18 मार्च को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने आदित्यनाथ योगी जी ने शपथ ली। फैसले लेने के बाद कुछ लोग खुश दिखे तो कुछ नाखुश नज़र आए। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद के पहले हफ्ते में ही मुख्यमन्त्री योगी जी ने जिस निडरता और जिस तेजी से एक के बाद एक यूपी के हित में फैसले लिए उससे साफ दिख रहा है कि वह कुछ अच्छा और अलग करने की सोच रहे हैं और वह इन कामों को पूरा करेगें। विकास को देखते हुए इस एक हफ्ते में योगी ने कई फैसले लिए हैं, और उनकी रफ्तार देख एेसा लग रहा है कि वे अपने फैसलों पर खरा उतरेंगे।
जैसे ही यूपी में बीजेपी सत्ता में आई और योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद संभाला तो काम भी शुरू हो गया
जैसे ही यूपी में बीजेपी सत्ता में आई और योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद संभाला तो काम भी शुरू हो गया
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी कुर्सी पर बैठते ही धड़ाधड़ फैसले लेकर सबको चौंका दिया है| सीएम बनते ही योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में ताबड़तोड़ बैठकों का दौर जारी कर दिया और फिर एक के बाद एक बड़े-बड़े फैसले लिए | मुख्यमंत्री योगी ने गोरखपुर के अपने दौरे के दौरान अपनी टीम को कर्तव्यनिष्ठा का संदेश देते हुए कहा कि जो लोग 18-20 घंटे काम करना चाहते हैं, वे ही उनके साथ रहें, बाकी लोग अपना रास्ता खुद तय कर लें।
आदित्यनाथ योगी जी ने छोटी सी अवधि में करीब 50 नीतिगत फैसले लेकर अपने इरादे जाहिर कर दिये हैं। मुख्यमंत्री बनने के अगले ही दिन सचिवालय का अचानक निरीक्षण करके यह जाहिर कर दिया कि वह सरकारी तंत्र में वक्त की पाबंदी, काम में ईमानदारी और कार्यालय में स्वच्छता के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे।आपको बता दें पिछले 40 साल के दौरान सचिवालय का दौरा करने वाले वह पहले मुख्यमंत्री हैं। योगी ने अपने इस दौरे के दौरान सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों तथा विद्यालयों में पान, तम्बाकू तथा पान मसाला खाने पर पाबंदी लगा दी और सभी अधिकारियों को स्वच्छता रखने की शपथ दिलायी। उसके अगले ही दिन उनकी सरकार के एक मंत्री अपने कार्यालय में झाड़ू लगाते और कई मंत्री फाइलों में जमी धूल साफ करते नजर आये।
योगी जी के इन बढ़ते क़दमों से विपक्ष में खौफ साफ़ दिख रहा है, आने वाले समय में अगर योगी आदित्यनाथ इसी प्रकार काम करते रहे तो यूपी की तस्वीर बदलने से कोई नहीं रोक सकता है !
उन्होंने कहा कि वह दो महीने में ऐसा माहौल तैयार करेंगे जिससे लोगों को बदलाव महसूस होगा और उन्हें यह पता चलेगा कि सरकार कैसे चलायी जाती है। योगी ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक का इंतजार किये बगैर तेज तर्रार ढंग से काम शुरू किया। अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई और एंटी रोमियो दलों के जरिये शोहदों पर शिकंजा कसा जाना इसका उदाहरण है। उन्होंने अपराधियों को चेतावनी दी कि वह या तो सुधर जाएं या उत्तर प्रदेश छोड़कर चले जाएं। मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से साफ कहा कि वे सरकारी ठेके ना लें, बल्कि विकास कार्यों की निगरानी करें।
इससे साफ़ है कि योगी वक्त की पाबंदी, काम में ईमानदारी और कार्यालय में स्वच्छता के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगे।
वास्तव में अब तक प्रदेश में सभी को हरामखोरी की आदत होने से एक सख्त प्रशासक के कारण सरकारी तंत्र सकते में आ गया है। वही पुलिस और वही अधिकारी एवं कर्मचारी सभी सुचारू रूप से कार्य में व्यस्त होकर, अपनी तरफ से किसी भी तरह की कमी किये जाने पर ध्यान केन्द्रित किये हुए हैं।
शिक्षण संस्थानों पर भी लगाम जरुरी
मुख्यमन्त्री योगी को प्रदेश में शिक्षकों पर भी सख्ती से कार्य करना होगा। प्रदेश में सभी तो नहीं, हाँ अधिकतर शिक्षक अपनी कार्यक्षमता में हाशिये पर है। कुछ को तो शिक्षक कहने पर ही ग्लानि होती है। उनका शिक्षक बनना ही किसी अजूबे से कम नहीं। जिसदिन योगी ने शिक्षा क्षेत्र में हस्तक्षेप किया, न जाने कितने अयोग्य शिक्षक और उनको नियुक्त करने वाले स्कूल एवं अधिकारियों का दमन प्रदेश के हित में ही होगा। सोशल मीडिया पर यदाकदा तो नहीं अक्सर स्कूलों की वीडियो आती रहती है, जिन्हें देख स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य की चिन्ता होती है।
देखिये एक और उदाहरण मीडिया का
देखिये एक और उदाहरण मीडिया का
प्रस्तुत है दैनिक भास्कर की एक रपट :--
ब्लैक बोर्ड पर बच्ची नहीं लिख पाई झांसी की स्पेलिंग |
सरकारी स्कूलों की दुर्दशा से जुड़ी याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो फैसला सुनाया था कि इन स्कूलों में नेता, अधिकारी और जज अपनी बच्चों को बढ़ाएं, तभी इन स्कूलों की स्थिति सुधरेगी, क्योंकि इनमें न तो योग्य अध्यापक हैं और न ही मूलभूत सुविधाएं। वहीं, अब जब हाईकोर्ट ने यूपी के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्र शिक्षकों का अप्वाइंटमेंट कैंसल कर दिया है, तो शिक्षामित्र हंगामा मचा रहे हैं। इस मामले में जब dainikbhaskar.com की टीम ने प्राइमरी स्कूलों में जाकर टीचरों की जानकारी की हकीकत जानी, तो शर्मशार करने वाली सच्चाई सामने आ गई। किसी टीचर को राष्ट्रपति का नाम नहीं मालूम है तो कोई उप राष्ट्रपति और अपने क्षेत्र के सांसद-विधायक का नाम नहीं जानता है।जांच-पड़ताल के बाद पता चला कि प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में तैनात शिक्षकों में ऐसे शिक्षकों की कमी नहीं है, जिन्हें अंग्रेजी में सप्ताह के दिन तक पता नहीं। वहीं, कोई शिक्षक 10वीं पास तो कोई 12वीं फेल है, जबकि प्रदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजगारों की कमी नहीं है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षकों की हकीकत जानने के लिए dainik bhaskar.com की टीम झांसी के प्राइमरी स्कूलों में जांच-पड़ताल करने पहुंची। इस दौरान जो कड़वा सच सामने आया, वो हैरत में डाल देता है।
शिक्षक रिटायरमेंट के कगार पर, लेकिन नहीं पता
सीबीआई का फुलफॉर्म
कन्या प्राथमिक विद्यालय बंकापहाड़ी ब्लॉक |
झांसी से 15 किमी दूर बड़ागांव स्थित छपरा के प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक भगवान सिंह से जब सीबीआई का फुलफॉर्म पूछा गया तो वो नहीं बता पाए, जबकि वे रिटायरमेंट के कगार पर हैं। वहीं, जब देश के वर्तमान राष्ट्रपति का नाम पूछा गया तो वे नहीं बता पाए। उन्होंने राष्ट्रपति का नाम हामिद अंसारी बताया। जब लोकसभा के स्पीकर और एपीजे अब्दुल कलाम और वन रैंक वन पेंशन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके घर में टीवी नहीं है और अखबार भी कभी-कभार पड़ते हैं। उनके मुताबिक, वह सभी विषय पढ़ाते हैं, वे 10वीं पास हैं, लेकिन 12वीं फेल हैं। इसी गांव में स्थित जूनियर विद्यालय के अध्यापक मोहम्मद सिद्दीकी ने राष्ट्रपति का नाम तो बता दिया, लेकिन लोकसभा स्पीकर का नाम पूछे जाने पर वह उठकर चले गए।
शिक्षिका ने झांसी के मेयर का नाम किरण बेदी बताया
झांसी से लगभग 80 किमी दूर गरौठा तहसील के बंकापहाड़ी के कन्या प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षिका राम कुमारी से जब झांसी के मेयर का नाम पूछा गया, तो उन्होंने किरण बेदी बताया। वहीं, इसी स्कूल के प्रधानाध्यापक हरनाथ यादव ने उप राष्ट्रपति का नाम प्रणब मुखर्जी बताया। एक अन्य अध्यापक हरी मोहन नामदेव से जब उनके क्षेत्र के सांसद का नाम पूछा गया तो वे नहीं बता पाए। इसके अलावा जब एक शिक्षक से पूछा गया कि आप कौन-सा विषय पढ़ाते हैं, तो उन्होंने गर्व से कहा- संस्कृत पढ़ाते हैं। हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि राम झांसी के लिए टेलीविजन खरीदता है, इसका संस्कृत में अनुवाद कैसे होगा, तो वो नहीं बता सके।
अभी कुछ दिन पहले बीएसए सर्वदानंद, बंगरा ब्लॉक के गांव सेवर में स्कूल के निरीक्षण करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने जब शिक्षक उदय सिंह से अंग्रेजी में सप्ताह के नाम पूछे, तो वे नहीं बता सके थे। इसके बाद बीएसए ने उन्हें सुधार की चेतावनी दी। ऐसे में जानकार कहते हैं कि हाईकोर्ट ने शिक्षा मित्रों की भर्ती को निरस्त करने का फैसला सही सुनाया है, क्योंकि अधिकतर शिक्षा मित्र पढ़ाने योग्य नहीं हैं।
प्राइमरी स्कूल के बच्चों को अंग्रेजी में झांसी भी लिखने नहीं आता
जब प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों को ही अंग्रेजी में सप्ताह के दिन का नाम लिखने नहीं आता तो जाहिर सी बात है इन स्कूलों में बच्चों का भविष्य क्या होगा? जब एक बच्ची को अंग्रेजी में झांसी लिखने को कहा गया तो वो नहीं लिख पाई। इस तरह अन्य बच्चों का भी हाल था।
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