पिछले 68 सालों से इस देश में गांधी को सबसे बड़ा महात्मा और गोडसे को सबसे बड़ा आतंकवादी बताया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आखिर क्या थी गोडसे की विवशता ..? क्या गोडसे नही जानते थे की एक आम आदमी को मारने में और एक राष्ट्रपिता बने को मारने में क्या अंतर है और क्या गोडसे को अंदाजा नहीं था कि गांधी को मारने के बाद क्या होगा उनके परिवार का ..? कैसे कैसे कष्ट सहने पड़ेंगे गोडसे के परिवार और सम्बन्धियों को और मित्रों को ? आखिर क्या था गांधी वध का वास्तविक कारण .? क्या थी विभाजन की पीड़ा ..? विभाजन के समय क्या क्या हुआ था ..? आज मीडिया और सेकुलर गिरोह कहता है कि”गोडसे आतंकवादी हैं”… “हत्यारा हैं’ ….
परन्तु गोडसे का तो कभी निर्दोष लोगों को मारने का पूर्व में कोई रिकॉर्ड नहीं था, न ही गांधी को मारते समय गोडसे ने उनके साथ उपस्थित लोगों को मारा था. तो गोडसे को हत्यारा कैसे कहा जा सकता हैं .? हत्यारा तो इस गांधी को कहना चाहिए क्योंकि जिस गांधी की वजह से लाखों हत्याएँ और देश का भयंकर नुकसान हुआ. यदि गांधी थोड़े दिन और ज़िंदा रह जाता तो भारत का नक्शा कुछ ऐसे होना था. East पाकिस्तान(आज का बंगलादेश) से पाकिस्तान तक चौड़ी सड़क की planning चल रही थी. मगर भारत माँ का सीना कटने से बचाया भारत माँ के सच्चे सुपुत्र नथु राम गोडसे जी ने जिन्होंने गांधी का वध कर देश को बचाया. उस समय जो हालात थे और गांधी मुस्लिम तुष्टीकरण की खातिर एक के बाद एक भारत को और हिन्दुओं को जख्म दिये जा रहा था यदि गोडसे की जगह कोई भी सच्चा राष्ट्रभक्त होता तो गांधी को बहुत पहले ही मार देता. गांधी भक्तों और सेकुलर गिरोह को खुली चुनौती हैं गांधी वध के बाद हुई अदालती कार्रवाई की बहस और हुतात्मा गोडसे के बयानों व सभी पक्षों को सार्वजनिक करके मीडिया में इस पर खुलकर बहस करायी जाए. मेरा दावा है दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. परन्तु नहीं, गांधी ब्रांड को स्थापित करने वाला वामपंथी गिरोह कभी सच को बाहर नहीं आने देगा, क्योंकि बापू की करतूतों का कच्चा चिट्ठा जब खुलेगा तो इस गांधी ब्रांड की धज्जियां उड जायेगी और एक बार जब बात निकली तो बहुत दूर तक जायेगी.
न्यायालय में दिए अपने 150 बयानों में गोडसे ने स्पष्ट कहा था कि “मैं महात्मा गांधी का बहुत सम्मान करता हूँ , लेकिन गांधी की तुष्टिकरण नीति के कारण मुझे ऐसा करना पड़ा। … ” परन्तु छद्दम नेताओं ने गोडसे के उन बयानों को सार्वजनिक नहीं होने दिया। जनता के समक्ष महात्मा गांधी का ऐसा स्वांग रचा गया, सबके सामने है। आजतक इन छद्दम नेताओं से जनता ने यह पूछने का साहस नहीं किया कि “माना गोडसे एक हत्यारा था ,परन्तु गांधी हत्या उपरांत उनके परिवार को राजनीति में स्थान क्यों नही मिला ?” कोई नहीं देगा उत्तर।
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