पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का कड़ा संदेश देते हुए व्हाइट हाउस ने भारत एवं पाकिस्तान के बीच तनाव कम किए जाने की अपील की।
व्हाहट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं आपको यह बता सकता हूं कि हमने क्षेत्र से मिली कुछ रिपोर्ट देखी हैं। इन रिपोर्ट में यह रिपोर्ट भी शामिल है कि भारत एवं पाकिस्तान की सेनाएं एक दूसरे के संपर्क में हैं और हम तनाव कम करने के लिए भारत एवं पाकिस्तान के बीच जारी वार्ता को प्रोत्साहित करते हैं।’ अर्नेस्ट ने कहा कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुसान राइस ने कल अपने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल से बात की और कहा कि अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किए गए लश्कर ए तैयबा एवं जैश ए मोहम्मद समेत आतंकवादी संगठनों से निपटे और उनकी वैधता खत्म करे।
उन्होंने कहा, ‘राजदूत सुसान ने यह स्पष्ट किया कि अमेरिका क्षेत्र में सीमा पार से आतंकवाद के खतरे को लेकर चिंतित है। अमेरिका पूरी उम्मीद करता है कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध आतंकवादियों एवं आतंकवादी संगठनों से निपटने एवं उन्हें अवैध घोषित करने के लिए प्रभावशाली कार्रवाई करेगा।’
अमेरिका द्धारा भारत-पाकिस्तान के बीच शान्ति की अपील करने से पूर्व अमेरिका यह भी बताए कि जब उसके देश पर आतंकी हमला हुआ था, उस स्थिति में उसने क्या किया था? क्यों इराक पर हमला किया था? क्यों सद्दाम हुसैन को मार कर ही दम लिया? क्या अमेरिका पर आतंकी हमला हमला है और इतने वर्षों से भारत पाकिस्तान के आतंक से लहू-लुहान हो रहा है, वह नहीं दिखता? क्या अमेरिका को पाकिस्तान में चल रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविर नहीं दिखते? क्या इन आतंकी शिविरों को अमेरिका का संरक्षण प्राप्त है? एक तरफ विश्व से आतंकवाद समाप्त करने को कहा जाता है और दूसरी तरफ भारत द्धारा भी आतंकवाद के गढ़ को ही समाप्त करने का श्रीगणेश करने पर भारत के साथ खड़े होने की बजाय शान्ति की अपील करने को क्या नाम दिया जाए?आखिर अमेरिका इस तरह की दोगली नीति क्यों अपना रहा है? इतिहास गवाह है, जब-जब भारत ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाने का साहस किया है, अमेरिका पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा हुआ है।
कारगिल युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी को युद्ध विराम करने के क्यों कहा? विश्व जनता है कि दोनों ही देश --भारत और पाकिस्तान -- परमाणु युक्त हैं। कारगिल युद्ध के दौरान भी पाकिस्तान के पास परमाणु था। तब भी पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री यही नवाज़ शरीफ थे, कोई और नहीं था। और आज भी वही व्यक्ति पाकिस्तान का प्रधानमन्त्री है। वाजपेयी को दी धमकी का जवाब सुन क्यों साँप सूंघ गया था? हिम्मत थी तो बोलते पाकिस्तान को कर परमाणु का इस्तेमाल। मैं सरकारी प्रवक्ता नहीं, फिर भी एक आम नागरिक होते हुए इतना जानता हूँ, भारत की तरफ से परमाणु की पहल नहीं होगी, और जब पाकिस्तान की तरफ से पहल होने पर दुनिया के नक़्शे से भारत पाकिस्तान का नाम ही मिटा देगा। इतना अपनी भारत सरकार पर विश्वास है, उस समय देश का प्रधानमन्त्री कोई भी हो। भारतीयों का खून खून ही होता है, कोई पानी नहीं।
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