आर्क बिशप अनिल काउटो ने नई सरकार बनने से पहले विशेष प्रार्थना के लिए कहा |
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जैसे-जैसे 2019 लोकसभा चुनाव पास आ रहे हैं, छद्दम धर्म-निरपेक्ष देश में साम्प्रदायिकता का जहर फ़ैलाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में समस्त धर्म-निरपेक्ष एकजुट होकर, इन छद्दमों को धर्म-निरपेक्षता का पाठ पढ़ाएं। ये छद्दम आखिर कब तक अपनी रोजी-रोटी की खातिर देश को सांप्रदायिक और जाति के आधार पर बांटते रहेंगे? सरकार को चाहिए ऐसे तत्वों के बैंक खातों की जाँच कर, इनको होने वाली आय का पता लगाए।
इन लोगों से पूछा जाए कि जब पिछली यूपीए सरकार द्वारा आतंकवादियों को बचाने के लिए बेगुनाह हिन्दू साधु-संत और साध्वी को झूठे आरोपों में जेलों में डाला जा रहा था, क्या तब धर्म-निरपेक्षता खतरे में नहीं थी? जेलों में उनकी सात्विकता को भंग किया जा रहा था, तब क्या धर्म-निरपेक्षता सुदृढ़ हो रही थी? दरअसल, इन लोगो को 2019 में पुनः मोदी सरकार आती देख, अपनी ऐशोआराम की ज़िन्दगी और मालपुए खाने की बजाए सादी रोटी मिलने का आभास होने लगा है।
आर्क बिशप (कैथोलिक) अनिक काउटो की ओर से पिछले दिनों पादरियों को लिखे पत्र को लेकर भाजपा और आरएसएस ने पलटवार किया है। भाजपा नेता शाइना एनसी ने कहा है कि जातियों और समुदायों को उकसाना और ऐसी कोशिश करना गलत है। वहीं, आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा ने कहा कि यह सब वेटिकन के इशारे पर हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्क बिशप ने ईसाई समुदाय से 2019 के चुनाव में नई सरकार के लिए विशेष प्रार्थना करने की बात लिखी है।जैसे-जैसे 2019 लोकसभा चुनाव पास आ रहे हैं, छद्दम धर्म-निरपेक्ष देश में साम्प्रदायिकता का जहर फ़ैलाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में समस्त धर्म-निरपेक्ष एकजुट होकर, इन छद्दमों को धर्म-निरपेक्षता का पाठ पढ़ाएं। ये छद्दम आखिर कब तक अपनी रोजी-रोटी की खातिर देश को सांप्रदायिक और जाति के आधार पर बांटते रहेंगे? सरकार को चाहिए ऐसे तत्वों के बैंक खातों की जाँच कर, इनको होने वाली आय का पता लगाए।
इन लोगों से पूछा जाए कि जब पिछली यूपीए सरकार द्वारा आतंकवादियों को बचाने के लिए बेगुनाह हिन्दू साधु-संत और साध्वी को झूठे आरोपों में जेलों में डाला जा रहा था, क्या तब धर्म-निरपेक्षता खतरे में नहीं थी? जेलों में उनकी सात्विकता को भंग किया जा रहा था, तब क्या धर्म-निरपेक्षता सुदृढ़ हो रही थी? दरअसल, इन लोगो को 2019 में पुनः मोदी सरकार आती देख, अपनी ऐशोआराम की ज़िन्दगी और मालपुए खाने की बजाए सादी रोटी मिलने का आभास होने लगा है।
शाइना ने कहा- खुद को धर्मनिरपेक्ष बताना दुर्भाग्यपूर्ण
शाइना एनसी ने आर्क बिशप की अपील पर कहा कि आप किसी को सही प्रत्याशी या पार्टी चुनने के लिए कह सकते हैं, लेकिन किसी विशेष पार्टी को ही वोट डालने के लिए कहना गलत है। ऐसा करते हुए खुद को धर्मनिरपेक्ष बताना दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
प्रगतिशील सोच रखें आर्क बिशप: मुख्तार अब्बास नकवी
केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री धर्म और जाति से परे बिना भेदभाव सबके विकास के लिए काम कर रहे हैं। हम उन्हें (आर्क बिशव) सिर्फ प्रगतिशील सोच रखने के लिए कह सकते हैं।
देश की धर्मनिरपेक्षता के लिए बताया खतरा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के आर्क बिशप अनिल काउटो ने पादरियों के लिए पत्र जारी किया। इसमें देश की राजनीतिक स्थिति को अशांत बताते हुए लिखा कि, मौजूदा हालात में लोकतांत्रिक सिद्धांतों और धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा पैदा हो गया है। देश और राजनेताओं के लिए प्रार्थना करना हमारी पवित्र परंपरा है। लोकसभा चुनावों को देखते हुए ये बेहद महत्वपूर्ण है। 8 मई को लिखे गए पत्र में निर्देश दिए गए हैं कि हर रविवार को सामूहिक प्रार्थना सभा में इसे पढ़ा जाना चाहिए।
2019 के चुनाव को देखते हुए हर शुक्रवार को विशेष प्रार्थना करें: आर्क बिशप
आर्क बिशप ने पत्र में लिखा है कि ईसाई समुदाय के लोग हर शुक्रवार को एक घंटे विशेष प्रार्थना करें और उपवास रखें। देश में शांति, समानता और स्वतंत्रता के लिए ये जरूरी है। अगले साल चुनाव होने हैं, ऐसे में हमें प्रार्थना अभियान चलाना चाहिए। हमारे धर्म संस्थापकों और संविधान के मुताबिक समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे के मूल्य हमेशा ऊंचे रहने चाहिए।
आर्क बिशप के सचिव की सफाई
इस मामले में आर्क बिशप के सचिव ने बयान जारी किया है। फादर रॉबिन्सन ने कहा है कि आर्क बिशप का पत्र राजनीतिक नहीं है, ना ही सरकार या माननीय प्रधानमंत्री के खिलाफ है। गलत जानकारी नहीं फैलाई जानी चाहिए। ये सिर्फ प्रार्थनाओं के लिए निमंत्रण है, पहले भी इस तरह के पत्र लिखे जा चुके हैं।
वहीं बॉम्बे आर्क बिशप के प्रवक्ता फादर नाइजेल बैरेट ने कहा है कि, जब एक सरकार अपना कार्यकाल पूरा करती है और चुनाव के जरिए फिर से सरकार चुनी जाती है, तो यह नई सरकार कहलाती है। दिल्ली आर्क बिशप के पत्र में अलग सरकार की बात नहीं है बल्कि नई सरकार का जिक्र है। इसलिए मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगता।
Comments