आखिर न्यायपालिका और सरकार में क्यों हो रहा है टकराव? जजों पर भी अंकुश लगाए सुप्रीम कोर्ट।
28 अक्टूबर को जजों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश टी.एस.ठाकुर ने कहा कि सिफारिश के बावजूद सरकार 9 महीने से फाइल को दबाए बैठी है। सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से जस्टिस ठाकुर ने कहा कि आप इसे नाक का सवाल न बनाएं। आप (सरकार) संस्थाओं को दो पाटों के बीच नहीं पीस सकते। हम बेहद धैर्य के साथ काम कर रहे हैं। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते, जहां न्यायपालिका तबाह हो जाए और अदालतों में ताले लगे जाएं। यह माना कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति नहीं होने देश के सभी राज्यों में मुकदमों का अंबार लग गया है। सुप्रीम कोर्ट की यह राय वाजिब है कि जजों की नियुक्ति जल्द होनी चाहिए। सब जानते हैं कि सरकार ने जजों की नियुक्ति का जो फार्मूला सुझाया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। अब जजों की नियुक्ति के फार्मूले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ओर सरकार के बीच विवाद की स्थिति है। लेकिन जिन लोगों का अदालतों से पाला पड़ा है, वे अच्छी तरह जानते हैं कि अदालतों में क्या-क्या होता है। ऐसा नहीं कि सुप्रीम कोर्ट में बैठे भगवानों को हाई कोर्ट के भगवानों की करतूतें पता न हों। कई अवसरों पर बड़े भगवानों ने छोटे भगवानों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है। बड़े भगवानों को हाईकोर्ट के अंकल जजों के बारे में भी पता है। अंकल जज उन्हें माना जाता है जिनके पुत्र पुत्रियां या अन्य निकट के रिश्तेदार हाईकोर्ट में वकालात करते हैं। ईमानदारी इतनी की कोई जज अपने बेटे-बेटी को अपनी अदालत में पैरवी नहीं करने देता। जब से जजों की नियुक्ति अन्य प्रांतों में होने लगी है तब से तो अंकल जजों की ईमानदारी और बढ़ गई है। उदाहरण के लिए गुजरात का कोई जज राजस्थान में और राजस्थान का गुजरात हाईकोर्ट में नियुक्त हो तो राजस्थान के वकील बेटे, बेटी को गुजरात में और गुजरात वाले को राजस्थान में अंकल जज मिल जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट को इस बात का भी पता लगाना चाहिए कि अंकल जजों से जुड़े युवा वकीलों की स्थिति कैसी है। साधारण परिवार का युवा वकील वर्षों तक अपनी पहचान के लिए मोहताज रहता है, जबकि अंकल जजों की वजह से बेटे-बेटियां रातोंरात मालामाल हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी पता लगाए कि जजों के बेटे-बेटियां कितनी राज्य सरकारों के पैनल में शामिल है। खुद सुप्रीम कोर्ट में होईकोर्ट के जजों के बेटे-बेटियां विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से पैरवी कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि ऐसे बेटे-बेटियों में काबिलियत की कोई कमी हो, लेकिन इनसे भी ज्यादा काबिलियत वाले वकील मुंशीगिरी का काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट यह कह सकता है कि जब नेता का बेटा नेता बन सकता है तो जज का बेटा वकील क्यों नहीं बन सकता? सुप्रीम कोर्ट का यह तर्क 100 प्रतिशत सही है, लेकिन नेता और उसके बेटे की आलोचना सार्वजनिक तौर पर हो सकती है तथा ऐसे भ्रष्ट नेताओं को कोर्ट में भी घसीटा जा सकता है, लेकिन न्यायालय की अवमानना के डर की वजह से बेटे-बेटियों की कोई आलोचना नहीं हो सकती और न ही किसी कोर्ट में घसीटा जा सकता है।
पिछले कई दिनों से सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश मोदी सरकार के पीछे पड़े हुए हैं, कभी मोदी के सामने आंसू बहाते हैं और कभी केंद्र सरकार को फटकार लगाते हैं ।
तीरथ सिंह ठाकुर हाई कोर्ट में मुख्य जजों की नियुक्तियां करना चाहते हैं लेकिन जजों का नाम खुद उन्होंने चुना है, जिसके विरोध में करीब 1000 वकीलों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास अर्जी भेजी है, अगर मोदी प्रधान न्यायाधीश की बात मान लेते हैं तो वकील हड़ताल कर देंगे जिसकी वजह से आन्दोलन शुरू हो जाएंगे..
एक समस्या और है, इस वक्त हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त किये गए भ्रष्ट और घूसखोर जज भरे पड़े हैं, उन्हीं में से छंटनी करके तीरथ सिंह ठाकुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीशों की नियुक्ति करना चाहते हैं, मोदी सरकार की समस्या यह है कि अगर दो चार मुख्य न्यायाधीश चुन लिय गए तो तीन साल तक वे "अनाप शनाप फैसले" सुनाकर मुसीबत बढाते रहेंगे, इसलिए मोदी सरकार भ्रष्ट जजों की न्यायालयों से सफाई चाहती है, यही सोचकर जजों की नियुक्ति के लिए एक व्यवस्था बनायी जा रही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस व्यवस्था के विरोध में है।
पिछले दो वर्ष पहले जब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी तो सुप्रीम कोर्ट की कांग्रेस के सामने बोलने की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि सभी जजों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती थी इसलिए किसी जज में कांग्रेस सरकार को फटकार लगाने की हिम्मत नहीं होती थी, आज भी वही जज सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भरे पड़े हैं और मौका मिलने पर मोदी सरकार को खूब फटकार लगा रहे हैं। थोडा बहुत कमी थी तो उसे तीरथ सिंह ठाकुर ने रो धोकर पूरा कर दिया।
जब तीरथ सिंह ठाकुर हाथ धोकर मोदी सरकार के पीछे पड़ गए तो लोग सोचने लगे कि आखिर बात क्या हो सकती है, जब उनकी डीएनए एनालिसिस की गयी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए, ऐसा लगा कि तीरथ सिंह ठाकुर के अन्दर आज भी कांग्रेस भक्ति बसी हुई है, जिसकी वजह से वह मोदी सरकार के विरोधी बनते जा रहे हैं।
तीरथ सिंह ठाकुर के पिता देवी दास ठाकुर एक तरह से कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के भक्त थे, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की वजह से ही आज कश्मीर आतंकवाद और अलगाववाद का दंश झेल रहा है, सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि तीरथ सिंह ठाकुर के पिता देवी सास ठाकुर एक समय (1973-1975) जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट के जज थे लेकिन उन्हें सत्ता का ऐसा लोभ हुआ कि 1975 अपने पद से इस्तीफ़ा देकर शेख मुहम्मद अब्दुल्लाह की सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर बन गए।
इसके बाद देवी दास ठाकुर वित्त मंत्री बने, जब शेख अब्दुल्लाह की मौत हो गयी तो उसके बाद उनके दामाद गुलाम मोहम्मद अब्दुल्लाह जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री बने, चूँकि देवी दास ठाकुर की अब्दुल्लाह परिवार से बढ़िया केमिस्ट्री थी इसलिए देवी दास जम्मू और कश्मीर के उप-मुख्यमंत्री बनाए गए।
देखिये, तीरथ सिंह ठाकुर के पिता जी हाई कोर्ट में जज थे, बाद में मंत्री बने, फिर उप-मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस की सरकार ने उन्हें गवर्नर बनाया, कितने रसूखदार थे तीरथ सिंह ठाकुर के पिता जी, उनकी मृत्यु 2007 में हुई लेकिन उन्होने मरने से पहले अपने दोनों बेटों को सेट कर दिया, तीरथ सिंह ठाकुर दो भाई हैं, उनके छोटे भाई धीरज सिंह ठाकुर भी जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में जज हैं, तीरथ सिंह ठाकुर देश के सबसे गरिमामयी पद पर हैं, सुप्रीम कोर्ट से बड़ा क्या हो सकता है, अब वे चाहते हैं कि उनके भाई भी जज बनें, उनके बेटे भी जज बनें, उनके नाती भी जज बनें, जैसा कि उनके पिता ने किया और अपने दोनों बेटों को जज बना दिया, मोदी सरकार इसी व्यवस्था के खिलाफ है, उन्हें परिवारवाद बर्दास्त नहीं है।
मोदी सरकार एक नई व्यवस्था के तहत जजों की नियुक्ति करना चाहती है लेकिन प्रधान न्यायाधीश अपनी मनमर्जी चलाना चाहते हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने नई व्यवस्था पर रोक लगा दी है, इसलिए मोदी ने भी तीरथ सिंह के फैसले पर रोक लगा दी है।
तीरथ सिंह को क्यों बताया जा रहा है कांग्रेस भक्त ...तीरथ सिंह ठाकुर के पिताजी जन गुलाम मोहम्मद शाह की सरकार में उप-मुख्यमंत्री थे तो उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटालों के बहुत आरोप लगे, इसके अलावा इनके पिताजी दशकों तक कांग्रेस से भी जुड़े रहे हैं, कांग्रेस सरकार ने उन्हें असम का गवर्नर बनाया, तीरथ सिंह ठाकुर के ऊपर भी कांग्रेस की भक्ति का कुछ तो असर पड़ा ही होगा, आखिर उनके घर का ही माहौल कांग्रेसमय था, हर समय कांग्रेस की चर्चा होती रहती होगी, कांग्रेस के गुण गाये जाते रहे होंगे, बच्चों पर अपने बाप का कुछ तो असर पड़ता ही है, जिस कांग्रेस ने उनके परिवार को सेट किया, उनके पिताजी को सेट किया, हो सकता है उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट ने सेट किया गया हो, अब वे उसके लिए कुछ ना कुछ काम तो करेंगे ही जिसने उन्हें सेट किया है, शायद इसीलिए जब से केंद्र में मोदी सरकार आयी है सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार को फटकार पर फटकार लगा रहा है, कांग्रेस सरकार के समय तो बोलने की भी हिम्मत नहीं होती थी, सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दो साल तक कांग्रेस ने कालेधन पर SIT बनाने को कहा लेकिन कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की कभी भी परवाह नहीं की, कालेधन को कोई कार्यवाही नहीं की, लोगों को मौका मिला और उन्होंने अपने कालेधन को सेट कर लिया।
28 अक्टूबर को जजों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश टी.एस.ठाकुर ने कहा कि सिफारिश के बावजूद सरकार 9 महीने से फाइल को दबाए बैठी है। सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से जस्टिस ठाकुर ने कहा कि आप इसे नाक का सवाल न बनाएं। आप (सरकार) संस्थाओं को दो पाटों के बीच नहीं पीस सकते। हम बेहद धैर्य के साथ काम कर रहे हैं। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते, जहां न्यायपालिका तबाह हो जाए और अदालतों में ताले लगे जाएं। यह माना कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति नहीं होने देश के सभी राज्यों में मुकदमों का अंबार लग गया है। सुप्रीम कोर्ट की यह राय वाजिब है कि जजों की नियुक्ति जल्द होनी चाहिए। सब जानते हैं कि सरकार ने जजों की नियुक्ति का जो फार्मूला सुझाया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। अब जजों की नियुक्ति के फार्मूले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ओर सरकार के बीच विवाद की स्थिति है। लेकिन जिन लोगों का अदालतों से पाला पड़ा है, वे अच्छी तरह जानते हैं कि अदालतों में क्या-क्या होता है। ऐसा नहीं कि सुप्रीम कोर्ट में बैठे भगवानों को हाई कोर्ट के भगवानों की करतूतें पता न हों। कई अवसरों पर बड़े भगवानों ने छोटे भगवानों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है। बड़े भगवानों को हाईकोर्ट के अंकल जजों के बारे में भी पता है। अंकल जज उन्हें माना जाता है जिनके पुत्र पुत्रियां या अन्य निकट के रिश्तेदार हाईकोर्ट में वकालात करते हैं। ईमानदारी इतनी की कोई जज अपने बेटे-बेटी को अपनी अदालत में पैरवी नहीं करने देता। जब से जजों की नियुक्ति अन्य प्रांतों में होने लगी है तब से तो अंकल जजों की ईमानदारी और बढ़ गई है। उदाहरण के लिए गुजरात का कोई जज राजस्थान में और राजस्थान का गुजरात हाईकोर्ट में नियुक्त हो तो राजस्थान के वकील बेटे, बेटी को गुजरात में और गुजरात वाले को राजस्थान में अंकल जज मिल जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट को इस बात का भी पता लगाना चाहिए कि अंकल जजों से जुड़े युवा वकीलों की स्थिति कैसी है। साधारण परिवार का युवा वकील वर्षों तक अपनी पहचान के लिए मोहताज रहता है, जबकि अंकल जजों की वजह से बेटे-बेटियां रातोंरात मालामाल हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी पता लगाए कि जजों के बेटे-बेटियां कितनी राज्य सरकारों के पैनल में शामिल है। खुद सुप्रीम कोर्ट में होईकोर्ट के जजों के बेटे-बेटियां विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से पैरवी कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि ऐसे बेटे-बेटियों में काबिलियत की कोई कमी हो, लेकिन इनसे भी ज्यादा काबिलियत वाले वकील मुंशीगिरी का काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट यह कह सकता है कि जब नेता का बेटा नेता बन सकता है तो जज का बेटा वकील क्यों नहीं बन सकता? सुप्रीम कोर्ट का यह तर्क 100 प्रतिशत सही है, लेकिन नेता और उसके बेटे की आलोचना सार्वजनिक तौर पर हो सकती है तथा ऐसे भ्रष्ट नेताओं को कोर्ट में भी घसीटा जा सकता है, लेकिन न्यायालय की अवमानना के डर की वजह से बेटे-बेटियों की कोई आलोचना नहीं हो सकती और न ही किसी कोर्ट में घसीटा जा सकता है।
पिछले कई दिनों से सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश मोदी सरकार के पीछे पड़े हुए हैं, कभी मोदी के सामने आंसू बहाते हैं और कभी केंद्र सरकार को फटकार लगाते हैं ।
तीरथ सिंह ठाकुर हाई कोर्ट में मुख्य जजों की नियुक्तियां करना चाहते हैं लेकिन जजों का नाम खुद उन्होंने चुना है, जिसके विरोध में करीब 1000 वकीलों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास अर्जी भेजी है, अगर मोदी प्रधान न्यायाधीश की बात मान लेते हैं तो वकील हड़ताल कर देंगे जिसकी वजह से आन्दोलन शुरू हो जाएंगे..
एक समस्या और है, इस वक्त हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त किये गए भ्रष्ट और घूसखोर जज भरे पड़े हैं, उन्हीं में से छंटनी करके तीरथ सिंह ठाकुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीशों की नियुक्ति करना चाहते हैं, मोदी सरकार की समस्या यह है कि अगर दो चार मुख्य न्यायाधीश चुन लिय गए तो तीन साल तक वे "अनाप शनाप फैसले" सुनाकर मुसीबत बढाते रहेंगे, इसलिए मोदी सरकार भ्रष्ट जजों की न्यायालयों से सफाई चाहती है, यही सोचकर जजों की नियुक्ति के लिए एक व्यवस्था बनायी जा रही है लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस व्यवस्था के विरोध में है।
पिछले दो वर्ष पहले जब केंद्र में कांग्रेस सरकार थी तो सुप्रीम कोर्ट की कांग्रेस के सामने बोलने की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि सभी जजों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती थी इसलिए किसी जज में कांग्रेस सरकार को फटकार लगाने की हिम्मत नहीं होती थी, आज भी वही जज सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भरे पड़े हैं और मौका मिलने पर मोदी सरकार को खूब फटकार लगा रहे हैं। थोडा बहुत कमी थी तो उसे तीरथ सिंह ठाकुर ने रो धोकर पूरा कर दिया।
जब तीरथ सिंह ठाकुर हाथ धोकर मोदी सरकार के पीछे पड़ गए तो लोग सोचने लगे कि आखिर बात क्या हो सकती है, जब उनकी डीएनए एनालिसिस की गयी तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए, ऐसा लगा कि तीरथ सिंह ठाकुर के अन्दर आज भी कांग्रेस भक्ति बसी हुई है, जिसकी वजह से वह मोदी सरकार के विरोधी बनते जा रहे हैं।
तीरथ सिंह ठाकुर के पिता देवी दास ठाकुर एक तरह से कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के भक्त थे, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की वजह से ही आज कश्मीर आतंकवाद और अलगाववाद का दंश झेल रहा है, सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि तीरथ सिंह ठाकुर के पिता देवी सास ठाकुर एक समय (1973-1975) जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट के जज थे लेकिन उन्हें सत्ता का ऐसा लोभ हुआ कि 1975 अपने पद से इस्तीफ़ा देकर शेख मुहम्मद अब्दुल्लाह की सरकार में फाइनेंस मिनिस्टर बन गए।
इसके बाद देवी दास ठाकुर वित्त मंत्री बने, जब शेख अब्दुल्लाह की मौत हो गयी तो उसके बाद उनके दामाद गुलाम मोहम्मद अब्दुल्लाह जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री बने, चूँकि देवी दास ठाकुर की अब्दुल्लाह परिवार से बढ़िया केमिस्ट्री थी इसलिए देवी दास जम्मू और कश्मीर के उप-मुख्यमंत्री बनाए गए।
देखिये, तीरथ सिंह ठाकुर के पिता जी हाई कोर्ट में जज थे, बाद में मंत्री बने, फिर उप-मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस की सरकार ने उन्हें गवर्नर बनाया, कितने रसूखदार थे तीरथ सिंह ठाकुर के पिता जी, उनकी मृत्यु 2007 में हुई लेकिन उन्होने मरने से पहले अपने दोनों बेटों को सेट कर दिया, तीरथ सिंह ठाकुर दो भाई हैं, उनके छोटे भाई धीरज सिंह ठाकुर भी जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट में जज हैं, तीरथ सिंह ठाकुर देश के सबसे गरिमामयी पद पर हैं, सुप्रीम कोर्ट से बड़ा क्या हो सकता है, अब वे चाहते हैं कि उनके भाई भी जज बनें, उनके बेटे भी जज बनें, उनके नाती भी जज बनें, जैसा कि उनके पिता ने किया और अपने दोनों बेटों को जज बना दिया, मोदी सरकार इसी व्यवस्था के खिलाफ है, उन्हें परिवारवाद बर्दास्त नहीं है।
मोदी सरकार एक नई व्यवस्था के तहत जजों की नियुक्ति करना चाहती है लेकिन प्रधान न्यायाधीश अपनी मनमर्जी चलाना चाहते हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने नई व्यवस्था पर रोक लगा दी है, इसलिए मोदी ने भी तीरथ सिंह के फैसले पर रोक लगा दी है।
तीरथ सिंह को क्यों बताया जा रहा है कांग्रेस भक्त ...तीरथ सिंह ठाकुर के पिताजी जन गुलाम मोहम्मद शाह की सरकार में उप-मुख्यमंत्री थे तो उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटालों के बहुत आरोप लगे, इसके अलावा इनके पिताजी दशकों तक कांग्रेस से भी जुड़े रहे हैं, कांग्रेस सरकार ने उन्हें असम का गवर्नर बनाया, तीरथ सिंह ठाकुर के ऊपर भी कांग्रेस की भक्ति का कुछ तो असर पड़ा ही होगा, आखिर उनके घर का ही माहौल कांग्रेसमय था, हर समय कांग्रेस की चर्चा होती रहती होगी, कांग्रेस के गुण गाये जाते रहे होंगे, बच्चों पर अपने बाप का कुछ तो असर पड़ता ही है, जिस कांग्रेस ने उनके परिवार को सेट किया, उनके पिताजी को सेट किया, हो सकता है उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट ने सेट किया गया हो, अब वे उसके लिए कुछ ना कुछ काम तो करेंगे ही जिसने उन्हें सेट किया है, शायद इसीलिए जब से केंद्र में मोदी सरकार आयी है सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार को फटकार पर फटकार लगा रहा है, कांग्रेस सरकार के समय तो बोलने की भी हिम्मत नहीं होती थी, सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दो साल तक कांग्रेस ने कालेधन पर SIT बनाने को कहा लेकिन कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की कभी भी परवाह नहीं की, कालेधन को कोई कार्यवाही नहीं की, लोगों को मौका मिला और उन्होंने अपने कालेधन को सेट कर लिया।
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