आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस वक्त पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर हैं। उनका यह दौरा अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले संगठन में नई जान फूंकने के मकसद से किया जा रहा है। जून 27 को उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि 1937 में कांग्रेस ने ‘वंदे मातरम’ को स्वीकार किया और यहां तक कि उसे राष्ट्रीय गीत का खिताब भी दे दिया। लेकिन इसके शुरुआती दो छंदों को ही स्वीकार किया गया और बाकी को छोड़ दिया गया। अगर कांग्रेस नेताओं ने यह गलती नहीं की होती, तो आज देश विभाजित नहीं होता।
शाह ने कहा कि कांग्रेस का यही कदम बाद में देश के विभाजन के लिए नेतृत्व के साथ तुष्टीकरण नीति की शुरुआत का कारण बना। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम’ न तो पहले ही किसी धर्म से जुड़ा हुआ था और न ही अब है। इसको लेकर हमने कभी किसी को अंधेरे में नहीं रखा है, लेकिन कांग्रेस ने इसे धर्म से जोड़कर कुछ लोगों के लिए विवाद पैदा कर दिया।
कहते हैं कि केवल वंदे मातरम ही, जब सर्वसम्मति से भगवा राष्ट्रीय ध्वज पारित हो गया था, फिर तिरंगा कैसे हो गया? इस इतिहास को भी सार्वजनिक करने की जरुरत है। विवाद चाहे वंदे मातरम का हो या राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा करने की साज़िश, इस षड्यंत्र से पर्दा उठाना जरुरी है। देश अमित शाह ही नहीं बल्कि समस्त नेता समाज को तुष्टिकरण को भूलकर देशहित में देश के सम्मुख सच्चाई रखनी होगी।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस वक्त पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर हैं। उनका यह दौरा अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले संगठन में नई जान फूंकने के मकसद से किया जा रहा है। जून 27 को उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ को लेकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि 1937 में कांग्रेस ने ‘वंदे मातरम’ को स्वीकार किया और यहां तक कि उसे राष्ट्रीय गीत का खिताब भी दे दिया। लेकिन इसके शुरुआती दो छंदों को ही स्वीकार किया गया और बाकी को छोड़ दिया गया। अगर कांग्रेस नेताओं ने यह गलती नहीं की होती, तो आज देश विभाजित नहीं होता।
शाह ने कहा कि कांग्रेस का यही कदम बाद में देश के विभाजन के लिए नेतृत्व के साथ तुष्टीकरण नीति की शुरुआत का कारण बना। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम’ न तो पहले ही किसी धर्म से जुड़ा हुआ था और न ही अब है। इसको लेकर हमने कभी किसी को अंधेरे में नहीं रखा है, लेकिन कांग्रेस ने इसे धर्म से जोड़कर कुछ लोगों के लिए विवाद पैदा कर दिया।
कहते हैं कि केवल वंदे मातरम ही, जब सर्वसम्मति से भगवा राष्ट्रीय ध्वज पारित हो गया था, फिर तिरंगा कैसे हो गया? इस इतिहास को भी सार्वजनिक करने की जरुरत है। विवाद चाहे वंदे मातरम का हो या राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा करने की साज़िश, इस षड्यंत्र से पर्दा उठाना जरुरी है। देश अमित शाह ही नहीं बल्कि समस्त नेता समाज को तुष्टिकरण को भूलकर देशहित में देश के सम्मुख सच्चाई रखनी होगी।
पंचायत चुनाव में जीत से उत्साहित हैं भाजपा अध्यक्ष
बीते महीने हुए पंचायत चुनावों में भारी हिंसा के बावजूद पार्टी के बेहतर प्रदर्शन से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह काफी उत्साहित हैं और अगले साल होने वाले आम चुनावों में भी पार्टी बेहतर प्रदर्शन करे, इसकी रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए वो दो दिवसीय पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं।
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