उत्तराखंड भजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने 28 अगस्त 2016 को रुड़की में पर्दाफास रैली के दौरान जो कहा - *बिना पिये पंडितों के मुह से मन्त्र नहीं निकलते*।
ये बेहद ही शर्मनाक और निहायद ही गैर जिम्मेदाराना बयान है और अजय भट्ट को सम्पूर्ण ब्राह्मण समाज ही नहीं पुरे *हिन्दू धर्म से नाक रगड़ कर माफ़ी* मांगनी चाहिए।
*हिन्दू धर्म के ठेकेदार* बने बैठे भाजपा अध्यक्ष को *हिन्दू धर्म की बुराई करने* के लिए *पक्षतावा* भी नहीं है, ये वही लोग है जो बताते तो खुद को हिन्दू धर्म का ठेकेदार हैं और खुद ही भगवन को कौसते भी हैं। यही इन जैसे भाजपाइयों का असली चेहरा है।
दूसरे इनके बड़े भाई और *केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा हैं जो विदेशी पर्यटकों को भारत में स्कर्ट पहनकर ना आने का ज्ञान* दे रहे हैं । केंद्र का मोदी मंत्रिमंडल सरकार देश चला रहा है या तालिबान, क्या मंत्री जी *भारत को अफगानिस्तान बनाना* चाहते हैं।
भाजपा को चाहिए की वो *अजय भट्ट जी को किसी अच्छे दिमागी डॉक्टर* को दिखाए। जो अपने धर्म के अंतर्गत आने वाले विभिन्न समाजों-जाती का सम्मान नहीं कर सकता तो कम से कम अपमान तो न करे।
भाजपाई कभी *गौरक्षा के नाम पर गुजरात में हिन्दू-दलितों की नंगा कर पिटाई* करते हैं, कभी *हिन्दू-पंडितों को शराब पी कर मंत्रोच्चारण करने वाला कहते हैं*, कभी इन्हे *अपनी नज़रों की जगह स्कर्ट में बुराई दिखती है*। और बनते है हिंदुत्व व राष्ट्र के हितेषी।
क्या देवभूमि में हिंदुओं की पवित्र नगरी हरिद्वार जिले में शराब पी कर मंत्रोच्चारण करने की बात कहना हिंदुओं की आस्था, संस्कृति, वेद-पुराणों पर कुठाराघात नहीं, *क्या यही है भाजपा का हिंदुत्व प्रेम*।
अगर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट जी शराब पिते हैं तो पियें, वैसे हमारी सलाह माने तो न पियें। परन्तु सारे पंडित-ब्राह्मण समाज को एक तराजू में न तोलें। और *सम्पूर्ण ब्राह्मण समाज ही नहीं वरन् सम्पूर्ण उत्तराखंड, सम्पूर्ण हिंदुत्व और पुरे राष्ट्र से क्षमा मांगें*।
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