्स हटा दिया जाता है।
Comments