बीते दिनों दिल्ली में भारी बारिश के कारण जल जमाव की स्थिति के कारण अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी को जाम का सामना करना पड़ गया था। दिल्ली में उनका काफिला लगभग एक घंटे के लिए जाम में फंसा रह गया था। इसको लेकर अमेरिकी मीडिया ने भारत की सुरक्षा पर सवास उठाने शुरु कर दिए थे। एक सामरिक वार्ता के लिए राजधानी में आए केरी और उनके काफिले को सोमवार शाम को इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास भारी बारिश का कारण काफी देर रुकना पर गया था।
दिल्ली-एनसीआर में आज सुबह से एक बार फिर से तेज बारिश हो रही है। बारिश के कारण दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र की रफ्तार थम गई है। राष्ट्रीय राजधानी के कई क्षेत्रों भर में बड़े पैमाने पर जल-जमाव के कारण ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई है। सड़कों पर लोगों को अपने काम पर जाने के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है। गुड़गांव और नोएडा की ओर जाने वाली सड़कों पर भयानक यातायात जाम देखा गया है।
आखिर क्यों दिल्ली को हर बार बारिश की वजह से जल जमाव और भारी ट्रैफिक जाम की स्थितियों से दो चार होना पड़ता है। दिल्ली में बारिश की वजह से जल जमाव के पांच मुख्य कारण हैं-
1. अवरोधित नालियां और जवाबदेही की कमी: हर साल मानसून सत्र से पहले, नागरिक और सड़क एजेंसियों के द्वारा दिल्ली में गाड़ियों की स्मूथ ड्राइव के लिए नालियों को साफ करने के दावे करता हे लेकिन बारिश के समय सारे दावे खोखले साबित हो जाते हैं।
दिल्ली में आठ सड़क-मालिक एजेंसियां हैं - लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), तीन नगर निगमों (पूर्वी, दक्षिण और उत्तरी), नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी), भारत (एनएचएआई) के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, सिंचाई विभाग और बाढ़ नियंत्रण और दिल्ली छावनी। लेकिन उनके पास बारिश से हुए जल जमाव से निजात के लिए कोई आम मानसून की योजना तक नहीं है। वे लोग नाली साफ करने और लैंडफिल्स में कचरा निपटाने के बजाय क्लीनर अक्सर सड़कों पर सफाई के बाद निकलेो अवशेष को छोड़ देते है जो वापस बहकर नालियों में चली जाती है और नालियां जाम हो जाती है।
2. खराब सड़क डिजाइन: कई सड़कों की डिजायनिंग में दोषपूर्ण ढलान हैं जिससे बारिश के पानी को निकलने का रास्ता नहीं मिल पाता है। ये खराब सड़कें आसानी से बाढ़ को तैयार करने का काम करते हैं। निचले इलाकों में सड़कें में जल निकासी के लिए कोई इंतजाम नहीं है जिसके कारण सड़कों पर नालियों के पानी आ जाते हैं।
वाहनों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में कई गुना बढ़ गई है। जल निकासी प्रणाली में थोड़े बदलाव की जरूरत है। हर बार भारी बारिश को लेकर सुधार करने के लिए कहा जाता है लेकिन कोई सुधार देखने को नहीं मिलती है।
3. अनियंत्रित निर्माण: कई क्षेत्रों में लोग नालियों के ऊपर पार्किंग और एक्सटेंशन का निर्माण कर देते हैं जिसके कारण बारिश होने के बाद पानी नालियों में जाने के बजाय सड़कों पर आ जाते हैं। पेड़ और स्थानीय पार्क के चारों ओर ग्रीन पैच के रूप में प्राकृतिक स्पंज लगे होते हैं जो पानी को अवशोषित और जमते से पानी को रोकने का काम करते हैं। लेकिन इन शहर के कई हिस्सों में लोगों ने इसे सिमेंटेड कर दिया है जिसकी वजह से बारिश का पानी सड़कों पर आ जाते हैं।
4. गायब तूफान नालियां: शहर के करीब 200 प्राकृतिक तूफान नालियों में से कई लापता हैं। 2015 में एक सर्वेक्षण से पता चला कि लोगों ने दुकानों और पार्किंग स्थल का निर्माण करने के लिए इन नालियों को सिमेंटेड कर दिया जिसकी वजह से शहर में कई जगह बारिश का पानी भर जाता है। लगभग 200 ऐसी नालियां गायब हैं। इन नालियों को बनाने के पिछे का कारण बारिश के पानी, घरेलू और औद्योगिक कचरे को नालियों से यमुना में ले जाना था ताकि बाढ़ से शहर की रक्षा हो सके।
5. खराब यातायात प्रबंधन: बारिश होने पर सबसे पहले ट्रैफिक सिग्नल पर असर पड़ता है। कई व्यस्त जंक्शनों पर बारिश के कारण जल्द ही ट्रैफिक लाइट खराब हो जाते हैं जिसके कारण शहर में भारी जाम का सामना करना पड़ता है। इस वक्त यातायात पुलिस भी कम पड़ जाते हैं। व्यस्त दिनों में सड़कों पर 5,500 लोगों के लिए केवल 1,200 यातायात पुलिस मौजूद होती हैं।
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