लखनऊ पासपोर्ट ऑफिस में अपने साथ भेदभाव की शिकायत करके हंगामा मचाने वाली सादिया सिद्धिकी उर्फ तन्वी सेठ के मामले का सच सामने आ चुका है। यह बात जाहिर हो चुकी है कि अपनी पहचान छिपाने के मकसद से ही उन्होंने पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्र को टारगेट किया। साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि अपना धर्म छोड़कर मुसलमान बनने के बाद सादिया उर्फ तन्वी की ऐसी क्या मजबूरी थी कि वो अपनी मुस्लिम पहचान अपने साथ नहीं रखना चाहती थीं? दरअसल इसी के जवाब में लव जिहाद की इस्लामी साजिश का पूरा सच छिपा हुआ है। दरअसल तन्वी सेठ का केस उन तमाम गैर-मुस्लिम लड़कियों के लिए एक सबक है जो प्यार-मोहब्बत के भुलावे में आकर ऐसे मोड़ पर पहुंच जाती हैं, जहां से उनके लिए न तो आगे का रास्ता होता है और न ही पीछे जाने की कोई राह।
ये मामला तब फिर सुर्खियों में छाया, जब पासपोर्ट ऑफिसर ने अपना पक्ष मीडिया के सामने रखा. आरोपी पासपोर्ट कर्मचारी विकास मिश्रा ने मीडिया के सामने अपनी बात रखी, उन्होंने कहा, 'जो कागज एप्लीकेंट देते हैं. उन्हें एक पोर्टल पर अपलोड किया जाता है. इन कागजों के आधार पर फैसला लेना होता है कि पासपोर्ट दिया जाना चाहिए या नहीं'. उन्होंने कहा, 'मैंने तन्वी से केवल इतना कहा कि आप निकाहनामा में अपना नाम जो दिखा रही हैं, उसे फाइल में दिखाएं. इसके लिए उन्होंने मना कर दिया'.
आरोपी पासपोर्ट ऑफिसर विकास मिश्रा ने कहा,' कल को कोई भी शख्स किसी भी नाम से पासपोर्ट बनवा लेगा तो क्या ये देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं होगा'. आरोपी कर्मचारी ने मीडिया को बताया किउनकी तन्वी के पति से कोई बात नहीं हुई, उन्होंने कहा कि अगर मेरी कोई बात होती तो मैं उन्हें अपने अधिकारियों के पास क्यों भेजता.
उन्होंने कहा कि उन्होंने जाति और धर्म के नाम पर कोई टिप्पणी नहीं की थी, विकास कहते हैं कि उन्होंने खुद इंटरकास्ट मैरिज की है, वो जाति,धर्म में भेदभाव नहीं करते. उन्होंने बताया कि तन्वी के निकाहनामे में उनका नाम सादिया दर्ज था, जबकि दूसरे कागजात में नाम तन्वी सेठ लिखा हुआ था. ऐसे में उन्होंने तन्वी से कहा कि एक प्रार्थना पत्र लिखकर दें, ताकि नाम इंडोर्स किया जा सके. विकास ने कहा कि तन्वी इस पर राजी नहीं हुईं और बहस करने लगीं जिसके बाद उन्होंने फाइल अपने सीनियर को भेज दी.
आरोपी पासपोर्ट ऑफिसर विकास मिश्रा के मीडिया में पक्ष रखने के बाद सोशल मीडिया पर उनके सपोर्ट में हजारों लोग उतरे, जिसके बाद मामले ने फिर तूल पकड़ा. आपको बता दें, बुधवार (20 जून), उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक दंपत्ति ने पासपोर्ट ऑफिसर के खिलाफ आरोप लगाया कि उन्होंने उनका पासपोर्ट इसलिए खारिज कर दिया, क्योंकि वो दोनों अलग-अलग धर्म से है. दंपत्ति ने केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और पीएमओ को ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है और मामले में दखलअंदाजी की मांग की है. विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर सख्ती दिखाई है. मामला सामने आने के बाद पासपोर्ट ऑफिसर का ट्रांसफर कर दिया गया है. इसके साथ ही कार्यालय ने इस मामले पर पासपोर्ट कार्यालय से रिपोर्ट भी मांगी है और दंपत्ति को पासपोर्ट भी दे दिया गया.
पासपोर्ट ऑफिसर का ट्रांसफर कर, सरकार क्या सिद्ध करना चाहती है? क्या वह अधिकारी गलत था? क्या उचित जानकारी प्राप्त करने का किसी अधिकारी का कर्तव्य नहीं? यदि इस अधिकारी ने स्पष्टीकरण नहीं माँगा होता और किसी भी अनहोनी घटने पर सरकार ने इसी पासपोर्ट अधिकारी को सूली पर टांगने से गुरेज नहीं करती। सरकार को तन्वी से पूछना चाहिए था कि "आखिर किस कारण हिन्दू और मुस्लिम नाम रखा जा रहा है?"
हिंदू पहचान, लेकिन मज़हब इस्लाम!
नोएडा में रहने वाली तन्वी की एक दोस्त ने अपनी पहचान छिपाते हुए इस बारे में कुछ अहम जानकारियां दीं। उनके मुताबिक “आईटी सेक्टर में काम करने वाले अनस सिद्धिकी और मुसलमान बन चुकी तन्वी सेठ करियर में ग्रोथ के लिए अब विदेश जाने की सोच रहे थे, लेकिन अब पासपोर्ट आड़े आ रहा था। तन्वी ने भावनाओं में बहकर शादी की थी और बिना एक बार भी सोचे-समझे अपना मज़हब और नाम सबकुछ बदलने पर रजामंदी जता दी थी। लेकिन भारत में अपने दफ्तर में वो तन्वी सेठ के नाम से ही जानी जाती रही।” दोस्त का दावा है कि तन्वी को कुछ इनसिक्योरिटी भी थी, जिसके कारण वो अपनी हिंदू पहचान को भी बनाए रखना चाहती थीं। शायद इस कारण क्योंकि विदेश जाने पर उन्हें मुसलमान होने के कारण मुश्किल होने का डर था।
ये भी है एक तरह का लव जिहाद
दरअसल कॉरपोरेट सेक्टर में काम करने वाले ज्यादार मुसलमान लड़के हिंदू लड़कियों से शादी करने के चक्कर में रहते हैं। इससे उनका दोहरा काम हो जाता है। एक तो इस्लाम की सेवा हो जाती है और दूसरे हिंदू लड़की के बहाने मॉडर्न बीवी मिल जाती है। वरना मुस्लिम लड़की से शादी करने पर उसे लेकर मॉडर्न सोसाइटी में एडजस्ट करना मुश्किल होता है। ऐसे लड़कों का आसान शिकार होती हैं वो हिंदू सहकर्मी, जो छोटे शहरों में मिडिल क्लास परिवारों से ताल्लुक रखती हैं। उन्हें लगता है कि लड़का भले ही मुसलमान है लेकिन बहुत आजाद ख्याल वाला है। इसके बाद भावनाओं में बहकर वो ऐसी गलतियां करती जाती हैं, जिनमें वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं बचता। यही कारण है कि ऐसी लड़कियां अक्सर अपने हिंदू नाम को अपने साथ बनाए रखने की कोशिश करती हैं। कुछ दिन पहले मुंबई में एक मॉडल का मामला सामने आया था, जिसमें उसके पति ने घर से निकाल दिया था।
पासपोर्ट ऑफिसर ने अपना पक्ष मीडिया के सामने रखा, तो मामले ने फिर तूल पकड़ा. |
आधार-निकाहनामे में तन्वी सेठ का अलग-अलग नाम दर्ज
लखनऊ पासपोर्ट केंद्र में धर्म को लेकर हुए विवाद में कई मोड़ आते जा रहे हैं. प्रत्यक्षदर्शी ने जब तन्वी सेठ के आरोपों को झूठ बताया. तो ज़ी मीडिया ने भी तहकीकात शुरू कर दी और तहकीकात के बाद जो तस्वीर सामने आई, वो हैरान करने वाली थी. ज़ी मीडिया के हाथ तन्वी सेठ से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज लगे. इन दस्तावेजों में तन्वी का झूठ सामने आया. तन्वी सेठ के आधार कार्ड और निकाहनामे दोनों में मान अलग-अलग लिखा है. दस्तावेजों के मुताबिक, आधार कार्ड पर उनका नाम तन्वी सेठ लिखा है, वहीं निकाहनामे तन्वी सेठ की जगह उनका नाम सादिया लिखा हुआ है.तन्वी सेठ का निकाहनामा |
आरोपी पासपोर्ट ऑफिसर विकास मिश्रा ने कहा,' कल को कोई भी शख्स किसी भी नाम से पासपोर्ट बनवा लेगा तो क्या ये देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं होगा'. आरोपी कर्मचारी ने मीडिया को बताया किउनकी तन्वी के पति से कोई बात नहीं हुई, उन्होंने कहा कि अगर मेरी कोई बात होती तो मैं उन्हें अपने अधिकारियों के पास क्यों भेजता.
आधार कार्ड |
आरोपी पासपोर्ट ऑफिसर विकास मिश्रा के मीडिया में पक्ष रखने के बाद सोशल मीडिया पर उनके सपोर्ट में हजारों लोग उतरे, जिसके बाद मामले ने फिर तूल पकड़ा. आपको बता दें, बुधवार (20 जून), उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक दंपत्ति ने पासपोर्ट ऑफिसर के खिलाफ आरोप लगाया कि उन्होंने उनका पासपोर्ट इसलिए खारिज कर दिया, क्योंकि वो दोनों अलग-अलग धर्म से है. दंपत्ति ने केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और पीएमओ को ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है और मामले में दखलअंदाजी की मांग की है. विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर सख्ती दिखाई है. मामला सामने आने के बाद पासपोर्ट ऑफिसर का ट्रांसफर कर दिया गया है. इसके साथ ही कार्यालय ने इस मामले पर पासपोर्ट कार्यालय से रिपोर्ट भी मांगी है और दंपत्ति को पासपोर्ट भी दे दिया गया.
पासपोर्ट ऑफिसर का ट्रांसफर कर, सरकार क्या सिद्ध करना चाहती है? क्या वह अधिकारी गलत था? क्या उचित जानकारी प्राप्त करने का किसी अधिकारी का कर्तव्य नहीं? यदि इस अधिकारी ने स्पष्टीकरण नहीं माँगा होता और किसी भी अनहोनी घटने पर सरकार ने इसी पासपोर्ट अधिकारी को सूली पर टांगने से गुरेज नहीं करती। सरकार को तन्वी से पूछना चाहिए था कि "आखिर किस कारण हिन्दू और मुस्लिम नाम रखा जा रहा है?"
शक्तिशाली हिन्दू योद्धा
वीजा बनता है उसके नियम हिंदू के लिऐ जितने सरल हैं मुसलमान के लिऐ उतने ही कठिन हैं!
अगर तनवी सेठ को वाकई मे हिंदू धर्म से इतना लगाव होता तो 12 साल पहले अपना धर्मपरिवर्तन नहीं करवाकर मुसलमान नहीं बनती! या फिर आज अपना फिरसे धर्मपरिवर्तन करवाकर हिंदू बनजाती!
हमें यक मालूम है कि मुसलमानों के साथ यूरोप के देशों मे क्या सुलूक होता है उस से बचने के लिऐ ये सब नाटक हुआ है!
जब आप मुसलमान बन गई हो तो उसके दर्द भी तो झेलो! नाकि उससे बचने के लिऐ हिंदू नाम रखलो!
खैर छोड़ो हमको हमारे अधिकारी विकाश मिश्रा को इंसाफ़ चाहिये! उनके साथ जो हुआ वो बहुत गलत हुआ है! हम विकाश मिश्राजी का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे!
सभी हिंदू विकास मिश्राजी के साथ हैं!
अगर तनवी सेठ को वाकई मे हिंदू धर्म से इतना लगाव होता तो 12 साल पहले अपना धर्मपरिवर्तन नहीं करवाकर मुसलमान नहीं बनती! या फिर आज अपना फिरसे धर्मपरिवर्तन करवाकर हिंदू बनजाती!
हमें यक मालूम है कि मुसलमानों के साथ यूरोप के देशों मे क्या सुलूक होता है उस से बचने के लिऐ ये सब नाटक हुआ है!
जब आप मुसलमान बन गई हो तो उसके दर्द भी तो झेलो! नाकि उससे बचने के लिऐ हिंदू नाम रखलो!
खैर छोड़ो हमको हमारे अधिकारी विकाश मिश्रा को इंसाफ़ चाहिये! उनके साथ जो हुआ वो बहुत गलत हुआ है! हम विकाश मिश्राजी का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे!
सभी हिंदू विकास मिश्राजी के साथ हैं!
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