यौन-शोषणकर्ता बिजेंद्र पाण्डेय कब गिरफ्तार होगा?
उत्तर प्रदेश भारत का वह प्रदेश है, जिसे मातृभूमि से कहीं अधिक वंदनीय स्वीकारा जाता है। ये वो धरती है जहाँ द्रौपदी का चीरहरण होने पर द्रौपदी को वस्त्र देकर दुश्शासन के पसीने छुड़ाने वाले श्रीकृष्ण ने जन्म लिया ; यह वह धरती है, जहाँ राक्षसों को मृत्यु लोक प्राप्त करवाने वाले श्री राम ने जन्म लिया। एक से बढ़ एक मुनियों ने इस पावन धरती पर जन्म लिया। गंगा,यमुना, सरस्वती आदि नदिओं का प्रवाह , न जाने कितने चर्चित मंदिर, किन्तु उसी धरती पर चोरी, डैकैती, लूटपाट और न जाने कितने कुकर्म पनप रहे है। यह धरती किस तरह कलंकित की जा रही है, किसी भी नेता को लेशमात्र भी चिंता नहीं। किसी मंत्री की भैंस चोरी होने पर पुलिस विभाग की नींद हराम हो जाती है, लेकिन महिलाओं का किस तरह शोषण हो रहा है, लगता है कृष्ण भगवान को पुनः इस कलंकित होती धरती का जीणोद्धार करने आना पड़ेगा।
लखनऊ में एक यौन-पीड़ित विधवा सुषमा (नाम परिवर्तित), न्याय के लिए दर-दर भटक रही है ,कोई नहीं सुनता। विवाह का झांसा देकर किस तरह उसका शोषण किया गया। दिल कांप जाता है।
बेनकाब होती लखनऊ पुलिस
ऐसा आभास होता है कि पुलिस भी इस पीड़ित की रक्षक न बनकर आरोपी को संरक्षण देकर भक्षक का रूप धारण कर रही है। 28 जनवरी को आशियाना थाने में 1860 आईपीसी के तहत धारा 376,313,394,323,504,506,354(A)(प्रकरण अपराध 0035 ) के अंतरगर्त होने वाले(संभावित) पति बिजेंद्र कुमार पाण्डेय,सुपुत्र कृष्ण गोपाल पाण्डेय निवासी सेक्टर एम/607,बीट OP रमाबाई, आशियाना ,लखनऊ के विरुद्ध रिपोर्ट तो दर्ज हुई ,लेकिन कोई कार्यवाही नहीं। बिजेंद्र ने दो बार इस पीड़िता का गर्भपात भी करवाया। लेकिन तीसरी बार गर्भवती होने पर जब डॉक्टर ने असहमति प्रकट की ,तब फ़रवरी में विवाह की तिथि निश्चित कर कहीं गायब हो गया। बार-बार फ़ोन करने पर जब कोई जवाब नही मिला, क्यूंकि फ़ोन उसने बंद कर रखा था। हार कर पीड़िता जनवरी 22 को आशियाना उसके घर पहुंची ,उसके माँ-बाप बहुत ही निर्दयता से पेश आये। बार-बार बिजेंद्र के विषय में पूछने पर बाप ने अपना संतुलन खोते हुए पीड़िता के गुप्तांगो पर प्रहार किया ;जिस कारण गर्भपात हो गया ,लहूलुहान होने के बावजूद पीड़िता को घर से बाहर धक्का दे दिया। तुरंत 100 नंबर पर पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने 4/5 घंटे थाने में बैठाकर रखा। क्या पुलिस गर्भपात हुई महिला की पीड़ा से आनंदित हो रहे थे, जबकि उसके कपडे खून से लतपत थे ? क्यों नहीं तुरंत उपचार के लिए भेजा गया ? क्या इस घिनौनी शर्मनाक हरकत पुलिस की साठगांठ से हुई है ? वह क्या कारण है कि रिपोर्ट दर्ज की जाती है जनवरी 28 को ;मेडिकल होता है जनवरी 28 को, क्यों? क्या सरकार पुलिस से लगभग एक सप्ताह उपरांत कार्यवाही करने को कारण पूछ ,सम्बन्धित अधिकारीयों पर सख्त कार्यवाही करेगी ? क्या अबला का इसी तरह यौन शोषण होता रहेगा?100 नम्बर का क्या लाभ? पुलिस ने चलना है अपने ही ढर्रे से। क्यों नहीं पुलिस ने बाप-बेटे को तुरंत गिरफ्तार किया ? न जाने कितनी सुषमाएं यौन शोषण का शिकार होकर न्याय की गुहार में सिर पटक रही होंगी ?समाज में कितनी अपमानित हो रही होंगी ? महिला सशक्तिकरण की बात करने वालों में से किसी ने भी ऐसे असामाजिक तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने की आवाज़ नहीं उठाई?
पीड़िता की बात सुनते समय इसके चरित्र पर शंका ध्वनि होने पर बिजेंद्र कुमार से सम्बन्ध में स्पष्टीकरण में पीड़िता ने बताया कि “मैंने अपने बच्चों के भविष्य और माँ-बाप को चिंतामुक्त करने के कारण shadi.com पर नामांकित करवाया था। बिजेंद्र ने वहां से मेरा नंबर और घर का पता लेकर मेरे माता-पिता से शादी की बातचीत कर मधुर सम्बन्ध स्थापित करने का हर प्रयास किया, जिसमें बच्चों के भविष्य की खातिर बाहर घूमने विशेषकर मंदिर आदि भी जाने लगी। फिर एक दिन के लिए मथुरा मंदिर के दर्शन करना ही मेरी बर्बादी की दास्तान का श्रीगणेश हो गया था। “
आगे पीड़िता ने बताया कि “मथुरा जाने के लिए बोला था कि सुबह जायेंगे और शाम तक वापस आ जाएंगे। लेकिन पाण्डेय के दिमाग में तो यौन शोषण घर किये हुए था। इधर-उधर घुमाने में देरी का बहाना कर एक रात होटल में रुके। पाण्डेय ने खुद शराब पीने के साथ-साथ मुझे भी दी। मेरे मना करने पर सॉफ्ट-ड्रिंक में चुपचाप मिला कर देकर बाँहों में लेने का प्रयास करने पर मैंने कहा “जो भी करना है शादी के बाद,पहले नहीं।” लेकिन शराब का असर होने पर मैं बेहोश हो गयी और सुबह जब आँख खुली तबतक तोते उड़ चुके थे। ”
ऐसे में स्मरण होती है, महाकवि जयशंकर प्रसाद की निम्न पंक्तियाँ :-
हाय ! अबला तेरी यही कहानी
आँचल में है दूध और आँखों में पानी
आँचल में है दूध और आँखों में पानी
पूर्व पति से पीड़िता के दो बच्चे –एक लड़की और एक लड़का — हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बिजेंद्र इन दोनों बच्चों की धमकी दे रहा है और पुलिस खामोश है। पीड़िता के अनुसार उसके बच्चे परीक्षा तक देने के लिए घर से बाहर नहीं निकल रहे। दूसरे अर्थों में देखा जाये तो यदि पीड़िता पाण्डे की हवस मिटाती रहेगी केवल तभी उसका और उसके बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहेगा ,इसमें भी संदेह है, क्यों पाण्डे अपनी हवस से बच्चे नहीं चाहता, गर्भपात करवा देता है ,फिर पीड़िता के पहले पति से हुए बच्चों का भविष्य उज्जवल रह ही नहीं सकता और इसमें कोई संदेह भी नहीं होना चाहिए। शादी का झांसा देकर एक विधवा को सब्जबाग़ दिखाकर यौन शोषण करना और गर्भवती करना ;बच्चों की चाहत न होने पर गर्भपात करवाना ;जब चाहे दरिंदगी के साथ अपनी हवस मिटाना किसी भी सभ्य व्यक्ति को शोभा नहीं देता। जबकि पाण्डेय की पहली पत्नी से 15 वर्षीय एक लड़की भी है। विधवा यौन शोषण क्या रंग लाएगा, समय के गर्भ में छिपा है।
यह पीड़ित विधवा तो अपने बच्चो की खातिर विषपान करती रही, परन्तु पुलिस की छत्रसाया में पल रहे इस हवस के दरिंदे में लेशमात्र भी शर्म नहीं। जिस देश में महिला सशक्तिकरण की बात होती हो, वहीँ किसी मजबूर विधवा माँ को हवस का शिकार बनाया जा रहा है। पुलिस अधिकारी भी इस पीड़िता से अभद्र भाषा में बात करते है, जैसाकि पीड़िता ने 18 जनवरी को पुलिस विभाग को लिखे पत्र में उल्लेख किया है। क्या यह पीड़िता बाजारू है, जो पुलिस इस अभद्र भाषा में इसके साथ व्यवहार कर रही है?मदिरा और सेक्स कैप्सूल सेवन कर अपनी कागज़ी मर्दानगी से मजबूर महिला को शादी करने के सब्जबाग़ दिखाकर जो यौन-शोषण करता रहा, क्यों लखनऊ पुलिस उसे और पीड़िता के गुप्तांगो पर प्रहार करने वाले उसके पिता कृष्ण गोपाल पाण्डेय को गिरफ्तार करती ?
जिस साहस एवं दिलेरी से यह पीड़िता धोखे एवं अँधेरे में हुए अपने यौन शोषण की आग में जलकर न्याय के लिए संघर्षरत है उसे देख, मुखरित होती हैं निम्न पंक्तियाँ :-
हौसले बुलन्द हो तो मँजिल नजर आती है।
आँखो में सजे सपनो को साकार करती है।
रूकावटे चाहे जैसी हो हिम्मत न हारना,
ठोकर ही इँसान को चलना सिखाती है।
दु:ख के अँधेरे में आशा का दीप जलाना,
क्योंकि आशा ही वीराने को गुलशन बनाती है।
बादलों की गर्जना से भयभीत ना होना,
क्योंकि वक्त की बारिश ही हरियाली लाती है।
दोस्ती का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू ,
आप भूल भी जाओ तो मैं हर पल याद करू ,
माता-पिता ने बस इतना सिखाया है मुझे
कि खुद से पहले आपके लिए प्रार्थना करू. .
आँखो में सजे सपनो को साकार करती है।
रूकावटे चाहे जैसी हो हिम्मत न हारना,
ठोकर ही इँसान को चलना सिखाती है।
दु:ख के अँधेरे में आशा का दीप जलाना,
क्योंकि आशा ही वीराने को गुलशन बनाती है।
बादलों की गर्जना से भयभीत ना होना,
क्योंकि वक्त की बारिश ही हरियाली लाती है।
दोस्ती का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू ,
आप भूल भी जाओ तो मैं हर पल याद करू ,
माता-पिता ने बस इतना सिखाया है मुझे
कि खुद से पहले आपके लिए प्रार्थना करू. .
आने वाली 8 मार्च को महिला सशक्तिकरण के खूब ढ़ोल पिटेंगे, बड़ी-बड़ी बातें होंगी, लेकिन इन हो रहे अत्याचारों पर कोई मलहम भी नहीं लगाएगा। सरकारी धन का दुरूपयोग होगा और इस काम में उत्तर प्रदेश भी पीछे नहीं रहेगा। लेकिन पीड़ित महिला की सहायता को कोई खड़ा या खड़ी होगी। महाकवि जयशंकर प्रसाद कविता लिखते हैं :-“नारी तुम एक श्रद्धा हो। … ” उसके विपरीत आज के युग में एक दरिंदा पुरुष वर्ग ऐसा है जो औरत को एक श्रद्धा नहीं बल्कि मात्र भोग वस्तु सिद्ध करने में तत्पर है।क्या कोई महिला मात्र भोग की वस्तु है ? क्या 8 मार्च को ऐसे यौन शोषण पर महिला संगठन एवं सरकार मैदान में उतरेंगी ?
(पीड़िता से बातचीत एवं पुलिस को लिखे पत्र पर आधारित )
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