इमरान (imran khan) ने अगर किसी दूसरे को सत्ता नहीं सौंपी तो उनका पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री बनना तय है।
उनके लिए पाकिस्तान की सत्ता कांटों भरे ताज से कम नहीं होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि बिना किसी प्रशासनिक अनुभव के सीधा प्रधानमंत्री बनने जा रहे इमरान आतंकवाद, कश्मीर, घरेलू हिंसा, बलूचिस्तान, और घरेलू राजनैतिक आस्थिरता जैसे मुद्दों से कैसे पार पाते हैं। उनके सामने सेना और अदालत के बीच भी बैलेंस बनाकर चलने की चुनौती होगी।
इन सबके लिए उनके पास कहीं न कहीं रोडमैप जरूर होगा। भले ही उनके पास प्रशासनिक अनुभव न हो, लेकिन लंबे राजनीतिक तजुर्बे के चलते इन राजनीतिक सवालों का उनके पास जवाब जरूर होगा। हालांकि एक मुसीबत ऐसी जरूर है, जो पाकिस्तान के सबसे सफल क्रिकेट कप्तान को गुगली की तरह चकमा जरूर दे सकती है। वह है पाकिस्तानी इकोनॉमी की खस्ताहालत। गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान जिन आर्थिक चुनौतियों से गुजर रहा है, आते ही इमरान का सबसे पहले उन्हीं से सामना होगा। बाकी राजनैतिक मसलों की बारी तो बाद में आएगी।
पर कैसे जूझेंगे इकोनॉमी की बाउंसर से
इमरान वास्तव में गेंदबाज़ हैं, और बल्लेबाज़ों पर बहुत बाउंसर फेंके, अब पाकिस्तान की सत्ता सँभालने पर उन्हें बाउंसर झेलने पड़ेंगे, देखें कैसे सामना करते हैं। इमरान ऐसे समय में सत्ता संभालने जा रहे हैं, जब पाकिस्तान अपने इतिहास की सबसे गंभीर आर्थिक चुनौतियों से घिरा है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार कभी भी खत्म हो सकता है। पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट पर है। उसकी वैल्यू भारतीय रुपए के मुकाबले भी आधी रह गई है। चीन के साथ चल रहे सीपीईसी (चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) प्रोजेक्ट का खर्च बढ़ रहा है। देश का कर्ज लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में उनके लिए सबकुछ किसी बाउंसर से कम नहीं होगा। अहम बात यह है कि उन्हें आते ही इन आर्थिक चुनौतियों से जूझना होगा।
बाउंसर नंबर-1: भुगतान संकट
पाकिस्तान की इकोनॉमी इस समय बैलेंस ऑफ पेमेंट के संकट से जूझ रही है। पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में इतना पैसा नहीं बचा है कि वह आने वाले दिनों में अपना इम्पोर्ट जारी रख सके। अप्रैल में आई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार मौजूदा समय में 10.8 बिलियन डॉलर के लेवल पर आ गया है। जो इस साल अगस्त तक खत्म हो जाएगा। ऐसे में इमरान को आते ही इस बारे में बड़ा फैसला लेना होगा। इस बीच पाकिस्तान का इम्पोर्ट भी तेजी के साथ बढ़ा है। ऐसे में इमरान या फिर चीन से ऊंची दर पर और कर्ज लेंगे, नहीं तो 10वीं बार आईएमएफ से कर्ज की गुजाह लगाएंगें।
बाउंसर नंबर-2: गिरता रुपया
देश की गिरती आर्थिक सेहत के चलते पाकिस्तानी रुपया भी नहीं बच पाया है। इसके चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक पाकिस्तानी रुपए की कीमत 129 के लेवल पर पहुंच गई है। बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी रुपया भारत की अठन्नी के बराबर हो गया। बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस से निपटेन के लिए पाकिस्तानी सेंट्रल बैंक अपने रुपए का खुद भी अवमूल्यन कर चुका है। इससे फायदा यह होता है कि देश को विदेशी एक्सपोर्ट पर पहले से ज्यादा विदेशी करंसी हासिल होती है। पर लगातार करंसी कमजोर होने से इकोनॉमी दीवालिया होने की कगार पर पहुंच सकती है। साथ ही इन्वेस्टर्स का सेंटीमेंट भी बिगड़ सकता है।
बाउंसर नंबर-3: कर्ज
हाल के दिनों में पाकिस्तान का कर्ज तेजी के साथ बढ़ रहा है। आर्थिक संकट के चलते पाकिस्तान चीन से एक साल के भीतर 5 अरब डॉलर का कर्ज ले चुका है। देश में चल रही पेमेंट क्राइसिस के चलते वह करीब 2 अरब डॉलर का कर्ज चीन से तथा आईएमएफ के साथ फिर से कर्ज लेने पर विचार कर रहा है। 2017 में पाकिस्तान का कुल कर्ज उसकी जीडीपी का करीब 67 गुना हो चुका था। इकोनॉमी में रिकवरी की उम्मीद नहीं होन के चलते माना जा रहा है कि इसके सामने संकट खड़ा हो सकता है। एक समय पर रीपेंमेंट नहीं कर पाया तो डिफाल्टर भी हो सकता है।
बाउंसर नंबर-4: बढ़ता करोबारी घाटा
जुलाई से अक्टूबर के 4 महीनों की बात करें तो ट्रेड डेफिसिट 23 फीसदी बढ़ा है। पिछले साल यह जहां 15.65 अरब डॉलर था, वहीं अब बढ़कर 19.18 अरब डॉलर हो गया है। पाकिस्तानी अखबार डॉन में छपी खबर के मुताबिक, चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के चलते पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर मशीनरी का इम्पोर्ट करना पड़ा है। इस साल के अप्रैल के आंकड़ों के मुताबिक, देश का इम्पोर्ट बढ़ने में 38 फीसदी हिस्सा सिर्फ इसी परियोजना की मशीनरी के लिए मंगाया गया। 2017 में पाकिस्तान का ट्रेड घाटा करीब 36 अरब डॉलर रहा, वहीं 2016 में यह 26 अरब डॉलर था। अगर हालात नहीं संभले तो पाकिस्तानी रुपया और टूट सकता है।
उनके लिए पाकिस्तान की सत्ता कांटों भरे ताज से कम नहीं होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि बिना किसी प्रशासनिक अनुभव के सीधा प्रधानमंत्री बनने जा रहे इमरान आतंकवाद, कश्मीर, घरेलू हिंसा, बलूचिस्तान, और घरेलू राजनैतिक आस्थिरता जैसे मुद्दों से कैसे पार पाते हैं। उनके सामने सेना और अदालत के बीच भी बैलेंस बनाकर चलने की चुनौती होगी।
इन सबके लिए उनके पास कहीं न कहीं रोडमैप जरूर होगा। भले ही उनके पास प्रशासनिक अनुभव न हो, लेकिन लंबे राजनीतिक तजुर्बे के चलते इन राजनीतिक सवालों का उनके पास जवाब जरूर होगा। हालांकि एक मुसीबत ऐसी जरूर है, जो पाकिस्तान के सबसे सफल क्रिकेट कप्तान को गुगली की तरह चकमा जरूर दे सकती है। वह है पाकिस्तानी इकोनॉमी की खस्ताहालत। गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान जिन आर्थिक चुनौतियों से गुजर रहा है, आते ही इमरान का सबसे पहले उन्हीं से सामना होगा। बाकी राजनैतिक मसलों की बारी तो बाद में आएगी।
पर कैसे जूझेंगे इकोनॉमी की बाउंसर से
इमरान वास्तव में गेंदबाज़ हैं, और बल्लेबाज़ों पर बहुत बाउंसर फेंके, अब पाकिस्तान की सत्ता सँभालने पर उन्हें बाउंसर झेलने पड़ेंगे, देखें कैसे सामना करते हैं। इमरान ऐसे समय में सत्ता संभालने जा रहे हैं, जब पाकिस्तान अपने इतिहास की सबसे गंभीर आर्थिक चुनौतियों से घिरा है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार कभी भी खत्म हो सकता है। पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट पर है। उसकी वैल्यू भारतीय रुपए के मुकाबले भी आधी रह गई है। चीन के साथ चल रहे सीपीईसी (चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) प्रोजेक्ट का खर्च बढ़ रहा है। देश का कर्ज लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में उनके लिए सबकुछ किसी बाउंसर से कम नहीं होगा। अहम बात यह है कि उन्हें आते ही इन आर्थिक चुनौतियों से जूझना होगा।
बाउंसर नंबर-1: भुगतान संकट
पाकिस्तान की इकोनॉमी इस समय बैलेंस ऑफ पेमेंट के संकट से जूझ रही है। पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में इतना पैसा नहीं बचा है कि वह आने वाले दिनों में अपना इम्पोर्ट जारी रख सके। अप्रैल में आई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार मौजूदा समय में 10.8 बिलियन डॉलर के लेवल पर आ गया है। जो इस साल अगस्त तक खत्म हो जाएगा। ऐसे में इमरान को आते ही इस बारे में बड़ा फैसला लेना होगा। इस बीच पाकिस्तान का इम्पोर्ट भी तेजी के साथ बढ़ा है। ऐसे में इमरान या फिर चीन से ऊंची दर पर और कर्ज लेंगे, नहीं तो 10वीं बार आईएमएफ से कर्ज की गुजाह लगाएंगें।
बाउंसर नंबर-2: गिरता रुपया
देश की गिरती आर्थिक सेहत के चलते पाकिस्तानी रुपया भी नहीं बच पाया है। इसके चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक पाकिस्तानी रुपए की कीमत 129 के लेवल पर पहुंच गई है। बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी रुपया भारत की अठन्नी के बराबर हो गया। बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस से निपटेन के लिए पाकिस्तानी सेंट्रल बैंक अपने रुपए का खुद भी अवमूल्यन कर चुका है। इससे फायदा यह होता है कि देश को विदेशी एक्सपोर्ट पर पहले से ज्यादा विदेशी करंसी हासिल होती है। पर लगातार करंसी कमजोर होने से इकोनॉमी दीवालिया होने की कगार पर पहुंच सकती है। साथ ही इन्वेस्टर्स का सेंटीमेंट भी बिगड़ सकता है।
बाउंसर नंबर-3: कर्ज
हाल के दिनों में पाकिस्तान का कर्ज तेजी के साथ बढ़ रहा है। आर्थिक संकट के चलते पाकिस्तान चीन से एक साल के भीतर 5 अरब डॉलर का कर्ज ले चुका है। देश में चल रही पेमेंट क्राइसिस के चलते वह करीब 2 अरब डॉलर का कर्ज चीन से तथा आईएमएफ के साथ फिर से कर्ज लेने पर विचार कर रहा है। 2017 में पाकिस्तान का कुल कर्ज उसकी जीडीपी का करीब 67 गुना हो चुका था। इकोनॉमी में रिकवरी की उम्मीद नहीं होन के चलते माना जा रहा है कि इसके सामने संकट खड़ा हो सकता है। एक समय पर रीपेंमेंट नहीं कर पाया तो डिफाल्टर भी हो सकता है।
बाउंसर नंबर-4: बढ़ता करोबारी घाटा
जुलाई से अक्टूबर के 4 महीनों की बात करें तो ट्रेड डेफिसिट 23 फीसदी बढ़ा है। पिछले साल यह जहां 15.65 अरब डॉलर था, वहीं अब बढ़कर 19.18 अरब डॉलर हो गया है। पाकिस्तानी अखबार डॉन में छपी खबर के मुताबिक, चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के चलते पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर मशीनरी का इम्पोर्ट करना पड़ा है। इस साल के अप्रैल के आंकड़ों के मुताबिक, देश का इम्पोर्ट बढ़ने में 38 फीसदी हिस्सा सिर्फ इसी परियोजना की मशीनरी के लिए मंगाया गया। 2017 में पाकिस्तान का ट्रेड घाटा करीब 36 अरब डॉलर रहा, वहीं 2016 में यह 26 अरब डॉलर था। अगर हालात नहीं संभले तो पाकिस्तानी रुपया और टूट सकता है।
बाउंसर नंबर-5: रूकी अमेरिकी मदद
अमेरिका में ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद लगातार कमजोर हुई है। आतंकवाद के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाते हुए अमेरिका ने बड़े पैमाने पर पाकिस्तान की मदद रोक दी है। इससे पहले पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ जंग के लिए अमेरिका को ओर से 33 अरब डॉलर की मदद महैया कराई चा चुकी है। अमेरिका के इस कदम से पाकिस्तान को सीधे 1.6 अरब डॉलर सालाना का नुकसान हो रहा है। इमरान अगर इकोनॉमी को बचाना चाहते हैं तो इन्हें इनकम के नए रास्ते तलाशने होंगे।
बाउंसर नंबर-6: सीपीईसी
पाकिस्तानी अधिकारी मान रहे हैं कि चीन पाक कॉरिडोर परियोजना यानी सीपीईसी उनके लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। हालांकि जिस तरह से हाल में पाकिस्तानी सरकार की ओर से चीनी कंपनियों को की गई पेमेंट का चेक बाउंस हुआ है। उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस परियोजना का इमरान खुद विरोध करते रहे हैं। हालांकि पीएम बनने के बाद हालात दूसरे होंगे। चीन यहां अब तक लंबा निवेश कर चुका है। जबकि बलूचिस्तान में अस्थिरता इस परियोजना के परवान चढ़ने पर सवाल पैदा कर रही है। इसके चलते पाकिस्तान का कर्ज औ कारोबार दोनों काबू से बाहर जा रहे हैं। ऐसे में या तो वह अपनी संप्रभुता गिरवी रखकर चीन के करम पर जिंदा रहे या फिर इस परियोजना से अपना पल्ला झाड़े। यह सवाल इमरान को जरूर परेशान करेगा। प्रधानमन्त्री नहीं, बॉलीवुड कलाकार होते अगर मान लेते देव आनन्द का ऑफर
पाकिस्तान के संभावित पीएम इमरान खान को कभी बॉलीवुड एक्टर बनने का मौका मिला था। ये ऑफर इमरान खान को महान एक्टर देवानंद ने दिया था। हालांकि, इमरान खान यदि इस ऑफर को उस वक्त हां कह देते तो आज शायद पाकिस्तान के पीएम पद के दावेदार नहीं होते।
देवानंद ने इमरान खान को फिल्म अव्वल नंबर में काम करने का ऑफर दिया था। देवानंद ने खुद इस बात का जिक्र किया था। दरअसल जुहू स्थित एक होटल में देवानंद एक क्रिकेट मैच देख रहे थे। इस मैच को देखने के बाद देवानंद ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिख डाली।
फिल्म की स्क्रिप्ट दो क्रिकेटर्स के इर्दगिर्द थी। एक क्रिकेटर सनी था। ये क्रिकेटर यंग था इसका रोल आमिर खान को मिला था। वहीं, दूसरा क्रिकेटर रॉनी उर्फ रणबीर सिंह, जो टीम का अक्खड़ कप्तान है। जिसे टीम की हार के बाद रिटायर कर दिया जाता है। इमरान खान को रॉनी का रोल ऑफर किया गया।
इमरान से मिलने लंदन गए देवानंद
देवानंद ने अपने एक क्रिकेटर दोस्त से इमरान खान का लंदन का फोन नंबर लिया। देवानंद ने फोन किया और आंसरिंग मशीन में जवाब छोड़ा। दो-तीन दिन बाद उन्होंने दोबारा इमरान को फोन लगाया। इस बार इमरान ने फोन उठाया और कहा- मैं बाहर था, आज ही लंदन वापस लौटा हूं।
देवानंद ने अपने एक क्रिकेटर दोस्त से इमरान खान का लंदन का फोन नंबर लिया। देवानंद ने फोन किया और आंसरिंग मशीन में जवाब छोड़ा। दो-तीन दिन बाद उन्होंने दोबारा इमरान को फोन लगाया। इस बार इमरान ने फोन उठाया और कहा- मैं बाहर था, आज ही लंदन वापस लौटा हूं।
इमरान खान ने आगे कहा- मेरा फिल्म में काम करने कोई इरादा नहीं हैं। इमरान का जवाब सुनकर वह लंदन पहुंच गए। इमरान खान ने देवानंद से कहा- जिया उल हक मुझे अपनी कैबिनेट में कल्चरल मिनिस्टर बनाना चाहते हैं।
देवानंद बोले- मिनिस्टर बन जाओ और पाक के अमिताभ बच्चन भी
इमरान खान के जवाब के बाद देवानंद ने कहा- तो मिनिस्टर भी बन जाओ और पाकिस्तान के अमिताभ बच्चन भी। वह स्क्रिप्ट छोड़ आए मगर इमरान ने अगले दिन वह स्क्रिप्ट उन्हें एक प्यार भरी पर्ची के साथ लौटा दी, जिसमें लिखा था, 'सॉरी, मुझे पॉलिटिक्स में जाना है, सिनेमा में नहीं...। अव्वल नंबर में रॉनी का रोल आदित्य पांचोली ने निभाया था। ये फिल्म 1990 में रिलीज हुई थी। देवानंद ने इस फिल्म में डीआईजी विक्रम सिंह का रोल निभाया था।
इमरान खान के जवाब के बाद देवानंद ने कहा- तो मिनिस्टर भी बन जाओ और पाकिस्तान के अमिताभ बच्चन भी। वह स्क्रिप्ट छोड़ आए मगर इमरान ने अगले दिन वह स्क्रिप्ट उन्हें एक प्यार भरी पर्ची के साथ लौटा दी, जिसमें लिखा था, 'सॉरी, मुझे पॉलिटिक्स में जाना है, सिनेमा में नहीं...। अव्वल नंबर में रॉनी का रोल आदित्य पांचोली ने निभाया था। ये फिल्म 1990 में रिलीज हुई थी। देवानंद ने इस फिल्म में डीआईजी विक्रम सिंह का रोल निभाया था।
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